600 गाड़ियां लेकर तेलंगाना CM केसीआर महाराष्ट्र गए, दिल्ली में कांग्रेस ने झटका दे दिया!
KCR महाराष्ट्र में क्या खेल करना चाहते हैं जिसने बढ़ाई वहां के नेताओं की टेंशन?
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BRS प्रमुख और तेलंगाना के मुख्यमंत्री के. चंद्रशेखर राव (KCR) ने महाराष्ट्र में एक बड़ी कार रैली (BRS Car Rally in Maharashtra) निकाली. सोमवार 26 जून को KCR की अगुवाई में करीब 600 गाड़ियों का काफिला हैदराबाद से महाराष्ट्र के सोलापुर पहुंचा. ये रैली ऐसे मौके पर हुई जब महाराष्ट्र में 700 साल से ज्यादा पुरानी परंपरा के तहत 'पंढरपुर वारी' नाम की बड़ी धार्मिक यात्रा निकाली जा रही है. KCR ने इस यात्रा को लेकर खासी रुचि दिखाई. कहा गया कि ये KCR का 'सॉफ्ट हिंदुत्व' है. वो महाराष्ट्र में BRS को शिवसेना और BJP के मुकाबले मजबूत बनाना चाह रहे हैं. जबकि शिवसेना (उद्धव गुट) के नेता संजय राउत का कहना है कि KCR जो 'नौटंकी' कर रहे हैं, उससे वो तेलंगाना भी खो देंगे. ये भी कहा कि KCR बीजेपी की बी-टीम की तरह काम कर रहे हैं. उधर जब KCR रैली के जरिए महाराष्ट्र में दम-ख़म दिखा रहे थे, तब दिल्ली में उनकी पार्टी के 35 से ज्यादा नेताओं ने कांग्रेस ज्वाइन करने का ऐलान कर दिया.
BRS महाराष्ट्र में क्या कोशिशें कर रही है और विपक्षी नेता KCR पर क्या आरोप लगा रहे हैं, जानते हैं.
रैली में क्या-क्या हुआ?KCR, अपनी पार्टी भारत राष्ट्र समिति के कई बड़े नेताओं और तेलंगाना सरकार के मंत्रियों, विधायकों के साथ सोमवार को महाराष्ट्र के सोलापुर पहुंचे. 20 साल के बाद KCR ने इतनी बड़ी कार रैली निकाली है. इसके पहले 27 मार्च 2003 को उन्होंने अलग तेलंगाना की मांग और इसके लिए दूसरे दलों का समर्थन जुटाने के लिए दिल्ली में एक बड़ी कार रैली की थी. KCR इस दौरान एक बड़ी बस में सवार थे. रैली के दौरान उनका काफिला कहीं नहीं रुका. लेकिन जगह-जगह BRS कार्यकर्ताओं ने उनका स्वागत किया. वो जहां से गुजरे कार्यकर्ताओं ने 'जय KCR, जय तेलंगाना' के नारे लगाए. सोलापुर में सड़कों पर पोस्टर-बैनर लगे हैं, जिनमें ख़ास तौर पर दो नारे लिखे हैं- ‘देश का नेता कैसा हो, KCR जैसा हो’ और ‘अबकी बार, किसान सरकार’. रैली के बाद उन्होंने पार्टी के कई वरिष्ठ नेताओं से भी मुलाकात की. KCR पंढरपुर स्थित विट्ठल-रुक्मिणी मंदिर भी गए और पूजा-अर्चना की.
KCR क्या चाहते हैं?KCR इस रैली के जरिए महाराष्ट्र में अपनी पार्टी का विस्तार करना चाहते हैं. कहा जा रहा है कि शिवसेना और बीजेपी का मुकाबला करने के लिए KCR सॉफ्ट हिंदुत्व का प्रचार कर रहे हैं. KCR ने ऐलान भी किया है कि उनकी पार्टी महाराष्ट्र के आगामी निकाय चुनाव, फिर राज्य की सभी 288 विधानसभा सीटों और 48 लोकसभा सीटों पर चुनाव लड़ेगी. अपनी पार्टी का नाम, तेलंगाना राष्ट्र समिति से भारत राष्ट्र समिति करने के बाद, इसी साल KCR महाराष्ट्र में अब तक चार बड़ी रैलियां कर चुके हैं. 5 फरवरी को नांदेड़, 26 मार्च को कंधार लोहा, 24 अप्रैल को औरंगाबाद और 16 जून को नागपुर में आयोजित हुई इन जनसभाओं में KCR ने महाराष्ट्र के लोगों को संबोधित किया था. नागपुर छोड़ ये बाकी इलाके तेलंगाना से काफी सटे हुए हैं. माने महाराष्ट्र के अंदरूनी इलाके नहीं हैं. हालांकि नागपुर में इसी महीने BRS का एक ऑफिस खोला गया है.
डेक्कन हेराल्ड की एक खबर के मुताबिक, KCR, महाराष्ट्र में अब तक हुई अपनी जनसभाओं में BRS ज्वॉइन करने की अपील करते हुए कहते हैं,
"आपको एकजुट होकर लड़ना होगा. चुनावों में अपनी ताकत दिखाइए और सत्ता में आइए. सिर्फ आप लोग ही विधायक, सांसद बन सकते हैं. जिला परिषद् से शुरू करिए. गुलाबी झंडा (BRS का झंडा) उठाइए और किसानों की सरकार बनाइए."
KCR ने अपनी रैलियों में बार-बार एक नारा दोहराया है- अबकी बार, किसान की सरकार. वो अपनी रैलियों में केंद्र की बीजेपी सरकार पर, महाराष्ट्र के बीजेपी और कांग्रेस नेताओं पर हमलावर होना भी नहीं भूलते. और तेलंगाना के 'सुशासन' मॉडल की गवाही देते हैं.
KCR अपनी रैलियों में कहते हैं,
“हम अपनी आजादी के 75वें साल में हैं. इनमें से 54 साल कांग्रेस सत्ता में थी, बीजेपी को लगभग 16 साल सत्ता में हो गए हैं. बाकी के 3-4 साल लोग आए और गए. ऐसे में किसानों की हालिया स्थिति के लिए कौन जिम्मेदार है? ये दो पार्टियां जिम्मेदार हैं.”
KCR सिर्फ महाराष्ट्र नहीं देश भर में बदलाव की जरूरत बताते हैं. उनके मुताबिक ये जरूरी बदलाव उनकी पार्टी लेकर आएगी. इंडियन एक्सप्रेस अखबार की एक खबर के मुताबिक, औरंगाबाद की जनसभा में KCR ने कहा था कि हमें सवाल उठाने होंगे. लोगों की, ख़ास तौर से किसानों की जिंदगी में बदलाव लाने के लिए हमें देश की राजनीति में एक बदलाव लाने की जरूरत है. देश की आर्थिक राजधानी मुंबई है फिर भी महाराष्ट्र बहुत सी दिक्कतें झेल रहा है. BRS उस बदलाव की शुरुआत करेगा जो जरूरी है.
महाराष्ट्र में बाहरी कितना जम पाए?KCR की पार्टी महाराष्ट्र में कहां टिकती है, ये चुनाव के नतीजों से ही साफ़ होगा. लेकिन महाराष्ट्र में विपक्षी पार्टियों के नेता KCR की पार्टी की प्रदेश में आमद और उसके दमखम को सिरे से नकारते हैं. अजित पवार महाराष्ट्र विधानसभा में विपक्ष के नेता हैं. डेक्कन हेराल्ड की एक खबर के मुतबिक, अजित पवार कहते हैं,
"हमने पहले भी देखा है कि उत्तर प्रदेश के नेता जैसे कि मुलायम सिंह यादव और मायावती ने महाराष्ट्र में कदम जमाने की कोशिश की. लेकिन सफल नहीं हुए. हो सकता है वो (KCR) भी तेलंगाना के बाहर पकड़ बनाना चाहते हैं, क्योंकि वो राष्ट्रीय नेता बनना चाहते हैं."
अजित का ये कहना काफी हद तक सही भी है. कैसे? महाराष्ट्र में अपनी पार्टी के लिए रास्ता बनाने की कोशिश करने वाले KCR पहले नेता नहीं हैं. साल 2007 में उत्तर-प्रदेश में मायावती की पार्टी BSP की सरकार बनी, उसके बाद 2009 के आम चुनावों में BSP ने महाराष्ट्र में कई सीटों पर हाथ आजमाए. लेकिन एक भी सीट नहीं जीत सकी. इसी तरह असदुद्दीन ओवैसी की पार्टी AIMIM ने भी महाराष्ट्र में प्रभाव बनाने की कोशिश की, लेकिन साल 2019 में सिर्फ 2 विधानसभा सीटों पर जीत मिली. आम आदमी पार्टी का भी हाल कुछ ऐसा ही रहा. 2019 में महाराष्ट्र के विधानसभा चुनावों में AAP ने 24 सीटों पर अपने प्रत्याशी उतारे थे, लेकिन किसी भी सीट पर जीत नहीं मिली.
महाराष्ट्र में MVA गठबंधन विपक्ष में है. इसमें प्रमुख रूप से कांग्रेस, NCP और शिवसेना (उद्धव गुट) शामिल हैं. MVA के नेताओं का आरोप है कि KCR, बीजेपी को फायदा पहुंचाना चाहते हैं. NCP के वरिष्ठ नेता छगन भुजबल इंडियन एक्सप्रेस से बात करते हुए कहते हैं कि हम समझ सकते हैं कि KCR एक तय योजना के तहत महाराष्ट्र में आए हैं. वो BJP को अप्रत्यक्ष तरीके से फायदा पहुंचाना चाहते हैं. क्या वो MVA का वोट बैंक काटना चाहते हैं, हम इस चिंता को नजरअंदाज नहीं कर सकते.
ऐसा ही कुछ कांग्रेस नेता और महाराष्ट्र के पूर्व CM अशोक चव्हाण का आरोप है. वो कहते हैं कि KCR साफ तौर पर नहीं बता रहे कि उनका वैचारिक झुकाव किस तरफ हैं. अगर वो केंद्र और राज्य में सरकार के खिलाफ हैं, तो वे विपक्षी दलों के साथ क्यों नहीं जुड़ रहे हैं. ये वो सवाल है जो हमारे मन में आता है.
कांग्रेस ने दिया KCR को झटकाइधर KCR महाराष्ट्र में कार रैली कर रहे थे. और उधर उनकी पार्टी के 35 से ज्यादा नेताओं ने दिल्ली में कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे और राहुल गांधी की मौजूदगी में कांग्रेस ज्वॉइन करने की घोषणा कर दी. कुछ बड़े नेता ऐसे भी हैं, जिनका तेलंगाना के बड़े इलाकों पर प्रभाव माना जाता है. मसलन पूर्व लोकसभा सांसद पोंगुलेती श्रीनिवास रेड्डी और पूर्व मंत्री जुपल्ली कृष्णा राव. इनके अलावा भी कई बड़े पूर्व मंत्री और विधायक BRS छोड़कर कांग्रेस का दामन थामने वाले हैं. आज तक से जुड़े राहुल गौतम और मौसमी सिंह की एक रिपोर्ट के मुताबिक जुलाई महीने की शुरुआत में ही तेलंगाना में एक सार्वजनिक रैली का आयोजन होगा, जिसमें ये नेता औपचारिक रूप से कांग्रेस ज्वॉइन करेंगे.
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