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कोरे काग़ज़ से समझाएंगे eBiz.com की 'अपने नीचे दो जोड़ो' वाली 5000 करोड़ की धोखाधड़ी

MLM (मल्टी लेवल मार्केटिंग) में कितनी ही ईमानदारी बरती जाए, तर्क कहता है कि ये सफल हो ही नहीं सकती.

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लाल गोले में जिस शख्स का चेहरा है वही है पवन मल्हान, अपना कुछ प्लान समझा रहा है मनमोहन सिंह को
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सुमित
29 अगस्त 2019 (Updated: 29 अगस्त 2019, 08:50 AM IST) कॉमेंट्स
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20 अगस्त 2019 दिन मंगलवार. नोएडा के सेक्टर 63 से दो गिरफ्तारियां हुईं. इनमें से एक हैं पवन मल्हान, दूसरे हैं उनके बेटे हितिक मल्हान. ये गिरफ्तारियां क्यों हुईं इसके पीछे है एक गणित. मल्टी लेवल मार्केटिंग का आर्टिस्टिक मैथ है. ये जो दो लोग गिरफ़्तार हुए हैं ये जनता को गणित समझाते हैं. इनके आंकड़े इतने सपनीले होते हैं कि सपनों की इस गुणा भाग में लाखों लोगों की जेब का गणित गड़बड़ा जाता है. मल्टी लेवल मार्केटिंग. MLM. कुछ लोग इसे पिरामिड स्कीम भी कहते हैं. गणित की ये कला समझने के लिए आपको एक काम करना होगा.

अगर मैं आपसे कहूं कि आपके आस-पास फेंका हुआ कोई भी सादा काग़ज़ आपको चांद पर पहुंचा सकता है तो? और ये मुमकिन है. कैसे? एक सादा काग़ज़ हाथ में लीजिए. अगर लेखक टाइप हैं तो अपनी लिखी हुई कोई कविता ले लीजिए. जिस कविता ने आपको साहित्य अकादमी और नोबेल तक नहीं पहुंचाया आइए उससे चांद पर चलते हैं.

अगर एक सामान्य काग़ज़ के टुकड़े को 45 बार मोड़ दें तो ये उतनी ही उंचाई होगी जिससे आप चांद पर पहुंच सकते हैं. और सिर्फ़ पहुंच ही नहीं सकते, वापस भी आ सकते हैं. 46वीं बार में वापस भी आ सकते हैं. तीन लाख चौरासी हज़ार किलोमीटर.

आपको अपनी कल्पनाओं में क्या दिख रहा है? एक अदना सा काग़ज़, चांद, एक पूरी नई दुनिया. कितना आसान है चांद पर पहुंचना. लेकिन आज तक कोई काग़ज़ मोड़कर चांद तक काहे नहीं पहुंच गया भाई. यही सवाल है आपका न?

हाथ कंगन को आरसी क्या, पढ़े लिखे को फ़ारसी क्या? ख़ुद करके देखिए. दुनिया का सबसे लंबा काग़ज़ भी एक बार मोड़ने पर आधा हो जाएगा. दूसरी बार में चौथाई और तीसरी बार में आपके पास काग़ज़ का महज़ आठवां हिस्सा बचेगा. यही इस गणित की कला है. कोई भी काग़ज़ आठ या दस बार से ज़्यादा नहीं मोड़ा जा सकता. अगर मोड़ा जा सकता तो वाक़ई ऐसा हो सकता है.


पवन मल्हान को बाक़ायदा भारत के युवाओं का प्रेरणा स्रोत तक बताया गया है
पवन मल्हान को बाक़ायदा भारत के युवाओं का प्रेरणा स्रोत तक बताया गया है

# क्या करते थे पवन मल्हान

ये साहब भी लोगों को काग़ज़ मोड़कर चांद पर भेजते थे. मल्टी लेवल मार्केटिंग कंपनी eBiz.com प्राइवेट लिमिटेड चलाते थे. ईबिज़ MLM करने वाली बेहद मशहूर कंपनी है. 2001 में शुरू हुई ये कंपनी पहले लोगों को ट्रेवेल पैकेज बेचती थी. धीरे-धीरे कंपनी ने ऑनलाइन एजुकेशनल कोर्स बेचना शुरू किया. 2009 में कंपनी इस ऑनलाइन कोर्स की फ़ीस लेती थी सात हज़ार रूपए. अब 2019 में कंपनी लगभग 16 हज़ार रूपए लेती है. इसमें आपको कुछ सामान भी मिलते हैं.


लाखों युवाओं की भीड़ को सपने दिखाने वाले ने पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह को जाने क्या बताया होगा
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# तो इसमें ग़लत क्या है

पैसा लेकर सामान देने में कोई बुराई नहीं है. लेकिन इस सामान के साथ कंपनी देती है एक मौक़ा. चांद पर पहुंच सकने टाइप का मौक़ा.

आपको कंपनी बताती है एक चेन सिस्टम के बारे में. और इस सिस्टम के आख़िर में रखा होता है सबका अपना-अपना चांद. 2010 में ये चांद हुआ करता था 24 लाख रूपए. इसे काग़ज़ मोड़कर हासिल किया जा सकता था.


ये भी उसी टाइप का काग़ज़ है जिसे मोड़ने पर चांद पर पहुंचा जा सकता है
ये भी उसी टाइप का काग़ज़ है जिसे मोड़ने पर चांद पर पहुंचा जा सकता है

# कैसे?

एक आदमी को कंपनी से सामान ख़रीदने के बाद दो और लोगों को कंपनी का ग्राहक बनाना है. और जो आप करेंगे वही उन दो लोगों से भी कराएंगे. अब वो दो लोग भी दो दो लोग जोड़ेंगे. कंपनी बताती है कि ये सिलसिला चलता जाएगा. आपको पूरी ज़िंदगी सिर्फ़ दो लोगों को जोड़ना है. वो दो लोग कैसे दो दो लोग और जोड़ेंगे, ये उनकी टेंशन है.

ज़ाहिर सी बात है कि जैसे आपने जोड़े वैसे ही जोड़ेंगे. इसके बदले आपको कंपनी कुछ कमीशन देती है. और इसमें चांद बात ये है कि आपके जोड़े लोग भी जब तक लोग जोड़ते रहेंगे आपको कमीशन मिलता रहेगा.


आप दो को जोड़ो, वो अगले दो को जोड़ेगा और फिर ये सिलसिला चलता रहेगा
आप दो को जोड़ो, वो अगले दो को जोड़ेगा और फिर ये सिलसिला चलता रहेगा

# लेकिन कब तक?

किसी भी MLM कंपनी से जुड़ने के बाद आप अपने आस-पास देखते हैं. आपको दो लोग चाहिए. ये दो लोग कौन होंगे? आपके दोस्त होंगे. आपके रिश्तेदार होंगे. और वो आपके साथ क्यों आएंगे? क्योंकि उन्हें भी काग़ज़ मोड़कर चांद पर जाना है. अब उनके सामने भी वही सवाल होगा? दो लोग. याद रखिए दुनिया का सबसे लंबा काग़ज़ भी सिर्फ़ दस बार ही मोड़ा जा सकता है. संभावनाएं सीमित हैं. और यही सीमित संभावनाएं आपको एक ‘डेड सेल’ में बदल देती हैं. डेड सेल मतलब वो ग्राहक जो अब कंपनी के किसी काम का नहीं है. यही होता है डेड सेल के दोस्तों और रिश्तेदारों के साथ. फिर आती है जवाबदेही. अब जवाब दीजिए उन्हें जिनके पैसे आपने कुछ दिन पहले MLM में लगवाए थे.


दिल्ली हाईकोर्ट में बाक़ायदा इस कंपनी पर मुक़दमा भी चला है
दिल्ली हाईकोर्ट में बाक़ायदा इस कंपनी पर मुक़दमा भी चला है

# eBiz की जवाबदेही पर भी सवाल उठे थे

MLM कंपनी eBiz के मालिक पवन मल्हान 20 अगस्त 2019 को 5000 करोड़ की धोखाधड़ी के आरोप में गिरफ़्तार किए गए हैं. साथ ही उनका बेटा भी गिरफ़्तार हुआ है. पवन मल्हान को प्राइज़ चिट्स एंड मनी सर्कुलेशन स्कीम्स ऐक्ट 1978 के तहत गिरफ़्तार किया गया है. पवन के ख़िलाफ़ IPC 406, 420 और 506 का मुक़दमा लिखाया गया है. पवन मल्हान के दो दफ़्तर हैं नोएडा और हैदराबाद में, और दोनों को सीज़ कर दिया गया है. बैंक खाते भी सील किए गए हैं.


गंदा है पर धंधा है ये
गंदा है पर धंधा है ये

# लेकिन ऐसा पहली बार नहीं हुआ है

MLM कंपनी eBiz के मालिक पवन मल्हान पहली बार जेल नहीं गए हैं. 20 जनवरी 2016 को फाइनेंशियल ऐक्ट के सेक्शन 91 और 89 के तहत भी जेल जा चुके हैं. तब मामला था 17 करोड़ के सर्विस टैक्स घोटाले का.

दिल्ली हाईकोर्ट ने 1 सितंबर 2016 को दिए अपने फ़ैसले में कहा था कि पवन मल्हान की गिरफ़्तारी के लिए सबूत काफ़ी नहीं थे. कोर्ट ने DGCEI माने डायरेक्टर जनरल ऑफ़ सेंट्रल एक्साइज़ इंटेलिजेंस को eBiz कंपनी को ही एक लाख रूपए देने का आदेश दिया था.


केस चलते रहे काम होता रहा
केस चलते रहे काम होता रहा

# इस बार क्या हुआ है?

MLM में डेड सेल वाला कॉन्सेप्ट आपने ऊपर समझ ही लिया है. ऐसे ही किसी डेड सेल ने eBiz के ख़िलाफ़ शिकायत की थी. कहा था कि कंपनी ने जो सपने दिखाए वो पूरे नहीं हुए और अब कंपनी पैसा वापस भी नहीं कर रही है.


क्या पुलिस, क्या नेता, क्या ऐक्टर ...सबको साध रखा था पवन मल्हान ने
क्या पुलिस, क्या नेता, क्या ऐक्टर ...सबको साध रखा था पवन मल्हान ने

भारत सपनों का देश है. टीवी पर दिखाया जा रहा विज्ञापन आपको दिन-रात कोंचता रहता है. बढ़िया घर, घर में गाड़ी और बाल्कनी से दिखता समंदर. किसे नहीं चाहिए. यही हमारे वक़्त का चांद है. और इस तक पहुंचने का जो काग़ज़ी रास्ता ये कंपनियां दिखाती हैं वो असंभव है. कैसे ?


ये है वो काग़ज़ी चांद जिसे पाना लगभग असंभव है
ये है वो काग़ज़ी चांद जिसे पाना लगभग असंभव है

एक और उदाहरण से समझिए.

मान लीजिए मेरे पास 70 लाख का एक 4 बीएचके घर और बीस लाख की गाड़ी है (मानने को कहा है, है थोड़ी न). हां तो अब मैं आपसे कहता हूं कि मुझे सिर्फ़ तीस दिन तक अगर आप महज़ एक रुपया दें तो मैं ये सब कुछ आपके नाम कर दूंगा.

चांद नज़दीक लग रहा है न? चलिए एक काग़ज़ी शर्त भी रख देता हूं. आप हर दिन मुझे पिछले दिन से दोगुना पैसा देंगे. माने पहले दिन एक रुपया तो दूसरे दिन दो और तीसरे दिन चार रुपया. अब?

पूरी ज़िंदगी सिर्फ़ दो लोगों को कंपनी से जोड़ने वाली शर्त जैसा आसान लग रहा है न. अब आइए इस गणित की कला से पर्दा उठाते हैं.

कैलकुलेटर उठाइए. अगर ना हो तो मोबाइल में लगा दीजिए.

अगर हर दिन आप मुझे एक रूपए के हिसाब से पिछले से दोगुना पैसा देंगे तो तीसवें दिन ये हिसाब होगा 53 करोड़ 68 लाख 70 हज़ार नौ सौ बारह रुपए.


वो काग़ज़ की कश्ती, वो बारिश का पानी
वो काग़ज़ की कश्ती, वो बारिश का पानी

# दिमाग़ के तोते उड़ गए न?

साल 2010 में जब मैंने eBiz में अपना उधार लिया हुआ पैसा लगाया था, तब मुझे इस गणित की कला समझाने वाला कोई नहीं था. मुझे भी अपना चांद क़रीब, बेहद क़रीब नज़र आ रहा था. बस काग़ज़ मुड़ने की देर थी.

मैंने अपने बचपन के दोस्त खो दिए. रिश्तेदारियों में बुरा हुआ. होने को हो मैं और भी बहुत कुछ सकता था. बहुत कुछ पढ़कर बहुत कुछ हो सकता था. लेकिन मैंने eBiz की गणित पढ़ी और इनके धोखे का शिकार हुआ.

इस वक़्त सिर्फ़ eBiz.com में 17 लाख मेम्बर्स हैं. ऐसी अनगिनत MLM कंपनियां हैं. ये नए भारत की नई पौध है. काग़ज़ की कश्ती पर बेरोज़गारी का उफ़नता दरिया पार करने की कोशिश करते नौजवान.




वीडियो देखें:

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