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कौन हैं सुरेश चव्हाणके, जो जेल गए बिना रिहा होने पर बरनॉल दे रहे हैं

'स्वर्ग का रास्ता' दिखाने पर आप इंडिया टीवी को कोसते रह गए और इधर सुदर्शन न्यूज बाजी मार ले गया.

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विशाल
15 अप्रैल 2017 (Updated: 14 अप्रैल 2017, 04:50 AM IST) कॉमेंट्स
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सुदर्शन न्यूज के एडिटर और चीफ मैनेजिंग डायरेक्टर सुरेश चव्हाणके को यूपी पुलिस ने 13 अप्रैल को लखनऊ एयरपोर्ट से गिरफ्तार किया. गिरफ्तारी से कुछ ही घंटे पहले चव्हाणके ने संभल के एक धार्मिक स्थल पर जाकर जल चढ़ाने का एलान किया था, जिस पर स्थानीय कांग्रेसी नेता इतरत हुसैन ने उनके आने पर हमले की धमकी दी. चव्हाणके को समुदायों के बीच नफरत फैलाने, सांप्रदायिक माहौल बिगाड़ने, धार्मिक भावनाओं को ठेस पहुंचाने और चैनल के जरिए अफवाह फैलाने के आरोप में गिरफ्तार किया गया. उन्होंने जमानत न लेने का फैसला किया, जिसके बाद कोर्ट ने उन्हें 14 दिनों की न्यायिक हिरासत में भेज दिया, लेकिन 14 अप्रैल की शाम तक चव्हाणके रिहा हो गए. ऐसा पहली बार हुआ, जब किसी चैनल प्रमुख को सांप्रदायिकता के आरोप में अरेस्ट किया गया हो.

रिहा होने के बाद चव्हाणके का फेसबुक पोस्ट:

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क्यों अलग है चव्हाणके का मामला

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धर्म और राष्ट्रवाद की बहस के दौर में चव्हाणके का मामला अलग नहीं दिखता, लेकिन ऐसा पहली बार हुआ है, जब किसी मीडिया संस्थान के शीर्ष अधिकारी को सांप्रदायिकता के आरोप में गिरफ्तार किया गया हो. किसी संपादक ने संभवत: पहली बार धार्मिक स्थल पर 'चढ़ाई' करने का शिगूफा शुरू किया. यह भी पहली बार हुआ, जब किसी ब्रॉडकास्ट कमेटी के बजाय पुलिसवालों ने न्यूज चैनल के कॉन्टेंट पर आपत्ति जताई हो. चव्हाणके खुद बाकी मीडिया की क्रेडिबिलिटी पर सवाल उठाते हैं, जबकि वह खुद सांप्रदायिकता के घेरे में हैं.

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इस दौर में अगर कोई 'देशसेवा करने के लिए चैनल खोलने का दावा' करता है, तो यह विरोधाभासी है. नेताओं की तरफदारी करने पर हम बड़े-बड़े पत्रकारों की लानत-मलानत करते हैं, लेकिन अगर कोई मीडिया संस्थान ही सियासी जुबान में बात करने लगे, तो आपको गंभीर होने की जरूरत है. रिहाई के बाद चव्हाणके का फेसबुक पोस्ट अपने-आप में काफी कुछ बयां कर रहा है.

कौन हैं सुरेश चव्हाणके

शिरडी में पैदा हुए सुरेश चव्हाणके 12 साल से सुदर्शन न्यूज नाम का चैनल चला रहे हैं. ये चैनल पहले पुणे से ऑपरेट होता था, जिसे बाद में नेशनल चैनल बनाकर नोएडा लाया गया. चव्हाणके की उम्र 45 साल है. इनका दावा है कि तीन साल की उम्र में ही इन्होंने RSS जॉइन कर लिया था, जिसके बाद ये 20 सालों तक संघ शाखाओं में जाते रहे. वहां रहते हुए इनका संघ के कई बड़े नेताओं से संपर्क हुआ. बाद में ABVP जॉइन करके पॉलिटिक्स में एक्टिव हो गए.

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चव्हाणके के बारे में अधिकतर जानकारी चैनल शुरू होने के बाद की है. इससे पहले की जानकारी के अलग-अलग वर्जन हैं. दावा है कि शिरडी में रहते हुए ये एक टेंट हाउस में काम करते थे और इनके पिता शिरडी मंदिर के बाहर फूलों की दुकान चलाते थे. सुदर्शन न्यूज का एक सीनियर स्टाफ इसका उलट बताता है. उनके मुताबिक, 'अगर कोई इतना गरीब होता, तो इतनी जल्दी इतना बड़ा चैनल कैसे खड़ा कर लेता. वह संपन्न परिवार से थे.' सुदर्शन न्यूज में कुछ साल पहले काम कर चुके एक पत्रकार दोनों ही बातों को गलत बताते हैं कि वह अधिकांश लोगों की तरह निम्न मध्यमवर्गीय परिवार से हैं.

सुदर्शन न्यूज के नाम के पीछे दावा किया जाता है कि पूर्व संघ प्रमुख केएस सुदर्शन से अपने संबंध और प्रगाढ़ करने के लिए चव्हाणके ने चैनल का नाम सुदर्शन न्यूज रखा, जबकि इनके करीबी बताते हैं कि चैनल का नाम इनके छोटे बेटे के नाम पर है. इस विवाद पर 2005 में राम माधव को सफाई देते हुए कहना पड़ा था कि सुदर्शन न्यूज संघ का चैनल नहीं है. माधव मूलत: संघ कार्यकर्ता हैं, जो अभी बीजेपी में जनरल सेक्रेटरी के पद पर हैं.

पहले भी विवादों में रहे हैं चव्हाणके

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पिछले साल नवंबर में सुदर्शन न्यूज में 6 सालों से काम कर रही एक महिला कर्मचारी ने चव्हाणके पर यौन शोषण का आरोप लगाया था. लड़की के मुताबिक चव्हाणके उसका यौन शोषण करते थे और चव्हाणके के कहने पर जब वह आसाराम के बेटे नारायण सांई का इंटरव्यू लेने गई, तो वहां भी उसके साथ यौन शोषण हुआ. इस मामले में कुछ वीडियो भी सामने आए थे, जिनमें चव्हाणके के ऑफिस केबिन में छिपा हुआ बेडरूम दिखाया गया. इस मामले में FIR के बावजूद काफी वक्त तक चव्हाणके पर कोई एक्शन नहीं लिया गया.

योगगुरु रामदेव जब दिल्ली के रामलीला मैदान से महिलाओं के कपड़ों में भागे थे, उसके बाद चव्हाणके के उनसे मिलने के लिए हरिद्वार जाने का दावा किया जाता है. एक सूत्र के मुताबिक इन्होंने रामदेव से यह कहकर पैसे लिए थे कि कांग्रेस के खिलाफ और रामदेव के हक में खबर दिखाने की वजह से कांग्रेस ने उनके चैनल को कानूनी लपेटे में ले लिया. हालांकि, चव्हाणके के करीबी इससे इनकार करते हैं.

इस बार का विवाद क्या है

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चव्हाणके की गिरफ्तारी में मदद करने वाली लखनऊ की इंस्पेक्टर सुधाकर पांडेय ने बताया, 'संभल पुलिस की टीम ने हमसे सुरेश की गिरफ्तारी के लिए मदद मांगी थी. उन पर आरोप है कि सुदर्शन न्यूज के कार्यक्रम 'बिंदास बोल' में दो संप्रदायों के बीच दुश्मनी पैदा करने वाले आपत्तिजनक बयान और तथ्य दिखाकर लोगों की भावनाएं भड़काने की कोशिश की गई. 6, 7 और 8 तारीख को टेलिकास्ट हुए इन कार्यक्रमों के बाद चव्हाणके ने लोगों के एक बड़े समूह के साथ संभल जाकर एक धार्मिक स्थल पर जल चढ़ाने का एलान किया. माहौल बिगड़ने की आशंका के चलते इन्हें अरेस्ट किया गया.'

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संभल में 29 मार्च को भीड़ ने पुलिस पर हमला करते हुए कुछ पुलिसकर्मियों को बंधक बना लिया था, जिसके बाद से पुलिस लगातार वहां माहौल शांत करने की कोशिश कर रही है. भीड़ की इस हरकत के बाद सुदर्शन न्यूज पर संभल की तुलना कश्मीर से की गई. चव्हाणके का मामला देखने वाले IPS रविशंकर छब्बी के मुताबिक सुदर्शन न्यूज पर चलने वाले कॉन्टेंट की वजह से माहौल खराब हो सकता है. इस मामले में चव्हाणके के खिलाफ भड़काऊ बोलने की वजह से इतरत हुसैन बाबर को भी गिरफ्तार किया गया है.

सीएम योगी और डिप्टी सीएम मौर्या को भी लपेटा

गिरफ्तारी के समय चव्हाणके ने बयान दिया था कि अभी मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को उनकी गिरफ्तारी के बारे में पता नहीं है. हालांकि, इस बात से उनका आशय पूरी तरह स्पष्ट नहीं हो पाया, क्योंकि उन्होंने इसके अलावा कुछ नहीं कहा. साथ ही, उन्होंने अपने फेसबुक अकाउंट पर वह लेटर पोस्ट किया, जो उन्होंने गिरफ्तारी के बाद डिप्टी सीएम केशव प्रसाद मौर्य को लिखा था. इसमें वह ओवैसी का हवाला देते हुए कह रहे हैं कि देश के खिलाफ बोलने वाले लोग जब बाहर घूम सकते हैं, तो राष्ट्रवाद की बात करने पर उन्हें जेल में क्यों डाला जा रहा है.

देखिए चव्हाणके की पोस्ट:

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क्या दिखाया गया चैनल पर

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अपनी कट्टर हिंदूवादी छवि प्रदर्शित करने वाले चव्हाणके ने 'बिंदास बोल' प्रोग्राम में 'कश्मीर बनाने की साजिश', 'संभल का रावण राज', 'हरि मंदिर का सच, जामा मस्जिद का झूठ' जैसे कई पैकेज चलाए गए. इस विवाद से पहले भी चैनल पर कई बार आपत्तिजनक प्रोग्राम दिखाए जाने का दावा किया गया.

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साथ ही, हामिद अंसारी के झंडे के अपमान पर भी चैनल की कवरेज की आलोचना हुई. अपने चैनल की वेबसाइट पर वह पोल चलाकर लोगों से पूछते हैं कि उन्हें संभल जाना चाहिए या नहीं और मस्जिद हिंदुओं को मिलनी चाहिए या नहीं.

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क्या कह रहे हैं चव्हाणके

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ट्विटर के अपने इंट्रो में 'जेहादी मीडिया के खिलाफ सपोर्ट मांगने वाले' चव्हाणके सोशल मीडिया पर योगी आदित्यनाथ के साथ नजर आते हैं. उनके सहयोगी उनकी तुलना योगी आदित्यनाथ से करते हैं. उनके मुताबिक, 'जिस तरह 2007 में सही बात कहने के लिए योगी आदित्यनाथ को जेल जाना पड़ा था, उसी तरह आज चव्हाणके को सही बात कहने के लिए जेल जाना पड़ा है. अगर सही बात कहना आक्रमकता है, तो हम आक्रामक हैं और हम यह करते रहेंगे.'

https://twitter.com/SureshChavhanke/status/852883788430364672 रिहाई के बाद चव्हाणके के ट्विटर हैंडल से एक पोस्ट

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