गोरखपुर का ये योगी दुनिया में योग का पहला ब्रांड अंबेसडर बना
विराट कोहली के भी प्रेरणास्रोत हैं योगानंद परमहंस.
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फोटो - thelallantop
आजकल योग का मार्केट हाईजैक करने की कोशिश हो रही है. लेकिन इसे दुनिया तक पहुंचाने वाले असली साधु को बहुत कम लोग जानते हैं. उनका नाम है परमहंस योगानंद. ममता कुलकर्णी जो हिरोइन से स्मगलर और फिर पता नहीं कब साध्वी बन गई. उनकी एक किताब आई ऑटोबायोग्राफी ऑफ योगिनी. उनके दिमाग में आइडिया पता है कहां से आया. वो उसी साधु की किताब 'ऑटोबायोग्राफी ऑफ ए योगी'. जी हां, परमहंस योगानंद बाबा ने वेस्ट कल्चर में योगा की डुगडुगी पीटी. भारतीय योग के पहले ब्रांड अंबेसडर के बारे में खास बातें-1- 5 जनवरी 1893 को गोरखपुर उत्तर प्रदेश में पैदा हुए. बचपन का नाम था मुकुंद नाथ घोष.

2- बचपन से सधुक्कड़ी मिजाज के थे. घर से गुरु खोजने निकल गए. 1910 में मुलाकात हुई स्वामी युक्तेश्वर गिरि से. फिर इनकी आध्यात्मिक यात्रा चल निकली. कुछ दिन बाद गुरु ने बताया कि भगवान ने तुम्हें खास काम के लिए भेजा है.

3- 1915 में स्कॉटिश चर्च कॉलेज से इंटर पास किया फिर सीरमपुर कॉलेज से ग्रेजुएशन. उसके बाद अपने गुरु के पास आ गए फुल छुट्टी लेकर. योग और मेडिटेशन की ट्रेनिंग ली.

4- 1917, दिहिका पश्चिम बंगाल में एक स्कूल खोला. वहां मॉडर्न एजूकेशन के साथ योग और मेडिटेशन की पढ़ाई होती थी. एक साल बाद ये स्कूल रांची शिफ्ट हो गया.
5- 1920 में अमेरिका गए. वहां बोस्टन में धार्मिक बुद्धिजीवी की हैसियत से हिस्सा लिया. तभी वहां एक संस्था शुरू की. सेल्फ रियलाइजेशन फेलोशिप के नाम से. जिसमें वही योग और ट्रेडिशनल मेडिटेशन की कला को आगे बढ़ाया गया.

6- इंस्टीट्यूट जम जाने के बाद घूम घूम कर स्पीच देने का काम शुरू किया. इस बीच तमाम फेमस लोग उनके चेले हो गए. जिनमें मार्क ट्वेन की बेटी क्लारा क्लिमेंस भी एक थी.

7- योगानंद पहले साधु थे जिन्होंने भारतीय योग का झंडा यूरोप में ऊंचा किया. 1920 से 1952 तक का लंबा वक्त उन्होने अमेरिका में बिताया. वहां लोग इनको और इनके हुनर को पलकों पर बिठाते थे.

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8- 1935 में घरवापसी हुई. इंडिया लौटे तो अपने इंस्टीट्यूट और गुरु के काम को आगे बढ़ाया. महात्मा गांधी से मिले. गांधी ने उनके संदेश को लोगों तक पहुंचाया. यही वक्त था जब उनके गुरु ने उनको परमहंस की उपाधि दी.

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9- एक साल तक यहां अलख जगाने के बाद लौट गए अमेरिका. आगे चार साल तक यहां रहे. इसी दौरान किताब लिखी- ऑटोबायोग्राफी ऑफ ए योगी.

10- इनकी मृत्यु का किस्सा सबसे दिलचस्प है. धार्मिक आदमी थे ही. मेडिटेशन पर बड़ी रिसर्च भी की थी. इसलिए अपनी मौत का पूर्वाभास भी उनको होने लगा था. 7 मार्च 1952 की शाम. अमेरिका में भारत के राजदूत बिनय रंजन सपत्नीक लॉस एंजिल्स के होटल में खाने पर थे. जिसमें उनके साथ थे योगानंद. इसके बाद बाबा जी की स्पीच थी. दुनिया की एकता पर. वो अपनी स्पीच दे रहे थे. लास्ट में अपनी कविता की चंद लाइने कहीं. जिनमें अपने देश भारत की महिमा गान थी. फिर आंखें आसमान की ओर और देह फर्श पर लुढ़क गई. जो साथी थे उन्होंने इसको महासमाधि कहा.

भारतीय टीम के कप्तान विराट कोहली के प्रेरणा स्रोत भी योगानंद परमहंस ही हैं. विराट कोहली ने इस बारे में खुद 2017 में बताया था
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