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यूपी के पंचायत चुनावों में 135 टीचर्स की मौत? दी लल्लनटॉप को टीचर्स ने बताया कोविड नियमों का सच

टीचर्स ने पंचायत चुनावों का जो सच बताया वो डराने वाला है.

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यूपी में पंचायत चुनावों के दौरान क्या ड्यूटी के लिए ट्रकों में ले जाए जा रहे हैं टीचर? जानिए टीचरों की ज़ुबानी.
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Varun Kumar
28 अप्रैल 2021 (Updated: 28 अप्रैल 2021, 12:39 PM IST) कॉमेंट्स
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उत्तर प्रदेश में पंचायत चुनाव चल रहे हैं. और, इन चुनावों में सरकारी कर्मचारियों, खासकर बेसिक शिक्षा विभाग के टीचर्स की ड्यूटी लगाई जा रही है. लेकिन जहां से पोलिंग पार्टियां रवाना हो रही हैं, वहां न तो कोई सोशल डिस्टेंसिंग है और न ही कोविड प्रोटोकॉल का पालन हो रहा है. टीचरों के एक संगठन ने तो हैरान करने वाला दावा किया है. इस दावे के मुताबिक, इस पंचायत चुनाव के दौरान 135 से ज्यादा टीचर्स की मौत हो चुकी है. वहीं सरकारी अधिकारी इस दावे को खारिज कर रहे हैं. उनका कहना है कि किसी टीचर की मौत कोविड-19 संक्रमण से नहीं हुई. अब इस मामले पर इलाहाबाद हाई कोर्ट ने भी संज्ञान ले लिया है, और उसने राज्य चुनाव आयोग से जवाब मांगा है.
दी लल्लनटॉप ने जानने की कोशिश की कि सच क्या है. और अभी टीचर्स की क्या हालत है. हमने कई टीचर्स से बात की. उन्होंने क्या बताया, पढ़ें.

क्या कह रहे हैं टीचर्स?

यूपी के बुलंदशहर में रहने वाले एक टीचर ने अपनी पहचान गुप्त रखने की शर्त पर बताया कि -
"मैं आज मंडी में हूं, जहां से पोलिंग पार्टियों को रवाना किया जा रहा है. कोई कोविड प्रोटोकॉल नहीं है. भारी भीड़ है, गर्मी है, मास्क में पसीना आ रहा है तो लोग मास्क हटाने पर मजबूर हो रहे हैं. काफी लोगों की तबीयत खराब है. मेरी छोटी सी बच्ची है, मैं अकेला कमाने वाला हूं. जबरन यहां बुलाया गया है, ड्यूटी लगाई गई है, अब वोटिंग करानी है, मुझे कुछ हो गया तो मेरे परिवार का क्या होगा."
Panchayat Election बुलंदशहर के टीचर ने ये तस्वीर भेजी है. साफ दिखता है कि सोशल डिस्टेंसिंग नहीं है.

यूपी के जालौन में रहने वाले एक टीचर ने नाम नहीं छापने की शर्त पर 'दी लल्लनटॉप' को बताया कि प्रशिक्षण से लेकर चुनाव संपन्न होने तक, बेसिक शिक्षा विभाग के टीचरों ने तमाम काम किए. उनका कहना था -
"प्रशिक्षण के दौरान कोई कोविड प्रोटोकॉल नहीं फॉलो किया गया. पोलिंग पार्टियों को रवाना करते हुए भी कोई प्रोटोकॉल फॉलो नहीं किया गया. जो लोग वोट डालने आए उनमें से करीब 35 से 40 प्रतिशत लोग खांसी, जुकाम, बुखार से पीड़ित थे. छींक और खांस रहे थे. ऐसे में टीचर ड्यूटी कर रहे थे. इस चुनाव को यदि छह महीने के लिए टाल दिया जाता तो अच्छा रहता. (इसके बजाय) अगर हमें कोविड पीड़ितों की मदद में लगाया जाता तो अच्छा लगता, लेकिन हमें चुनाव में लगाया गया है."
Ppe Kit Teacher PPE किट पहनकर ड्यूटी करता एक टीचर.

जालौन के इन टीचर ने हमें बताया,
"इन चुनावों में वोट डालने के लिए लोग शहरों से भी आए हैं. बाहर से आए लोगों के साथ गावों में कोरोना भी पहुंचा. गांवों में टेस्टिंग नहीं है. कोई एंटीजन या RT-PCR टेस्ट नहीं हो रहा है. लोग भी इसको लेकर गंभीर नहीं हैं. अगर इन चुनावों को थोड़ा टाल दिया जाता तो देश में कोई संवैधानिक संकट खड़ा नहीं होने वाला था. इलेक्शन कमीशन के चुनाव कराने के इस फैसले के कारण यूपी में कोविड केस बढ़े हैं."
Aligarh 2 पूरे प्रदेश से चुनाव के दौरान कोरोना गाइलाइंस के उल्लंघन की बातें सामने आ रही हैं.

इसके बाद 'दी लल्लनटॉप' की बात हुई बहराइच की एक टीचर से. उनकी ड्यूटी भी चुनावों में लगाई गई है. अपना नाम न छापने की शर्त पर उन्होंने बताया कि जिस जगह से पोलिंग पार्टियों को रवाना किया गया वहां काफी बुरी स्थिति है. टीचर्स को ट्रकों और अन्य वाहनों से पोलिंग सेंटरों तक पहुंचाया जा रहा है जिनको देख कर नहीं लगता कि उन्हें सैनेटाइज भी किया गया होगा. उन्होंने कहा -
"जहां से हमें ड्यूटी ऑर्डर्स मिल रहे हैं, वहां तो कोई व्यवस्था है ही नहीं. ना टेंपरेचर चेक हो रहा, ना सोशल डिस्टेंसिंग है. मुझे भी ट्रक से ही जाना है. वहां बहुत भीड़ है. 135 लोगों की मौत की खबरें हैं लेकिन कितने लोग संक्रमित हैं इसका तो कोई आंकड़ा ही नहीं है. बूथ की स्थिति भी थोड़ी देर में स्पष्ट हो जाएगी. इलेक्शन खत्म होने के बाद पता चलेगा कि इसके कारण कोरोना कितना फैला. महिला टीचरों की ड्यूटी ज्यादा दूर नहीं लगाने की बात थी लेकिन महिलाओं को भी 70 से 80 किलोमीटर दूर तैनाती दी जा रही है."
इसके बाद हमने बात की बलिया की एक टीचर से. अधिकारियों की नाराजगी और नौकरी पर संकट को कारण बताते हुए उन्होंने भी नाम न छापने को कहा है. उन्होंने बताया कि -
"इतनी भीड़ है कि डर लग रहा है. हम डबल मास्क पहन कर गए थे. मैंने तो उस पर दुपट्टा भी बांधा था. रवानगी स्थल से सेंटर तक जाना भी कम कठिन काम नहीं है. वो भी ऐसे वक्त में. एक सैनेटाइजर के अलावा कुछ नहीं दिया गया. फेस शील्ड या मास्क तक नहीं मिला. हमें लोगों के सीधे संपर्क में आना होता है. अंगूठा लगवाना होता है. लोकतंत्र की सेवा से पीछे हम कभी नहीं हटेंगे लेकिन सरकार को भी हमारा थोड़ा ध्यान रखना चाहिए."

सिर्फ टीचर ही नहीं दूसरे सरकारी कर्मचारी भी शामिल

ऐसा नहीं है कि इस प्रक्रिया में सिर्फ टीचर ही शामिल हैं. अन्य सरकारी विभागों के लोग भी चुनाव प्रक्रिया का हिस्सा हैं. अलीगढ़ के रहने वाले एक शख्स ने 'दी लल्लनटॉप' से संपर्क किया. उन्होंने बताया कि उनकी मां टैक्स (GST) विभाग में काम करती हैं. उनकी ड्यूटी में चुनाव में लगाई गई है. उनका कहना है कि -
"मेरी मां को माइल्ड अस्थमेटिक प्रॉब्लम है. वो अपने साथ इनहेलर रखती हैं. आज यहां पोलिंग पार्टियां रवाना हो रही हैं. यहां हालात बेहद डराने वाले हैं. भारी भीड़ है. कोई सोशल डिस्टेंसिंग नहीं है. लोगों के मास्क नाक से नीचे हैं या कान पर लटके हैं. ऐसी भीड़ से कोरोना नहीं फैलेगा तो क्या होगा? मैं भी अपनी मां के लिए चिंतित हूं."
Aligarh अलीगढ़ में भी कोरोना गाइडलाइंस का उल्लंघन. ये तस्वीर लल्लनटॉप को अलीगढ़ से भेजी गई है.

राष्ट्रीय शैक्षिक महासंघ के दावे पर हंगामा

अब बात उस खबर की जिसे लेकर पूरे उत्तर प्रदेश में हंगामा मचा हुआ है. हिंदी अखबार 'अमर उजाला' ने राष्ट्रीय शैक्षिक महासंघ के दावे के आधार पर एक खबर छापी जिसमें बताया गया कि पंचायत चुनाव के कारण अभी तक 135 शिक्षकों, शिक्षामित्रों और अनुदेशकों की मौत हो चुकी है. हमने ये दावा करने वाले संगठन के प्रदेश प्रवक्ता वीरेंद्र मिश्र से बात की. उनका क्या कहना था?
ये लैटर राष्ट्रीय शैक्षिक महासंघ ने सीएम योगी को भेजा है.

संगठन प्रवक्ता वीरेंद्र मिश्र ने कहा कि -
"135 तो वो नंबर है जो अभी तक पता चल पाया है. मैं खुद गोंडा में टीचर हूं. आप पूरे प्रदेश में कहीं भी स्वतंत्र रूप से पता कर लें. चुनाव प्रशिक्षण के दौरान लोगों को जमा किया गया. एक कमरे में 100-100 लोग थे. एक को भी अगर कोरोना था तो क्या वो फैला नहीं होगा. रवानगी के दौरान का आलम कहीं भी देख लें. पता कर लें. कोई प्रोटोकॉल नहीं पालन हो रहा है कहीं भी. इसके बाद वोटिंग में आम जनता से सीधा संपर्क. टीचर संक्रमित हो रहे हैं. हमारे संगठन की 4 मांगें हैं. पंचायत चुनावों को रोका जाए, बीमारों के इलाज की व्यवस्था की जाए, मृतकों के परिवारों को 50-50 लाख की मदद की जाए और एक शख्स को अनुकंपा नौकरी दी जाए. मैंने ही ये बयान दिया था जिस पर अब हाईकोर्ट ने भी संज्ञान लिया है."

इलाहाबाद हाईकोर्ट ने क्या बोला है?

135 शिक्षकों की मौत की खबर पर इलाहाबाद हाईकोर्ट ने संज्ञान लेते हुए राज्य चुनाव आयोग को नोटिस जारी किया है. 'आज तक' की एक खबर के मुताबिक हाईकोर्ट ने कहा है -
"2020 के आखिर में जब वायरस कमजोर हुआ था, तब सरकार पंचायत चुनाव कराने में व्यस्त हो गई थी. अगर उसने लगातार संक्रमण रोकने के लिए काम किया होता, तो आज सरकार दूसरी लहर का सामना करने के लिए तैयार रहती. अगर हम अब भी लोगों की हेल्थ प्रॉब्लम को नजरअंदाज करेंगे और उन्हें मरने के लिए छोड़ देंगे, तो आने वाली पीढ़ी हमें कभी माफ नहीं करेगी."
हाईकोर्ट ने यूपी चुनाव आयोग को कारण बताओ नोटिस जारी किया है. और पूछा है कि अगली तारीख, 3 मई को बताए कि पंचायत चुनाव के दौरान वो कोविड प्रोटोकॉल्स लागू करवाने में नाकाम क्यों रहा? कोर्ट ने कहा कि चुनाव आयोग के 27 अधिकारियों के खिलाफ इस मामले में मुकदमा क्यों नहीं चलाया जाए. कोर्ट का पूरा ऑर्डर इस लिंक पर पढ़ें
.

इस मामले पर सरकार का क्या कहना है?

इस पूरे मामले में आधिकारिक जानकारी लेने के लिए 'दी लल्लनटॉप' ने यूपी चुनाव आयोग की वेबसाइट पर दिए नंबरों पर कॉल किए. बताया गया कि इलेक्शन कमिश्नर मनोज कुमार ऑफिस में नहीं हैं. उनका मोबाइल नंबर मिला तो कई बार कॉल किए. लेकिन फोन किसी ने उठाया नहीं. अगर उनका पक्ष आता है तो उसे ख़बर में अपडेट किया जाएगा.
चुनाव आयोग के ऑफिस से ये भी पता चला कि एडिशनल इलेक्शन कमिश्नर वेद प्रकाश वर्मा और सचिव जय प्रकाश सिंह, दोनों कोविड पॉजिटिव हैं. इलेक्शन कमिश्नर मनोज कुमार के पीएस (निजी सचिव) ने इस मामले पर सूचना विभाग के अधिकारी दिवाकर खरे से बात करने को कहा. दिवाकर खरे ने हमें कहा कि -
"जिस खबर की बात आप कर रहे हैं, उसमें उन जिलों के नाम हैं जहां चुनाव 29 अप्रैल को होने है. जिलों से जो भी रिपोर्ट आ रही है, रोजाना कमिश्नर साहब जिलाधिकारियों से बात करते हैं. उस खबर में जिन जिलों के नाम हैं वहां तो अभी चुनाव ही नहीं हुए हैं. जब पोलिंग पार्टी ही नहीं गई तो आदमी कैसे एक्पायर हो गए. चुनाव आयोग की ओर से निर्देश हैं कि कोविड गाइडलाइन्स का पालन किया जाए. मौखिक भी हैं, लिखित भी हैं और रिपोर्ट भी यही है कि इनका पालन कराया जा रहा है. कहीं कोई अव्यवस्था नहीं है. जो खबरें हैं उनमें कोई दम नहीं है. आप कह रहे हैं अव्यवस्था, कोई अव्यवस्था है ही नहीं. जब अधिकारी बता रहा है कि कोई अव्यवस्था नहीं है, आप कह रहे हैं ये तो. जहां आपको अव्यवस्था दिखती हो, वहां के अधिकारी से बात करें आप."
ऐसी रिपोर्ट्स भी अलग-अलग जगह से आ रही हैं कि टीचर्स के अलावा चुनाव ड्यूटी में लगे अधिकारियों, सुरक्षाकर्मियों और दूसरे लोगों को भी कोरोना हो गया है. मीडिया में ऐसी कई खबरें हैं जिनमें दावा किया गया है कि चुनाव ड्यूटी के कारण सरकारी कर्मचारी को कोविड हो गया. लेकिन सरकारी अधिकारी इन रिपोर्ट्स को गलत बता रहे हैं.
इस खबर में और रेलेवेंट जानकारियां आती हैं तो हम अपडेट करेंगे.

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