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महादेव ऐप ने लाखों लोगों को चूना कैसे लगा दिया?

रणबीर कपूर, कपिल शर्मा, हीना खाना हुमा कुरैशी और कपिल शर्मा ने महादेव ऐप का ऐड किया था. अब ED ने पूछताछ करने के लिए बुलाया है.

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महादेव ऐप का प्रचार करने वाले एक्टर्स की मुश्किलें बढ़ीं
6 अक्तूबर 2023
Updated: 6 अक्तूबर 2023 23:28 IST
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बात की शुरुआत छत्तीसगढ़ के एक शहर से करते हैं. - भिलाई. सामान्य ज्ञान की किताबों में इस शहर को स्टील प्लांट के लिए जाना जाता था. आज से लगभग दसेक साल पहले इस भिलाई के नेहरू नगर मोहल्ले में एक जूस की दुकान हुआ करती थी. जूस की दुकान का नाम था महादेव जूस कॉर्नर. इस जूस की दुकान को चलाने वाले बंदे का नाम था सौरभ चंद्राकर. उम्र 28 साल. इस जूस की दुकान से कुछ ही दूरी पर एक टायर की दुकान भी हुआ करती थी. इस दुकान के मालिक का नाम  रवि उप्पल था. उम्र 43 साल. सौरभ और रवि दोस्त थे.

दोनों का धंधा हिसाब से चलता रहा. लेकिन समय के साथ सौरभ और रवि को सट्टा लगाने की लत लग गई. ऑनलाइन सट्टेबाजी की लत. इसके लिए सौरभ और रवि ने ऐप स्टोर में आसानी से मिल जाने वाले ऐप्स का सहारा लिया. शुरुआत में छोटे-मोटे सट्टे लगे, फायदा हुआ. तो लगा कि जब छोटे सट्टे में फायदा है तो बड़े सट्टे में भी होगा. तो सट्टे में लगाया जाने वाला अमाउंट बड़ा होने लगा. लेकिन अब सट्टे में फायदा होना बंद हो गया था, नुकसान शुरू हो गया. दोनों पैसा लगाते रहे, गँवाते रहे. जब नींद खुली तो सौरभ 15 लाख रुपये तक गंवा चुका था और रवि लगभग 10 लाख. और तब तक कैलेंडर में साल लग चुका था 2018.

लेकिन दोनों एक नंबर के अपराधी न बनते, अगर उन्होंने एक गड़बड़ी न की होती. पैसा डुबाते गए लेकिन ऐप्स को पैसे नहीं चुका रहे थे. लिहाजा कर्ज में उतरते गए. तो जब इतना लंबा चौड़ा अमाउंट हार गए तो सट्टेबाजों के गुर्गों ने परेशान करना शुरू किया, अपने पैसे का तगादा शुरू किया. दोनों फंस चुके थे. लिहाजा सौरभ और रवि को एक ही ऑप्शन समझ में आया - देश छोड़कर भागने का. दोनों ने दुबई का टिकट कटा लिया और रवाना हो गए. 

जब सौरभ और रवि भिलाई से दुबई पहुंचे तो वहाँ पर कमाने का संकट था. खबरें बताती हैं कि दोनों ने वहां पर छोटे-मोटे काम किये, लेकिन इससे काम बन नहीं रहा था. दुबई में दोनों की मुलाकात एक पाकिस्तानी से हुई. इसके बाद सौरभ, रवि और उस पाकिस्तानी की मुलाकात दुबई एक शेख से हुई. शेख यानी पैसा. सौरभ रवि ने एक प्लान पेश किया. प्लान था ऑनलाइन सट्टेबाजी शुरू करने का. यानी दोनों जिस चीज में अपने हाथ जलाकर भिलाई से दुबई भागे थे, उन्होंने वही करने का प्लान बनाया हुआ था. सौरभ और रवि लोगों को ठगने का काम शुरू करने वाले थे.

साल 2020 का कोरोना लॉकडाउन लग चुका था. सौरभ और रवि मिलकर अपनी प्लानिंग पर काम कर रहे थे. उन्होंने यूरोप के कुछ कोडरों से संपर्क किया और एक ऐप और वेबसाइट बनाई. इसका नाम रखा महादेव बुक. ध्यान दीजिए कि सौरभ का भिलाई में जूस कॉर्नर हुआ करता था, उसके नाम से ही मिलता-जुलता नाम सट्टेबाजी के ऐप का रख लिया गया. महादेव बुक लॉन्च हो गया. और इसका सबसे पहला टारगेट मार्केट रखा गया भारत.

महादेव बुक का काम क्या? लोगों से अलग-अलग किस्म के गेम्स में सट्टा लगवाना. किस तरह के गेम्स?  क्रिकेट, टेनिस, बैडमिंटन, फूटबाल जैसे फील्ड और कोर्ट गेम्स. और पोकर, तीन पत्ती, ड्रैगन टाइगर नाम के ताश के खेल. यही नहीं, इस ऐप ने लोगों से भारत में होने वाले चुनावों में भी सट्टा लगवाया - जैसे कौन कितनी सीट जीतेगा टाइप सट्टा? सट्टा सही हुआ तो जीतेंगे, गलत हुआ तो हारेंगे. 100 रुपये का लगाया तो आप जीतने पर आपको 100 रुपये मिलेंगे. हारने पर आपको 100   रुपये देने होंगे.

जब ये ऐप लॉन्च हो गया तो लोगों ने धीरे-धीरे पैसा लगाना शुरू किया. धीरे-धीरे ऐप का कारोबार बढ़ने लगा तो लोग उसी लाइन पर मूर्ख बनने लगे, ठगे जाने लगे, जिस लाइन पर सौरभ और रवि ठगे गए थे. शुरू में थोड़ा पैसा लगाओ तो प्रॉफ़िट. बाद में आदत लग गई और मोटा पैसा लगा दिया तो डूबना तय.

अब यहां पर आती है बात कि ये महादेव बुक काम कैसे करता है. कि इसमें लोग कैसे फंसे?

इस महादेव बुक का हेड ऑफिस है दुबई में. दोनों प्रोमोटर यानी सौरभ चंद्राकर और रवि उप्पल दुबई में ही बैठते हैं, वहीं से काम धंधा सम्हालते हैं. भारत में महादेव बुक का काम पैनल के जरिए होता है. इन पैनल को ब्रांच भी कहा जाता है. आप पैनल को किसी बड़ी कंपनी के रीजनल या सिटी ऑफिस की तरह समझ लीजिए. एक पैनल खरीदने के लिए एक तय राशि का भुगतान किया जाता है सौरभ और रवि को. उसके बाद पेमेंट करने वाला बंदा पैनल का मालिक बन जाता है, और उसके नीचे होते हैं कर्मचारी. एक आदमी एक से अधिक पैनल का मालिक बन सकता है, बशर्ते उसके संबंध दुबई में बैठे प्रोमोटरों से अच्छे संबंध हों और पैसा देने की कुव्वत रखता हो.

अब यहां से शुरू होता है खेल. महादेव बुक अपनी वेबसाइट और अपने ऐप के जरिए बहुत सारे विज्ञापन चलाता है. इस विज्ञापन में लोगों से महादेव बुक से जुडने के लिए और 24 घंटा सातों दिन गेम खेलने के लिए प्रोत्साहित किया जाता है. अगर आप महादेव बुक की वेबसाइट पर जाएंगे तो आपको सबसे ऊपर लिखा मिलेगा -
"ईमानदारी एक महंगा शौक है जो हर किसी के बस की बात नहीं होती."

इसके बाद वेबसाइट में एक सेक्शन है - जिसमें श्रद्धा कपूर, शक्ति कपूर, बी प्राक, बमन ईरानी, विवेक ओबेरॉय, कुणाल खेमू, आदित्य रॉय कपूर, हुमा कुरैशी जैसे कलाकारों के वीडियो लगे हुए हैं, और वो लोगों को प्रोत्साहित कर रहे हैं महादेव बुक में पैसा लगाने को. वो कह रहे हैं कि महादेव बुक भारत का सबसे भरोसेमंद बुक है, आप 10 मिनट में अपना पैसा निकाल सकते हैं.

लेकिन इस वेबसाइट पर  महादेव बुक में पैसा लगाने की एक और रोचक शर्त लिखी हुई है  - हम सिर्फ व्हाट्सऐप के जरिए काम करते हैं और लोगों को दिए हुए हैं 2 नंबर. जो शुरू होते हैं +44 के आईएसडी कोड से, जो है यूनाइटेड किंगडम का.

ऐप का प्रचार हो गया? अब शुरू होता है बेटिंग का गेम. इन विज्ञापनों और इन जैसे बहुत सारे विज्ञापनों को देखकर आम लोगों को लगता है कि सट्टा लगाया जा सकता है. यही आम लोग जो सट्टा खेलते हैं, इनको कहते हैं पंटर. वो विज्ञापन में दिए व्हाट्सऐप नंबरों पर संपर्क करते हैं. संपर्क करने के बाद इन पंटर्स को हेड ऑफिस से दो फोन नंबर दिए जाते हैं. पहले नंबर पर कान्टैक्ट करने पर पंटर को एक यूजर आईडी दी जाती है और पैसा जमा करने के लिए बेनामी बैंक अकाउंट दिए जाते हैं. ये बैंक अकाउंट या तो फ्रॉड के जरिए खोले जाते हैं या किसी बंदे को थोड़ा कमीशन देकर उसका अकाउंट लोन पर ले लिया जाता है. इसके बाद पंटर सट्टेबाजी कर सकता है. जीतने पर प्वाइंट मिलते हैं. इसके बाद उसे जो दूसरा नंबर मिलता है, उस पर संपर्क करने पर प्वाइंट के बदले पैसा निकाला जा सकता है.

नंबर देने और आईडी देने का काम तो दुबई में चल रहे हेडऑफिस का है, लेकिन इस यूजर आईडी को बनाने का काम भारत में जो पैनल बनाए गए हैं, वहां काम करने वाले लोगों का होता है.  यही पैनल पंटर्स को जीतने की सूरत में पैसे का पेमेंट भी करते हैं, और बैंक में लगाए उनके पैसों को कलेक्ट भी करते हैं. अपना ये पूरा खेल रचने के लिए महादेव बुक कुछ वेबसाइट का उपयोग करता है. जैसे?
laser247.com
laserbook247.com
betbhai.com
betbook247.com
tigerexch247.com
cricketbet9.com
जब सारी प्रक्रिया के बाद लोग पैसे लगाते हैं, यानी पंटर्स,  तो उन्हे शुरुआत में फायदा होता है. और बाद में मोटी रकम लगाने पर नुकसान होना शुरू होता है. इस खेल में जितना भी फायदा होता है, वो महादेव  बुक को ही होता है. ये फायदा सबसे पहले भारत में मौजूद पैनल के पास रजिस्टर होता है, क्योंकि यही पैसे का लेनदेन देख रहे हैं. फिर तय डील के जरिए इस फायदे का 80 प्रतिशत दुबई में बैठे सौरभ और रवि के पास हवाला के जरिए चला जाता है और पैनल के पास बचता है 20 प्रतिशत.
हिंदुस्तान टाइम्स की एक खबर बताती है कि ये गेम कितना बड़ा है. दुबई के प्रोमोटरों के पास पूरी इंडिया में हैं 4 हजार से ज्यादा पैनल और हरेक पैनल के पास हैं दो सौ से ज्यादा पंटर्स. यानी स्कीम में पैसा लगाने वाले 8 लाख से ज्यादा लोग. ये इतना व्यापक सेटअप है कि सौरभ और रवि एक दिन में 200 करोड़ रुपये कमाते हैं.

लेकिन सौरभ और रवि पहुंच से इतनी दूर तो थे नहीं, कभी न कभी पकड़े ही जाते. खबरें बताती हैं कि जब पंटर्स को नुकसान होना शुरू हुआ तो केस दर्ज कराए जाने लगे. स्थानीय पैनल और महादेव ऐप के खिलाफ धोखाधड़ी के केस दर्ज कराए गए. कई जगहों पर इन लोगों पर आत्महत्या के लिए उकसाने के भी केस दर्ज हुए.

लेकिन अब इस मामले में पुलिस नहीं Ed है. और Ed किस मौके पर और कैसे शामिल होती है, हम इस पर बात करेंगे. दरअसल महादेव ऐप के खिलाफ बहुत सारे केस छत्तीसगढ़ पुलिस ने दर्ज किए थे. इसमें एक केस था मनी लौंडरिंग का. पुलिस अपने स्तर पर जांच और अरेस्ट कर रही थी. फिर आई एक शादी फरवरी 2023 के महीने में. ये शादी थी महादेव ऐप के एक प्रोमोटर सौरभ चंद्राकर की. ये शादी UAE के  रास अल-खैमा में हुई. और इस शादी से जुड़ी कुछ खबरें सामने आईं, जैसे
- सौरभ चंद्राकर की शादी में लगभग 200 करोड़ रुपये खर्च हुए
- सौरभ चंद्राकर ने अपने रिश्तेदारों को नागपुर से दुबई प्राइवेट जेट में बुलाया था और वो प्राइवेट जेट से ही वापिस आए थे
- सौरभ चंद्राकर की शादी में मुंबई से कैटरर, डेकोरेटर और तमाम इंतजाम करने वाले लोग गए थे और इनको कैश में पेमेंट किया गया
- इस शादी में बॉलीवुड से जुड़े कुछ सितारों को भी बुलाया गया, इन्होंने वहां पर्फॉर्म किया और उन्हें भी कैश में पेमेंट किया गया

शादी के जश्न की कुछ फ़ोटो तस्वीरें भी सोशल मीडिया पर वायरल हुई. Ed के कान खड़े हो गए. Ed ने केस दर्ज करके जांच शुरू कर दी. फिर शक की पहली सुई गई छत्तीसगढ़ पुलिस और अधिकारियों की तरफ.
छतीसगढ़ में क्या हुआ? 21 और 23 अगस्त 2023 के महीने में Ed ने छत्तीसगढ़ के कई इलाकों में छापे मारे. छापों के बाद Ed ने चार लोगों को हिरासत में लिया. राज्य की पुलिस में काम करने वाले asi चंद्रभूषण वर्मा, स्थानीय निवासी सतीश चंद्राकर और अनिल दम्मानी और सुनील दम्मानी नाम के दो भाईयों को, जिनके बारे में ईडी ने कहा कि ये हवाला ऑपरेटर हैं.  Ed ने कहा कि asi चंद्रभूषण वर्मा महादेव ऐप के लोगों का ग्राउंड पर मौजूद लायज़न था. यानी वो महादेव ऐप के लोगों की बिनाह पर ताकतवर और रसूखदार लोगों से मीटिंग करता था.

चंद्रभूषण और सतीश को हवाला के जरिए दुबई से बहुत सारे पैसे कैश मिलते थे. एक संख्या भी Ed ने रखी है  - 65 करोड़. अपना हिस्सा रखने के बाद इन पैसों को पुलिस वालों से लेकर नेताओं तक प्रोटेक्शन मनी के तौर पर बांट दिया जाता था. इनमें से कुछ लोग मुख्यमंत्री ऑफिस से जुड़े हुए थे.

लेकिन चंद्रभूषण का इतना ऊपर तक जुड़ाव कैसे हुआ? इसके लिए Ed ने एक और नाम लिया है- विनोद वर्मा. विनोद वर्मा राज्य के सीएम भूपेश बघेल के राजनीतिक सलाहकार हैं. Ed ने कहा कि asi चंद्रभूषण विनोद वर्मा का परिचित था, और इसी परिचय का इस्तेमाल करके उसने अधिकारियों और नेताओं को अपने पाले में मिलाया और उन्हे पैसा खिलाया. और पैसा क्यों खिलाया? क्योंकि महादेव ऐप के खिलाफ केस होने लगे थे. और महादेव ऐप के लोग चाहते थे कि ग्राउंड पर मौजूद पंटर्स तक ही पुलिस की कार्रवाई महदूद रहे, पंटर्स के ऊपर काम कर रहे पैनल या दूसरे लोगों तक न पहुंचे. साथ ही पुलिस जब बीच में कभी एक्शन लेती तो घूस के पैसे बढ़ा दिए जाते थे.

Ed ने अपने प्रेस नोट में ये भी कहा है कि मुख्यमंत्री ऑफिस से जुड़े कई सीनियर अफसरों को महीने-महीने घूस का पेमेंट किया जाता रहा.
Ed ने ये भी दावा किया कि जिन बैंक अकाउंट के जरिए महादेव ऐप के लोग अपना काम करते हैं, उनमें से अधिकतर खाते छत्तीसगढ़ में खोले गए थे.
Ed ने ये भी कहा कि महादेव बुक का काम इतना बढ़ चुका था कि भिलाई के युवा दुबई जाने लगे. वो वहां जाकर ट्रेनिंग लेते और ट्रेनिंग के बाद वापिस इंडिया आकार अपना पैनल खोलकर अपना काम शुरू कर देते.
मामला छत्तीसगढ़ पहुंचा तो राजनीति तय थी. भाजपा हमलावर हुई तो बचाव में आए सीएम भूपेश बघेल और दावा किया कि उन्होंने ही कार्रवाई शुरू की और उनके ही कहने पर मामला Ed के पास गया.

लेकिन छत्तीसगढ़ ही नहीं, Ed ने कुछ और राज्यों - जैसे कलकत्ता, मध्य प्रदेश और महाराष्ट्र में भी छापे मारे और पूछताछ की है. ये अधिकतर बिजनेस हाउस हैं. इन पर आरोप है कि इन्होंने महादेव ऐप के लिए पैसे इधर-उधर किये है. और हवाला रूट का इस्तेमाल किया है.

छत्तीसगढ़ से चलते हैं बॉलीवुड की ओर. यहां क्या हुआ कि बहुत सारे कलाकारों को बुला लिया गया पूछताछ के लिए? एकदम सीधा और सपाट जवाब है कि ये लोग महादेव ऐप या सौरभ-रवि से किसी न किसी रूप में जुड़े रहे. हमने आपको कुछ देर पहले ही बताया कि महादेव ऐप की वेबसाइट पर हमें क्या मिला? एकसुर में महादेव ऐप का प्रचार करते हुए टोन में प्रचार करते हुए एक्टर और गायक. आरोप हैं कि इन लोगों ने महादेव ऐप का प्रचार करने के लिए मोटा पैसा लिया. इन लोगों महादेव बुक ने कई रूट से पैसा घुमाकर दिया, लेकिन आखिर में वो था सट्टेबाजी का ही पैसा.

वेबसाइट पर दिख रहे कलाकारों के अलावा भी कई कलाकारों ने इस ऐप को प्रोमोट किया. रणबीर कपूर, हुमा कुरैशी, कपिल शर्मा और हिना खान उसी फेहरिस्त में आते हैं. कहा जा रहा है कि इन कलाकारों को बस पूछताछ के लिए Ed ने बुलाया है, हालांकि कई कलाकारों ने Ed से थोड़ा समय मांगा है.

इसके अलावा वो कलाकार और influencer भी निशाने पर हैं, जो सौरभ चंद्राकर की शादी में दुबई गए थे या बुलाए गए थे. खबरों में जो नाम फौरी तौर पर सामने आए हैं, वो गिना देते हैं -
1. आतिफ असलम
2. राहत फ़तेह अली खान.
3. अली असगर
4. विशाल दड़लानी
5. टाइगर श्रॉफ
6. नेहा कक्कड़
7. एली अवराम
8. भारती सिंह
9. सनी लियोनी
10. भाग्यश्री
11. पुलकित
12. कृति खरबंदा
13. नुसरत भरूचा
14. कृष्णा अभिषेक
15. सुखविंदर सिंह
और भी कई नाम हो सकते हैं, ऐसे कयास लगाए जा रहे हैं. ज्यादा जानकारी के लिए चलते हैं इंडिया टुडे के पत्रकार दिव्येश सिंह के पास जो जांच और पैंतरे से संबंधित जानकारियां दे रहे हैं

सौरभ और रवि  दुबई में छुपे हुए हैं और उनके खिलाफ लुकआउट सर्कुलर भी जारी है. उन पर तमाम एयरपोर्ट पर नज़र रखी जाएगी. देश आएंगे तो पकड़ लिए जाएंगे. लेकिन फिल्मी सितारे क्या करेंगे? जांच का और पूछताछ का सामना करेंगे. हजारों करोड़ों की बात है. घूसखोरी, गबन, हवाला और घोटाले की बात है.सच सामने तो आना चाहिए.

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