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इन चार नेताओं पर भ्रष्टाचार के आरोप थे, बीजेपी में आए तो जांच का ये हाल हुआ

ये बड़े नेता बहुत बड़े मामलों में आरोपी थे, कई से तो ED और CBI पूछताछ तक कर रही थी

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leaders who join bjp not raided ed and cbi
बाएं से दाएं - हेमंता बिस्वा सरमा, सुवेंदु अधिकारी, मुकुल रॉय और नारायण राणे | फाइल फोटो: इंडिया टुडे
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अभय शर्मा
29 मार्च 2023 (Updated: 29 मार्च 2023, 11:15 PM IST) कॉमेंट्स
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विपक्ष के नेता अक्सर एक बात कहते सुने जाते हैं कि अगर किसी नेता के पीछे CBI या ED पड़ी हो तो वो BJP ज्वाइन कर ले. उस दिन से उसके सारे पाप धुल जाएंगे. फिर जांच एजेंसियां उसका पीछा नहीं करेंगी. क्या विपक्ष के ये आरोप वाकई सच हैं? इस सवाल का जवाब जानने के लिए हमने कुछ मामलों की पड़ताल की. चार बड़े नेता खोजे जिन पर भ्रष्टाचार के आरोप लगे थे और जिनके खिलाफ जांच चल रही थी. फिर हमने ये जाना कि इनके खिलाफ चल रही जांच में तब क्या हुआ, जब इन्होंने BJP ज्वाइन कर ली.

हेमंता बिस्वा सरमा

इस समय ये असम के मुख्यमंत्री हैं. असम या कहें तो पूरे नॉर्थ ईस्ट में ये बीजेपी के सबसे बड़े नेता हैं. पहले कांग्रेस में थे और तरुण गोगोई सरकार में मंत्री थे. लेकिन साल 2011 के चुनाव के बाद हेमंता और गोगोई के बीच रिश्ते खराब होने लगे. इतने खराब हो गए कि जुलाई 2014 में हेमंता ने कांग्रेस से इस्तीफा दे दिया.

इस दौरान ही उनका नाम शारदा चिट फंड घोटाले में आया. अगस्त 2014 में एक दिन अचानक हेमंता के गुवाहाटी स्थित घर पर सीबीआई ने रेड मारी. सीबीआई की एक टीम गुवाहाटी के एक मीडिया हाउस के दफ्तर में भी गई, इस संस्थान की प्रमुख सरमा की पत्नी रिनिकी भूयान सरमा हैं. इस घटनाक्रम के बाद 2014 के ही नवंबर महीने में हेमंता से सीबीआई ने कोलकाता में पूछताछ की, कई घंटे तक. उस समय कुछ मीडिया रिपोर्ट में दावा किया गया कि सरमा ने शारदा कंपनी के मालिक और घोटाले के मुख्य आरोपी सुदीप्त सेन से रिश्वत ली थी. आरोप लगा कि उन्होंने सेन को बिजनेस में सरकार का सपोर्ट देने के लिए उससे हर महीने 20 लाख रुपये लिए थे.

मामला आगे बढ़ा हाईकोर्ट पहुंचा, जनवरी 2015 में गुवाहाटी हाईकोर्ट ने चिटफंड केस की जांच सीबीआई को सौंप दी. हेमंता ने इसके कुछ महीने बाद ही बीजेपी ज्वाइन कर ली. बीजेपी में शामिल होने के बाद उन्हें कभी सीबीआई ने पूछताछ के लिए नहीं बुलाया.

मुकुल रॉय और सुवेंदु अधिकारी

साल 2014 में हुआ नारदा स्टिंग याद होगा. पत्रकार सैमुअल मैथ्यू ने ये किया था. वो एक बिज़नेस मैन बनकर बंगाल की तृणमूल कांग्रेस सरकार के कई मंत्रियों के पास गए थे. उन्होंने मंत्रियों को रिश्वत की पेशकश की और मंत्रियों ने फट से ले ली. स्टिंग ऑपरेशन में कथित तौर पर तृणमूल के नेता सुवेंदु अधिकारी और मुकुल रॉय भी बिजनेस मैन को अनौपचारिक लाभ देने के बदले कैश लेते दिखे.

इस स्टिंग का वीडियो तब सामने आया जब बंगाल 2016 के विधानसभा चुनाव के देहरी पर खड़ा था. बड़ा बवाल मचा. इसके बाद ED ने सुवेंदु अधिकारी सहित तृणमूल सरकार के कई मंत्रियों से पूछताछ की. सीबीआई ने मुकुल रॉय से पूछताछ की. 2017 में इस मामले में मुकुल रॉय के पास ED का एक नोटिस आया. इसके कुछ रोज बाद ही उन्होंने बीजेपी ज्वाइन कर ली. 2021 के विधानसभा चुनाव से पहले सुवेंदु अधिकारी भी बीजेपी में शामिल हो गए. हालांकि, दो बड़े नेताओं के जाने के बाद भी 2021 विधानसभा चुनाव में टीएमसी की बड़ी जीत हुई.

नारदा स्टिंग मामले में ईडी ने सितंबर 2021 में एक चार्जशीट दाखिल की. इसमें टीएमसी के दो मंत्रियों सहित तीन बड़े नेताओं का नाम था. लेकिन सुवेंदु अधिकारी और मुकुल रॉय का नाम नहीं था. इस चार्जशीट के कुछ महीने बाद ही मुकुल रॉय भाजपा से टीएमसी में वापस आ गए.  

बीजेपी नेता सुवेंदु अधिकारी का शारदा चिटफंड मामले में भी नाम आया था. इसकी जांच भी ED और सीबीआई द्वारा की जा रही है. शारदा चिटफंड घोटाला मामले में गिरफ्तार शारदा कंपनी के मुखिया सुदीप्त सेन ने दिसंबर 2020 में सीबीआई को एक पत्र लिखा था. इसमें उसने पैसे लेने वाले कई नेताओं के नाम का जिक्र किया था. इस पत्र में कहा गया था कि सुवेंदु अधिकारी ने उससे छह करोड़ रुपए लिए थे. फिलहाल सुवेंदु अधिकारी अब बंगाल में बीजेपी के सबसे बड़े नेता बन गए हैं. और उनसे न तो ED और न ही सीबीआई पूछताछ कर रही है.

नारायण राणे

नारायण राणे, महाराष्ट्र के बीजेपी नेता और केंद्रीय मंत्री. बीजेपी से पहले वो शिवसेना और कांग्रेस में रहे. 1999 में शिवसेना और बीजेपी गठबंधन की सरकार में कुछ समय के लिए राज्य के मुख्यमंत्री का पद भी संभाला. साल 2016 में बीजेपी के पूर्व सांसद किरीट सोमैया ने नारायण राणे पर कई गंभीर आरोप लगाए. एक आरोप मनी लॉन्ड्रिंग का भी था. सोमैया ने ED के तत्कालीन ज्वाइंट डायरेक्टर सत्यब्रत कुमार को एक चिट्ठी भी लिखी थी. इसमें उन्होंने नारायण राणे और उनके परिवार के बिजनेस की जांच कराने की मांग की थी. राणे पर 300 करोड़ रुपये की मनी लॉन्ड्रिंग का आरोप लगा था.

राणे अक्टूबर 2017 में कांग्रेस से अलग हुए और 2018 में बीजेपी में शामिल हो गए. बीजेपी ने उन्हें पहले राज्यसभा सांसद बनाया और फिर मंत्री. इसके बाद नारायण राणे पर लगे आरोपों की कोई जांच नहीं हुई.

अंत में आपको एक और पहलू से रूबरू कराते चलते हैं. महाराष्ट्र के पूर्व मंत्री हैं हर्षवर्धन पाटिल. 2019 के लोकसभा चुनावों से पहले उन्होंने पाला बदल लिया था. कांग्रेस से भाजपा ज्वाइन कर ली. अक्टूबर 2021 में उन्होंने पुणे में एक कार्यक्रम में कहा, 'अब (भाजपा में) सब कुछ आसान और शांतिपूर्ण है. मैं अब गहरी नींद में सोता हूं, क्योंकि अब कोई पूछताछ नहीं होनी है.' महाराष्ट्र में उनके एक और सहयोगी हैं बीजेपी सांसद संजय पाटिल. उन्होंने भी सांगली में एक कार्यक्रम में कहा, ‘ED मेरे पीछे नहीं पड़ेगी क्योंकि मैं भाजपा का सांसद हूं… ’

वीडियो: हेमंता बिस्वा सरमा बोले - असम से कोरोना चला गया है, जब आएगा तो बताएंगे!

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