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  • Supreme Court closes Italian Marines shooting case of 2012 What is this case and complete timeline

इतालवी मरीन का 9 साल पुराना केस, जिसे भारत ने इटली से मुआवजा लेकर अब बंद किया है

इटली के मरीन्स पर दो मछुआरों की हत्या का आरोप है.

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इटली के मरीन्स पर भारत में चल रहा केस बंद हो गया है. इटली के सरकार ने सुप्रीम कोर्ट को मुआवजा भेजा है, जो पीड़ितों को दिया जाएगा.
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अभिषेक त्रिपाठी
16 जून 2021 (Updated: 16 जून 2021, 04:27 PM IST) कॉमेंट्स
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इटली के दो नौसैनिकों पर भारत में 9 साल से, यानी 2012 से एक केस चल रहा था. दो मछुआरों की हत्या का केस. मामला सुप्रीम कोर्ट में था, जो अब बंद हो गया है. इटली की सरकार ने भारत के न्यायालय को 10 करोड़ रुपये मुआवजा ट्रांसफर किया और ये भरोसा दिलाया कि- आप नौसैनिकों को इटली वापस भेज दीजिए, हम यहां उस पर क्रिमिनल केस चलाएंगे. इस बिनाह पर केस बंद हुआ है. अब दोनों नौसैनिक अपने देश वापस जाएंगे. और इटली से आया मुआवजा इस केस के पीड़ितों को दिया जाएगा.
ये था इस केस का हालिया घटनाक्रम है. लेकिन जैसा कि हमने कहा कि ये मामला 9 बरस पुराना है. इसलिए जानने के काफी कुछ है. चलिए, जानते हैं. 2012 में क्या हुआ था? 15 फरवरी 2012 को शाम 4 बजकर 30 मिनट पर भारतीय मछुआरों की एक नाव पर दो मिनट तक गोलियां चलीं. जिस जहाज़ की तरफ़ से गोलीबारी हुई, उसका नाम था ‘एनरिका लेक्सी’. ये एक क़ारोबारी जहाज़ था, जिस पर इटली का झंडा लगा हुआ था. ये जहाज़ सिंगापुर से इजिप्ट जा रहा था. 34 लोग इस पर सवार थे. इनमें इटली नौसेना के 6 जवान भी शामिल थे, जिन्हें जहाज़ की सुरक्षा के लिए इटली की नौसेना ने तैनात किया था. भारतीय मछुआरों की नाव, जिसका नाम ‘सेंट एंटनी’ था, उसके मालिक फ्रेडी लुईस ने बताया कि बिना किसी चेतावनी के उनपर गोली चलाई गई. फ्रेडी की नाव पर सवार केरल के दो मछुआरों की इस गोलीबारी में मौत हो गई.
इसके बाद भारतीय नौसेना ने क़ारोबारी जहाज़ एनरिका लेक्सी को लक्षद्वीप में रोक लिया और अपने साथ कोच्ची बंदरगाह ले आए. दो इतावली मरीन सैनिकों- मैसिमिलिआनो लातोरे और साल्वातोर जिरोने- पर गोली चलाने का आरोप तय हुआ. दोनों मरीन सैनिकों के ख़िलाफ़ शिकायत दर्ज करवाई थी फ्रेडी लुईस ने. दोनों सैनिकों ने कहा कि उन्होंने समुद्री डकैत मानकर उस नाव पर गोली चलाई थी. शुरुआत में मुकरा इटली इसके तुरंत बाद इटली के विदेश मंत्री गुइलो तेरज़ी ने इतावली मीडिया को बताया कि क़ारोबारी जहाज़ एनरिका लेक्सी को भारतीय जलसीमा में ये कहकर ले जाया गया कि उन्हें समुद्री अपराध की छानबीन करनी है. उन्होंने इसे स्थानीय पुलिस का धोखा बताया. 30 मार्च को भारत के विदेश मंत्रालय की तरफ से सलमान खुर्शीद ने किसी भी तरह के धोखे की बात से इंकार कर दिया.
दोनों इतावली मरीन पर भारतीय दंड संहिता की धारा 302 के तहत हत्या का मुक़दमा दर्ज किया गया. इस बीच दोनों सैनिकों को इटली में होने वाले आम चुनावों में वोट डालने के लिए सशर्त ज़मानत पर इटली भी भेजा गया. इसी के बाद जनवरी 2013 से इटली दोनों सैनिकों को भारत वापस भेजने में हीला-हवाली करने लगा.
Italian Marine इतालवी मरीन्स.
इटली में मंत्री का इस्तीफा फिर अचानक इटली ने कहा कि सैनिक तभी भेजे जाएंगे जब भारत इस बात की गारंटी दे कि दोनों सैनिकों को मौत की सज़ा नहीं दी जाएगी. इस पर भारत ने कूटनीतिक दबाव डालना शुरू किया. इटली के भारत में राजदूत को देश छोड़कर जाने पर रोक लगा दी गई. दोनों तरफ से भरपूर कूटनीतिक चालों के बाद दोनों मरीन सैनिक आख़िरकार 22 मार्च 2013 को भारत आए. इसपर इटली के विदेश मंत्री ने सरकार से असहमति के चलते इस्तीफ़ा तक दे दिया. जिसके बाद इतालवी मीडिया में खूब बवाल हुआ. 2013 में मुकदमा शुरू दिल्ली हाईकोर्ट ने 24 मार्च 2013 को पटियाला हाउस कोर्ट में मुक़दमा चलाने का आदेश दिया. अप्रैल 2013 को राष्ट्रीय जांच एजेंसी (NIA) ने दोनों नौसैनिकों के ख़िलाफ़ FIR पेश की जिसमें हत्या, हत्या का प्रयास, और साज़िशन हत्या के आरोप लगाए गए. सैनिकों के बचाव में इटली ने तर्क दिया कि जिस दिन ये घटना हुई थी उसी दिन कोच्चि बंदरगाह से कुछ दूरी पर एक और जहाज़ समुद्री डकैती का शिकार हुआ था. इस वजह से इनके नौसैनिक सतर्क थे. हालांकि भारतीय कोस्ट गार्ड ने इसका जवाब देते हुए कहा कि अगर दुर्घटना में भी गोली चली तो उसे इंटरनैशनल मैरीटाइम ब्यूरो(IMB) या भारतीय कोस्ट गार्ड को रिपोर्ट क्यों नहीं किया गया. बिना रिपोर्ट किए ही एनरिका लेक्सी इजिप्ट के अपने रास्ते पर 70 किलोमीटर आगे क्यों चला गया. संयुक्त राष्ट्र की एंट्री 11 फरवरी 2014 को संयुक्त राष्ट्र अध्यक्ष बान की मून ने कहा कि दोनों देशों को आपसी बातचीत से ये मामला सुलझाना चाहिए ना कि संयुक्त राष्ट्र की मध्यस्थता में. उनका कहना था कि अगर ये मामला सुलझाया नहीं गया तो दोनों देशों के संबंध तो खराब होंगे ही साथ ही अंतर्राष्ट्रीय जलसीमा में आतंकवाद के ख़िलाफ़ मुहिम भी बुरी तरह से प्रभावित होगी. क्योंकि ये मुद्दा एक बुरी मिसाल बनकर रह जाएगा. 10 फरवरी 2014 को यूरोपियन यूनियन की तरफ़ से कैथरीन ऐश्टन ने कहा कि दोनों मरीन्स को भारत आतंकवाद और समुद्री डकैती का आरोपी मानकर कार्रवाई करना चाहता है जिससे कि आतंकवाद और समुद्री डकैती से लड़ने की अंतर्राष्ट्रीय कोशिशों को बुरी तरह से झटका लगेगा. मामला इंटरनेशनल ट्रिब्यूनल में 21 जुलाई  2015 को इटली ये मामला ‘इंटरनैशनल ट्रिब्यूनल फॉर दी लॉ ऑफ़ दी सी’ के सामने ले गया. ट्रिब्यूनल ने ‘स्टेटस को’ जारी किया. माने कि स्थिति जस की तस बनी रहे सुनवाई पूरी होने तक. 24 अगस्त 2015 को ट्रिब्यूनल ने 15:6 से बहुमत से फ़ैसला किया कि ‘भारत और इटली इस केस में अपने-अपने यहां की अदालतों में जो भी प्रोसीडिंग्स हो रही हैं उन्हें तत्काल प्रभाव से निरस्त कर दें. इसके साथ ही ट्रिब्यूनल ने दोनों देशों से इस घटना की अपनी-अपनी रिपोर्ट पेश करने को कहा.
28 सितंबर 2016 को सुप्रीम कोर्ट ने लातोरे को तब तक अपने देश में रहने की इजाज़त दे दी जब तक कि अंतर्राष्ट्रीय आर्बिट्रल ट्रिब्यूनल में भारत और इटली के बीच क्षेत्राधिकार का मामला निपट ना जाए. साल्वातोर जिरोने को 26 मई 2016 को सशर्त ज़मानत मिल गई थी. ट्रिब्यूनल का फैसला जुलाई 2020 में भारतीय विदेश मंत्रालय ने अपने बयान में कहा कि ट्रिब्यूनल ने ये माना है कि इटली ने हमारे नेविगेशन क्षेत्र का उल्लंघन किया है. इसके साथ ही ट्रिब्यूनल ने इटली के उस दावे को भी खारिज़ कर दिया जिसमें वो भारत से उसके नौसैनिकों की गिरफ़्तारी का जुर्माना वसूलना चाहता था.
इटली के विदेश मंत्रालय ने कहा कि ‘ट्रिब्यूनल ने ये बात मानी है कि इटली की आर्म्ड फ़ोर्स के सैनिक पर ड्यूटी निभाने की वजह से भारतीय कोर्ट उसपर कोई फ़ैसला नहीं ले सकती. जहां तक अधिकार क्षेत्र के उल्लंघन की बात है उसके लिए हम जुर्माना भरने को तैयार हैं.
इसी के बाद इतना तो तय हो गया था कि कि दोनों मरीन्स अब भारत नहीं लौटेंगे. इटली के कोर्ट में उनपर केस चलेगा. और इंडिया के कोर्ट में उनका ट्रायल नहीं हो सकता क्योंकि वे इम्यून हैं. लिहाजा फिर बात मुआवजे पर आ टिकी. मुआवजे की रकम तय करने के लिए मामला सुप्रीम कोर्ट के सामने गया. रकम तय हुई 10 करोड़ रुपये. 4-4 करोड़ रुपए इटली के मरीन अधिकारियों के हमले में मारे गए मछुवारों को दिए जाएंगे और दो करोड़ रुपए जहाज मालिक को बतौर मुआवजा अदा किए जाएंगे.

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