कैसे तय होते हैं दूध के दाम, जो लगातार महंगा होता जा रहा है
दूध की कीमत इस साल दूसरी बार बढ़ी है.
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दूध के बढ़ते दामों से पूरी डेयरी इंडस्ट्री प्रभावित होती है. आखिर क्या है इसके पीछे की वजह. (सांकेतिक तस्वीर: Getty Images / Pixabay)
दूध महंगा हो गया. 14 दिसंबर से. 1 लीटर दूध 3 रुपये महंगा हो गया. 55 रुपये लीटर (दिल्ली में अमूल का रेट). दाम इस बरस दूसरी बार बढे़े हैं. ये कितना रेयर है. यूं समझें कि पांच बरस में दो बार दाम बढ़े थे और अब एक बरस में दो बार बढ़ गए. इसका असर क्या होगा. महंगाई तो बढ़ेगी ही मुद्रा स्फीति भी बढ़ेगी. यानी महंगाई की दर. सब्जियों के दाम तो सीजन आने पर घट जाएंगे, मगर दूध के नहीं.इसलिए आज हम आपको समझाएंगे कि दूध के दाम कैसे तय होते हैं, किसानों को कितना मिलता है और अभी ये क्यों बढ़े. साथ ही ये भी कि इसका असर क्या होगा.
दूध की कीमत तय कैसे होती है?
1. डेयरी कंपनियां लोकल पशुपालकों से करार करती हैं. उनसे एक तय कीमत पर दूध खरीदा जाता है. बाजार में जितने का दूध मिलता है, पशुपालकों को उसका साठ फीसदी ही मिलता है. यानी अगर 60 रुपए लीटर दूध है, तो उसमें से 36 रुपए उत्पादक/किसान को मिलेंगे.

2. ये तो बात हुई कि कितना पैसा मिलता है. लेकिन ये 60 प्रतिशत कैसे तय हुआ? ये रेट तय होता है सप्लाई, डिमांड और प्रॉडक्शन कॉस्ट से. किसान को अपनी गाय-भैंस की देखभाल यानी उसके चारे, उसके रहने, उसकी मेडिकल जांच और लेबर पर कितना खर्च करना पड़ रहा है? मशीन, बिजली पर आने वाला खर्च, इन सबको ध्यान में रखते हुए कीमत तय की जाती है. चारे की कीमत बारिश और फसल पर निर्भर करती है.

6 साल में सबसे ज्यादा है खाने-पीने की चीज़ों की महंगाई दर
फ़ूड इन्फ्लेशन यानी खाने-पीने की चीज़ों की महंगाई दर नवंबर में 10.01 फीसद है. ये दिसंबर, 2013 के बाद सबसे अधिक है. वजह है बेमौसम बारिश. इसका असर फसलों के उत्पादन पर हुआ है और उनकी कीमतें बढ़ी हैं. असर दूध पर भी दिख रहा है क्योंकि चारे का प्रोडक्शन भी बारिश से प्रभावित हुआ है. इसका सीधा असर दूध के प्रोडक्शन कॉस्ट पर पड़ रहा है. दूसरी तरफ, दूध की सप्लाई पिछले साल के मुकाबले चार से पांच फीसद घटी है.
इस साल क्या दिक्कत है?
जनवरी, 2019 में ही इंडस्ट्री के जानकारों ने इस बात की तरफ इशारा किया था कि इस साल दूध की कीमतों में इजाफ़ा हो सकता है. उसी महीने इकॉनोमिक टाइम्स को दिए इंटरव्यू में गुजरात कोऑपरेटिव मिल्क मार्केटिंग फेडरेशन (जो अमूल ब्रैंड का मालिक है) के मैनेजिंग डायरेक्टर आरएस सोढ़ी ने कहा था,
2019 में दूध की कीमतें बढ़ेंगी. स्किम्ड मिल्क पाउडर (SMP) के कम स्टॉक और पिछले साल के मुकाबले दूध की सप्लाई में कमी दो बड़ी वजहें हैं. कुछ कोऑपरेटिव्स को छोड़ दें, तो कई दूसरी डेयरियां किसानों को अच्छी कीमतें नहीं दे पा रही हैं. इस वजह से दूध उत्पादक पशुओं की खरीदारी भी नहीं कर पा रहे हैं. सर्दियों में दूध की सप्लाई बढ़ती है. हर साल 15 फीसद के करीब. लेकिन इस साल हमने सिर्फ 2 फीसद ही बढ़त देखी है.सर्दियों में होता है ज्यादा दूध उत्पादन
भारत में दूध की सीजनल सप्लाई भी बहुत महत्वपूर्ण रोल निभाती है. अप्रैल से नवंबर लीन सीज़न कहलाता है. इसमें दूध का उत्पादन कम होता है. दिसंबर से मार्च फ्लश सीज़न होता. इसमें दूध का उत्पादन बढ़ जाता है. इससे पहले 2017 में लीन सीज़न दिसंबर तक चला था. तब भी कीमतें बढ़ी थीं.

दूध की कीमतों के बढ़ने के पीछे सिर्फ एक फैक्टर ज़िम्मेदार नहीं है. कई चीज़ें मिलकर डिसाइड करती हैं कि कीमतें कब बढ़ेंगी. (सांकेतिक तस्वीर: Getty Images)
चलते-चलते जान लेते हैं कि दूध की बढ़ती कीमतों पर डेयरी कंपनियों का क्या कहना है.
मदर डेयरी ने कहा,
कई राज्यों में दूध की उपलब्धता में कमी आई है. क्योंकि मॉनसून काफी लंबा चला और अधिक दूध आने वाला सीजन (फ़्लश सीज़न) के आने में अभी देर है. मौसम के अनुकूल न होने की वजह से जानवरों के चारे की कीमत बढ़ गई है. इस वजह से दूध उत्पादकों को दिया जाने वाला खर्च बढ़ गया है.अमूल ने भी इस बाबत कमोबेश यही कहा,
इस साल जानवरों के चारे और दूसरे इनपुट कॉस्ट्स में 35 फीसद की बढ़ोतरी हुई है. इसकी वजह से हमारी मेंबर यूनियंस ने दूध की सप्लाई के पैसे बढ़ा दिए हैं.लैक्टालिस इंडिया (फ्रेंच डेयरी कंपनी) के सीईओ राहुल कुमार ने सितंबर महीने में बिजनेस टुडे को दिए गए इंटरव्यू में कहा था,
हाल में जो सबसे बड़ा चैलेन्ज है वो दूध की कमी है. पिछले साल काफी दूध था, लेकिन इस साल बाढ़ और सूखे की वजह से डिमांड और सप्लाई में काफी अंतर आ गया है. इस वजह से दूध की कीमतें बढ़ी हैं. उत्तर भारत के मार्केट्स में सप्लाई कम है. दक्षिण में, ख़ास तौर पर तमिलनाडु में सप्लायर से दूध लेने की कीमत में प्रति लीटर 6 रुपए का इजाफा हुआ है. खुदरा भाव 6 रुपए प्रति लीटर बढ़ गया है.मोटामोटी इन सभी कंपनियों का कहना है कि अनुकूल मौसम की वजह से दूध की सप्लाई पर और उसके प्रोडक्शन कॉस्ट पर असर पड़ रहा है. सप्लाई कम होने और प्रोडक्शन कॉस्ट बढ़ने की वजह से दूध महंगा हो रहा है.
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