भारत का बंटवारा करने वाले ब्रिटिश अफ़सर लॉर्ड माउंटबेटन की हत्या किसने की थी?
ब्रिटेन के शाही परिवार से उनका रिश्ता क्या था?
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माउंटबेटन की हत्या क्यों हुई थी?
आज की कहानी के मुख्य पात्र हैं माउंटबेटन. ग़ुलाम भारत के आख़िरी वायसरॉय. आज़ाद भारत के पहले गवर्नर-जनरल. ब्रिटिश क्राउन का वो प्रतिनिधि, जिसने अगस्त 1947 में हमें सत्ता ट्रांसफर की. आम भारतीयों के लिए माउंटबेटन की याद, उनका ज़िक्र अगस्त 1947 पर जाकर ख़त्म हो जाता है. मगर माउंटबेटन का सफ़र हमारी आज़ादी के बाद भी चलता रहा. कितने साल? ठीक 32 साल. ये सफ़र ख़त्म हुआ अगस्त 1979 में माउंटबेटन की हत्या के साथ. कैसे हुई ये हत्या? माउंटबेटन को किसने मारा और क्यों मारा?
इंग्लैंड में सैकड़ों चर्च हैं. इनमें सबसे मशहूर है- वेस्टमिंस्टर ऐबे. ब्रिटिश पार्लियामेंट की पश्चिमी दिशा में बनी ये इमारत ब्रिटिश शाही परिवार का चर्च है. पिछले एक हज़ार सालों में ब्रिटेन की गद्दी पर जो लोग भी बैठे, उन सबकी ताजपोशी इसी जगह पर हुई. इस वेस्टमिंस्टर ऐबे के पश्चिमी दरवाज़े के ठीक भीतर एक खंभे के नीचे संगेमरमर की एक तख़्ती लगी है.
माउंटबेटन की याद में लगा ताम्रपत्र.
इस ताम्रपत्र को लगवाया था क्वीन एलिज़ाबेथ द्वितीय के पति प्रिंस फिलिप ने. तारीख़ थी- 14 फरवरी, 1985. किसकी याद में लगाई गई ये तख़्ती? ये लगी है एक जहाज़ी की याद में. वो जहाज़ी, जिसकी मौत इस स्मारक के इनॉग्रेशन से करीब छह साल पहले अगस्त महीने की एक सुबह को हुई थी. उस रोज़ समंदर में एक बम फटा था. इस ब्लास्ट में तीन लोगों की जान गई. मरने वालों में शामिल थे, 14 और 15 साल के दो लड़के. और, एक 79 साल का बुजुर्ग. वो बुजुर्ग, जो कभी ब्रिटिश नेवी का प्रमुख रहा था. उनका नाम था- लूइस फ्रैंसिस अल्बर्ट विक्टर निकोलस माउंटबेटन. हममें से ज़्यादातर लोग इस शख्स को लॉर्ड लूइस माउंटबेटन के नाम से जानते हैं.
माउंटबेटन की शाही रिश्तेदारियां
इससे पहले कि हम माउंटबेटन की हत्या का वाकया बताएं आपको, थोड़ी बात उनके खानदान की कर लेते हैं. क्योंकि माउंटबेटन के मारे जाने की एक बड़ी वजह उनकी हाई-प्रोफाइल रिश्तेदारियां भी थीं. माउंटबेटन की फैमिली का नाम था बाटनबर्ग. इस बाटनबर्ग फैमिली का रिश्ता जर्मनी और ब्रिटेन, दोनों जगहों की रॉयल फैमिली के साथ था. कैसे, बताते हैं.

प्रिंस लुईस.
बाटनबर्ग फैमिली की शुरुआत हुई जूलिया नाम की एक महिला से. ये जो जूलिया थीं, वो जर्मनी की एक राजकुमारी की सहायिका थीं. कामकाज के दौरान जूलिया की मुलाकात हुई उस राजकुमारी के भाई प्रिंस अलेक्ज़ेंडर से. दोनों ने शादी कर ली. मगर जूलिया ख़ुद तो शाही परिवार से थीं नहीं. ऐसे में उनके बच्चे कभी गद्दी के दावेदार नहीं माने जाते. इसका हल निकाला उनके जेठ ने, जो कि तब जर्मनी के हेस प्रांत के शासक थे. उन्होंने जूलिया को बना दिया जर्मनी के बाटनबर्ग नाम के एक शहर की काउंटेस. काउंटेस एक तरह की शाही पदवी है. ये रॉयल ओहदा मिलने के बाद जूलिया का परिवार बाटनबर्ग फैमिली के नाम से जाना जाने लगा.
जूलिया और अलेक्ज़ेंडर के पांच बच्चे हुए. इनमें से एक थे, प्रिंस लूइस. यही प्रिंस लूइस माउंटबेटन के पप्पा थे. माउंटबेटन की मां प्रिंसेज़ विक्टोरिया रिश्ते में ब्रिटेन की महारानी विक्टोरिया की परपोती लगती थीं. ब्रिटिश रॉयल फैमिली के साथ ये इकलौता रिश्ता नहीं था माउंटबेटन का. उनके भांजे प्रिंस फिलिप की शादी एलिज़ाबेथ द्वितीय से हुई. एलिज़ाबेथ ब्रिटेन के सम्राट जॉर्ज सिक्स्थ की बड़ी बिटिया थीं. चूंकि जॉर्ज सिक्स्थ का कोई बेटा नहीं था, सो उनकी मौत के बाद जून 1953 में एलिज़ाबेथ को ब्रिटेन की महारानी बनाया गया. यानी, अब माउंटबेटन फैमिली का ब्रिटिश शाही परिवार के साथ सीधा लिंक बन गया.
एक रिश्तेदारी, जो जानलेवा साबित हुई
अब आपको माउंटबेटन का ओहदा, ब्रिटिश शाही परिवार से उनका संबंध क्लियर समझ आ गया होगा. अब चलते हैं माउंटबेटन की हत्या पर. ये बात है 26 अगस्त, 1979 की. इस रोज़ माउंटबेटन थे क्लासिबॉन कासल में. आयरलैंड में क्लिफॉने नाम का एक गांव है. वहीं एक पहाड़ी पर बना है ये छोटा सा महल. हर साल अगस्त महीने में माउंटबेटन अपनी दोनों बेटियों- पैट्रिशिया और पामेला के साथ छुट्टियां बिताने यहां आया करते थे.

नाव में मछली पकड़ने जाते माउंटबेटन. (साभार: Netflix)
उस रोज़, यानी 26 अगस्त को माउंटबेटन ने सोचा कि क्यों न समंदर जाकर झींगे पकड़े जाएं. उन्होंने अपनी फिशिंग बोट उठाई और समंदर में निकल गए. करीब 29 फुट लंबी हरे और सफ़ेद रंग की इस नाव का नाम था- शैडो वी. इसी पर बैठकर माउंटबेटन ने झींगे पकड़ने के लिए कुछ जाल लगाए समुद्र में और किनारे लौट आए. सोचा, अगले दिन मौसम अच्छा रहा तो वापस समंदर जाकर जाल में फंसे झींगे निकाल लाएंगे.
उसी रात तकरीबन दो बजे की बात है. माउंटबेटन अपनी बेटी की फैमिली के साथ महल में सो रहे थे. इसी वक़्त रात के अंधेरे में दो लोग उनकी बोट पर चढ़े. उन्होंने नाव के इंजन का कवर उठाया और अपने साथ लाया एक पैकेट वहां रखकर चलते बने.
अगली सुबह. तारीख़ 27 अगस्त, 1979. काफी अच्छी धूप खिली थी उस दिन. माउंटबेटन सुबह सवेरे जगे. आठ बजे की रेडियो न्यूज़ सुनी. थोड़ी एक्सरसाइज़ की. फैमिली ने साथ बैठकर सुबह का नाश्ता किया.
फिर सुबह के तकरीबन सवा 11 बजे वो महल से रवाना हुए. उन्हें कार में बैठकर मुलघॉमोर नाम के पड़ोसी गांव पहुंचना था. वहीं समंदर किनारे उनकी नाव खड़ी थी. माउंटबेटन के साथ उनकी बेटी पैट्रिशिया, उसके पति जॉन, जॉन की मां डोरिन, पैट्रिशिया के 14 बरस के जुड़वां बेटे निकोलस और टिमोथी भी थे. इन छह के अलावा उस बोट पर 15 साल का पॉल मैक्सवेल भी सवार था. पॉल लोकल लड़का था. चूंकि वो समंदर को जानता था, सो माउंटबेटन ने उसे अपने साथ लिया था.
उस दिन क्या हुआ?
सुबह 11 बजकर 35 मिनट पर माउंटबेटन और उनकी ये छोटी फिशिंग पार्टी बोट में बैठकर रवाना हुई. ऐसा नहीं कि सिक्यॉरिटी न हो उनके ऊपर. आयरिश पुलिस की स्पेशल ब्रांच के डिटेक्टिव केविन हेनरी अपनी कार में बैठे समंदर किनारे की सड़क पर चल रहे थे. ताकि कोई ज़रूरत पड़े, तो वो नाव से दूर न रहें. इसके अलावा ऑफ़िसर केविन मुलिन्स भी दूरबीन से नाव पर नज़र रखे हुए थे.
इन सिक्यॉरिटी ऑफिसर्स के अलावा कुछ और लोगों की भी नज़र थी नाव पर. वो पास की एक चट्टान पर खड़े होकर नाव की हर मूवमेंट को ताक रहे थे. इनके हाथ में था एक रिमोट कंट्रोल. माउंटबेटन की नाव को समंदर में निकले करीब 11 मिनट बीते होंगे. घड़ी में सुबह के 11.46 बजे का वक़्त हो रहा था. ठीक इसी वक़्त चट्टान पर खड़े उस आदमी ने रिमोट का बटन दबाया और समंदर में हुआ एक ज़ोरदार धमाका. माउंटबेटन की नाव के परख़च्चे उड़ गए.

माउंटबेटन की हत्या की ख़बर.
जिस जगह ये ब्लास्ट हुआ, उसके पास ही तीन टूरिस्ट अपनी छोटी सी डोंगी में मछली पकड़ रहे थे. वो धमाके वाली जगह पर पहुंचे. देखा, समंदर के पानी पर औंधे मुंह एक बेजान शरीर तैर रहा है. उसके पांव ब्लास्ट में उड़ गए हैं. शरीर तकरीबन नंगा है. बस एक नीले रंग की जर्सी का थोड़ा सा हिस्सा जिस्म से चिपका रह गया है. ये लाश माउंटबेटन की थी. इस धमाके में उनके अलावा उनका नाती निकोलस और गाइड पॉल भी मारे गए. माउंटबेटन की समधन डोरिन इतनी जख़्मी हो गईं कि बाद में उनकी भी मौत हो गई.
किसने की थी माउंटबेटन की हत्या?
ये हत्या की थी, IRA यानी आयरिश रिपब्लिकन आर्मी ने. क्या है ये संगठन? ये एक मिलिटेंट ऑर्गनाइज़ेशन है, जिसे ब्रिटेन आतंकवादी कहता है. इस संगठन का इतिहास जुड़ा है आयरलैंड से. ये ब्रिटेन के पश्चिम में बसा एक द्वीपनुमा हिस्सा है. इसके दो हिस्से हैं. एक, रिपब्लिक ऑफ़ आयरलैंड. दूसरा, नॉदर्न आयरलैंड. रिपब्लिक ऑफ़ आयरलैंड आज़ाद देश है, जबकि नॉदर्न आयरलैंड यूनाइटेड किंगडम का हिस्सा है.
पहले ये दोनों हिस्से एक संयुक्त आयरलैंड का हिस्सा थे. 17वीं सदी में इंग्लैंड ने पूरे आयरलैंड पर कब्ज़ा कर लिया. मगर फिर 19वीं और 20वीं सदी में आकर आयरलैंड के भीतर इंग्लैंड से आज़ाद होने की लहर चली. 1919 में आयरिश जनता ने ब्रिटिश सत्ता के खिलाफ़ बगावत कर दी. इसके बाद क्या हुआ कि आयरलैंड का दक्षिणी हिस्सा तो स्वतंत्र हो गया. मगर इसके उत्तरी हिस्से की करीब छह काउंटीज़ ब्रिटेन के प्रति वफ़ादार बनी रहीं. वो ब्रिटेन का ही हिस्सा रहे.

यूनाइटेड किंगडम का नक्शा. (साभार: Google Maps)
फिर 1960 के दशक में आकर यहां ज़बर्दस्त हिंसा शुरू हुई. इस दौर को 'द ट्रबल्स' कहते हैं. इसमें दोनों गुटों की तरफ से कई पैरामिलिटरी ग्रुप्स बनाए गए. इनमें से ही एक थी IRA. इनकी लड़ाई ब्रिटिश हुकूमत और उसके प्रति वफ़ादार उत्तरी आयरलैंड के यूनियनिस्ट्स से थी. ये आयरलैंड का एकीकरण चाहते थे. उत्तरी आयरलैंड को ब्रिटेन से छुड़ाना चाहते थे. इस एकीकरण की लड़ाई में आयरलैंड का हर गली-नुक्कड़ युद्ध का मैदान बन गया. ख़ूब हिंसा हुई. IRA चाहता था कि लड़ाई बस आयरलैंड तक न रहे. ब्रिटेन के भीतर भी पहुंचे. ताकि वहां रहने वालों को पता चले कि आयरलैंड में किस तरह की खूंरेजी हो रही है. इसलिए IRA ब्रिटेन के भीतर भी कई छोटे-बड़े हमले करता रहता था. ब्रिटिश प्रतीकों को निशाना बनाता था.
मगर IRA ने माउंटबेटन को क्यों मारा?
उनका तो नॉदर्न आयरलैंड को लेकर चल रही हिंसा से कोई सीधा कनेक्शन भी नहीं था. फिर वो क्यों बने शिकार? इसका जवाब है, रिश्तेदारी. हमने आपको बताया था कि वो ब्रिटेन के राजा प्रिंस फिलिप के मामा थे. माउंटबेटन की मां क्वीन विक्टोरिया की परपोती थीं. इस नाते वो क्वीन एलिज़ाबेथ के भी कज़न थे. राजघराने में बहुत मान था उनका. प्रिंस फिलिप, क्वीन एलिज़ाबेथ और उनके बेटे प्रिंस चार्ल्स, सब बहुत क्लोज़ थे उनके. इसके अलावा माउंटबेटन ब्रिटिश नेवी के चीफ और ब्रिटिश आर्मी के चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ और भारत के पूर्व वॉयसराय भी रह चुके थे. उन्हें टारगेट करने का मतलब था ब्रिटेन की रॉयल फैमिली और उसके इंस्टिट्यूशन्स के मनोबल को भीतर से चोट पहुंचाना.
ऐसा नहीं कि माउंटबेटन को IRA से ख़तरे की वॉर्निंग न मिली हो. सरकार और लोकल पुलिस ने उन्हें सावधान किया था. कहा था कि IRA उनपर हमला कर सकता है. मगर माउंटबेटन ने इस वॉर्निंग को गंभीरता ने नहीं लिया. उनका कहना था कि एक 79 साल के बुजुर्ग को मारने में भला किसी की क्या दिलचस्पी हो सकती है. ज़ाहिर है, उनका ये अनुमान ग़लत निकला.
ब्रिटेन ने उनकी हत्या के इल्ज़ाम में दो लोगों को अरेस्ट किया था. इनके नाम थे- थॉमस मैकमहोन और फ्रैंसिस मैकगर्ल. मैकमहोन ने 19 साल जेल की सज़ा काटी. जबकि फ्रैंसिस को सबूतों की कमी के कारण रिहा कर दिया गया. हालांकि माउंटबेटन की हत्या के करीब 16 साल बाद 1995 में एक ट्रैक्टर के नीचे कुचलकर फ्रैंसिस मारा गया.