जिस यूनिवर्सिटी में पिता VC थे, वहीं स्टूडेंट लीडर बन गए थे जेपी नड्डा
जगत प्रकाश नड्डा बीजेपी के नए अध्यक्ष बने हैं.
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13 साल ABVP की राजनीति, 1993 में पहली विधायकी जीतकर हिमाचल में नेता प्रतिपक्ष, 1998 की धूमल सरकार में हेल्थ मिनिस्टर से लेकर 2014 की मोदी कैबिनेट में स्वास्थ्य मंत्री. जे पी नड्डा अब बीजेपी के अध्यक्ष बनाए गए हैं (फोटो: इंडिया टुडे)
जगत प्रकाश नड्डा. शॉर्ट में जेपी नड्डा. तारीख़ 20 जनवरी, 2020. जेपी नड्डा भारतीय जनता पार्टी के 11वें अध्यक्ष बन गए हैं. छात्र आंदोलन से से राजनीति में कदम रखने वाले नड्डा की क्या-क्या खासियतें हैं, आइए जानते हैं.क्या है नड्डा की स्ट्रेन्थ?
संगठन के काम में उनका हाथ मंजा हुआ है. 13 साल विद्यार्थी परिषद में रहे हैं. संघ और अमित शाह, दोनों से करीबी है. 2019 के लोकसभा चुनाव में नड्डा UP में बीजेपी के चुनाव प्रचार का जिम्मा संभाल रहे थे. यहां समाजवादी पार्टी (SP) और बहुजन समाज पार्टी (BSP)के गठबंधन के बावजूद बीजेपी ने 62 सीटें जीतीं.
2014 में भी अध्यक्ष की रेस में थे पिछले लोकसभा चुनाव के समय बीजेपी के अध्यक्ष थे राजनाथ सिंह. सरकार बनी, तो उनको गृहमंत्री बनाया गया. उनके अध्यक्ष पद छोड़ने के बाद नए प्रेसिडेंट की रेस में नड्डा और अमित शाह, दोनों का नाम था. अमित शाह के पास UP की बड़ी जीत थी. वो लोकसभा चुनावों के लिए UP के प्रभारी थे. नड्डा के पास छत्तीसगढ़ की कामयाबी थी, जहां लगातार तीसरी बार बीजेपी सत्ता में आई थी.I am confident that under the leadership of Shri @AmitShah
— Narendra Modi (@narendramodi) June 17, 2019
and Shri @JPNadda
, and powered by the hardwork of our Karyakartas, the BJP will continue winning people’s trust and serving our society. We remain committed to building a strong, developed and inclusive India. pic.twitter.com/1YYq80N2LO
पढ़िए जेपी नड्डा से जुड़े कुछ किस्सेभाजपा संसदीय बोर्ड द्वारा श्री @JPNadda
मुझे पूर्ण विश्वास है कि उनके नेतृत्व में पार्टी निरंतर सशक्त होगी और हम मोदी सरकार की कल्याणकारी नीतियों और संगठन की विचारधारा को देश के कोने-कोने में पहुँचाएँगे। pic.twitter.com/BBo3kr2Xos
जी को सर्वसम्मति से कार्यकारी अध्यक्ष चुने जाने पर उन्हें बधाई देता हूँ।
— Amit Shah (@AmitShah) June 17, 2019
1. जेपी नड्डा का परिवार हिमाचल प्रदेश का है. मगर वो पैदा हुए थे पटना में. 2 दिसंबर, 1960 को. उनके पापा नारायण लाल नड्डा पटना यूनिवर्सिटी के वाइस चांसलर थे. 1975-77 के वक्त पटना पॉलिटिक्स के केंद्र में था. क्योंकि जेपी वहां थे. जेपी, मतलब जयप्रकाश नारायण. उनके असर से जगत प्रकाश नड्डा की पॉलिटिक्स में एंट्री हुई. कॉलेज में ABVP जॉइन कर ली. 1977 में वो इसके सेक्रटरी चुन लिए गए. सोचिए, जिस यूनिवर्सिटी में पिता VC हों, वहीं बेटा स्टूडेंट लीडर बन जाए.

संजीव चतुर्वेदी हरियाणा वन विभाग में अधिकारी थे. वहां उन्होंने करप्शन से जुड़े कई मामले खोले. हुड्डा सरकार ने कई बार तबादला किया उनका (फोटो: PTI)
2. संजीव चतुर्वेदी इंडियन फॉरेस्ट सर्विस (IFoS) के अफसर थे. हरियाणा वन विभाग से सेंटर में डेप्यूट हुए. जून, 2012 में दिल्ली के AIIMS में चीफ विजिलेंस ऑफिसर (CVO) बने. अगस्त, 2014 में मोदी सरकार में स्वास्थ्य मंत्री रहे हर्षवर्धन ने संजीव को उनके पद से हटा दिया. लगातार पांच साल तक आउटस्टैंडिंग परफॉर्मेंस वाली ग्रेडिंग मिलने के बाद एकाएक 2015-16 के सालान अप्रेजल में स्वास्थ्य मंत्रालय ने संजीव को ज़ीरो रेटिंग दे दी. ऐसी ज़ीरो रेटिंग से उस अफसर का करियर तबाह हो सकता था.
उस समय जेपी नड्डा राज्यसभा सांसद और BJP महासचिव थे. मीडिया रिपोर्ट्स में आया कि संजीव को हटाने की सिफारिश नड्डा ने की थी. उन्होंने संजीव चतुर्वेदी को CVO की पोस्ट से हटाने के लिए हर्षवर्धन को कई चिट्ठियां लिखी थीं. इतना ही नहीं, नड्डा ने ये भी लिखा था कि संजीव ने एंटी-करप्शन मामलों की जो जांच शुरू की है, उसे फिलहाल रोक दिया जाए. इकनॉमिक टाइम्स की एक रिपोर्ट के मुताबिक, नड्डा ने संजीव को पद से हटाने के लिए UPA सरकार में स्वास्थ्य मंत्री रहे गुलाम नबी आज़ाद को भी चिट्ठी लिखी थी.
इससे बात निकली 1982 बैच के IAS अफसर विनीत चौधरी की. संजीव ने जो इन्क्वायरी शुरू की थी, उसमें एक मामला विनीत पर भी था. वो पहले AIIMS में डिप्टी डायरेक्टर रह चुके थे. विनीत चौधरी पर चार्जशीट भी दाखिल हुई थी. इन विनीत चौधरी का नड्डा से एक लिंक निकल आया.
प्रेम कुमार धूमल की सरकार में जब नड्डा हिमाचल प्रदेश के स्वास्थ्य मंत्री रहे थे, तब विनीत चौधरी हिमाचल के हेल्थ सेक्रटरी हुआ करते थे. विनीत नजदीकी माने जाते थे नड्डा के. ये बात आई कि नड्डा ने जो किया, विनीत को बचाने के लिए किया. संजीव अपने साथ हुई कार्रवाई के खिलाफ अदालत गए. उत्तराखंड हाईकोर्ट और फिर सुप्रीम कोर्ट. दोनों ने कहा कि संजीव के लिए केंद्र और AIIMS का रवैया बदला लेने वाला था.

2017 हिमाचल चुनाव के समय लल्लनटॉप की टीम ने जे पी नड्डा की पत्नी मल्लिका से बात की थी. गोल घेरे में मल्लिका हैं (फोटो: The Lallantop)
3. साल 2017. हिमाचल का विधानसभा चुनाव था. बात चली कि इस बार बीजेपी जीती, तो धूमल की जगह नड्डा बन सकते हैं मुख्यमंत्री.
नड्डा की पत्नी मल्लिका ने खुद एक रैली में कहा था कि बीजेपी को जिताइए और नड्डा जी को शिमला वापस लाइए. मगर चुनाव से ऐन पहले बीजेपी ने धूमल के नाम का ऐलान कर दिया. वीरभद्र जैसे जमे-जमाए पुराने चेहरे के खिलाफ पार्टी को धूमल की दावेदारी में ही वजन दिखा.
मगर हुआ ये कि बीजेपी खुद तो हिमाचल जीत गई, खुद धूमल हार गए. एक बार फिर नड्डा रेस में आ गए. जानने वाले बताते हैं कि बतौर CM नड्डा के नाम पर मुहर लग गई थी.
मगर फिर वहां गुटबाजी की आशंका के चलते एक तीसरे दावेदार जयराम ठाकुर को मुख्यमंत्री बना दिया गया. ये भी कहते हैं कि हिमाचल में पार्टी के अलग-अलग गुटों के बीच ठने नहीं, इसीलिए सेंट्रल लीडरशिप ने नड्डा को दिल्ली बुलाकर हेल्थ मिनिस्टर बना दिया.
नड्डा और धूमल में पुराना छत्तीस का आंकड़ा है. 1998 वाली धूमल सरकार में हेल्थ मिनिस्टर हुआ करते थे नड्डा. कहते हैं कि मुख्यमंत्री उनके इलाके के काम नहीं होने देते थे. इसी वजह से फिर नड्डा हिमाचल छोड़कर राज्यसभा के रास्ते दिल्ली आ गए थे.
4. मई, 2014 में डॉक्टर हर्षवर्धन मोदी कैबिनेट में स्वास्थ्य मंत्री बनाए गए. पांच महीने बाद नवंबर, 2014 में कैबिनेट में फेरबदल हुआ. बड़ा सप्राइज ये आया कि हेल्थ मिनिस्ट्री हर्षवर्धन से लेकर जेपी नड्डा को दे दी गई. हर्षवर्धन विज्ञान एवं तकनीक मंत्री बना दिए गए. खबर आई कि हर्षवर्धन बड़े 'हर्ट' हुए हैं इससे. वैसे हर्षवर्धन को मोदी 2.0 में फिर से हेल्थ मिनिस्ट्री मिल गई.
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