सुप्रीम कोर्ट के नए चीफ जस्टिस हैं रंजन गोगोई, जिनके पास एक भी कार नहीं है
पिता मुख्यमंत्री रह चुके हैं. उन्होंने कहा था, मेरे बेटे में भारत का चीफ जस्टिस बनने का माद्दा है.
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2 अक्टूबर, 2018 को सुप्रीम कोर्ट के मौजूदा चीफ जस्टिस दीपक मिश्रा रिटायर हो जाएंगे. 3 अक्टूबर को जस्टिस रंजन गोगोई CJI पद की शपथ लेंगे.
आप तो मुख्यमंत्री हैं. आगे चलकर एक दिन आपका बेटा भी मुख्यमंत्री बनेगा.पापा तो सबके कहते हैं कि बेटा नाम करेगा. कि बड़ा होकर वो ऐसा-ऐसा काम करेगा. लेकिन सारे पापाओं की बात सच नहीं होती. ऊपर जिनकी बात बताई है, वो उन गिने-चुने पिताओं में हैं, जिनके बेटे ने उनका कहा कर दिखाया. वो भारत का अगला चीफ जस्टिस बन गया.
ना, मेरा बेटा मेरी तरह राजनीति में नहीं आएगा. उसके अंदर भारत का चीफ जस्टिस बनने का माद्दा है.
2 अक्टूबर, 2018 को मौजूदा CJI दीपक मिश्रा रिटायर हुए. 3 अक्टूबर, 2018 को रंजन गोगोई भारत के मुख्य न्यायाधीश बने. 17 नवंबर, 2019 को उन्हें रिटायर होना है. ये पहला मौका है, जब नॉर्थ ईस्ट से ताल्लुक रखने वाला कोई शख्स CJI बना है.President of India has appointed Justice Ranjan Gogoi as the next Chief Justice of India. He will assume office on 3rd October, 2018 after the retirement of the current Chief Justice, Justice Dipak Misra. pic.twitter.com/UAIe6P8qNV
— ANI (@ANI) September 13, 2018
'कांग्रेस कनेक्शन' 18 नवंबर, 1954 का दिन था, जब रंजन गोगोई असम के डिब्रूगढ़ में पैदा हुए थे. इनके पिता थे केशव गोगोई. मां शांति गोगोई. पिता 1978 में पहली बार जब विधायक बने, तब जनता पार्टी के नेता थे. 1982 में 56 बरस की उम्र थी, जब केशव गोगोई दो महीने के लिए असम के मुख्यमंत्री बने. असम के पहले गैर-कांग्रेसी मुख्यमंत्री गोलाप बोरबोरा की सरकार में मंत्री भी बने. ये सरकार बमुश्किल एक साल चली. फिर केशव गोगोई जोगेन हजारिका की पार्टी 'असम जनता दल' से जुड़ गए. जब जोगेन कुछ वक्त के लिए CM बने, तो केशव गोगोई उनके भी मंत्री रहे. फिर 1980 में जब इंदिरा की लहर चली, तो वो कांग्रेस में आ गए. यहां एक बार फिर अनवारा तैमूर की सरकार में कैबिनेट मंत्री बने. फिर कांग्रेस में अंदरूनी कलह छिड़ी. इसी के चक्कर में तैमूर की सरकार चली गई. फिर 1982 में केशव गोगोई को मुख्यमंत्री बनाया गया. जमा 66 दिन के मुख्यमंत्री रहे.Justice Ranjan Gogoi appointed Chief Justice of India: Law Ministry.
— Press Trust of India (@PTI_News) September 13, 2018
कांग्रेस नेता केशब चन्द्र गोगोई का बेटा होगा अब हमारा CJI, देश हो जाये भीषण फैसलों के लिए तैयार।
ये कोलोजियम सिस्टम का...
Posted by Anup Tripathi
on Sunday, September 2, 2018

जनवरी में किए गए प्रेस कॉन्फ्रेंस के बाद ही जस्टिस रंजन गोगोई को सोशल मीडिया पर इस तरह टारगेट किया जा रहा है.
एक भी कार नहीं है जस्टिस रंजन गोगोई के पास रंजन गोगोई की 12वीं तक की पढ़ाई डिब्रूगढ़ और गुवाहाटी में हुई. फिर ग्रैजुएशन करने के लिए वो दिल्ली आए. यहां सेंट स्टीफंस कॉलेज से हिस्ट्री ऑनर्स में बीए किया. फिर दिल्ली यूनिवर्सिटी से ही कानून की पढ़ाई की. पढ़ाई खत्म करके वापस गुवाहाटी लौट गए. 1978 में गुवाहाटी बार असोसिएशन में शामिल हुए. यहीं पर वकालत करते रहे. फरवरी 2001 में उन्हें गुवाहाटी हाई कोर्ट में परमानेंट जज की नियुक्ति मिल गई. इसके बाद फरवरी 2011 में पंजाब और हरियाणा हाई कोर्ट में चीफ जस्टिस बना दिए गए. अप्रैल 2012 में सुप्रीम कोर्ट के जज बने. और अब CJI बन गए.
वो सुप्रीम कोर्ट के उन 11 जजों में थे, जिन्होंने अपनी संपत्ति की जानकारी सार्वजनिक की. उनके पास एक भी कार नहीं है. असम के कामरूप में एक घर है उनके पास, जो पहले उनकी मां का था. मां ने उन्हें दे दिया. उनके बारे में लोग कहते हैं कि वो मीठा बोलते हैं. मगर कोर्ट के अंदर जस्टिस रंजन गोगोई बड़े सख्त माने जाते हैं.
बड़े फैसले जज का करियर उसके फैसलों से तौला जाता है. रंजन गोगोई अभी रिटायर नहीं हुए. CJI की कुर्सी पर बस बैठे ही हैं. फिर भी उनके नाम कई सारे लैंडमार्क केसेज हैं:So, one can heave a sigh of relief. The govt has finally issued the notification appointing the seniormost judge Justice Ranjan Gogoi as the next Chief Justice of India with effect from 3rd October. Looking forward to a tough, no nonsense Supreme Court https://t.co/P1a2Zk8N0C
— Prashant Bhushan (@pbhushan1) September 13, 2018
- असम में हो रहे नैशनल रजिस्टर ऑफ सिटिजन्स (NRC) के साथ रंजन गोगोई का नाम जुड़ा है. 2013 में सुप्रीम कोर्ट के अंदर एक याचिका दाखिल हुई थी. इसकी सुनवाई का जिम्मा रंजन गोगोई और जस्टिस रोहिंटन नरीमन को मिला. इसके बाद सुप्रीम कोर्ट की ही देख-रेख में NRC का काम आगे बढ़ रहा है. इसका पहला ड्राफ्ट आ चुका है.
- सरकारें अपनी योजनाओं को चुनावी फायदे के लिए खूब भुनाती हैं. पोस्टर-होर्डिंग्स में योजना का नाम होगा और साथ में पार्टी नेताओं की तस्वीरें लगी होंगी. 2015 में सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि सरकार के फंड से जो विज्ञापन किया जाएगा, उसमें बस राष्ट्रपति और प्रधानमंत्री की ही तस्वीरों का इस्तेमाल कर सकते हैं. जिस बेंच ने ये ऑर्डर दिया, उसमें जस्टिस गोगोई और जस्टिस पी सी घोष थे.
- मार्च 2015 में जस्टिस गोगोई और जस्टिस नरीमन की बेंच ने फैसला दिया कि जाट समुदाय को पिछड़ा स्टेटस नहीं दिया जा सकता. यूपीए सरकार ने 2014 के लोकसभा चुनाव से पहले कुछ राज्यों में जाटों को बैकवर्ड स्टेटस दे दिया था. गोगोई और नरीमन की बेंच ने कहा कि जाट बस 'स्वघोषित' पिछड़े हैं.
- सुप्रीम कोर्ट के पूर्व जज मार्कण्डेय काटजू के पास कोर्ट की अवमानना का नोटिस पहुंचा. ये पहली बार था कि सुप्रीम कोर्ट में जज रह चुके किसी इंसान को इस तरह का समन मिला था. सौम्या मर्डर केस में सुप्रीम कोर्ट के फैसले पर काटजू ने फेसबुक पर खूब भला-बुरा लिखा. सुप्रीम कोर्ट की तरफ से उनको कहा गया कि वो अदालत में आएं और कोर्ट के फैसले पर सबके सामने बहस करें. बताएं कि इसमें क्या खामी है. काटजू सुप्रीम कोर्ट में हाजिर हुए. जस्टिस गोगोई ने काटजू की कुछ और फेसबुक पोस्ट्स की फोटोकॉपी निकलवाई हुई थी. उसके कुछ हिस्से अंडरलाइन करके उन्होंने अटॉर्नी जनरल मुकुल रोहतगी को थमाया और कहा- जरा पढ़िए इसे. काटजू चिढ़ गए. बोले- मुझे धमकाइए मत. गोगोई बोले- हमें उकसाइए मत. वरना कहीं हमें आपके बाकी फेसबुक पोस्ट्स पर भी संज्ञान न लेना पड़े.
- जनवरी 2018 में सुप्रीम कोर्ट के चार जजों ने एक प्रेस कॉन्फ्रेंस की. कहा कि उन्हें चीफ जस्टिस दीपक मिश्रा के तौर-तरीकों से ऐतराज है. किस केस की सुनवाई किस बेंच को सौंपनी है, जैसी अहम चीजें जिस तरह से दीपक मिश्रा तय कर रहे हैं, उसमें तानाशाही का अंदाज है. इन चारों जजों में से एक जज जस्टिस रंजन गोगोई भी थे. प्रेस कॉन्फ्रेंस के आखिर में वो बोले- हम यहां देश का कर्ज चुकाने आए हैं.
- किसी ने सुप्रीम कोर्ट में एक याचिका डाली. फिर जब उसपर सुनवाई का टाइम आया, तो उसे वापस ले लिया. जस्टिस गोगोई ने उसके ऊपर पांच लाख का जुर्माना लगाया. उनका कहना था कि याचिकाकर्ता ने कोर्ट का कीमती वक्त बर्बाद किया है. उसकी याचिका की वजह से जज को 800 पन्ने पढ़ने पड़े. इतनी मेहनत और इतना वक्त किसी और जरूरी केस को सुनने में खर्च हो सकता था. जुर्माना लगाने वाला ये शायद सुप्रीम कोर्ट में पहला ऐसा केस था. 2017 में गुवाहाटी में आयोजित एक प्रोग्राम में बोलते हुए उन्होंने ऐसा ही कुछ कहा भी था-
पेंडिंग पड़े केसों के अंबार ने भारत की न्यायिक प्रक्रिया को जकड़ा हुआ है. इसकी वजह से दुनिया में हमारी छवि खराब हो रही है.

जूडिशरी में सुधार की सख्त जरूरत है. जिला और हाई कोर्ट्स में ही ढाई करोड़ से ज्यादा केस पेंडिंग हैं. कई हाई कोर्ट्स में जजों की सीटें खाली हैं.
रंजन गोगोई बतौर जज अपने शुरुआती दिनों से ही अदालत का वक्त बचाने, पेंडिंग मामलों को तेजी से निपटाने की कोशिश करते आए हैं. दीपक मिश्रा से पहले CJI रहे टी एस ठाकुर तो एक प्रोग्राम में बोलते वक्त इस बात पर रो दिए थे. उस मंच पर प्रधानमंत्री मोदी भी मौजूद थे. बहुत दिन से न्यायपालिका में सुधार करने की बात चल रही है. ये सुधार सिस्टम के अंदर से होना होगा. रंजन गोगोई तो फिर 'रिफॉर्म' से बढ़कर 'क्रांति' की बात करते हैं. उनसे उम्मीद तो होगी ही.
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