जब नकली दारा सिंह से लड़ने असली दारा सिंह आ गया
दारा सिंह की जिंदगी के कुछ किस्से.

गांव में थे तो खेतों में काम करते थे. कम ही उमर थी. जब घरवालों ने जबरिया ब्याह दिया. दुनिया जीतने वाले की घरवालों के आगे नहीं चली. जो लड़की ब्याहकर घर आई. वो उमर में उनसे कहीं बड़ी थी. घरवालों को चिंता हुई. पट्ठा कमजोर न निकल जाए. उनने खुराक पर ध्यान दिया. दूध-दही खांड़ के अलावा दिन में 100-100 बादाम खाते थे. घरवालों ने ऐसा-ऐसा खाना खिलाया कि सत्रह बरस के होते तक उनकी गोदी में एक बालक खेल रहा था.
कहते हैं उनकी पहली प्रोफेशनल फाइट एक इटैलियन पहलवान के खिलाफ थी. वो मुकाबला ड्रा हुआ. इस फाईट के बाद उनको पचास डॉलर मिले थे. 1947 में वो वक पहलवानी प्रतियोगिता में हिस्सा लेने सिंगापुर गए. वहां चैंपियन तारलोक सिंह को हराकर उनने चैंपियन ऑफ मलेशिया का तमगा जीता. फिर कई-कई देश गए, जीते सन 1952 में इंडिया लौटे. 1954 में इंडियन कुश्ती के चैम्पियन बने .वो उस टाइम इत्ते फेमस थे कि कनाडा के वर्ल्ड चैंपियन जार्ज गार्डीयांका और न्यूजीलैंड के जॉन डिसिल्वा ने 1959 में कोलकाता में कॉमनवेल्थ कुश्ती चैंपियनशिप में उनको ओपन चैलेंज दे डाला. दारा सिंह ने दोनों को धर पटका. 1968 में इनने अमेरिका के वर्ल्ड चैंपियन को हराया और फ्रीस्टाइल कुश्ती के वर्ल्ड चैंपियन बन गए. एक बार रांची में उनका मुकाबला हुआ किंगकांग से. अब्दुल बारी पार्क में. ये 130 किलो के थे वो 200 किलो का. इनने किंगकांग को हराकर रिंग से बाहर फेंक दिया. काला-पंजा दांव लगाया और वो ढेर रहा. 60 का दशक था. उस रोज उस मुकाबले का टिकट 30 रुपये में बिका था. लोग वो भी लेकर देखने गए थे. क्योंकि उनको दारा सिंह को देखना था. https://www.youtube.com/watch?v=juFDhqja5HE एक बार एक अफवाह उड़ी, जो पहलवान लड़ा करता है. माने दारा सिंह, वो असली दारा सिंह है ही नहीं. उनकी जगह कोई 'असली दारा सिंह' आ गया. उसने बताया कि मैं तो जेल में बंद था. मेरे नाम का फायदा ये नकली दारा सिंह उठा रहा है. उसने दारा सिंह को लड़ने की चुनौती दी. दोनों लड़े, खूब कमाई हुई, खूब टिकट बिके. बाद में पता लगा कि वो कोई असली-नकली नहीं दारा सिंह के ही भाई रंधावा थे. जो बाद में फिल्मों में भी गए. और अपने स्टंट के लिए फेमस हुए.
उनने फिल्मों में भी काम किया. पहली फिल्म आई थी, संगदिल. साल था 1952. उनके साथ फिल्म में दिलीप कुमार और मधुबाला था. वो बॉलीवुड के पहले एक्शन किंग कहे जाते हैं. उनकी पहली फिल्म का गाना सुनिए.
https://www.youtube.com/watch?v=WyJBkxQKQPA
उनने कुल 146 फिल्मों में काम किया. दारा सिंह की आखिरी फिल्म 'जब वी मेट' थी. करीना-शाहिद वाली.
रामायण में वो हनुमान बने थे. लेकिन उस बात की तो हम बात भी नहीं करेंगे. सबको पता है और सब जानते हैं कि हनुमान जी के नाम पर हमको दारा सिंह ही दिखते हैं. उनने अपनी आत्मकथा लिखी, पंजाबी में. फिर 1993 में ये हिन्दी में भी आई. प्रवीन प्रकाशन से. नई दिल्ली से छपी. किताब का नाम था. मेरी आत्मकथा. वो अटल बिहारी वाजपेयी की सरकार में सांसद भी बने थे. राज्यसभा के सदस्य मनोनीत किए गए थे. 2003 से 2009 तक वो सांसद रहे थे.
7 जुलाई 2012 को दिल का दौरा पड़ा. मुंबई के एक अस्पताल में एडमिट थे. 11 जुलाई को डॉक्टर्स ने मना कर दिया. घरवाले घर ले आए. जहां 12 जुलाई की सुबह साढ़े सात बजे वो चल बसे. फैमली भी थी. दो शादियां की थीं. एक बेटा भी है विंदु दारा सिंह पर उसकी बात क्या ही कीजिएगा.
ये आर्टिकल आशीष ने लिखा है.
ये भी पढ़ें:
रूसी लड़की के साथ दारा सिंह का डांस और उनकी पत्नी की जलन
प्यार के देवता यश चोपड़ा ने क्यों कहा था: ‘जो लव नहीं करते वो मर जाएं!’कोई नहीं कह सकता कि वो ऋषिकेश मुखर्जी से महान फ़िल्म निर्देशक हैशंकर: वो डायरेक्टर, 23 साल में जिसकी एक भी फिल्म नहीं पिटी!अपनी फिल्मों में यश चोपड़ा हीरोइन्स इतनी सुंदर क्यों रखते थे? वो गंदा, बदबूदार, शराबी डायरेक्टर जिसके ये 16 विचार जानने को लाइन लगाएंगे लोगकुरोसावा की कही 16 बातें: फिल्में देखना और लिखना सीखने वालों के लिए विशेष‘दिलवाले दुल्हनिया ले जाएंगे’ की मेकिंग की 21 बातें जो कलेजा ठंडा कर देंगी!बच्चन-देवगन आ तो रहे हैं, मगर दीपावली पर विजय तो ख़ान की ही होती हैDDLJ के डायरेक्टर ने जिन तीन सिद्धांतों पर 21 साल फिल्में बनाईं उन्हें छोड़़ दिया है
वीडियो देखें:

.webp?width=60)

