2047 तक भारत विकसित देशों में गिना जाएगा? क्या है पीएम मोदी का विजन 2047?
आजादी के 100 साल पूरे होने पर देश कितना आगे बढ़ेगा? ये तो भविष्य बताएगा. पर 2024 लोकसभा चुनाव से पहले कैबिनेट की मीटिंग में पीएम मोदी ने एक बार फिर 'विकसित भारत' के अपने लक्ष्य को दोहराया है.
“देश के विकास के हर पहलू में, जब हम 2047 तक एक विकसित भारत के सपने के साथ आगे बढ़ते हैं, तो यह सिर्फ एक सपना नहीं है बल्कि 1.4 अरब नागरिकों का संकल्प है. मित्रों, मेरे प्रिय परिवारजनों, मेरा अटूट विश्वास है कि 2047 में जब देश आजादी के 100 वर्ष मनाएगा, तब मेरा देश एक विकसित भारत होगा.”
ये शब्द हैं भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के. 15 अगस्त 2023. लाल किले से अपने संबोधन में पीएम मोदी ने 2047 तक विकसित भारत का सपना देश के लोगों के साथ साझा किया. आजादी के 100 साल पूरे होने पर देश कितना आगे बढ़ेगा? ये तो भविष्य बताएगा. पर 2024 लोकसभा चुनाव से पहले कैबिनेट की मीटिंग में पीएम मोदी ने एक बार फिर 'विकसित भारत' के अपने लक्ष्य को दोहराया है.
तो समझते हैं-
-विकसित होना क्या होता है?
-क्या पैमाने होते हैं इसके?
-और पीएम मोदी का 'विकसित भारत' कैंपेन क्या है ?
शानदार सड़कें, गगनचुंबी इमारतें, पूरी क्षमता से काम करती फैक्ट्रियां, अच्छी तनख्वाह, खेतों में अच्छी उपज, उच्च स्तर की शिक्षा और स्वास्थ्य सुविधाएं. ये सब चीजें अगर किसी एक देश में मौजूद हों तो कहते हैं कि ये देश काफ़ी विकसित है. विकसित होने का एक और उदाहरण है इंसान का बदलना. इंसान एक समय पर बंदर था. धीरे-धीरे वो चार पैरों से दो पैरों पर खड़ा हुआ. समय के साथ उसकी पूंछ भी गायब हो गई.और आज उसी पशु कहे जाने वाले का बदला हुआ या यूं कहें कि विकसित हुआ रूप आपके सामने है. ऐसे कितने ही उदाहरण है विकसित होने के. पर यहां सवाल उठता है कि एक देश किस तरह विकास करता है? क्या पैमाने होते हैं? क्या भारत भी विकसित है या हो रहा है? आइए समझते हैं.
विकसित देश किसे कह सकते हैं?
विकसित देश के लिए कोई एक परिभाषा मौजूद नहीं है. इसके लिए कुछ मानक तय किए गए हैं. अंतर्राष्ट्रीय संस्थाएं जैसे यूनाइटेड नेशंस, वर्ल्ड बैंक और वर्ल्ड ट्रेड ऑर्गेनाइजेशन विकसित और विकासशील देशों के मानक तय करते हैं. इन्हीं मानकों के आधार पर देशों को विकसित और विकासशील का लेबल दे दिया जाता है.
क्या मानक हैं?
कोई देश कितना विकसित है? ये तय करने के लिए कई मानकों को ध्यान में रखा जाता है. इन मानकों को भी 2 तरह की कैटेगरी में रखा जाता है. आर्थिक और गैर-आर्थिक मानक . आर्थिक मानकों में देश की आर्थिक क्षमता को ध्यान में रखा जाता है जबकि गैर-आर्थिक में ऐसा नहीं होता . तो पहले आर्थिक फ़ैक्टर्स को समझते हैं.
-पहला है प्रति व्यक्ति आय माने 'PER CAPITA INCOME': इसे समझने के लिए पहले जीडीपी समझिए.
जीडीपी का मतलब एक साल में देश के अंदर जितने भी सामान बने हैं, सेवाएं दी गईं है. उसके कुल दाम को जीडीपी कहा जाता है. वो देश की जीडीपी होती है. जीडीपी से ये पता चलता है कि देश की कमाई यानी राष्ट्रीय आय कितनी है. इसी से निकाला जाता है PER CAPITA INCOME.
पूरे देश में हर व्यक्ति की आय कितनी है इसके लिए जितनी पूरे देश की जीडीपी है, उससे पूरी जनसंख्या को डिवाइड कर दीजिए. इस तरह से कुल कमाई में प्रति व्यक्ति का हिस्सा कितना है, ये नंबर निकल आता है. जिस देश की प्रति व्यक्ति आय जितनी अधिक होगी, उस देश के लोग उतने ही समृद्ध होंगे. एक बात यहां गौर करने वाली है कि प्रति व्यक्ति आय निकालते वक्त हर आदमी, औरत, बच्चे,बूढ़े और यहां तक कि नवजात बच्चों को भी गिना जाता है. देश की Per Capita Income कितनी हो तो देश को विकसित कहा जाएगा? अर्थशास्त्रियों में इस बात को लेकर अलग-अलग राय है. Business Standard की एक रिपोर्ट के मुताबिक बारह हजार से पंद्रह हजार डॉलर के बीच की सालाना Per Capita Income होना एक विकसित देश बनने के लिए जरूरी है. वहीं कुछ अर्थशास्त्री ये भी कहते हैं कि ये संख्या 25 हजार से 30 हजार डॉलर होनी चाहिए, तभी देश विकसित कहलाएगा.
यूं तो भारत वर्तमान में दुनिया की पांचवी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था है, पर अगर PER CAPITA INCOME के मामले में देखें तो भारत 197 देशों में 142 वें नंबर पर आता है. इस मसले पर RESERVE BANK OF INDIA के पूर्व गवर्नर सी रंगराजन कहते हैं
"हम दुनिया की पांचवी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था हैं और आने वाले सालों में शायद तीसरे या चौथे स्थान पर आ जाएं. पर 2047 में जब भारत की आजादी के 100 साल पूरे होंगे, तब हमें विकसित देश बनने के लिए Per Capita Income को तेरह हजार डॉलर यानि करीब दस लाख 58 हजार होनी चाहिए. फिलहाल ये 2000 डॉलर यानी एक लाख 65 हजार रुपये के आसपास है."
-दूसरा है Industrialization का स्तर: किसी भी देश की तरक्की के लिए बड़े पैमाने पर Industrialization की जरूरत होती है. देश में जितने उद्योग होंगे, उससे देश में रोजगार तो बढ़ता ही है, साथ ही देश की कुल आय में भी इसका बड़ा contribution होता है. यानी अगर देश को विकसित करना है तो देश में Industrialization का स्तर अच्छा होना चाहिए.
-और तीसरा है रहन-सहन का स्तर जिसे Standard of Living कहा जाता है.
जिन देशों में Per Capita Income के आधार पर कैटिगराइजेशन मुश्किल होता है, उनमें Standard of Living को मानक माना जाता है. अधिकतर विकसित देशों में हर 1000 जन्मे बच्चों पर 10 से भी कम मौतें रिकॉर्ड की जाती हैं. साथ ही इन देशों में औसत आयु 75 साल रिकॉर्ड की गई है.
World Health Organization की वेबसाईट कहती है कि साल 2000-2019 तक पूरी दुनिया में औसत आयु 6 साल तक बढ़ी है. स्वास्थ्य सुविधाएं जितनी बेहतर होंगी, शिशु मृत्यु दर उतनी ही घटेगी. साथ ही औसत आयु में भी इजाफा होगा. ये 3 मानक आर्थिक आधार पर कोई देश कितना डेवलप है, इसकी तस्दीक करते हैं.
पर एक और मानक है जो आर्थिक कारणों से इतर ये रिकॉर्ड करता है कि गैर-आर्थिक मानकों पर देश कहां ठहरता है. इसे कहते हैं HUMAN DEVELOPMENT INDEX या मानव विकास सूचकांक. क्योंकि कई बार ऐसा देखने को मिलता है कि देश आर्थिक तौर पर बहुत मजबूत है पर वहां साक्षरता दर, शिक्षा और स्वास्थ्य सुविधाएं उस अनुपात में नहीं हैं. इसे एक उदाहरण से समझते हैं.
आपने कतर का नाम सुना होगा. वेस्ट एशिया में पड़ने वाला ये देश आर्थिक तौर पर काफ़ी समृद्ध है. कतर का Per capita Income 88 हजार डॉलर यानी करीब 73 लाख रुपये है. पर दूसरे फ़ैक्टर्स जैसे कि कमाई में समानता और शिक्षा के अवसर कतर में काफ़ी कम हैं. इसलिए कतर विकसित देशों में नहीं गिना जाता.
अब सवाल ये है कि कैसे निकलता है HUMAN DEVELOPMENT INDEX?
HUMAN DEVELOPMENT INDEX में देशों को 0 से 1 के बीच रैंक किया जाता है. इस रैंकिंग को निकालने के लिए तीन मानकों को ध्यान में रखा जाता है:
-साक्षरता दर
-साक्षरता के मौके
-और स्वास्थ्य सुविधाएं
इन तीन मानकों के आधार पर देशों को अंक दिए जाते हैं. इन अंकों को एक साथ जोड़कर 0 से 1 के बीच के एक इंडेक्स में. 0 से 1 के टेबल में जिस देश का HUMAN DEVELOPMENT INDEX 0.8 से ऊपर हो, उन्हें विकसित देश माना जाता है. भारत का स्कोर 0.633 है. 192 देशों में से भारत 132वें नंबर पर आता है.
#International Monetary fund के मुताबिक एशिया में इन देशों को विकसित देश कहा जा सकता है. ये देश हैं
-जापान
-साउथ कोरिया
-सिंगापुर
-और ताइवान
#जबकि विकासशील देश जो आने वाले समय में विकसित देशों में जगह बना सकते हैं, उनमें-
-चीन
-भारत
-मलेशिया
-थाईलैंड
-फिलीपींस
-और वियतनाम आते हैं.
अब इतनी इकोनॉमिक्स समझ ली तो थोड़ा सा हिस्ट्री भी जान लेते हैं. आपने एक टर्म सुना होगा, “Third World Countries”. नाम से ऐसा लगता है कि कोई तीसरी दुनिया की बात हो रही है. हालांकि सोवियत संघ के टूटने के बाद ये टर्म उतने प्रासंगिक नहीं रहे. पर आज इन शब्दों का इस्तेमाल किसी देश की इकोनॉमी के संदर्भ में किया जाता है. आज पश्चिमी देश जिनकी अर्थव्यवस्था मजबूत है, उनके लिए फर्स्ट वर्ल्ड शब्द का उपयोग किया जाता है. सोवियत संघ के टूटने के बाद से सेकंड वर्ल्ड का टर्म प्रचलन से बाहर हो गया पर थर्ड वर्ल्ड टर्म आज भी चलन में है. बस इसका मतलब गुटनिरपेक्ष की जगह ऐसे देशों से है जो अभी विकसित हो रहे हैं.
दरअसल इस शब्द की शुरुआत हुई 1952 से. फ़्रांस के डेमोग्राफी एक्सपर्ट Alfred Sauvy ने. दरअसल दूसरे विश्वयुद्ध के बाद अमेरिका और सोवियत यूनियन में दुनिया का लीडर कौन? इस बात को लेकर बहस छिड़ गई. Alfred Sauvy ने अमेरिका के ब्लॉक वाले देशों जिनमें पूंजीवाद का बोलबाला था, उन्हें फर्स्ट वर्ल्ड देश कहा. इसके इतर जिन देशों में कम्युनिस्ट थे उन्हें Second World कहा गया जबकि वो देश जिन्होंने किसी भी गुट से जुड़ना ठीक नहीं समझा, उन्हें Third World Countries कहा गया. भारत भी उस वक्त तीसरे गुट या थर्ड वर्ल्ड का ही हिस्सा था.
और अब आखिर में आपको बताते हैं कि आज हम आपको विकसित और विकासशील देशों के बारे में क्यों बता रहे हैं? जैसा कि हमने शुरुआत में बताया, 2024 के लोकसभा चुनावों से पहले पीएम मोदी ने नई दिल्ली के चाणक्यपुरी स्थित सुषमा स्वराज भवन में कैबिनेट की मीटिंग ली है.
इसमें उन्होंने 'विकसित भारत 2047' के विजन डॉक्यूमेंट पर चर्चा की. इसके अलावा लोकसभा चुनावों के बाद अगले पांच साल के एक्शन प्लान पर भी चर्चा हुई.
2047 में अंग्रेजी शासन से आजाद होने के बाद भारत अपनी आजादी के 100 साल पूरे करेगा. मोदी सरकार का टारगेट है कि तब तक भारत की इकॉनमी तीस ट्रिल्यन डॉलर की हो जाएगी. विकसित भारत 2047 के तहत देश में
-आर्थिक विकास
-सस्टेनेबल डेवलपमेंट
-इन्फ्रास्ट्रक्चर का विकास
-ईज ऑफ लिविंग
-ईज़ ऑफ डूइंग बिजनेस
-और सामाजिक कल्याण के लिए जरूरी कदम उठाए जाएंगे.
मीटिंग में चुनावों के बाद सरकार के गठन का भी एक्शन प्लान तैयार किया गया. इस प्लान में सरकार बनने के 100 दिन बाद के एजेंडे शामिल हैं.