संजीव जीवा के बाद किसी और की हत्या अदालत में नहीं होगी? ये लिस्ट देखकर नहीं लगता
किसी ने पिता की हत्या का बदला लिया, तो किसी ने दोस्त की जान ले ली.
गैंगस्टर संजीव जीवा की 7 जून के रोज़ लखनऊ की एक अदालत में हत्या कर दी गई. जीवा सुनवाई के लिए कोर्ट पहुंचा था. तभी वकील के भेस में आए हमलावर ने उसे गोली मार दी और जीवा ने कोर्ट परिसर में ही दम तोड़ दिया. ये सब जज के सामने हुआ. ये घटना सिहरन पैदा करती है. लेकिन ये पहली बार नहीं था, जब कोर्ट के भीतर किसी की हत्या हुई. कुछ पुराने मामलों पर गौर कीजिए -
शाहजहांपुर में वकील ने की वकील की हत्या19 अक्टूबर, 2021 का दिन. शाहजहांपुर सदर बाजार क्षेत्र स्थित अदालत. जलालाबाद के रहने वाले 60 साल के वकील भूपेंद्र सिंह की एक दूसरे वकील ने गोली मारकर हत्या कर दी थी. हत्या करने वाले वकील सुरेश गुप्ता की उम्र 88 वर्ष थी. हत्या के तुरंत बाद सुरेश को IPC की धारा 302 (हत्या) व 120B (आपराधिक साजिश) के तहत मुकदमा दर्ज गिरफ्तार कर लिया गया था.
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक इस घटना के बाद आरोपी सुरेश गुप्ता का एक वीडियो भी सामने आया था. वीडियो में सुरेश ने बताया कि भूपेंद्र सिंह ने उनके ऊपर 24 फर्जी मुकदमे कर रखे थे. ये मुकदमे चोरी से लेकर मर्डर के थे. सुरेश ने कहा कि इस वजह से वो बहुत परेशान थे, खाना नहीं खा पाते थे. सो नहीं पाते थे. भूपेंद्र किराएदार के तौर पर सुरेश के घर पर भी रह चुके थे. जहां पुलिस के दख़ल के बाद ही उन्होंने मकान खाली किया था. सुरेश गुप्ता बैंक से रिटायर्ड पेंशनर थे. गोली मारने की बात पर उन्होंने कहा था कि, ‘मेरे सामने मजबूरी थी, खुद मर जाना या मार देना’.
रोहिणी कोर्ट में गोगी हत्याकांडदिल्ली का रोहिणी कोर्ट अक्सर खबरों में रहता है. 24 सितंबर, 2021 के रोज़ कोर्टरूम में कुख्यात बदमाश जितेंद्र गोगी की पेशी होने वाली थी. दिल्ली पुलिस की तीसरी बटालियन और काउंटर इंटेलिजेंस टीम उसे अपने साथ लाई थी. माने गोगी कोर्टरूम के अंदर भी कड़ी सुरक्षा में था. तभी वकील की ड्रेस पहने दो लोगों ने गोगी पर गोलियों की बौछार कर दी और गोगी मारा गया. ये ठीक संजीव जीवा पैटर्न में हुई हत्या थी. लेकिन एक फर्क था. गोलियां चलते ही काउंटर इंटेलिजेंस टीम ने जवाबी फायर किया. और मुठभेड़ में दोनों हमलावर मारे गए.
दिल्ली पुलिस की स्पेशल सेल ने जितेंद्र गोगी को साल 2020 में उसके तीन अन्य साथियों के साथ गिरफ्तार किया था. उस वक्त गोगी पर दिल्ली पुलिस ने आठ लाख रुपए का इनाम रखा था.
गोगी हत्याकांड की जिम्मेदारी टिल्लू ताजपुरिया ने ली थी. जो मकोका के तहत तिहाड़ जेल में बंद था. गोगी की गैंग ने इसका बदला भी लिया. 2 मई, 2023 को तिहाड़ जेल के भीतर टिल्लू ताजपुरिया पर हमला हुआ और उसे चाकुओं से गोदकर मार डाला गया.
दोस्त ने दोस्त को मारादिल्ली का ही द्वारका कोर्ट भी हत्या का गवाह बन चुका है. द्वारका कोर्ट परिसर में 15 जुलाई, 2021 की रात नौ बजे वकील के चैंबर के अंदर गोली चली. घटना में 42 वर्षीय स्वीकार लूथरा की मौत हो गई, जो नकली सिक्कों का रैकेट चलाता था. स्वीकार, अपने दोस्त प्रदीप के साथ वकील अरुण शर्मा से मिलने आया था. एक वरिष्ठ पुलिस अधिकारी ने बताया कि जिस वक्त घटना हुई चेंबर के अंदर चार लोग मौजूद थे. उनमें से प्रदीप घटना के बाद फरार हो गया था.
पुलिस के मुताबिक लूथरा और प्रदीप के बीच एक बहस हो गई थी. जिसके बाद उसने अपनी पिस्टल निकाल लूथरा को गोली मार दी थी. इस मामले में वकील अरुण शर्मा को भी गिरफ्तार किया गया था.
पिता की हत्या का बदला, कोर्ट के भीतरउत्तर प्रदेश में बिजनौर के चीफ ज्यूडिशियल मजिस्ट्रेट (CJM) योगेश कुमार के कोर्ट में 17 दिसंबर, 2019 की दोपहर शाहनवाज नाम के आरोपी की पेशी चल रही थी. शाहनवाज पर बीएसपी नेता अहसान अहमद और उनके भांजे की हत्या का आरोप था. इसी दौरान कोर्टरूम में अचानक गोलियों की आवाज सुनाई दी. ये गोलियां शाहनवाज पर चली थीं, जिसने दम तोड़ दिया. वो बाहुबली नेता मुख्तार अंसारी का करीबी था. इस घटना में सीजेएम योगेश भी बाल-बाल बचे थे.
इस घटना के बाद तत्कालीन एसपी संजीव त्यागी ने बताया था कि अपने पिता अहसान की हत्या का बदला लेने के लिए उनके बेटे साहिल ने कोर्ट में गोली चलाई थी. वो अपने दो साथियों के साथ कोर्ट परिसर पहुंचा था. इस वारदात को जज के सामने कोर्ट का दरवाजा बंद करके अंजाम दिया गया.
कोर्ट परिसर में होने वाली हत्याओं में मोटीवेशन भले अलग-अलग हो, लेकिन पैटर्न लगभग एक ही रहता है. मरने वाला पुलिस की सुरक्षा/जेल में होता है और अदालत ही वो जगह होती है, जहां उसका सामना हमलावर से हो सकता है. और इसी मौके का फायदा उठाकर हत्या की जाती है. हत्याएं वकील के चेंबर में भी हुई हैं और जज के सामने भी. ये बताता है कि कानून का इकबाल इन मौकों पर लगभग बेमानी हो जाता है. इसीलिए ये मानने का कोई आधार नहीं मिलता कि संजीव जीवा हत्याकांड वो आखिरी मौका होगा, जब कोर्ट के भीतर किसी की जान गई.
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