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राम मंदिर से पहले 800 करोड़ की लागत वाले जगन्नाथ मंदिर परिक्रमा प्रोजेक्ट का उद्घाटन, विपक्ष का बड़ा आरोप!

800 करोड़ की लागत से बने इस हेरिटेज कॉरिडोर को देखने रोजाना 10 हजार श्रद्धालु आएंगे. विपक्ष का आरोप है कि सरकारी पैसे को सत्ताधारी पार्टी बीजू जनता दल (BJD) के प्रचार के लिए इस्तेमाल किया जा रहा है. क्या है ये परिक्रमा प्रोजेक्ट, विस्तार में जान लीजिए.

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jagannath temple puri parikrama project
ओडिशा का जगन्नाथ पुरी मंदिर (फोटो सोर्स- आजतक)
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शिवेंद्र गौरव
16 जनवरी 2024 (Published: 03:59 PM IST) कॉमेंट्स
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ओडिशा सरकार (odisha government) ने श्री मंदिर परिक्रमा प्रोजेक्ट (shree mandira parikrama project) की विजिट के लिए एक महीने तक रोजाना 10 हजार श्रद्धालुओं को जुटाने की योजना बनाई है. पुरी के प्रसिद्ध जगन्नाथ मंदिर (puri jagannath mandir) के चारों ओर इस हेरिटेज कॉरिडोर को 800 करोड़ की लागत से बनाया गया है. परिक्रमा प्रोजेक्ट का उद्घाटन 17 जनवरी को किया जाएगा. इंडियन एक्सप्रेस अखबार की एक खबर के मुताबिक, ओडिशा की नवीन पटनायक सरकार ने सभी जिलों के कलेक्टरों को 22 जनवरी से हर पंचायत और नागरिक निकाय से पुरी तक भक्तों की नियमित आवाजाही तय करने का निर्देश दिया है. इस उद्देश्य के लिए स्पेशल फंड की भी व्यवस्था की गई है. राज्य में विपक्ष इस प्रोजेक्ट का विरोध कर रहा है. उसका आरोप है कि सरकारी पैसे को सत्ताधारी पार्टी बीजू जनता दल (BJD) के प्रचार के लिए इस्तेमाल किया जा रहा है. ये प्रोजेक्ट क्या है, ओडिशा सरकार के इस कदम की आलोचना क्यों रही है, विस्तार से जानेंगे.

कल, 17 जनवरी से पुरी में श्रद्धालु परिक्रमा प्रोजेक्ट देखने आने लगेंगे. ऐसे में सरकार में पंचायती राज सचिव एसके लोहानी ने कलेक्टरों को एक पत्र लिखा है. इसमें कहा गया है,

"श्री मंदिर परिक्रमा प्रकल्प को देखने के लिए आपके जिले से पुरी तक भक्तों की सुचारू रूप से आवाजाही प्राथमिकता से तय की जाए. मुख्य सचिव ने 12 जनवरी को वीडियो कांफ्रेंसिंग के माध्यम से भी ये बात कही थी."

कलेक्टरों को श्रद्धालुओं की आवाजाही के लिए पर्याप्त संख्या में बसों की आपूर्ति करने के लिए कहा गया है. उनके रहने के लिए ट्रांजिट कैंपों की व्यवस्था की गई है. सारी व्यवस्थाओं की निगरानी करने के लिए एक नोडल ऑफिसर की नियुक्ति की जाएगी और एक कंट्रोल रूम बनाया जाएगा.

ये भी पढ़ें: जगन्नाथ मंदिर में ''बीफ प्रमोटर'' यूट्यूबर की एंट्री का आरोप लगा भाजपा ने बवाल मचाया

एक सीनियर सरकारी अधिकारी ने अख़बार से बात करते हुए कहा,

"परिक्रमा प्रोजेक्ट, जगन्नाथ मंदिर के चारों ओर एक बड़ा इन्फ्रास्ट्रक्चर प्रोजेक्ट है. प्रोजेक्ट का पूरा होना ओडिशा के लिए एक ऐतिहासिक दिन होगा. रोज मंदिर आने वाले लाखों भक्तों के लिए ये एक अच्छा अनुभव होगा. राज्य के लोगों को ये प्रोजेक्ट देखना होगा."

परिक्रमा प्रोजेक्ट क्या है?

मई 2019 में चक्रवात 'फानी' ने ओडिशा में भारी नुकसान किया था. उसके बाद, राज्य की सरकार ने विकास के लिए 42 हजार करोड़ की योजनाओं की घोषणा की थी. राज्य सरकार ने इस पहल को नाम दिया- Augmentation of Basic Amenities and Development of Heritage and Architecture  (ABADHA), यानी बुनियादी सुविधाओं और राज्य की विरासत और वास्तुकला को विकसित करना. इस इनिशिएटिव का उद्देश्य ख़ास तौर पर तीर्थयात्रियों के लिए बेहतर सुविधाएं जुटाना था.

जगन्नाथ पुरी मंदिर की बाहरी दीवारों को 'मेघनाद पचेरी' कहते हैं. इन दीवारों के चारों तरफ, 75 मीटर का एक गलियारा बनाया गया है. यही गलियारा परिक्रमा प्रोजेक्ट है. इस गलियारे का उद्देश्य मंदिर की सुरक्षा व्यवस्था को सुनिश्चित करना है. साथ ही यहां आने वाले भक्तों के लिए कई बुनियादी सुविधाओं की व्यवस्था की गई है. इस प्रोजेक्ट को डेवेलप करने में कुल 800 करोड़ रुपए खर्च किए गए हैं.

प्रोजेक्ट कब शुरू हुआ?

प्रोजेक्ट की शुरुआत से ही इसमें कई रुकावटें आईं. मसलन, प्रोजेक्ट के इलाके से दूसरे इन्फ्रास्ट्रक्चर जैसे सदियों पुराने मठ, रिहायशी और व्यापारिक इमारतें हटाना एक बड़ा काम था. लोगों ने मठों को तोड़ने के विरोध में प्रदर्शन किए. तब पटनायक ने लोगों से अपील की. कहा कि 12वीं सदी के मंदिरों का बलिदान करें. सरकार की तरफ से मुआवजे की भी घोषणा की गई. आखिरकार, 24 नवंबर, 2021 को नवीन पटनायक ने प्रोजेक्ट की आधारशिला रखी. काम शुरू हुआ, लेकिन कोविड के चलते इसमें रुकावट आई. एक और बड़ी बाधा थी- राष्ट्रीय स्मारक प्राधिकरण (NMA) के ड्राफ्ट बाईलॉज़. जिनके मुताबिक, जगन्नाथ मंदिर के आसपास 100 मीटर के इलाके में कोई भी नया निर्माण करने पर रोक है. मंदिर प्रशासन ने केंद्र सरकार से ये बाईलॉज़ वापस लेने का आग्रह किया. इसके बाद NMA ने प्रोजेक्ट के काम को मंजूरी दी.

BJP ने इस प्रोजेक्ट का विरोध किया था. BJP का आरोप था कि इस प्रोजेक्ट ने प्राचीन स्मारक और पुरातत्व स्थल और अवशेष अधिनियम (Ancient Monuments and Archaeological Sites and Remains Act) का उल्लंघन किया है. प्रोजेक्ट पर रोक लगाने की मांग को लेकर सुप्रीम कोर्ट में दो याचिकाएं दायर की गईं. हालांकि शीर्ष अदालत ने न केवल दोनों PIL खारिज कर दीं, बल्कि याचिकाकर्ताओं पर ‘ओछी मुकदमेबाजी’ के लिए 1 लाख रुपए का जुर्माना भी लगाया.

प्रोजेक्ट में क्या ख़ास?

श्री जगन्नाथ मंदिर प्रशासन (SJTA) के मुताबिक,

- परिक्रमा प्रोजेक्ट में बाहरी दीवारों से सटा सात मीटर का हरा बफर जोन है. और पांच मीटर ऊंचा सीढ़ीदार ग्रीन लैंडस्केप भी है.
- देवी-देवताओं की शोभा यात्रा और आम जनता के इस्तेमाल के लिए मंदिर परिसर के चारों तरफ 10 मीटर का रास्ता है.
- बगीचों वाला 14 मीटर का लैंडस्केप ज़ोन है, जिसमें स्थानीय किस्मों के पेड़-पौधे हैं.
- तीर्थयात्रियों के लिए छायादार रास्ते के लिए दोनों ओर पेड़ों से ढका आठ मीटर का बाहरी रास्ता बनाया गया है.
- 10 मीटर चौड़ा सार्वजनिक सुविधा जोन है. जिसमें शौचालय, पीने के पानी के नल, इनफार्मेशन सेंटर और आराम के लिए आश्रय मंडप जैसी सुविधाएं हैं.
- सर्विस व्हीकल्स के पहुंचने के लिए और गलियारे के रखरखाव के लिए 4.5 मीटर की सर्विस लेन बनाई गई है.
- किसी भी तरह की इमरजेंसी की स्थिति में 4.5 मीटर चौड़ी इमरजेंसी लेन बनाई गई है.
- हेरिटेज कॉरिडोर के चारों ओर गाड़ियों की आवाजाही के लिए 7.5 मीटर की ट्रैफिक लेन है.

उद्घाटन कार्यक्रम

एक तरफ अयोध्या में 22 जनवरी को राम मंदिर में रामलला की मूर्ति की प्राण-प्रतिष्ठा होनी है. उसके 5 दिन पहले यानी 17 जनवरी को पुरी मंदिर के इस परिक्रमा प्रोजेक्ट का उद्घाटन रखा है. ओडिशा के मुख्यमंत्री नवीन पटनायक इसका उद्घाटन करेंगे. नवीन पटनायक ने सोमवार, 15 जनवरी को लोगों से अपील की है कि वे जगन्नाथ की भक्ति में शामिल हों. पटनायक ने लोगों से दीये जलाकर, शंख बजाकर, भजन-कीर्तन करके 7 जनवरी के समारोह में शामिल होने की अपील की है. उन्होंने कहा कि ये ओडिशा के लोगों के लिए उत्सव का दिन है.

कार्यक्रम की तैयारियों की निगरानी के लिए सरकार के कई बड़े अधिकारी कई दिनों पहले से पुरी में मौजूद हैं. सरकार ने 17 जनवरी के दिन पूरे राज्य में सरकारी छुट्टी की घोषणा की है. इस दिन सभी सरकारी ऑफिस, स्कूल और कॉलेज वगैरह बंद रहेंगे. ओडिशा के DGP अरुण कुमार सारंगी ने कहा है कि भव्य उद्घाटन समारोह के लिए पुरी में लगभग 80 प्लाटून (3,000 से अधिक सुरक्षाकर्मी) तैनात किए गए हैं. कार्यक्रम इन्हीं सुरक्षा कर्मियों के घेरे में होगा. उद्घाटन कार्यक्रम में शामिल होने के लिए लगभग 1,000 मंदिरों के प्रतिनिधियों को आमंत्रित किया गया है. जगन्नाथ मंदिर की कई टीमों के लोगों को कई राज्यों में निमंत्रण देने के लिए भेजा गया है. नेपाल के पशुपतिनाथ मंदिर को भी निमंत्रण मिला है.

इंडियन एक्सप्रेस अखबार के मुताबिक, परिक्रमा प्रोजेक्ट के अलावा ओडिशा सरकार ने राज्य के कई प्रमुख मंदिरों के विकास के लिए 2,000 करोड़ रुपए की एक और योजना को भी मंजूरी दी है. ज्यादातर मंदिरों का मेकओवर 2024 के आम चुनाव से पहले करने का लक्ष्य रखा गया है.

विपक्ष का क्या कहना है?

ओडिशा के दूर-दराज के गांवों से पुरी तक श्रद्धालुओं के आने के लिए 20 करोड़ रुपए मंजूर किए गए हैं. विपक्ष ने ओडिशा सरकार के इस कदम की आलोचना की है. कांग्रेस और BJP के नेताओं ने आरोप लगाया है कि ये सरकारी खजाने से पैसा खर्च करके सत्तारूढ़ BJD के लिए समर्थन जुटाने की कवायद है.

हिंदुस्तान टाइम्स की एक खबर के मुताबिक, कांग्रेस ने कार्यक्रम में शामिल होने का निर्णय अपने नेताओं के व्यक्तिगत विवेक पर छोड़ दिया है. ओडिशा में कांग्रेस विधायक दल (CLP) के नेता नरसिंह मिश्रा को परिक्रमा प्रोजेक्ट के उद्घाटन में शामिल होने के लिए मंदिर की तरफ से निमंत्रित किया गया. इस पर उन्होंने कहा कि वे परिक्रमा प्रोजेक्ट के उद्घाटन कार्यक्रम का बहिष्कार करेंगे क्योंकि यह BJD का कार्यक्रम बन गया है. उन्होंने कहा,

“जैसे BJP राजनीतिक लाभ के लिए अयोध्या में राम मंदिर का इस्तेमाल कर रही है, वैसे ही BJD भी चुनावी फायदे के लिए जगन्नाथ परिक्रमा प्रोजेक्ट का इस्तेमाल कर रही है. सरकार BJD की चुनावी योजनाओं को आगे बढ़ाने के लिए सरकारी खजाने का पैसा खर्च कर रही है."

नरसिंह मिश्र ने कहा कि प्रोजेक्ट अभी तक पूरा नहीं हुआ है. क्योंकि जिस रिसेप्शन सेंटर को बनाने का वादा किया गया था, वो अभी तक शुरू नहीं हुआ है. एक अधूरे प्रोजेक्ट में शामिल होने का क्या मतलब है.

वहीं BJP ने भी कार्यक्रम में शामिल होने का निर्णय पार्टी नेताओं की निजी इच्छा पर छोड़ दिया है. पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष मनमोहन सामल ने पत्रकारों से बात करते हुए कहा,

"मैं ये आप और राज्य के लोगों पर छोड़ता हूं कि क्या बेहतर रहेगा. राज्य सरकार ने श्रीमंदिर कार्यक्रम को BJD का कार्यक्रम बना दिया है, जो राज्य के लोगों को स्वीकार्य नहीं है."

विपक्ष के कई नेताओं ने भगवान जगन्नाथ की मूर्ति के साथ रथ निकालने और घर-घर जाकर चावल मांगने के लिए भी राज्य सरकार की आलोचना की है. कांग्रेस कैंपेन कमेटी के अध्यक्ष बिजय पटनायक ने कहा,

“भगवान जगन्नाथ के नाम पर लोगों से इकठ्ठा किए गए चावल का इस्तेमाल BJD के लोग दावतों में खाने के लिए कर रहे हैं. मैंने ओडिशा में कई जगह ऐसा देखा है."

बीजेपी सांसद अपराजिता सारंगी ने ट्रॉली, रिक्शा और पिक-अप वैन पर भगवान जगन्नाथ की मूर्ति रखकर शोभा यात्रा निकालने पर सवाल उठाते हुए कहा है कि 'इससे दुनिया भर में लोगों और जगन्नाथ भक्तों की भावनाएं आहत हुई हैं.'

वहीं BJD इस कार्यक्रम को ऐतिहासिक बता रही है. 

वीडियो: BJP ने कामिया जानी पर लगाए 'बीफ प्रमोट' करने के आरोप, जगन्नाथ मंदिर में क्या-क्या हुआ?

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