The Lallantop
Advertisement
  • Home
  • Lallankhas
  • Mumbai : 6 faced danger due to giloy consumption, is it harmful to health?

क्या कोरोना में गिलोय खाने-पीने से लोगों का लिवर एकदम ख़राब हो जा रहा है?

क्या बताया डॉक्टरों ने?

Advertisement
Img The Lallantop
महाराष्ट्र में 6 ऐसे मामले सामने आए हैं जिनमें गिलोय की वजह से लीवर खराब होने की बात कही गई है. डॉक्टरों की एक टीम ने इन मरीजों पर स्टडी करके यह दावा किया है. फोटो-(विकीपीडिया-कैनवा)
pic
अमित
5 जुलाई 2021 (Updated: 5 जुलाई 2021, 01:56 PM IST)
font-size
Small
Medium
Large
font-size
Small
Medium
Large
whatsapp share
कोरोना के बीच इम्यूनिटी बढ़ाने का बुखार. लोग खानपान के साथ वैकल्पिक चिकित्सा के नुस्खे भी आजमा रहे हैं. ऐसा ही एक नुस्खा है गिलोय (Giloy) के सेवन का. गिलोय आयुर्वेदिक जड़ी है. आराम से मिल जाता है. जूस हो, पाउडर हो या टैब्लेट. हर रूप में उपलब्ध है. ऐसे में लोग इसका रेगुलर सेवन कर रहे हैं. अब खबर आई है कि इसे पीने की वजह से लोग गंभीर रूप से बीमार हो रहे हैं. क्या है पूरा मामला और गिलोय को किन लोगों की जान पर बन गई, क्या गिलोय वाकई में खतरनाक है? इस सारे सवाओं और शंकाओं का समधान करते हैं इस ख़बर में. ख़बर क्या है? गिलोय को लेकर चिंताजनक खबर महाराष्ट्र से आई है. मुंबई में डॉक्टर्स ने पिछले साल सितंबर से दिसंबर के बीच लिवर डैमेज के छह मामले देखे. ऐसे ज्यादातर मरीजों में जॉन्डिस (पीलिया) और लीथार्जी (सुस्ती-थकान से जुड़ा विकार) की समस्या देखी गई. टाइम्स ऑफ इंडिया की एक रिपोर्ट के मुताबिक, डॉक्टर्स ने जब इन मरीजों की मेडिकल हिस्ट्री की पड़ताल की तो एक बात कॉमन निकली. पता चला कि ये सभी टिनोस्पोरा कोर्डिफोलिया का सेवन कर रहे थे. इसे ही आम बोलचाल की भाषा में गिलोय कहते हैं. (अखबार की रिपोर्ट यहां क्लिक
करके पढ़ सकते हैं) गिलोय होता क्या है? गिलोय का पैधा एक बेल की शक्ल में उगता है. इसकी पत्त‍ियां पान के पत्ते की तरह होती हैं. इसे साइंस की भाषा में टिनोस्पोरा कोर्डिफोलिया कहते हैं. आम बोलचाल में इसे गिलोय या गुडुची भी कहा जाता है. इसकी पत्त‍ियों में कैल्शि‍यम, प्रोटीन, फॉस्फोरस और तने में स्टार्च अच्छी मात्रा में होता है. आयुर्वेद में इसके कई फायदे बताए गए हैं. आयुर्वेद के अनुसार, गिलोय इम्यून सिस्टम को बूस्ट करने के साथ-साथ कई खतरनाक बीमारियों से सुरक्षा करता है.
आयुर्वेद के मुताबिक मेटाबॉलिज्म सिस्टम, बुखार, खांसी, जुकाम और गैस्ट्रोइंटसटाइनल समस्या के अलावा भी ये कई बड़ी बीमारियों से रक्षा कर सकता है. लोग उबले पानी में डाल कर, जूस, काढ़ा बना बना कर इसका इस्तेमाल करते हैं. पीलिया के मरीजों को अक्सर गिलोय के पत्तों का जूस पीने की सलाह दी जाती है. कुछ लोग इसे चूर्ण और गोलियों के रूप में लेते हैं. देश भर में कई आयुर्वेदिक औषधि बनाने वाली कंपनियां भी गिलोय से बनी औषधियां बेचती हैं. विशेषज्ञों का क्या कहना है? 'इंडियन नेशनल एसोसिएशन फॉर दि स्टडी ऑफ दि लिवर' में प्रकाशित एक स्टडी में लिवर स्पेशलिस्ट डॉक्टर आभा नागरल ने बताया कि
"एक 62 साल की बुजुर्ग महिला को पेट में तकलीफ के बाद उन्हें अस्पताल में भर्ती कराया गया था. करीब चार महीने तक इस विकार से जूझने के बाद उसकी मौत हो गई थी. यही वो समय था जब हमें बायोप्सी के जरिए पहली बार लिवर में गिलोय से होने वाली इस घातक इंजरी के बारे में पता लगा."
डॉक्टर आभा नागरल ने इस साइड इफेक्ट का कनेक्शन ऑटो इम्यून बीमारियों से जुड़ा हुआ बताया. ये वो बीमारियां होती हैं जिनमें शरीर की प्रतिरोधक क्षमता शरीर के अंदर मौजूद सेल और बाहर से शरीर में प्रवेश किए सेल में फर्क नहीं कर पाती. इनमें टाइप वन डायबीटीज, सिरोसिस जैसे 80 तरह की बीमारियां शामिल हैं. इनके बारे में बताते हुए डॉक्टर आभा नागरल ने कहा कि
"गिलोय में आटो इम्यून गुण होते हैं. अगर इसका सेवन कोई ऐसा मरीज कर ले जो पहले ही किसी ऑटो इम्यून डिजीज़ जैसे टाइप वन डायबीटीज आदि से ग्रसित है तो इससे शरीर में एक खास तरह की प्रतिक्रिया होती है. शरीर की प्रतिरोधक क्षमता अपने अंगों के खिलाफ ही काम करने लगती है. 6 मरीजों में भी ऐसा ही देखने को मिला जहां लीवर की कोशिकाओं के खिलाफ ही ऑटो इम्यून रेसपॉन्स विकसित हो गया था. इससे लीवर को घातक नुकसान पहुंचा है."
ऑटोइम्यून बीमारी मतलब साफ़. वो बीमारी जो शरीर ख़ुद ही पैदा कर देता है. अब कई बार हेल्थ एक्सपर्ट्स ने गिलोय से इम्यूनिटी बेहतर होने की बात कही थी. केंद्र सरकार के आयुष मंत्रालय ने ख़ुद इसकी सिफ़ारिश की थी. आयुष मंत्रालय ने दावा किया था कि SARS-CoV-2 के कारण होने वाली कोरोना की बीमारी के खिलाफ गिलोय इम्यून को बूस्ट कर सकता है. (आयुष मंत्रालय का कोरोना प्रोटोकॉल यहां क्लिक
करके पढ़ सकते हैं.)
इसके अलावा लिवर ट्रांसप्लांट सर्जन डॉक्टर एएस सोइन ने टाइम्स ऑफ इंडिया को बताया,
"गिलोय से लिवर डैमेज होने के वह अब तक पांच मामले देख चुके हैं. लिवर डैमेज के चलते मेरे मरीज की मौत भी हो गई थी. महामारी के दौरान लोग इम्यूनिटी बूस्ट करने के लिए किसी ऑक्सीडेंट के रूप में गिलोय का इस्तेमाल कर रहे थे. दुर्भाग्यवश इसके कारण बहुत से लोगों ने लिवर टॉक्सिटी का सामना किया है. गिलोय का सेवन बंद करने के कुछ महीनों बाद ही मरीजों की रिकवरी हो गई थी."
Liver Pain Covid Care

महाराष्ट्र में जिन मरीजों को लीवर संबंधी दिक्कतें सामने आई हैं उनमें एक ही बात कॉमन है. सबने गिलोय का सेवन किया था. (फोटो-कैनवा) क्या कहते हैं आयुर्वेदाचार्य? हमने इस औषधि के बारे में ज्यादा जानकारी के लिए आयुर्वेदाचार्य और वैद्य से संपर्क किया. देश के जाने माने और पद्मभूषण पुरस्कार से सम्मानित वैद्य देवेंद्र त्रिगुणा ने 'द लल्लनटॉप' को बताया,
"जितना मेरा अनुभव रहा है उस हिसाब से गिलोय का ऐसा कोई नुकसान नहीं होता. गिलोय तो लीवर के लिए फायदेमंद होती है. इससे नुकसान का सवाल ही नहीं है. जहां तक बात रिसर्च और दावे की है तो मुझे नहीं पता उन्होंने किस कंडिशन में किस तरह के मरीजों पर रिसर्च की गई है. 6 मरीजों के आधार पर इस तरह का दावा करना सही नहीं है. गिलोय पर बहुत सारी रिसर्च हुई हैं. ऐसी कोई भी बात सामने नहीं आयी है. लेकिन किसी भी चीज़ को ज्यादा मात्रा में लेने हमेशा नुकसान कर सकता है. अगर किसी को गिलोय लेने पर दिक्कत महसूस होती है तो डॉक्टर से संपर्क करना चाहिए."
वैद्य त्रिगुणा के मुताबिक गिलोय लेने का सही तरीका
# गिलोय का 4 इंच का ताजा तना कूट कर 1 कप पानी में डाल कर 5 मिनट तक उबालें. उसके बाद दिन में एक बार पी सकते हैं. # गिलोय का सत्व भी लिया जा सकता है. इसका रोज 2 रत्ती सेवन किया जा सकता है. # गिलोय घनवटी भी ली जा सकती है. इसकी एक गोली 2 रत्ती की होती है. इसे दिन में एक बार ले सकते हैं. # अगर गिलोय का सेवन करने वाले की उम्र 10 साल से कम है तो डोज़ आधी कर दें.
Giloy Stick
ज्यादातर लोग गिलोय के तने को उबाल कर काढ़ा बनाते हैं और सेवन करते हैं. इसे आयुर्वेद में बहुत कारगर औषधि बताया गया है.

इंटीग्रेटेड मेडिकल एसोसिएशन (आयुष) के राष्ट्रीय अध्यक्ष डॉ. आरपी पाराशर ने द लल्लनटॉप को बताया कि गिलोय का ऐसा कोई भी नुकसान उन्हें देखने को नहीं मिला है. उन्होंने इसका दोष भी एलोपैथिक दवाओं पर डाला. उन्होंने बताया
"कोरोना के दौरान एलोपैथ दवाओं को लेकर कई तरह के प्रयोग मरीजों पर किए गए हैं. लिवर पर इन दवाओं का भारी असर पड़ा है. इनकी बुराइयों को छुपाने के लिए गिलोय पर दोष डाला जा रहा है. गिलोय का ऐसा कोई भी नुकसान नहीं है. इसे लेना पूरी तरह से सेफ है. मैं तो यहां तक कहूंगा कि अगर थोड़ा ज्यादा भी ले ली जाए तो इसका कोई साइड इफेक्ट नहीं होता. यह बरसों से आजमाई हुई औषधि है."
डॉक्टर आरपी पाराशर के अनुसार गिलोय लेने का सही तरीका
# किसी ब्रैंड की गिलोय औषधि लेने से बेहतर है ताजी गिलोय के काढ़े का सेवन किया जाए. # गिलोय की 2-4 इंच के तने को कुचल कर 5 मिनट पानी में उबाल कर काढ़ा बनाएं. इसे दिन में एक से दो बार पी सकते हैं.
बहस लम्बी है. एलोपैथ और आयुर्वेद के बीच का टकराव है ही. लेकिन मिलाजुलाकर एक बात तो हर स्थिति में साफ़ है. अतिरेक से दिक़्क़त होती ही है. इम्यूनिटी बढ़ाइए लेकिन इस चक्कर में शरीर का नुक़सान मत करिए. मार्केटिंग पर मत टिकिए. डॉक्टर या आयुर्वेदाचार्य से सलाह के बाद ही आगे बढ़िए.

Advertisement