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IAS, IPS की रैंक डिसाइड करने के पीछे कौन-सा फ़ॉर्मूला लगता है?

ये सबसे पहले तो वैकेंसी पर निर्भर करता है. कि उस साल कितनी वैकेंसीज़ निकली हैं किसी पोस्ट के लिए. और अलग-अलग कैटेगरी में लोगों ने कौन-सा ऑप्शन चुना है.

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UPSC 2019 के रिजल्ट्स हाल में ही जारी हुए हैं. इसके टॉपर मीडिया में छाये हुए हैं. (सांकेतिक तस्वीर: इंडिया टुडे)
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प्रेरणा
10 अगस्त 2020 (Updated: 4 जून 2022, 11:27 AM IST) कॉमेंट्स
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UPSC. यानी यूनियन पब्लिक सर्विस कमीशन. संघ लोक सेवा आयोग. हर साल परीक्षा करवाता है. जिसे बोलचाल की भाषा में सिविल सर्विस एग्जाम कहा जाता है. 2019 में हुई परीक्षा के रिजल्ट अभी आए हैं. और हर साल की तरह इस बार भी टॉप करने वाले, अच्छी रैंक लाने वाले लोग खबरों में छाये हुए हैं. लेकिन ये रैंक डिसाइड कैसे होती है UPSC में? कौन-सी रैंक वाले को IAS बनने को मिलता है. कौन से वाले IPS बनते हैं? क्या कोई ख़ास रैंक पहले से तय होती है कि इस रैंक तक वाले को IAS या IFS बनने को मिलेगा? ये ज़रा तफसील से समझ लीजिए. आसान भाषा में.
UPSC का तीया पांचा.
इससे पहले कि रैंकिंग समझें, पहले ये क्लियर समझ लीजिए कि UPSC एग्जाम में होता क्या है.
कुल मिलाकर 24 सर्विसेज होती हैं, जिनके लिए कैंडिडेट्स का सिलेक्शन किया जाता है. ये दो कैटेगरीज़ में बंटी होती हैं.

ऑल इंडिया सर्विसेज.

सेंट्रल सर्विसेज.  

इसमें जो ऑल इंडिया सर्विसेज हैं वो IAS (इंडियन एडमिनिस्ट्रेटिव सर्विसेज) और IPS (इंडियन पुलिस सर्विसेज) हैं. इनमें जो लोग चुने जाते हैं, उनको राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों का कैडर दिया जाता है.
सेंट्रल सर्विसेज में ग्रुप ए और ग्रुप बी सर्विसेज होती हैं.

# ग्रुप ए सर्विसेज में इंडियन फॉरेन सर्विस, इंडियन सिविल एकाउंट्स सर्विस, इंडियन रेवेन्यू सर्विस (इनकम टैक्स वाली पोस्ट्स), इंडियन रेलवे सर्विस (IRTS और IRPS) और इंडियन इनफार्मेशन सर्विस (IIS) जैसी सर्विसेज आती हैं.

# ग्रुप बी में आर्म्ड फोर्सेज हेडक्वार्टर्स सिविल सर्विस, पांडिचेरी सिविल सर्विस, दिल्ली एंड अंडमान निकोबार आइलैंड सिविल और पुलिस सर्विस जैसी सर्विस आती हैं.

जो लोग एग्जाम देते हैं, उन लोगों को दो एग्जाम्स देने होते.
एक प्रीलिम्स. यानी प्रीलिमिनरी एग्जाम. इसमें दो पेपर होते हैं. दो-दो घंटे के. पहले पेपर के नम्बरों के आधार पर कट ऑफ तैयार होती है  उन लोगों की जो मेन एग्जाम लिखते हैं. दूसरा पेपर यानी CSAT क्वालिफाइंग पेपर होता है. यानी इसमें सिर्फ 33 फीसद नंबर चाहिए होते क्वालीफाई करने के लिए. जैसे 200 नंबर का पेपर है तो 67 नंबर इसमें लाना ज़रूरी है. एक छोटी चीज़ जिसका ध्यान रखना ज़रूरी है, वो ये कि पहले पेपर में अगर आप ने कट ऑफ क्लियर कर लिया है, लेकिन सेकंड पेपर में आप क्वालीफाई करने लायक नंबर नहीं लाते, तो आपका प्रीलिम्स क्लियर नहीं माना जाएगा. ये दोनों पेपर एक ही दिन होते हैं. दो अलग-अलग शिफ्ट्स में.
Upsc 2 संघ लोक सेवा आयोग की परीक्षाएं होने और रिजल्ट आने की पूरी प्रक्रिया में सवा साल से डेढ़ साल तक का समय लग जाता है. (सांकेतिक तस्वीर: India Today)


फिर आते हैं मेन एग्जाम्स
आपने क्लियर कर लिया प्रीलिम्स. मेरिट लिस्ट में आ गए. अब आप को देना होगा मेंस का एग्जाम. कई लोग तो मेंस लिखने को भी बहुत बड़ी उपलब्धि की तरह बताते हैं. वैसे ये एग्जाम होता भी ऐसा है. मतलब एक पूरे साल का कोटा इसी एग्जाम में पूरा हो जाता.

1. सबसे पहले दो लैंग्वेज पेपर होते. ये क्वालिफाइंग पेपर होते हैं. यानी दोनों में अलग-अलग  33 फीसद नंबर लाने ज़रूरी हैं. हालांकि इनके नंबर मेरिट लिस्ट बनाने में काउंट नहीं होते.  ये तीन-तीन घंटे के पेपर्स होते हैं. एक इंडियन/रीजनल लैंग्वेज और दूसरा इंग्लिश.

2. इसके बाद एक निबंध का पेपर होता है. तीन घंटे में दो निबंध लिखने होते हैं. इन दोनों निबंधों को  लिखने के लिए अलग-अलग टॉपिक मिलते हैं जिनमें से आप अपनी पसंद का टॉपिक चुन सकते हैं.

3. फिर आते हैं चार जनरल स्टडीज के पेपर. सभी तीन-तीन घंटे के. एक दिन में दो से ज्यादा पेपर हो नहीं सकते. तो इनकी उसी हिसाब से टाइमटेबल बनाई जाती है.

थक गए? अभी सीन बाकी है.

4. इन सबके बाद आखिर में ऑप्शनल पेपर होता है. जिसमें दो एग्जाम होते हैं- पेपर 1 और पेपर 2. ये वो सब्जेक्ट होता है  जो आप अपने लिए चुनते हैं. हिंदी में इनको वैकल्पिक विषय कहा जाता है. लैंग्वेज पेपर्स को छोड़कर बाकी सभी पेपर्स के नंबर जोड़े जाते हैं और मेरिट लिस्ट तैयार होती है. 

कुल मिलाकर 27 घंटे का ये एग्जाम आम तौर पर  पांच से सात दिनों में ख़त्म होता है. इन दिनों के बीच अगर कोई इतवार या नेशनल छुट्टी  आ गई तो उसकी छुट्टी मिल जाती है. इसके बाद मेंस का रिजल्ट आता है, और पर्सनैलिटी टेस्ट होता है. जिसे पर्सनल इंटरव्यू भी कहते. उसके नंबर जोड़कर रिजल्ट तैयार होता. फिर रैंकिंग आती.
रैंकिंग कैसे तय होती है?
ये सबसे पहले तो वैकेंसी पर निर्भर करता है. कि उस साल कितनी वैकेंसीज़ निकली हैं किसी पोस्ट के लिए. और अलग-अलग कैटेगरी में लोगों ने कौन-सा ऑप्शन चुना है. कैटेगरी का मतलब जनरल, SC,ST,OBC, EWS (इकॉनोमिकली वीकर सेक्शंस यानी जो आर्थिक रूप से कमज़ोर कैटेगरी में आते हैं). जो भी व्यक्ति एग्जाम देता है, वो पहले ही अपनी प्रेफरेंस क्लियर कर देता है. मेन एग्जाम के फॉर्म भरते समय. कि उसकी पहली प्रेफरेंस IAS है, IFS है, या IPS है. फिर मेरिट लिस्ट निकलती है. उस हिसाब से जिनके सबसे ज्यादा नंबर आते हैं, वो IAS, IFS बनते हैं. अगर उनकी प्रेफरेंस यही हो तो. उसके बाद धीरे-धीरे घटते हुए मार्क्स के साथ आगे की पोस्ट भी मिलती जाती है.
लेकिन इसका मतलब ये नहीं है कि अगर 100 पोस्ट्स की वैकेंसी है, और उसमें IAS के लिए 30 रिक्तियां हैं, तो टॉप के 30 लोगों को ही IAS मिलेगा. ये भी हो सकता है कि उन टॉप 30 लोगों में से किसी की प्रेफरेंस कुछ और हो. जैसे IPS या IRS. तो ऐसे मेरिट में थोड़ा पीछे रहे लोग अगर अपना प्रेफरेंस IAS रखते हैं तो उन्हें पोस्ट मिल सकती है. इस तरह थोड़ी पीछे के रैंक वाले लोग भी ये ऊपर की सर्विसेज पा सकते हैं.
जैसे मान लीजिए. 2018 के रिजल्ट्स ही देख लेते हैं.

रिजल्ट्स अनाउंस होने तक 812 वैकेंसी थीं. जनरल कैटेगरी में जिस आखिर व्यक्ति को IAS की पोस्ट मिली, उसकी रैंक 92 थी. IFS सर्विस मिलने वाले आखिरी व्यक्ति की रैंक जनरल में 134 थी. IPS की पोस्ट के लिए आखिरी  रैंकिंग 236 तक गई थी.

यानी अगर सामान्य वर्ग (जनरल कैटेगरी) में 70 रिक्तियां हैं IAS के लिए. तो टॉप के 90-95 तक के रैंक वाले भी सामान्य वर्ग में IAS पा सकते हैं. यही चीज़ IPS, IFS और सभी सर्विसेज के लिए भी लागू होती है.
रैंकिंग पाना क्या इतना मुश्किल है?
हर साल वैकेंसीज की संख्या अलग-अलग होती है. 2005 में 457 वैकेंसीज से लेकर 2014 में 1364 वैकेंसीज तक, थोड़ी बहुत बढ़ोतरी हुई है सीट्स में. लेकिन एग्जाम देने वालों की संख्या भी तेजी से बढ़ी है. UPSC हर साल वैकेंसी के हिसाब से ही मेंस एग्जाम और इंटरव्यू देने वालों की संख्या तय करता है. जैसे 100 पोस्ट की वैकेंसी है. तो तकरीबन इसके 12 -13 गुना लोग मेन एग्जाम लिखने के लिए चुने जाएंगे, प्रीलिम्स में से. और फिर करीब 250 लोग इंटरव्यू के लिए चुने जाएंगे. इनमें से फिर फाइनल रैंक की लिस्ट के लिए लोग चुने जाएंगे. ये सिर्फ एक उदाहरण है. ताकि आईडिया लग सके आपको कि रैंकिंग के लिए कितना तगड़ा कम्पटीशन होता है.
तो ये है UPSC का पूरा लेखा-जोखा. अगर इससे जुड़ा आपका कोई और सवाल है,  या आप कोई जानकारी चाहते हैं, तो हमें कमेंट सेक्शन में बता सकते हैं.
 

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