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काला धन और कुछ नहीं, कलयुग की आत्मा है

आओ तुमको फिर से गीता सार रटवाते हैं.

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आशुतोष चचा
7 दिसंबर 2016 (Updated: 8 दिसंबर 2016, 05:43 AM IST) कॉमेंट्स
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क्यों व्यर्थ चिंता करते हो. किससे व्यर्थ डरते हो.कौन तुम्हें मार सकता है? आत्मा न पैदा होती है न मरती है. बस ये पुराने शरीर को त्याग कर नया शरीर धारण कर लेती है. ये तुम्हारी घर के बरामदे में टंगे ठाकुर प्रसाद पंचांग में लिखी पंक्तियां नहीं हैं. गीता ज्ञान है. आपको बस इसमें ये करना है कि आत्मा की जगह काले धन को रख देना है. फिर देखो. गीता को तुम कलयुग से आसानी से कनेक्ट कर ले जाओगे. नहीं मानते. तो आज के कान्हा का भाषण सुन लो. यकीन हो जाएगा. अब भी नहीं हो रहा तो प्रूव कर देते हैं. आत्मा के जैसे ही ब्लैक मनी भी अजर अमर है. ये भी शरीर की तरह एकाउंट बदलती रहती है. सरकार का रोल इसको शरीर तक पहुंचाने का होता है. इसलिए उसको महाकाल के रोल में रख देते हैं. वो कोड़े मारकर ब्लैक मनी को दौड़ही लगवाए रहते हैं. एक निश्चित आयु तक वो एक एकाउंट में रहती है. तत्पश्चात वो ट्रांसफर हो जाती है.

ब्लैक मनी है क्या

एक लाइन में बात समझ में आ जाएगी. चार रुपए किलो उगा टमाटर 40 रुपए किलो बिके. उसमें उगाने वाला किसान इनकम टैक्स नहीं देता. लेकिन बिचौलिया देता है. जो बिचौलिया देता है उसकी लिमिट होती है. जो किसान अदा करता है वो अनलिमिटेड होता है. इसलिए किसान का मारा हुआ पैसा काला धन है. वो चाहे बिचौलिये के पास जाए, चाहे सरकार के पास. जैसे चार खान चौरासी लाख योनियों में आत्मा भटकती है वैसे ही ब्लैक मनी का हाल है. वो भी कई स्वरूपों में हमारे संसार में विद्यमान रहती है. लेकिन इंसान तो भोला है. वो सोचता है कि वो सिर्फ नोटों में है. सरकार ने इंसान की गलतफहमी दूर करने के लिए लीला रचाई. सारे बड़े नोटों का कारोबार बंद कराया. ये प्रूव करने के लिए कि देखो आंख वाले अंधों. सिर्फ यही ब्लैक मनी नहीं है. देखो हम इसको बैन करते हैं. तुमको लगेगा कि ब्लैक मनी खत्म हो गई. लेकिन वो अपना शरीर बदल लेगी. कुछ को बदलवाने के लिए स्वयं सरकार 50-50 वाला जुगाड़ लॉन्च किए बैठी है. नोटों में जो ब्लैक मनी थी उसका क्या हुआ? क्या वो खतम हो गई? नहीं. उसने शरीर बदल लिया. व्यापारियों, अफसरों के एकाउंट से ट्रांसफर होकर जनधन खातों में आ गई. कहीं झोपड़पट्टी वालों के पास रात में आई. फिर भोर होते ही लाइन में लगकर उनके खाते में आ गई. ये बवाल कटते ही वापस मालिक के खाते में चली जाएगी. और सुनो. यहां लोगों के खातों के अलावा भगवान के एकाउंट में भी जा रही है. मंदिर में अपना पैसा खपाकर पुण्य कमाने की कोशिश में भगवान भी करप्शन के लपेटे में आ गए.
बाकी शरीरों पर नजर डालो. नोएडा के बाहर खेतों में खड़े होती जा रही मल्टीस्टोरी बिल्डिंग्स. लखनऊ के अंसल एपीआई में खरीदे जा रहे प्लॉट्स में जा बसती है ब्लैक मनी. उनके वीरान कमरों में नहीं पूरा आ पाता तो सात समंदर पार ब्लैक मनी का स्वर्ग है. वहां जाकर युगों युगों तक एक ही एकाउंट में पड़े रहकर एंजॉय करते हैं. लेकिन लेकिन लेकिन. इतने युगों में भी उसका अंत नहीं होता. और वहां ब्लैक मनी के जाने का रिकॉर्ड तो होता है. वापस आने का कोई रिकॉर्ड नहीं होता.
इनके अलावा ब्लैक मनी सोने चांदी के शरीर में कैद है. जिस पर सरकार लिमिट लगाकर ब्लैक मनी की जीवन क्षमता का अंदाजा लगा रही है. कि देखें अब कहां जाता है ब्लैक मनी. लेकिन वो तो रंगहीन, गंधहीन, स्वादहीन एक ऐसा द्रव्य है जिसे किसी पात्र में डाल दो, वो उसका आकार ले लेता है. कुल मिलाकर ये नोटबंदी और गोल्ड ओल्ड पर पहरा इसीलिए बिठाया गया है कि ये मोटी बात भेजे में आ जाए. ब्लैक मनी की रट लगाए लोग होश में आएं. और उसके अमरत्व पर संदेह न करें.
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