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जम्मू-कश्मीर और लद्दाख अभी तक अपने राज्य पशु और पक्षी पर कोई फैसला क्यों नहीं कर पाए हैं?

अगस्त 2019 में जम्मू-कश्मीर राज्य के पुनर्गठन के बाद से ये समस्या बनी हुई है.

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जम्मू-कश्मीर राज्य के पूर्व पक्षी काले गर्दन वाली क्रेन और जानवर कश्मीरी हांगुल. फ़ोटो- विकिपीडिया
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प्रशांत मुखर्जी
6 जुलाई 2021 (Updated: 7 जुलाई 2021, 07:49 AM IST) कॉमेंट्स
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स्कूल में हम सभी से पूछा गया होगा कि हमारा राष्ट्रीय पक्षी और राष्ट्रीय पशु (National Bird, National Animal) कौन है. आपने भी ये सवाल कभी ना कभी किसी से किया होगा. हममें से अधिकतर लोग अब इन दोनों सवालों के जवाब जानते हैं होंगे कि मोर भारत का राष्ट्रीय पक्षी है और बाघ राष्ट्रीय पशु. लेकिन ये बात शायद अधिकतर लोग ना जानते हों कि देश के अलावा राज्यों के भी अपने पशु-पक्षी होते हैं. आप सोच रहे होंगे कि अभी अचानक ये बात कहां से आ गई. बताते हैं. ये तो आपको याद ही होगा कि अगस्त 2019 में राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने जम्मू और कश्मीर राज्य को दो केंद्र शासित प्रदेशों- जम्मू-कश्मीर और लद्दाख में बांटने की कानूनी मंजूरी दी थी. उसके बाद 31 अक्टूबर, 2019 को ये केंद्र शासित प्रदेश अस्तित्व में आए थे. ज़ाहिर है नए स्थानीय प्रशासन के सामने कई तरह के मसले होंगे. इनमें से एक अपने-अपने नए राज्य पक्षी और पशु का चयन करना भी था, जो अब तक नहीं हो पाया है. इस वजह से जम्मू-कश्मीर और लद्दाख देश के उन केंद्रशासित प्रदेशों में शामिल हो गए हैं, जिनका कोई राज्य पशु या पक्षी नहीं है. इनमें दादरा-नगर हवेली और दमन और दीव पहले से शामिल हैं.

क्यों किया जाता है ऐसे प्रतीकों का चयन?

राष्ट्रीय या राज्य पशु अथवा पक्षी देश, राज्य या केंद्र शासित प्रदेश की पहचान को बताने और विलुप्त होती प्रजातियों के संरक्षण के प्रयासों को चलाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं. जब जम्मू और कश्मीर राज्य था, तब काली गर्दन वाली क्रेन इसकी राज्य पक्षी थी और कश्मीरी हिरण, जिसे हंगुल भी कहते हैं, वो राज्य पशु. दोनों ही दुर्लभ प्रजातियां लंबे समय तक बतौर राज्य जम्मू-कश्मीर की प्रतीक रहीं. लेकिन अगस्त 2019 के बाद ऐसा नहीं रहा. काली गर्दन वाली क्रेन केवल पूर्वी लद्दाख में पाई जाती है और हंगुल सिर्फ कश्मीर घाटी में मिलता है. जाहिर है पुनर्गठन के बाद ये दोनों प्रजातियां दोनों नए केंद्रशासित प्रदेशों के प्रतीक नहीं बने रह सकते थे. काली गर्दन वाली क्रेन अब केवल लद्दाख की राष्ट्रीय पक्षी हो सकती थी. वहीं, हंगुल जम्मू-कश्मीर का राज्य पशु हो सकता है. इस मुद्दे पर वन्यजीव मामलों के एक्सपर्ट विद्युत झा पर्यावरण के मसले उठाने वाली एक वेबसाइट मोंगाबे से कहते हैं,

“भारत के हर राज्य और केंद्र शासित प्रदेश में राज्य पक्षी, पशु और फूल जैसे प्रतीक हैं. जिन्हें उस क्षेत्र में उनके महत्व के लिए पहचाना जाता है. वे राज्य और केंद्र शासित प्रदेश में पाए जाने वाले जीवों में से चुने जाते हैं, और उस विशेष राज्य या केंद्र शासित प्रदेश की संस्कृति और प्रकृति का प्रतिनिधित्व करते हैं. ये प्रतीक ऐसे जीवों और पक्षियों के संरक्षण और इस दिशा से जुड़े प्रयासों को बढ़ावा देने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं. साथ ही साथ ये प्रतीक दिखाते हैं कि ये राज्यों का अभिन्न अंग हैं.”

राज्यों के जानवर और पक्षी

भारत के भी ऐसे कई प्रतीक हैं. जैसे राष्ट्रीय पशु बाघ, राष्ट्रीय पक्षी मोर और राष्ट्रीय फूल कमल. इसी तरह राज्यों के भी अलग-अलग राज्य पशु, फूल और पक्षी हैं. केंद्र शासित प्रदेशों की बात करें तो चंडीगढ़ का राज्य पु मोंगूज है, जिसे हम  नेवला भी कहते हैं. ऐसे ही दिल्ली में नीलगाय को राज्य पशु माना जाता है. अंडमान और निकोबार का राज्य पशु है डूगांग नाम का एक समुद्री जानवर. लेकिन इस श्रेणी में कुछ ऐसे केंद्र शासित प्रदेश हैं जिनका ऐसा कोई प्रतीक नहीं है. ये हैं जम्मू-कश्मीर, लद्दाख, दादरा-नगर हवेली और दमन और दीव. बाकी राज्यों के राज्य पशु और पक्षियों के नाम नीचे दिए गए टेबल में बताए गए हैं.

राज्यराज्य पक्षीराज्य पशु
आंध्र प्रदेशभारतीय रोलरकाला हिरण
अरुणाचल प्रदेशग्रेट हॉर्नबिलगयाल
असमसफेद पंखों वाला बत्तखभारतीय गैंडा
बिहारघर की गौरैयागौर
छत्तीसगढ़आम पहाड़ी मैनाजंगली जल भैंस
गोवापीले गले वाला बुलबुलभारतीय बाइसन
गुजरातग्रेटर फ्लेमिंगोएशियाई शेर
हरियाणाब्लैक फ्रैंकोलिनब्लैकबक
हिमाचल प्रदेशपश्चिमी ट्रगोपनहिम तेंदुआ
झारखंडएशियाई कोयलभारतीय हाथी
कर्नाटकभारतीय रोलरभारतीय हाथी
केरलग्रेट हॉर्नबिलभारतीय हाथी
मध्य प्रदेशभारतीय स्वर्ग फ्लाईकैचरबारासिंघा
महाराष्ट्रपीले पैरों वाला हरा कबूतरभारतीय विशाल गिलहरी
मणिपुरश्रीमती ह्यूम की तीतरसंगाई
मेघालयआम पहाड़ी मैनामेघयुक्त तेंदुआ
मिजोरमश्रीमती ह्यूम का तीतरसुमात्राण सीरो
नागालैंडब्लिथ्स ट्रैगोपनगयाल
उड़ीसाभारतीय रोलरसांबर हिरण
पंजाबउत्तरी गोशालाकाला हिरण
राजस्थानग्रेट इंडियन बस्टर्डऊंट
सिक्किमरक्त तीतरलाल पांडा
तमिलनाडुआम पन्ना कबूतरनीलगिरि तहरी
तेलंगानाभारतीय रोलरचीतल
त्रिपुराहरा शाही कबूतरफायरे का पत्ता बंदर
उत्तर प्रदेशसारस क्रेनबारासिंघा
उत्तराखंडहिमालयी मोनालअल्पाइन कस्तूरी मृग
पश्चिम बंगालसफेद गले वाली किंगफिशरमछली पकड़ने वाली बिल्ली
लद्दाख के पर्यावरणविद् कर रहे हैं प्रयास

लद्दाख के पर्यावरणविदों ने यहां के प्रतीकों के चयन पर जोर दिया है. स्थानीय वन्यजीव निकाय प्रशासन को अपने सुझाव देकर चयन प्रक्रिया में तेजी लाने में मदद कर रहे हैं. दिसंबर 2020 में लद्दाख के वन्यजीव संरक्षण और पक्षी क्लब (WCBCL) और एक गैर सरकारी संगठन के प्रतिनिधि मंडल ने उपराज्यपाल आरके माथुर से राजभवन में मुलाकात की थी. WCBCL के अध्यक्ष लोबजांग विशुद्ध और सचिव दोरजे दया के नेतृत्व में प्रतिनिधिमंडल ने काली गर्दन वाली क्रेन को लद्दाख का राज्य पक्षी और हिम तेंदुए को लद्दाख के राज्य पशु के रूप में नामित करने की बात कही थी.

 

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