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कन्हैया लाल हत्याकांड की जांच में जुटी NIA, आतंकी संगठनों के जुड़े होने के मिले संकेत

समय रहते अगर पुलिस एक्शन लेती तो शायद इतनी बड़ी वारदात नहीं होती.

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घटना से पहले कन्हैया लाल की दुकान में मौजूद आरोपी (फोटो: आजतक)
29 जून 2022 (Updated: 29 जून 2022, 01:34 IST)
Updated: 29 जून 2022 01:34 IST
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उदयपुर का नाम लेते ही अब तक जहन में ऐतिहासिक इमारतें आती हैं. यहां की पिचोला झील, सिटी पैलेस, सज्जनगढ़ पैलेस, फतह सागर झील आकर्षित करती है. मानसून के मौसम में तो उदयपुर देसी-विदेशी सैलानियों से पटा रहता है. मगर 28 जून को मजहब के नाम पर हुई एक नृसंश हत्या ने इस शहर के नाम में एक दागदार पन्ना नत्थी कर दिया है. उदयपुर जंक्शन से जब आप बाहर निकलते हैं तो शहर जाने के लिए ऑटो, रिक्शा सब आपस में होड़ किए खड़े रहते हैं. स्टेशन से बमुश्किल 5 किलोमीटर दूर है मालहास स्ट्रीट. पुराने शहर का इलाका. जैसे बाकी शहरों में होता है. भीड़ भाड़, तंग गलियां. हिंदू-मुस्लिम की मिक्स आबादी और यहीं पर कन्हैयालाल की दुकान. सुप्रीम टेलर. जहां कल गला रेतकर कन्हैया लाल की हत्या कर दी गई.  

हत्या के बाद दिनभर पूरे इलाके में कर्फ्यू का सन्नाटा रहा. पुलिस ने दोनों हत्यारे मोहम्मद रियाज अख्तारी और गौस मोहम्मद को 28 जून की शाम राजसमंद से गिरफ्तार कर लिया. उन्हें पूछताछ के लिए रात में ही उदयपुर ले आया गया. सुबह के वक्त शव का पोस्टमॉर्टम किया गया. पहले तो परिजन अंतिम संस्कार के लिए तैयार नहीं हो रहे थे. आखिरकार 31 लाख के मुआवजे और परिजनों को नौकरी का वादा कर समझा-बुझाकर अंतिम संस्कार के लिए तैयार किया गया. सुरक्षा व्यवस्था के लिहाज से पुलिस चाहती थी कि अंतिम संस्कार घर के पास ही कराया जाए. मगर परिजनों के कहने पर श्मशान में अंतिम संस्कार की बात मान ली गई. भारी भीड़ के बीच अंतिम संस्कार हुआ. इस दौरान हत्यारों को फांसी देने के नारे लगते रहे.

पुलिस भी दिनभर एक्शन में एक्शन में नजर आई. राजसमंद के एसपी की तरफ से जानकारी दी गई कि उदयपुर पुलिस ने हत्याकांड के आरोपियों के तीन सहयोगियों को हिरासत में लिया है. जल्द ही पुलिस इस मामले में गैंग के अन्य सदस्यों को गिरफ्तार कर लेगी. मतलब ये कि पुलिस अब उस पूरी चेन की तलाश में है जो इस मानसिकता से जुड़ी हुई है. हम तो नहीं दिखा सकते, लेकिन अगर आपने हत्यारों के कुबूलनामे वाला वीडियो देखा हो तो वो बाकी लोगों से औरों के सिर कलम करने की बात करता है. पुलिस के डीजीपी ML लाथर ने बताया कि शुरू से ही वो इस केस को एक्ट ऑफ टेरर की तरह हैंडल कर रहे हैं.

इस पर सुबह के 11 बजकर 12 मिनट पर HMO यानी गृह मंत्री कार्यालय का ट्वीट आता है. लिखा उदयपुर में श्री कन्हैयालाल तेली जी की हत्या की जांच के लिए गृह मंत्रालय ने नेशनल इन्वेस्टिगेशन एजेंसी NIA को निर्देशित किया है. किसी भी संगठन की संलिप्तता और अंतरराष्ट्रीय लिंक की गहन जांच की जाएगी. खबर ये भी आई कि रात में NIA की टीम दिल्ली से उदयपुर के लिए रवाना हो चुकी थी.  सुबह ही NIA ने केस को टेकओवर कर लिया. NIA वो एजेंसी है जो आतंकी वारदातों की जांच करती है. उन्हें ऐसे मामलों को हैंडल करने की एक्सपर्टीज है.

इसके बाद एक ट्वीट सीएम अशोक गहलोत का भी आया. उनकी तरफ से लिखा गया है कि पुलिस अधिकारियों ने बताया कि प्रारम्भिक जांच में सामने आया कि घटना प्रथम दृष्टया आतंक फैलाने के उद्देश्य से की गई है. दोनों आरोपियों के दूसरे देशों में भी संपर्क होने की जानकारी सामने आई है. इस घटना में मुकदमा UAPA के तहत दर्ज किया गया है इसलिए अब आगे की जांच NIA द्वारा की जाएगी जिसमें राजस्थान ATS पूर्ण सहयोग करेगी. इसके बाद NIA ने नया केस दर्ज किया. हत्यारे रियाज और गौस के ऊपर IPC की धारा 452, 302, 153(A), 153(B), 295(A) & 34 के तहत मुकदमा पंजीकृत हुआ, साथ ही UAPA की धारा 16, 18 & 20 को भी जोड़ दिया गया. UAPA लगने के बाद अब आतंकी ऐंगल की भी जांच शुरू की जा चुकी है. कार्रवाई के भरोसे और विदेशी ताकतों के हाथ के दावे के बीच एक बड़ा बयान राजस्थान के गृहराज्य मंत्री राजेंद्र यादव की तरफ से आया. उन्होंने बताया कि हत्या का एक आरोपी कुछ दिन पाकिस्तान रहकर आया था.

राजेंद्र यादव के मुताबिक गौस मोहम्मद 8 पाकिस्तानी नंबरों के संपर्क में था. वो अरब कंट्रीज और नेपाल भी अलग-अलग मौकों पर जा चुका है. रिजाय राजसमंद के आसिंद का रहने वाला है और 10 भाइयों में सबसे छोटा है. 21 साल पहले वो उदयपुर में रहने आ गया था. रियाज के बारे में जानकारी जुटाने पर पता लगा कि वो उदयपुर के मुस्लिम बाहुल्य इलाके किशन पोल में अपनी पत्नी के साथ रहता था. 12 जून को उसने यहां पर किराये पर कमरा लिया था. हत्या के पहले रियाज ने अपनी पत्नी को किसी दूसरी जगह पर छोड़ दिया था. स्थानीय लोगों के मुताबकि दोनों की दोस्ती नमाज के दौरान हुई थी. गौस मोहम्मद मस्जिद में नमाज पढ़वाता था. दोनों मोहल्ले में आस-पास ही रहते थे. गौस का परिवार भी फरार है. जिसकी तलाश में पुलिस की टीम जुटी हुई है.

अब मामले में कट्टर संगठनों से लिंक की तलाश की जा रही है. दावा किया जा रहा है कि आरोपी मोहम्मद रियाज और ग़ौस मोहम्मद दावते इस्लामी संगठन से जुड़े थे. दावते इस्लामी संगठन खुद को ग़ैर राजनीतिक इस्लामी संगठन बताता है, जो साल 1981 में कराची से शुरू हुआ. भारत में ये संगठन कई साल से सक्रिय है. आरोप है कि शरिया कानून का प्रचार प्रसार करना और उसकी शिक्षा को लागू करना इस संगठन का मकसद है. ये संस्था ऑनलाइन कोर्स भी चलाती है और दावा किया जा रहा है कि दोनों हत्यारे इसमें ऑनलाइन क्लास लेते थे. जिसके बारे में NIA की टीम इस पर गंभीरता से जांच कर रही है.

विवाद कहां से शुरू हुआ था?

10 जून को कन्हैयालाल ने नूपुर शर्मा के समर्थन में सोशल मीडिया पर पोस्ट किया था. शिकायत पुलिस तक पहुंची तो जेल जाना पड़ा. एक दिन जेल में रहने बाद कन्हैयालाल को जमानत मिल गई. सबसे पहले मृतक कन्हैयालाल का विवाद पड़ोसी दुकानदार नसीम से हुआ था. नसीम ने ही कन्हैयालाल के खिलाफ 11 जून को FIR करवाई थी. अब नसीम को भी पुलिस ने हिरासत में ले लिया है. उससे भी पूछताछ हो रही है. मगर यहां पुलिस की भूमिका पर भी सवाल उठ रहे हैं. जेल से छूटने के बाद कन्हैयालाल ने 15 जून को पुलिस को पड़ोसी नाजिम व 4-5 अन्य लोगों के खिलाफ शिकायत धानमंडी थाने में दी. अपनी जान को खतरा बताते हुए शिकायत पत्र में जो लिखा वो सभी को जानना चाहिए. 

यह कि आज से 5-6 दिन पूर्व मेरे बच्चे द्वारा मोबाइल पर इंटरनेट के माध्यम से गेम खेलते समय अचानक फेसबुक पर एक आपत्तिजनक पोस्ट हो गया था. दो दिन पश्चात मेरी दुकान पर दो व्यक्ति आए. उन्होंने फेसबुक पोस्ट के बारे में पूछा तो मैंने बताया, मुझे मोबाइल चलाना नहीं आता है. ये बच्चों के गेम खेलने के लिए है. जिसके बाद उन्होंने पोस्ट डिलीट करा दी और कहा कि आइंदा ऐसा मत करना.

आगे लिखा गया कि 11 जून को धानमंडी थान से फोन आता है कि आपके खिलाफ एक रिपोर्ट दर्ज हुई है. आप थाने आ जाओ. रिपोर्ट नाजिम द्वारा दर्ज कराई गई. वो मेरा पड़ोसी ही था और उसके द्वारा बताया गया कि ये रिपोर्ट उसने समाज के दबाव में आकर करी है. मुझे पता है कि आपको मोबाइल चलाना नहीं आता है, आप पोस्ट कर ही नहीं सकते हैं. उदयपुर पुलिस को लिखे पत्र में कन्हैया ने ये भी बताया कि नाजिम और उसके साथ के 5 लोग तीन दिन से मेरी दुकान की रेकी कर रहे हैं और मुझे दुकान नहीं खोलने दे रहे हैं. सुबह शाम मेरी दुकान के बाहर पांच से सात लोग रोज चक्कर काट रहे हैं और मुझे पता चला है कि वो सब मेरी दुकान खुलते ही मुझे मारने की कोशिश करेंगे. चूंकि नाजिम व इसके अन्य चार-पांच लोगों ने मेरा नाम व फोटो इनके समाज ग्रुप में वायरल कर दिया है और सबको कह दिया है कि ये व्यक्ति अगर कहीं रास्ते पर दिखे या दुकान पर आए तो इसे जान से मार देना, क्योंकि इसने आपत्तिजनक पोस्ट की है.

इसी पत्र में आगे कन्हैयालाल ने पुलिस ने जानमाल की सुरक्षा मांगी और साथ ही नाजिम और उसके साथियों के खिलाफ कार्रवाई की भी मांग की. मगर क्या पुलिस ने सुरक्षा दी ? जवाब है नहीं. पुलिस ने आमने-सामने बिठाकर सुलह कराने का दावा किया. सुलह के बाद एक दूसरे पत्र पर कन्हैयालाल ने हाथ से पुलिस को एक और पत्र लिखा. जिसमें विषय के तौर लिखा गया. कानूनी कार्रवाई नहीं चाहने के बाबत, और लिखा कि आपस में सुलह हो गई है, अब कोई कानूनी कार्रवाई नहीं चाहिए. यहीं पर पुलिस से सबसे बड़ी चूक हो गई. पुलिस ने मामले को गंभीरता से नहीं लिया. अगर पुलिस मौके की नजाकत को समझते हुए कार्रवाई कर देती. कन्हैयालाल को सुरक्षा दी गई होती तो शायद इतनी बड़ी घटना होने से बच सकती थी. इस चूक पर डीजीपी ने ASI और SHO को सस्पेंड कर दिया है.

पुलिस की इतनी कार्रवाइयों के बावजूद अब भी राजस्थान के कई इलाकों में तनाव की स्थिति बनी हुई है. उदयपुर के अलावा कुछ जिलों के संवेदनशील इलाकों में गश्ती बढ़ा दी गई है. जयपुर जैसे कई जिलों में विरोध प्रदर्शन देखने को मिले. मगर सबसे ज्यादा बवाल राजसमंद जिले में हुआ. जहां का मुख्य आरोपी रियाज रहने वाला है. जिस भीम कस्बे से रियाज को पकड़ा गया था. वहां सुबह ही धारा 144 लगा दी गई थी. बावजूद इसके भीड़ इकट्ठा हो गई, उपद्रव हुआ. पत्थराव शुरू हो गया. उपद्रव के दौरान किसी असामाजिक तत्व ने एक पुलिसकर्मी पर धरदार हथियार से हमला कर दिया. हमले में एक पुलिसकर्मी जिनका नाम संदीप चौधरी बताया गया. वो गंभीर रूप से जख्मी हो गए. जिसे इलाज के लिए अजमेर के अस्पताल में रेफर कर दिया गया है. पुलिस ने फिर लाठीचार्ज कर प्रदर्शनकारियों को भगाया और फिर पूरे भीम कस्बे को छावनी में तब्दील कर दिया गया. वहीं शांति व्यवस्था कायम करने की अपील मुख्यमंत्री की तरफ से लगातार की जा रही है और शाम को सर्वदलीय बैठक भी बुलाई गई थी.

राजनीति से इतर ये घटना समाज के लिए सोचने वाली है. कल्पना कीजिए एक फेसबुक पोस्ट के लिए 21वीं सदी के हिंदुस्तान में हत्या हो रही है. किसी ने कुछ ऐसा लिखा जिससे आपकी धार्मिक भावनाएं आहत हुईं, पुलिस से शिकायत की. पुलिस ने कार्रवाई भी की. जेल भी जाना पड़ा, मगर मजहब के नाम पर किसी का गला काट देना? ये हिंदुस्तानी नहीं तालीबानी सोच है. ऐसे हत्यारों के लिए निंदा भी छोटा शब्द है. सोशल मीडिया पर मांग रही है कि फास्ट ट्रैक कोर्ट में केस चलाकर दोनों हत्यारों को फांसी पर चढ़ाया जाए. क्योंकि ये कोई आम घटना नहीं थी. ये आतंकी घटना है, सरकार भी यही मानती है. जिनको भी हत्यारों के प्रति जरा सी भी सहानुभूति होती है, उनका सामाजिक बहिष्कार होना चाहिए. ऐसे कृत्य की बिना किसी लाग-लपेट, बिना किसी IF-BUT के भर्त्सना होनी ही चाहिए. कोई भी सभ्य समाज इसे स्वीकार नहीं कर सकता. इस मामले से जुड़ी जो भी अपडेट होगी हम आप तक पहुंचाते रहेंगे. 

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