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इस राजा ने धरती पर किया 36 हजार साल तक राज

कुबेर के यक्षों से हुई एक भारी गलती और राजा ध्रुव ने मचाया क़त्ल-ए-आम. कहानी श्रीमद्भगवत पुराण से.

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प्रतीक्षा पीपी
30 दिसंबर 2015 (Updated: 30 दिसंबर 2015, 02:17 PM IST) कॉमेंट्स
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अपनी तपस्या पूरी करके ध्रुव घर वापस आ गए थे और राजा बन गए थे. एक दिन उनको न्यूज़ मिली कि उनके भाई उत्तम को कुबेर भगवान के चेलों यानी यक्षों ने मार डाला है. बस, ध्रुव को 'माझी सटकली' लेवल का गुस्सा आया और धनुष-बाण लेकर यक्षों के शहर अलकानगरी निकल लिए. वहां पहुंच कर उन्होंने अपना शंख बजाया. यक्षों को मिला सिग्नल और हो गई फाइट स्टार्ट. एक-एक कर के उन्होंने कई यक्षों को निपटा डाला. एक के बदले तीन और तीन के बदले 6-6 तीर चलाए. जब सब यक्ष मर गए तो उनको सुंदर सुंदर दिख रही अलकानगरी देखने का मन हुआ. पर उन्होंने सोचा की यह यक्षों की माया हो सकती है और वो रुक गए. इत्ते में आसमान से खून, हथियारों, मरे हुए शरीरों और कटे हुए हाथ-पैरों की बारिश होने लगी. ध्रुव का गुस्सा और बढ़ गया. उन्होंने निकाला भगवान से लिया हुआ सॉलिड तीर. उसको धनुष पर चढ़ाते ही जो यक्षों ने ध्रुव को डराने के लिए जो पिच्चर चलाई थी, उसका हो गया 'दी एंड'. फिर ध्रुव ने मार-काट शुरू कर दी. बहुत कत्ले-आम हो गया तो मनु और कुबेर वहां आये और ध्रुव से लड़ाई रोकने की रिक्वेस्ट की. ध्रुव ने शांत मन से बात को समझा और सीजफायर कर दिया. फिर कुबेर ने उनसे वरदान मांगने को कहा तो 'डाउन टू अर्थ' ध्रुव ने बस इतना ही मांगा कि हमेशा उनके मन में भगवान की याद रहे. वरदान का असर ऐसा होली के कलर की तरह परमानेंट निकला, कि आखिरी दिनों में ध्रुव बस भगवान को याद करते. यह भी भूल गए कि खुद कौन हैं. उनकी सरकार 36,000 साल चली. फिर एक दिन उन्हें भगवान के चेले सुनंद और नंद, एक सुंदर से रथ पर बैठाकर ले गए. रथ इतना झमाझम था कि आज के जमाने की BMW फीकी पड़ जाए. जीवन भर भगवान की सेवा करने के लिए रिटायरमेंट स्कीम में ध्रुव को भगवान विष्णु के अपार्टमेंट 'बैकुंठ' में ही घर मिला. (श्रीमद्भगवत महापुराण)

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