हॉंग-कॉंग को पछाड़ भारतीय शेयर बाज़ार चौथे नंबर पर
साल 1875 में बॉम्बे स्टॉक एक्सचेंज की शुरुआत हुई. इसमें लोग कागज़ से शेयर खरीदा बेचा करते थे. बॉम्बे स्टॉक एक्सचेंज (BSE) में 5 हज़ार से ज़्यादा कंपनियां रजिस्टर हैं. इसके अलावा भारत में नेशनल स्टॉक एक्सचेंज भी है. इसमें लगभग 2 हज़ार कंपनियां रजिस्टर हैं.
कुछ समय पहले सोनी लिव पर एक वेब सीरीज़ आई थी, स्कैम 1992. हंसल मेहता की डायरेक्ट की हुई इस सीरीज़ को अगर आपने देखा हो तो आपको पता होगा कि शेयर मार्केट में कितना पैसा है. हर्षद मेहता के किरदार का एक डायलॉग
"ये मार्केट पूरे इंडिया की प्यास बुझा सकता है."
लेकिन आज इस डायलोग की चर्चा क्यों ?
क्योंकि भारत का शेयर मार्केट अब दुनिया का चौथा सबसे बड़ा शेयर मार्केट बन गया है. भारत ने हॉन्ग कॉन्ग के शेयर मार्केट को पीछे छोड़ ये जगह बनाई है. ब्लूमबर्ग की नई रिपोर्ट में ये कैलकुलेशन की गई है.
शेयर मार्केट क्या होता है?
इसमें पैसा लगाकर प्रॉफिट कैसे कमाया जाता है?
और ब्लूमबर्ग की नई रिपोर्ट में क्या-क्या सामने आया?
एक लाइन में शेयर बाज़ार को इस तरह समझिए कि शेयर बाज़ार वो मार्केट है जहां आप किसी कंपनी की हिस्सेदारी ख़रीद सकते हैं. इसे एक उदाहरण से समझिए, मान लीजिए आपने एक चॉकलेट बनाई. ये चॉकलेट बड़ी टेस्टी बन गई. आपने सोचा कि इसे बेचकर कुछ पैसा कमाया जाए. तो आपने एक इसका एक स्टॉल लगा लिया. 1 घंटे में ही आपकी सारी चॉकलेट बिक गईं. चॉकलेट बेचने से पैसा आया तो आपने इस धंधे को आगे बढ़ाने की सोचा. आपने एक बड़ा स्टोर खोल लिया. वहां भी धंधा चल निकला. अब आपने धंधे को बढ़ाने का मन बनया, लेकिन इसके लिए आपको बड़ी पूंजी की ज़रूरत है. अब आप क्या करेंगे?
या तो आप किसी दोस्त से उधार ले सकते हैं. लेकिन पूंजी इतनी बड़ी है कि दोस्त रिश्तेदार के उधार देने भर से काम नहीं बन पाएगा. दूसरा रास्ता है बैंक का लेकिन बैंक आपसे ब्याज लेगा. वो भी भारी-भरकम और उसकी किश्त हर महीने आपको चुकानी होगी. ऐसे में तीसरा रास्ता होता है शेयर मार्केट का.
इसमें आप आम लोगों के पास जाते हैं. अपनी चॉकलेट कंपनी के बारे में बताते हैं, उसका हिसाब किताब सामने रखते हैं. बताते हैं कि हमने इस धंधे से इतना पैसा, मुनाफा जो कह लीजिए वो कमाया है. और उसे अब और बढ़ाना चाहते हैं. अगर आपको यानी निवेशकों को ये बिजनेस इंटरेस्टिंग लग रहा है तो इनवेस्ट कर सकते हैं. उनके हिस्से आएगी कंपनी हिस्सेदारी.
यानी अगर कपंनी को फायदा हुआ तो इन्वेस्टर्स को भी फायदा होगा, अगर नुकसान हुआ तो आपके उनकी जेब से भी पैसे जाएंगे.
इसके लिए आपको अपनी कंपनी की पब्लिक लिस्टिंग करानी होती है. माने शेयर एक्सचेंज पर कंपनी को रजिस्टर कराना पड़ता है. तभी उसके कोई निवेशक उक्त कंपनी में निवेश कर सकेगा. अगर आप पहली बार ऐसा करने जा रहे हैं तो आपको अपनी कंपनी का IPO लॉन्च करना होता है.
IPO का फुल फॉर्म है Initial Public Offering. आपकी कंपनी के एक शेयर का दाम कितना होगा ये IPO से तय होता है. IPO लाने के लिए आपको चाहिए होगा एक एक्सपर्ट जिन्हें under Writer या investment banker कहा जाता है. ये आपकी कंपनी की पुरानी हिस्ट्री, प्रोफाइल सब तैयार करते हैं. जैसे हमारी सीवी होती है, वैसे ही इसे भी कंपनी की सीवी समझिए. आपकी कंपनी की सीवी देखने के बाद Investment banker ही बताता है कि कितने का IPO आएगा? माने, IPO में जितनी हिस्सेदारी बेची जाएगी उसका क्या भाव रखा जाएगा. कोई कंपनी अगर IPO लाने का निर्णय करती है तो उसे मार्केट रेग्युलेटर SEBI के नियमों का पालन करना होता है. इन सब नियमों पर खरा उतरने के लिए कंपनी एक मर्चेंट बैंकर नियुक्त करती है, ये बैंकर सेबी में रजिस्टर्ड होता है और वही IPO से जुड़े सारे कंप्लायंस पूरे यानी नियम कानूनों को चेक करके फिर IPO के लिए आवेदन करता है.
ये सब तय होने के बाद IPO के कागज, SEBI यानी सिक्युरिटी एक्सचेंज बोर्ड ऑफ इंडिया के पास फाइल किए जाते हैं. सेबी दरअसल भारतीय रिजर्व बैंक का ही एक अंग है. सेबी भारतीय शेयरधारकों के अधिकारों की रक्षा करने वाली एक संस्था है जो इन्श्योर करती है कि शेयर धारकों का पैसा न डूबे. सेबी से अप्रूवल मिलने के बाद आपकी कंपनी का IPO लॉन्च हो जाता है. जो भी कंपनी अपना IPO लॉन्च कर चुकी होती है, उसके नाम के आगे पब्लिक लिमिटेड लिखा होता है.
शेयर मार्केट की शुरुआत कबसे हुई?
शेयर मार्केट की शुरुआत आज से करीब 4 सौ साल पहले हुई थी. 16वीं सदी में डच ईस्ट इंडिया कंपनी हुई. कहां रहते थे ये लोग? आज के नेदरलैंड्स में. इस कंपनी के पास बड़े-बड़े जहाज़ हुआ करते थे. वो इन जहाज़ों से दुनिया के दूसरे भू भागों की तालाश किया करते थे. और वहां से नायाब चीज़ें और खज़ाने लाया करते थे. इससे कंपनी को बहुत फायदा होता था. लेकिन इसमें एक दिक्कत थी. इन यात्राओं में बहुत पैसा लगता था. इसके लिए कंपनी ने एक तरीका खोजा. वो वहां के अमीर लोगों से कहती कि आप हमारी इन यात्राओं में पैसा लगाइए. जब जहाज़ वापस आएगा तो खज़ाने का एक हिस्सा आपको मिलेगा.
कई लोग मिलकर एक जहाज़ पर पैसा लगाते और कंपनी जहाज़ अलग-अलग जगह भेजती. जब जहाज़ की वापसी होती तो पैसा इन्वेस्टर्स में बांटा जाता. कई बार तो जहाज़ वापस भी नहीं आते थे, या तो वो समुद्र में डूब जाया करते. या उन्हें समुद्री लुटेरे लूट लेते. लेकिन इस तरह शेयर मार्केट की शुरुआत तो हो ही गई थी.
धीरे-धीरे इसका आधुनिकीकरण हुआ और आज आप एक क्लिक करके किसी कंपनी के शेयर ख़रीद सकते हैं.
भारत में इसकी शुरुआत कैसे हुई?
साल 1875 में बॉम्बे स्टॉक एक्सचेंज की शुरुआत हुई. इसमें लोग कागज़ से शेयर खरीदा बेचा करते थे. प्रेमचंद नाम के व्यक्ति ने इसकी शुरुआत की थी. ये कागजी खरीद-फरोख्त का सिलसिला चला 1992 तक. फिर सरकार ने मार्केट के बढ़ते साइज़ को देखकर स्टॉक एक्सचेंज और शेयर मार्केट को पूरी तरह से कंप्यूटराइज़्ड कर दिया. और आज 2024 में शेयर मार्केट इतना एडवांस हो चुका है कि आप अपने फोन पर शेयर खरीद या बेच सकते हैं. बॉम्बे स्टॉक एक्सचेंज (BSE) में 5 हज़ार से ज़्यादा कंपनियां रजिस्टर हैं. इसके अलावा भारत में नेशनल स्टॉक एक्सचेंज भी है. इसमें लगभग 2 हज़ार कंपनियां रजिस्टर हैं. इन सब कंपनियों के स्टॉक की कीमत बढ़ रही है या घट रही है ये कैसे देखा जाए? इसके लिए दो मानक बनाए गए हैं. सेंसेक्स और निफ्टी
पहले समझते हैं सेंसेक्स
सेंसेक्स बॉम्बे स्टॉक एक्सचेंज (BSE) की टॉप 30 कंपनियों का ट्रेंड दिखाता है कि ये कम्पनियां घाटे में जा रही हैं या फायदे में. आज यानी 23 जनवरी, 2024 को साढ़े तीन बजे, यानी शेयर मार्केट बंद होने के बाद सेंसेक्स 70,370.55 के स्तर पर था. ये अच्छा है या बुरा, इसे ऐसे समझिए कि यदि आपने बीस साल पहले इन 30 शेयर्स में पैसा लगाया होता तो आपका पैसा आज दस गुना हो गया होता. हालाँकि 'इन 30 शेयर्स' कहना टेकनिकली ग़लत होगा क्यूँकि BSE इसमें शेयर्स समय समय पर बदलते रहता है.
दूसरा है निफ्टी
सेंसेक्स की तर्ज पर ही निफ्टी बना है. निफ्टी यानी- नेशनल स्टॉक एक्सचेंज. ये टॉप 50 कंपनियों का ट्रेंड दिखाता है. कि ये कंपनियां घाटे में जा रही हैं या नुकसान में. 23 जनवरी 2024 को ये 21,238.80 के स्तर पर था.
इसके लिए आपको 3 चीज़ों की ज़रूरत होगी. पहला बैंक अकाउंट, दूसरा ट्रेडिंग अकाउंट और तीसरा डीमैट अकाउंट. किसी शेयर को खरीदने के लिए आपको पैसों की ज़रूरत होगी, उसके लिए बैंक अकाउंट का होना ज़रूरी होता है. ट्रेडिंग अकाउंट आपके खरीद फ़रोख्त में काम आएगा. और डीमेट अकाउंट आपके शेयर्स को डिजिटली रखने के लिए बनाया जाता है.
ये तीन अकाउंट होने के बाद आप रेडी हैं शेयर मार्केट में कूदने के लिए.