जब हम कोरोना की दूसरी लहर से बाहर निकल रहे थे, तब एक्सपर्ट्स तीसरी लहर के लिए चेताने लगे थे. आशंका जताई जा रहगी थी कि अगस्त तक भारत में कोरोना की तीसरी लहर शुरू हो सकती है. अगस्त पार करके हम दिसंबर की तरफ बढ़ रहे हैं. लेकिन हमने मई के बाद यानी दूसरी लहर के बाद कोरोना के मामलों में गिरावट ही देखी है. दूसरी लहर के पीक पर मई में हर रोज़ करीब 4 लाख कोरोना केस आ रहे थे. और अब पूरे देश में 10 हजार 549 नए केस आए हैं.
अब देश में कुल एक्टिव मरीज भी 1 लाख 10 हज़ार ही रहे हैं. मतलब लगभग ना के बराबर केस आ रहे हैं. और दूसरी तरफ टीकाकरण के मोर्चे पर भी हम अब बेहतर कर रहे हैं. 1 अरब 20 करोड़ डोज़ लगाई जा चुकी हैं. इसका मतलब ये है कि देश की ज्यादातर व्यस्क आबादी को कोरोना की एक डोज़ लग चुकी है. इसलिए ये मानने के पर्याप्त कारण हैं कि भारत में कोरोना अब अवसान पर है.
हालांकि संक्रमण है, किसी भी नए रूप में कभी भी फैल सकता है. लेकिन अब कोरोना का डर नहीं रहा. सरकारों ने भी लगभग सारी पाबंदियां हटा ली हैं. और अब आपको बाज़ारों में बिना मास्क टहलते लोग आराम से दिख जाएंगे.
तो हम इस मोड में पहुंच चुके हैं कि महामारी को पीछे छोड़ दिया है. अब सब कुछ नॉर्मल हो गया है. हालांकि दूसरी लहर शुरू होने से पहले जनवरी-फरवरी में भी हमें ऐसा ही लग रहा था. लेकिन फिर कोरोना एक नए रूप में आया और बेहिसाब तबाही मचाई. कोरोना तब डेल्टा वेरिएंट के रूप में आया था. अब एक बार फिर वैसी ही चिंताएं हैं.
कोरोना के नए वेरिएंट की जानकारी मिली है. इस वेरिएंट को लेकर दुनिया में हडकंप मच गया है. देश अपने दरवाज़ें बंद करने में लगे हैं. क्या है ये नया वेरिएंट और इस पर दुनिया में इतनी चिंता क्यों है, समझते हैं.
इस वेरिएंट का नाम है - B.1.1.529.
वैसे ये वैज्ञानिक नाम है. वर्ल्ड हेल्थ ऑर्गेनाइज़ेशन वाले इसका निकनेम भी रखेंगे. जैसे बीटा, डेल्टा जैसे नाम पहले के वेरिएंट्स के लिए रखा गया था. WHO ने इस वेरिएंट पर आज इमरजेंसी बैठक बुलाई थी. बैठक में क्या तय हुआ, इसकी जानकारी अभी बाहर नहीं आई है.
इस वेरिएंट की पहचान सबसे पहले बोत्सवाना देश में हुई थी. हो सकता है बोत्सवाना का तो नाम भी आपने आज ही सुना हो. अफ्रीका के दक्षिण हिस्से में पड़ने वाला देश है. दक्षिण अफ्रीका का पड़ोसी है. तो बोत्सवाना में शुरुआती मामले पकड़ में आए, लेकिन सबसे ज्यादा केस मिले दक्षिण अफ्रीका में. इसके खॉवटेंग प्रांत में ये वेरिएंट खूब फैल रहा है. यहां 12-20 नवंबर के बीच 77 सेंपल जांच के लिए गए थे. और जिनोम सिक्वेंसिंग से मालूम चला कि सभी 77 मामलों में ये ही वेरिएंट था.
खॉवटेंग के अलावा दक्षिण अफ्रीका की राजधानी जोहांसबर्ग में भी ये वेरिएंट फैलने की आशंका है. और अब अफ्रीका में हालत ये है कि अब वो दुनिया से मदद मांगने लगे हैं. कह रहे हैं हमें अकेला मत छोड़ा, हमारी मदद करो.
दक्षिण अफ्रीका में सेंटर फॉर एपिडमिक रेस्पॉन्स एंड इनोवेशन नाम का संस्थान है, जो इस वेरिएंट को समझने में लगा है. इस संस्थान के डायरेक्टर हैं तुलियो दे ओलिवेइरा. इनका बयान आया है. इन्होंने लिखा है कि ये वेरिएंट बहुत तेज़ी से फैल रहा है. दो हफ्ते में इतना फैल गया है कि अब ज्यादातर मरीज इस वेरिएंट से संक्रमित हैं.
खॉवटेंग प्रांत में भी अब लगभग 90 फीसदी मरीज इसी वेरिएंट से संक्रमित हैं. हर दिन 1 हज़ार मरीज आ रहे हैं. और आगे उन्होंने कहा है कि हमें बचा लो, हम बचेंगे तो ही हम दुनिया को बचा पाएंगे. अब आपको अनुमान हो गया होगा कि मामला कितना गंभीर है.
इस वेरिएंट के बारे में अभी ज्यादा जानकारी तो वैज्ञानिकों के पास नहीं है, रिसर्च चल रही है, समझने में टाइम लगेगा. लेकिन जितने बातें मालूम चली हैं, उसके बाद दक्षिण अफ्रीका के वैज्ञानिक ऐलान करने में लग गए हैं मामला बहुत खतरनाक है इस बार. डेल्टा वेरिएंट से भी खतरनाक. डेल्टा कौनसा था - जिसकी वजह भारत समेत पूरी दुनिया में कोरोना की दूसरी लहर आई थी. तो इसलिए डर इस बात का है कि कहीं ये दक्षिण अफ्रीका वाला वेरिएंट हमें कोरोना की तीसरी लहर में ना पहुंचा दे.
इसको खतरनाक क्यों कहा जा रहा है, वो भी समझिए. दक्षिण अफ्रीका के वैज्ञानिक कह रहे हैं कि इसके कुल 50 म्यूटेशन हैं. वायरस की जिस स्पाइक प्रोटीन को टारगेट करने के लिए वैक्सीन तैयार की जाती है, उस स्पाइक प्रोटीन में भी ये वेरिएंट 30 तरह के बदलाव कर लेता है.
जिस अवस्था में मानव शरीर को संक्रमित करता है, उसके भी 10 म्यूटेशन हैं. जबकि डेल्टा वेरिएंट के सिर्फ 2 म्यूटेशन थे. इसका मतलब ये है कि ये वेरिएंट एंटीबॉडीज़ वाले सुरक्षा घेरे को आसानी से बाइपास कर सकता है. अगर ऐसा होता है कि फिर वैक्सीन लगाने का भी असर नहीं होगा. दक्षिण अफ्रीका के वैज्ञानिक तुलियो दे ओलिवेइरा के मुताबिक ये चीन के वुहान में जो शुरुआती वायरस मिला था उससे बहुत भिन्नताएं विकसित कर चुका है.
इसलिए संभव है कि इस वेरिएंट के खिलाफ वैक्सीन भी असरदार ना हो. क्योंकि हमने वैक्सीन पहले के वेरिएंट्स को ध्यान में रखकर बनाई थी. इस नए बवाल का अनुमान नहीं था. औऱ क्या चिंताएं हैं इस वेरिएंट को लेकर. इस मसले पर वायरोलॉजिस्ट एकता गुप्ता ने लल्लनटॉप से कहा कि
अभी साउथ अफ्रीका में कोरोना का नया वेरिएंट आया है जिसे B.1.1.529. का नाम दिया गया है ये बहुत ज्यादा म्यूटेट करता है. इसके पहले भारत में डेल्टा वेरिएंट ने बहत ज्यादा तबाही मचाई थी. लेकिन भारत के अन्दर डेल्टा के आलावा और कोई वेरिएंट नहीं मिला है. साउथ अफ्रीका में जो वेरिएंट आया है उसे WHO ने वेरिएंट ऑफ़ कंसर्न या वेरिएंट ऑफ़ इंटरेस्ट करार नहीं दिया है. हालांकि ये वेरिएंट भी खतरनाक हो सकता है लेकिन इसका डाटा अभी हमारे पास मौजूद नहीं है.
इस वायरस के अभी दक्षिण अफ्रीका में 77 कंफर्म केस, बोत्सवाना में 4 केस और एक केस हांगकांग में मिला है. जाहिरी तौर पर केस ज्यादा होंगे, लेकिन कंफर्म अभी इतने मरीजों में ही हुआ है. अफ्रीका के बाहर अभी तक सिर्फ हांगकांग में ही एक मामला आया है. और वो भी उस व्यक्ति में दक्षिण अफ्रीका से हांगकांग आया था.
अभी अफ्रीका ही सबसे ज्यादा चपेट में है. वहां 24 फीसदी लोगों का टीकाकरण हो चुका है. और ये देखने में आया है कि वैक्सीनेटेड लोगों में भी संक्रमण फैल रहा है. वहां की स्थिति देखते हुए, अफ्रीका वालों के लिए दुनिया अपने दरवाज़ें बंद करने लगी है. ब्रिटेन ने दक्षिण अफ्रीका और इसके आसपास के 5 देशों से आने वाली फ्लाइट्स पर प्रतिबंध लगा दिया है. इसी तरह के फैसले पर यूरोपीय यूनियन में भी बात हो रही है.
अब भारत पर आते हैं. हमारी सरकार इस वेरिएंट को लेकर क्या तैयारी कर रही है. अभी तक इस स्ट्रेन का कोई केस हमारे यहां नहीं मिला है. लेकिन अलर्ट जारी कर दिया गया है. केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों को चिट्ठी लिखकर कहा है कि भैया कड़ी नज़र रखो. साउथ अफ्रीका, हांगकांग और बोत्सवाना से आने वाले यात्रियों की बढ़िया से टेस्टिंग की जाए.
स्वास्थ्य मंत्रालय ने कहा है कि नए वेरिएंट में काफी म्यूटेशन होने की सूचना है. नए वेरिएंट के गंभीर प्रभाव सामने आ सकते हैं. ऐसे में यह जरूरी है कि इन देशों से भारत की यात्रा करने वाले या इन देशों के रास्ते भारत आने वाले सभी यात्रियों की बारीकी से ट्रैकिंग और टेस्टिंग की जाए. इसमें उन देशों के यात्री भी शामिल हैं जिन्हें स्वास्थ मंत्रालय ने 11 नवंबर को जोखिम वाले देशों की श्रेणी में रखा था.
केंद्र ने राज्यों को यह निर्देश भी दिया है कि जैसे ही किसी व्यक्ति में अफ्रीका वाले वेरिएंट से संक्रमण की बात आए, उसके नमूने को तुरंत जीनोम सीक्वेंसिंग लैब में भेजा जाए. जीनोम सिक्वेंसिंग से ही तय होता है कि वायरस का कौनसा वेरिएंट है.
तो कुल मिलाकर अभी अफ्रीका वाला वेरिएंट हमारे यहां नहीं पहुंचा है. लेकिन डर वाली खबरें पहुंचने लगी हैं, और उसका असर आज दिखा शेयर बाज़ार में. सेंसेक्स आज 2.87 फीसदी गिरा. निफ्टी में भी करीब 3 फीसदी की गिरावट दर्ज हुई. बाजार के जानकारों का अनुमान है कि दुनियाभर के बाज़ारों में नए वेरिएंट से तीसरी लहर आने और धंधा चौपट होने का डर है. और उसका असर भारत के बाज़ार में भी दिख रहा है.
कोरोना का वायरस कितने रूप बदलता है, किस वेरिएंट में आता है, ये सब हमारे हाथ में नहीं है. हमारे हाथ में बचाव है. जितना मुमकिन हो सके बचाव कीजिए. वैक्सीन लगवाइए. देश में वैक्सीन का पहला डोज़ तो 80 फीसदी से ज्यादा व्यस्कों ने लगवा लिया है, लेकिन दूसरा डोज़ लगवाने नहीं जा रहे हैं.
सिर्फ 45 फीसदी लोगों के ही अभी तक दोनों डोज़ लगे हैं. लोग एक डोज़ लगवाने के बाद दूसरा डोज़ लगवाने ही नहीं जा रहे हैं. आप वैक्सीन जरूर लगवाइए. कम से कम ये तो आपके हाथों में हैं. और अब भी सार्वजनिक जगहों पर जिनता हो सके, मास्क वाले कोरोना का नियम का पालन करिए. दूसरी लहर में हमने खूब तबाही देखी थी, आगे ऐसा कुछ नहीं चाहते.