पीएम मोदी के घर से निकलने वाली डेढ़ किलोमीटर लंबी सुरंग खुलती किधर है?
और इस सुरंग का मनमोहन सिंह से क्या कनेक्शन है?
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सांकेतिक फोटो
पहले ये देखिए कि स्टोरी कहां जाती है. पीएम का घर कैसा है. वहां क्या क्या है. आखिरी में सुरंग का दूसरा दरवाजा भी खुल जाएगा.
नरेंद्र मोदी पहले ऐसे पीएम हैं, जो अकेले रहते हैं. परिवार का कोई व्यक्ति साथ नहीं. नरसिम्हा राव, अटल बिहारी, मोरार जी, सबके बेटे, दामाद या फिर और रिश्तेदार साथ रहते थे. ये सब कहां रहते थे, 7 रेसकोर्स रोड पर. लेकिन अब इसे लोककल्याण मार्ग कहते हैं. कुल 12 एकड़ में फैले इस परिसर में एक नहीं, कुल छह बंगले हैं. और उनके नंबर एक छोड़ एक हैं. मतलब 1,3,5,7,9 और 11 नंबर का बंगला.
इस बंगला कुंज के पहले रहवासी थे राजीव गांधी. उसके पहले के पीएम कहां रहे. नेहरू रहे तीन मूर्ति भवन में. गुजरे तो उसे म्यूजियम बना दिया गया. शास्त्री रहे 10 जनपथ में. गुजरे तो उसके एक हिस्से को म्यूजियम बना दिया गया. पता दिया गया, 1 मोतीलाल नेहरू मार्ग. दूसरे हिस्से में कांग्रेस पार्टी का दफ्तर बना. अब ये सोनिया गांधी का घर है. और एक जुमला भी. कांग्रेस के बारे में बात करते वक्त.
शास्त्री के बाद इंदिरा गांधी आईं. प्रायः 1 सफदरजंग रोड के पते पर रहीं. यहीं से बगल के पते यानी 1 अकबर रोड जा रही थीं. कत्ल कर दिया गया. इस घर को भी म्यूजियम बना दिया गया. राजीव की बारी आई. और वो रहे 7 रेसकोर्ड रोड में. उनके बाद पीएम बने वीपी सिंह ने 30 मई 1990 को कानून बनाकर इसे परमानेंट पीएम रेजिडेंस बना दिया.
# बंगले के अंदर क्या है?
पहले ये जानिए ये न्यारा बंगला बनाया किसने. रॉबर्ट टी रसेल ने. वो नई दिल्ली डिजाइन करने वाले आर्किटेक्ट एडविन लुटियन के चेले थे. पलिटिकल किस्सों में कई बार लुटियंस दिल्ली शब्द आता है. इसका अर्थ है, यहां रहने वाले ब्योरोक्रेट्स, राजनेताओं से. विधायिका, कार्यपालिका, न्यायपालिका से. जो मिलकर देश चलाती है, दिल्ली के इस हिस्से से.अशोका होटल के बगल से पीएम के बंगलों में दाखिल होने का आम रास्ता है. आम मतलब, जो खास लोगों के लिए आम रास्ता है. पीएम के लिए तो सुरंग भी है. रिमेंमबर.
सबसे पहले पड़ता है 9 नंबर बंगला. यहां रहते हैं एसपीजी यानी स्पेशल प्रोटेक्शन ग्रुप वाले. वही करते हैं हर मेहमान की अगवानी. कार किनारे लगवा देते हैं. पहचान इत्यादि वाले रजिस्टर पर सही का निशान लगा अपनी गाड़ी में बिठाते हैं और भीतर छोड़ आते हैं.

प्रधानमंत्री की सुरक्षा के नजरिए से ये सुंरग महत्वपूर्ण है. (सांकेतिक फोटो)
फिर आता है 7 नंबर बंगला. इसी के नाम पर पीएम का घर सात रेसकोर्स रोड कहलाता था. इसका इस्तेमाल घर वाले दफ्तर के लिए होता है. कैंप ऑफिस समझ लीजिए. अफसर और नेता, जो रायसीन हिल्स स्थित केंद्रीय सचिवालय के साउथ ब्लॉक स्थित दफ्तर में नहीं मिल पाते, वे घर वाले ऑफिस में तलब किए जाते हैं.
फिर आता है 5 नंबर बंगला. प्राइम मिनिस्टर नरेंद्र मोदी यहीं रहते हैं. लेकिन मनमोहन सिंह यहां नहीं रहते थे. वह रहते थे, तीन नंबर बंगले में. अब तीन नंबर बंगले में गेस्ट हाउस है. पीएम के मेहमान रहते हैं. मनमोहन के जमाने में मेहमान 5नंबर में रहते थे. यानी मोदी ने घर और गेस्टहाउस की अदला बदली करवा दी.

7 लोककल्याण मार्ग जहां प्रधानमंत्री रहते हैं.
एक ग्लासट्यूब है. जिसके जरिए नरेंद्र मोदी फटाफट घर से दफ्तर पहुंचते हैं. एक हैलिपैड भी है. एक नंबर बंगले के कंपाउंड में. पीएम यहीं से सवारी भरते हैं, अगर सीधे हेलिकॉप्टर से कहीं जाना हो. या फिर दिल्ली के एयरपोर्ट जाना हो.
बचा 11 नंबर बंगला. उसे भी सुरक्षा कारणों से पीएम बंगला कॉम्प्लेक्स में शामिल कर लिया गया है. इसका मिक्स यूज होता है.
अब बात सुरंग की. इसे मनमोहन सिंह के प्रधानमंत्री रहते बनवाने का फैसला हुआ था. 2010 में सुरंग बननी शुरू हुई. 2014 में ये तैयार हो गई. और तब तक नरेंद्र मोदी पीएम बन चुके थे. सुरंग बनाई गई है पीएम के घर से सफदरजंग एयरपोर्ट तक. लगभग डेढ़ किलोमीटर लंबी. पीएम नरेंद्र मोदी इसी से गुजरकर एयरपोर्ट पहुंचते हैं.
चलिए, अब सुरंग का दूसरा सिर खुल गया तो विदा लेते हैं.
# पोस्ट स्क्रिप्ट
रेसकोर्स रोड अब लोक कल्याण मार्ग कहलाती है. इसके पहले भी दो दफा इसका नाम बदलने का प्रस्ताव आया था. पहली बार तो नई दिल्ली की लोकसभा सांसद और बीजेपी नेता मीनाक्षी लेखी के जरिए. उन्होंने नई दिल्ली म्यूनिसिपल कॉरपोरेशन की मीटिंग में प्रस्ताव रखा था कि इसका नाम बदल एकात्म मार्ग रखा जाए. पार्टी के नीति पुरुष दीनदयाल उपाध्याय के एकात्म मानववाद की स्मृति में.दूसरी बार प्रस्ताव अरविंद केजरीवाल की तरफ से आया था. सितंबर 2016 में उन्होंने इस सड़क का नाम गुरु गोबिंद सिंह मार्ग रखने का विचार दिया था.
सौजन्य जिक्र- पीएम के घर के ब्यौरे दो किताबों से लिए गए हैं. थोड़े बहुत, संजय बारू की किताब एक्सिडेंटल प्राइम मिनिस्टर से. और ज्यादातर विजय त्रिवेदी की किताब, बीजेपी कल-आज और कल से. विजय की किताब को वेस्टलैंड पब्लिकेशन के एका इंप्रिंट ने छापा है.
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