The Lallantop
Advertisement
  • Home
  • Lallankhas
  • how mla and mlc get their car stickers and passes from secretariat

श्रीकांत त्यागी ने तो फर्जी लगाया था, असली विधायक वाला स्टीकर कैसे मिलता है?

क्या गाड़ी पर स्टीकर लगा लें तो टोल टैक्स नहीं देना पड़ता?

Advertisement
symbolic image
(दाएं) श्रीकांत के फर्जी स्टिकर की तस्वीर. बाईं तस्वीर सांकेतिक है. (साभार- आजतक)
pic
आस्था राठौर
10 अगस्त 2022 (Updated: 12 अगस्त 2022, 12:11 PM IST)
font-size
Small
Medium
Large
font-size
Small
Medium
Large
whatsapp share

नोएडा के सेक्टर 93 की ग्रैंड ओमैक्स हाउसिंग सोसाइटी में महिला के साथ बदसलूकी का एक वीडियो वायरल हुआ. बदतमीजी कर रहा शख्स था श्रीकांत त्यागी, जो इस घटना के बाद फरार हो गया था. मंगलवार, 9 अगस्त को उसे मेरठ से गिरफ्तार किया गया. बाद में 14 दिन की न्याययिक हिरासत में भेज दिया गया. इस पूरे घटनाक्रम के दौरान एक स्टिकर चर्चा में आ गया. ये स्टिकर उस कार पर लगा था जिससे श्रीकांत को गिरफ्तार किया गया. बताया गया कि ऐसे स्टिकर सचिवालय से विधायकों के लिए जारी किए जाते हैं. 

लेफ्ट से राइट - फर्जी स्टिकर वाली गई और गिरफ्तारी के बाद श्रीकांत त्यागी (सोर्स: पीटीआई) 

लेकिन, श्रीकांत तो विधायक नहीं है, फिर ये स्टिकर उसकी गाड़ी पर कैसे आया? लेकिन बाद में जांच के हवाले से आजतक की रिपोर्ट में बताया गया कि श्रीकांत ने फर्जी स्टिकर गाड़ी पर लगाया था. अब सवाल ये है कि जिस पास या स्टिकर की बात हो रही है, वो आखिर मिलता कैसे है? क्या ये सभी नेताओं को मिलता है और इसके फायदे क्या हैं?

पहले बात स्टिकर/पास की

ऐसे स्टिकर या पास MLAs और MLCs को मिलते हैं. लेकिन ऐसा नहीं है कि विधानसभा या विधान परिषद का सदस्य बनते ही ये ऑटोमेटिकली मिल जाते हैं. इसके लिए एक प्रोसीजर फॉलो करना होता है. फॉर्म भरना, उसमें अपनी डिटेल्स शेयर करना और हस्ताक्षर कर उस डॉक्यूमेंट को क्रेडिबिलिटी देना इसमें शामिल होते हैं. और जैसा हमने सुना कि श्रीकांत को ये स्टिकर दिलवाया गया था– ऐसा असल में होता नहीं है. क्योंकि ऐसे पास या स्टिकर विधानसभा या परिषद के सदस्यों को ही दिए जाते हैं, फॉर्म भरने के बाद. उनके किसी करीबी के लिए इन्हें इशू नहीं किया जाता. मतलब किसी रिश्तेदार या जानकार के लिए ये स्टिकर्स नहीं लिए जा सकते. 

विधायकों को कैसे मिलते हैं पास?

जब एक व्यक्ति, एमएलए इलेक्ट होता है तो विधानसभा के नियमों के हिसाब से उसे सचिवालय पटल से एक फॉर्म लेकर भरना होता है. इसी फॉर्म में अपनी गाड़ी/गाड़ियों की डिटेल्स भरनी होती हैं जिनके लिए पास/स्टिकर इशू किया जाना है. हर विधायक को कितनी गाड़ियों के लिए स्टिकर्स मिलते हैं, ये संख्या सब राज्यों में अलग-अलग है. मसलन, उत्तर प्रदेश के एक विधायक को 2 गाड़ियों के लिए स्टिकर्स मिलते हैं और तेलंगाना में हर विधायक को 3 गाड़ियों के लिए. 

सांकेतिक तस्वीर: एमएलसी और एमएलए के स्टिकर (सोर्स: ट्विटर और पीटीआई)

एक विधायक का कार्यकाल तो 5 वर्ष का होता है, पर ये पास लगातार 5 सालों तक वैध नहीं रहते. इनकी वैलिडिटी होती है एक साल की. साल खत्म होते ही इन्हें फिर से इशू करवाया जाता है. 

विधान परिषद सदस्यों के लिए पास के नियम क्या हैं?

MLC के लिए भी ये स्टिकर पाने का प्रोसीजर लगभग MLA के जैसा ही होता है. फर्क बस इतना है की विधान परिषद हर राज्य में नहीं, कुछ ही राज्यों में हैं जिनमें यूपी शामिल है. 

तो जब एक व्यक्ति विधान परिषद सदस्य  बनता है तो उसे विधान परिषद के नियमों के हिसाब से सचिवालय पटल से एक फॉर्म लेकर भरना होता है. इसी फॉर्म में अपनी गाड़ी/गाड़ियों की डिटेल्स भरनी होती हैं.जिनके लिए पास/स्टिकर इशू किया जाता है. हर सदस्य को कितनी गाड़ियों के लिए स्टिकर्स मिलते हैं, वो संख्या सब राज्यों में समान नहीं है.

MLA की तरह MLC के लिए भी इन स्टिकर्स/पासेज की वैलिडिटी होती है एक साल. यानी एक साल खत्म होते ही, इन्हें फिर से इशू करवाया जाता है. जितनी गाड़ियों के लिए पहले पास इशू कराए गए थे, उनको दोबारा इशू करना पड़ता है. 

पास लगा हो तो टोल टैक्स नहीं देना पड़ता?

बहुत बार सुनने में आता है कि बड़े नेताओं को टोल नाके पर रोका नहीं जाता, उनसे टोल फीस भी नहीं ली जाती. लेकिन ऐसा नहीं है. गाड़ी पर विधायक या पार्षद होने का स्टिकर/पास लगा हो तो भी गाड़ियों को रोका जाता है. अगर उनमें MLA-MLC बैठे होते हैं तो भी उन्हें यूं ही निकलने नहीं दिया जाता. उन्हें अपना प्रमाण पत्र दिखाना होता कि वे विधायक या पार्षद हैं. अगर गाड़ी में विधायक या पार्षद नहीं हैं तो टोल टैक्स भरना अनिवार्य है. भले ही गाड़ी पर स्टिकर क्यों ना लगा हो.

सांकेतिक तस्वीर - टोल नाका (फाइल फोटो)

इन स्टिकर्स का कोई मेजर फायदा नहीं होता. इन्हें लगाने का मकसद सचिवालय, विधान सभा और विधान परिषद में आसान प्रवेश है. ताकि किसी भी विधायक या पार्षद को कोई रोक-टोक या परेशानी फेस ना करनी पड़े.

श्रीकांत त्यागी की पत्नी ने महेश शर्मा पर लगाए आरोप

Advertisement