दुनिया का अंत खोजने के चक्कर में नारद को मिला श्राप
पृथ्वी का अंत खोजने गए थे शिव के साले, आज तक नहीं लौटे.
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फोटो - thelallantop
भगवान ब्रह्मा के ऑर्डर पर दक्ष पॉपुलेशन बढ़ाने में लगे थे. दक्ष ने पहले तो ऋषि, गन्धर्व, असुर और सर्प जैसे इंटैलेक्चुअल्स पैदा किए. पर इंटैलेक्चुअल्स से दुनिया कहां चलती है. लिहाजा प्रजापति दक्ष प्लान बी में जुट गए. असिक्नी से की शादी. पांच बेटे पैदा हुए. यहां नारायण नारायण करते हुए एंट्री मारते हैं नारद जी. नारद बोले, अमां बेवकूफ हो क्या, कुछ जानते तो हो नहीं. प्रजा को क्या खाक रचोगे. पहले ये बताओ कि पृथ्वी के अंत के बारे में तुम्हारी क्या नॉलेज है. इत्ता सुनना था कि पांचों भौचक्के रह गए और निकल पड़े जाने किसकी तलाश थी, न कोई मंजिल थी, साथी तो अपने वे खुद ही थे. वो दिन था और आज का, वे पांचों कभी नहीं लौटे.
सीन टू यहां से स्टार्ट हुआ. दक्ष ने जनसंख्या वृद्धि का लोड लिए बिना फिर एक हजार बच्चे पैदा किए. नारदजी फिर पुराने लॉजिक के साथ हाजिर. अंत क्या होगा? अब ये हजार भाई भी हर दिशा में बिना रोडमैप के दौड़ लिए कि भाई 'अबकी बार, अंत जानेंगे सरकार.' ये कोशिश भी फेल हो गई. नतीजा लापता हुए ये भी. दक्ष बौखला गए कि यहां पैदा कर रहे हैं कि टास्क कम्पलीट हो और तुम हो कि अड़ंगा लगा रहे हो. जाओ, तुमको श्राप देते हैं. तब जाकर नारद जी साइड हुए और आगे की प्रोसेस चालू हुई.
स्रोत: विष्णु पुराण, पन्द्रहवां अध्याय