S-400 और INS तमाल के बाद क्या अब रूस से नहीं होगी कोई बड़ी रक्षा डील? वजह जान लीजिए
अमेरिका चाहता है कि भारत रूस से दूरी बनाए. S-400 डील पर भारत को CAATSA जैसी धमकी भी मिली थी. अमेरिका अब भारत को MQ-9B ड्रोन, GE-F414 इंजन जैसे टॉप टेक ऑफर कर रहा है, लेकिन शर्त ये कि रूस से दूरी बनाओ!

जिस दौर में रूस-भारत की दोस्ती की मिसालें दी जाती थीं, वो अब सिर्फ इतिहास बनती जा रही हैं. भारत अब रक्षा सौदों में Made in India का राग ज़ोर-शोर से अलाप रहा है और रूस के महंगे ऑफर ठुकरा रहा है. S-400 की शानदार एंट्री और INS तमाल की तैनाती के बाद भारत रूस से कोई नया बड़ा सौदा करता नहीं दिख रहा.
तो क्या INS तमाल और S-400 आखिरी बड़े रूसी डील थे? जवाब है - हां, लगभग.
INS तमाल: भारत-रूस रक्षा रिश्ते का ‘लास्ट पिलर’1 जुलाई 2025 को भारतीय नौसेना ने INS तमाल को कमीशन कर दिया - रूस में बना आखिरी युद्धपोत! ये अब भारत के वेस्टर्न नेवल कमांड में तैनात रहेगा और अरब सागर से लेकर अदन की खाड़ी तक भारत की समुद्री सीमा पर निगरानी रखेगा.
3900 टन वजनी INS तमाल, एडमिरल ग्रिगोरोविच-क्लास का मल्टीरोल स्टील्थ मिसाइल फ्रिगेट है.
इसकी ताकत है लंबी दूरी तक दुश्मन पर हमला और रडार से बच निकलना.
INS तमाल का कमीशनिंग एक Symbolic Turning Point है. इसका मतलब है कि अब से भारत अपने सभी युद्धपोत देश में ही बनाएगा, और रूस से खरीद का सिलसिला थमता दिखेगा.
SU-57 और S-500: अब नहीं होंगे भारत के Arsenal में शामिलअब सवाल उठता है - रूस के अत्याधुनिक SU-57 फिफ्थ जनरेशन स्टील्थ फाइटर और S-500 एयर डिफेंस सिस्टम का क्या? तो जवाब है - भारत अब इन दोनों डील्स से दूरी बना चुका है.
S-400 के तीन यूनिट्स आ चुके हैं, दो बाकी हैं - वही होंगे अंतिम. SU-57 और S-500? ‘नॉट इन प्ले’!
अमेरिका चाहता है कि भारत रूस से दूरी बनाए. S-400 डील पर भारत को CAATSA जैसी धमकी भी मिली थी. अमेरिका अब भारत को MQ-9B ड्रोन, GE-F414 इंजन जैसे टॉप टेक ऑफर कर रहा है, लेकिन शर्त ये कि रूस से दूरी बनाओ!
वहीं रूस की सप्लाई-चेन दीमक खा चुकी है, इसलिए भारतीय सेनाओं का भरोसा कम हो रहा है. यूक्रेन युद्ध के बाद रूस की सप्लाई चेन धीमी हो गई है, जिससे भारत जैसे देशों को अब ज्यादा भरोसा नहीं रहा.
तो अब क्या?अब भारत का फोकस है, Make in India, Defence Export, और बहुस्तरीय साझेदारी. फ्रांस से सबमरीन, अमेरिका से इंजन, और खुद के शिपयार्ड से युद्धपोत. भारत अब आत्मनिर्भर बनने की दौड़ में तेज़ दौड़ रहा है.
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