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PM मोदी विदेशी दौरों पर जो गिफ्ट ले जाते हैं, उन्हें खरीदता कौन है और पैसे कौन देता?

प्रधानमंत्री अपने विदेशी दौरों पर अपने मेजबान समकक्ष के लिए उपहार लेकर जाते हैं. ये उपहार क्या होगा, ये कौन तय करता है? इसका बजट कौन देता है?

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narendra modi gifts for foreign counterparts
प्रधानमंत्री जिस देश में जाते हैं, अपने समकक्षों के लिए गिफ्ट जरूर ले जाते हैं (India Today)
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राघवेंद्र शुक्ला
10 जुलाई 2025 (Published: 05:22 PM IST) कॉमेंट्स
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दोस्ती में ‘गिफ्ट’ का बड़ा महत्व है. चाहे ये दो व्यक्तियों के बीच हो या दो देशों के बीच. इससे संबंधों में मजबूती आती है. देश के स्तर पर दोस्ती की बात करें तो फिलहाल दुनिया भर में व्यापारिक प्रतिस्पर्धा का जो माहौल है, वहां दोस्त बढ़ाने की जरूरत किसे नहीं है? यही वजह है कि हर देश के नेता एक-दूसरे के ‘घर’ आते-जाते रहते हैं और यह आना-जाना खाली हाथ नहीं होता. ‘मेहमान नेता’ मेजबान के लिए अपने साथ में लाते हैं उपहार यानी गिफ्ट. 

गिफ्ट भी कुछ भी उठाकर नहीं दे देते. उसके पीछे एक गहरी ‘सूझबूझ’ होती है. दोनों देशों की सांस्कृतिक, सामाजिक या ऐतिहासिक साझेदारी को दर्शाने वाले गिफ्ट खोजे जाते हैं. गिफ्ट से दोनों देशों की साझी भावनाएं जुड़ी हों तो इससे उनकी ‘दोस्ती’ और मजबूत होती है. इस पूरी व्यवस्था को अंतरराष्ट्रीय संबंधों की दुनिया में ‘गिफ्ट डिप्लोमेसी’ कहा जाता है.

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कमला प्रसाद बिसेसर को मोदी ने सरयू और महाकुंभ का पावल जल गिफ्ट किया (India Today)
घाना में मोदी

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी गुरुवार यानी 10 जुलाई को 5 देशों की यात्रा से लौटे हैं. सबसे पहले वह घाना गए थे. घाना के राष्ट्रपति को उन्होंने काली चमक और चांदी की जड़ाई वाला फूलदान भेंट किया. यह कर्नाटक के बीदर की स्पेशल कला है. राष्ट्रपति की पत्नी को मोदी ने चांदी के तारों से सजा पर्स गिफ्ट किया. उपराष्ट्रपति को कश्मीर की मशहूर पश्मीना शॉल भेंट की. इसके बाद वह त्रिनिदाद-टोबैगो पहुंचे. उन्होंने वहां की प्रधानमंत्री कमला प्रसाद बिसेसर को राम मंदिर की रेप्लिका भेंट की. 

घाना, त्रिनिदाद के बाद मोदी अर्जेंटीना, ब्राजील और नामीबिया भी गए. अर्जेंटीना के राष्ट्रपति जेवियर माइली को उन्होंने फ्यूचसाइट स्टोन बेस पर हाथ से उकेरा गया चांदी का शेर गिफ्ट किया. वहीं, ब्राजील के राष्ट्रपति लूला द सिल्वा को महाराष्ट्र की पारंपरिक वारली पेंटिंग भेंट की.

ये सब देखकर एक सवाल जो मन में उठता है वो ये है कि पीएम मोदी जो गिफ्ट अपने साथ लेकर जाते हैं उसे खरीदता कौन है? कौन तय करता है कि कहां-किसे क्या देना है? इसका पैसा कहां से आता है?

आपने देखा होगा, पीएम मोदी के उपहार में अक्सर भारतीय हस्तशिल्प और कला से जुड़ी चीजें होती हैं. इसमें भारत के पारंपरिक इतिहास से जुड़े संकेत और संदेश भी जड़े होते हैं. इन्हें चुनने के लिए खासतौर पर अधिकारियों की एक टीम काम करती है. किस देश में कौन सा उपहार कहां से खरीदकर जाएगा, इन सबकी व्यवस्था विदेश मंत्रालय का प्रोटोकॉल डिवीजन करता है. ये उपहार आमतौर पर सीधे हस्तशिल्प केंद्रों या सरकारी सहयोग वाले इंपोरियम से खरीदे जाते हैं.

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जो और जिल बाइडेन के साथ मोदी (India Today)
इन गिफ्ट्स की कीमत क्या होती है? 

सोहम गुर्जर और सिद्धार्थ गोयल नाम के दो व्यक्तियों ने अलग-अलग समय पर RTI डालकर इस संबंध में विदेश मंत्रालय से जानकारी मांगी थी. उनके सवाल थे कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपने विदेशी समकक्षों तथा अन्य नेताओं को जो तोहफे दिए उन पर कितना खर्च हुआ? 

इस पर विदेश मंत्रालय ने ये तो बताया कि गिफ्ट्स सरकारी बजट से खरीदे जाते हैं लेकिन उनकी कीमत क्या होती है, इसका जवाब देने से इनकार कर दिया. मंत्रालय ने कहा,

प्रधानमंत्री तय नियमों के अनुसार विदेशी नेताओं को तोहफे देते हैं. इन तोहफों की खरीद सरकारी बजट से होती है लेकिन इसके खर्च के बारे में जानकारी को सार्वजनिक करना ठीक नहीं होगा क्योंकि इससे भारत और उस विदेशी देश के बीच रिश्तों पर बुरा असर पड़ सकता है. अगर इन तोहफों की कीमत और मात्रा की तुलना की गई, तो इससे गलत मतलब निकाले जा सकते हैं. इससे देशों के बीच अच्छे संबंध बनाने का जो मकसद होता है, वह प्रभावित हो सकता है.

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मोदी ने मैक्रों को चंदन की लकड़ी से बनी सितार की रेप्लिका भेंट की (India Today)

हालांकि, ‘द क्विंट’ में छपी एक रिपोर्ट में विदेश मंत्रालय की इन दलीलों पर सवाल उठाया गया है. रिपोर्ट में दावा किया गया कि प्रधानमंत्री के तोहफों की जानकारी पहले से ही पब्लिक में होती है. भारत सरकार खुद प्रेस रिलीज में यह बताती है कि किसे क्या तोहफा दिया गया है. ऐसे में RTI में इसकी जानकारी न देने का तर्क बेमानी है. दूसरे देशों में ऐसा कोई नियम नहीं है. 

अमेरिका और ब्रिटेन जैसे देश न केवल तोहफों की जानकारी पब्लिक करते हैं बल्कि उनकी कीमत और देने वाले का नाम भी बताते हैं. जैसे, अमेरिका के विदेश विभाग ने 2002 से 2015 तक अमेरिकी राष्ट्रपतियों को मिलने वाले तोहफे का डेटा सार्वजनिक किया है. इसमें ये भी बताया गया है कि अमेरिकी राष्ट्रपति और उनकी पत्नी को भारत के प्रधानमंत्रियों ने क्या-क्या तोहफे दिए और उनकी कीमत क्या थी.

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