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कांवड़ यात्रा: जब मुस्लिमों के खेत में निकला शिवलिंग, तब बना था ये शिव मंदिर

दी लल्लनटॉप की कांवड़ यात्रा में देवबंद के मनकेश्वर महादेव मंदिर की कहानी.

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मनकेश्वर महादेव मंदिर के अंदर स्थित शिवलिंग
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विशाल
31 जुलाई 2017 (Updated: 30 जुलाई 2017, 05:08 AM IST) कॉमेंट्स
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हरिद्वार से गंगाजल लेने के बाद दी लल्लनटॉप की कांवड़ टीम का अगला पड़ाव था बागपत. यहां के पुरा गांव में पुरा महादेव नाम का एक मंदिर है, जहां पश्चिमी यूपी के लाखों कांवड़िए शिवलिंग पर गंगाजल चढ़ाते हैं. हमें भी यहीं गंगाजल चढ़ाना था, लेकिन बागपत के लिए निकलने से पहले हमें कुछ कांवड़ियों से देवबंद के शिव मंदिर के बारे में पता चला. कांवड़ियों ने बताया कि इस मंदिर में बागपत जितने नहीं, पर हजारों कांवड़िए जल चढ़ाने जाते हैं. लोगों की मान्यता है कि इस मंदिर में वो जो भी मांगते हैं, उन्हें मिल जाता है.


मनकेश्वर महादेव मंदिर, जिसे मानकी मंदिर भी कहा जाता है
मनकेश्वर महादेव मंदिर, जिसे मानकी मंदिर भी कहा जाता है

हमने भी सोचा कि क्यों न बागपत से पहले देवबंद जाया जाए. देखा जाए कि आखिर लोग इस मंदिर को इतना क्यों मानते हैं और इसके पीछे की क्या कहानी है. तो हम देवबंद के इस मंदिर पहुंचे, जिसका नाम मनकेश्वर महादेव मंदिर है. मंदिर के ट्रस्ट के एक सदस्य प्रमोद कुमार ने हमें मंदिर की पूरी कहानी बताई. पढ़िए, उन्हीं के शब्दों में-


मंदिर के बारे में हमें बताने वाले प्रमोद
मंदिर के बारे में हमें बताने वाले प्रमोद

'जिस जगह पर ये मंदिर बना है, वो पहले खेती की जमीन थी. करीब 40 एकड़ की इस जमीन के मालिक मुस्लिम थे, जो यहां खेती करते थे. एक बार जब वो खेत में हल चला रहे थे, तो उनका हल एक पत्थर से टकराया. उन्होंने हल और खेती के दूसरे औजारों से उस पत्थर को वहां से हटाने की कोशिश की, लेकिन पत्थर नहीं हटा. जब उन्होंने आस-पास की और जगह खोदी, तो पाया कि वहां शिवलिंग था. लोगों ने इसे खेत से हटाने की कोशिश की, जिसमें शिवलिंग का एक हिस्सा टूट गया.


शिवलिंग पर जल चढ़ाकर बाहर निकलते कांवड़िए
शिवलिंग पर जल चढ़ाकर बाहर निकलते कांवड़िए

इसके बाद लोगों ने इसे नहीं हटाया. लोगों को ये नहीं पता है कि ये कब की घटना है, लेकिन ज्यादातर लोगों ने अपने घर के बुजुर्गों से ये कहानी सुनी है.'

वो आगे बताते हैं, 'शिवजी ने जमीन के मालिक मुस्लिमों से सपने में आकर कहा कि वो इस जमीन को मंदिर के लिए छोड़ दें. इसके बाद मुस्लिमों ने ये जगह मंदिर बनाने के लिए दान कर दी. मंदिर का निर्माण किया गया और लोग यहां आकर पूजा करने लगे. ये सिद्धपीठ है, इसलिए यहां ढेर सारे लोग गंगाजल चढ़ाने आते हैं.


शिवलिंग की अर्चना करता एक श्रद्धालु
शिवलिंग की अर्चना करता एक श्रद्धालु

मंदिर के पास ही दो गांव हैं. एक का नाम मानकी है और दूसरे का मिरगपुर. मंदिर का नाम मनकेश्वर महादेव इसी मानकी गांव की वजह से पड़ा. ये मुस्लिम बाहुल्य गांव है. दूसरा गांव मिरगपुर है, जो गुर्जर बाहुल्य है. करीब 10-12 हजार की आबादी वाले इस गांव में 560 साल पहले बाबा फकीरादास आए थे. उन्होंने लोगों को ढेर सारी सीख दी, जिसके बाद से गांव का कोई भी शख्स लहसुन, प्याज, बीड़ी, शराब, सिगरेट और सिरका वगैरह नहीं खाता-पीता है. कभी-कभार छोटे-मोटे मामले हो जाते हैं, लेकिन यहां माहौल खराब नहीं रहता है. हिंदू-मुस्लिम सब मिलके रहते हैं.'



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