The Lallantop
Advertisement

हिमंत बिस्व सरमा की कहानी, जो राहुल गांधी के कुत्ते से चिढ़े और बीजेपी की सरकार बनवा डाली

कांग्रेस से बीजेपी में गए और उसे जीत दिला दी.

Advertisement
Img The Lallantop
हिमांता बिस्वा सरमा ने तीसरे चरण की वोटिंग में वोट डाला था. फोटो- PTI
pic
Varun Kumar
2 मई 2021 (Updated: 2 मई 2021, 08:04 AM IST) कॉमेंट्स
font-size
Small
Medium
Large
font-size
Small
Medium
Large
whatsapp share
थोड़े दिन पहले की बात है, Assam में दो चरणों का चुनाव खत्म हो चुका था. कवरेज के लिए 'दी लल्लनटॉप' के एडिटर सौरभ द्विवेदी Assam पहुंचे थे. उन्होंने बीजेपी के नेता हिमंत बिस्व सरमा (Himanta Biswa Sarma) का एक इंटरव्यू किया. इस इंटरव्यू के दौरान हिमंत बिस्व सरमा ने कहा कि Assam में कोरोना है ही नहीं, इसलिए मास्क लगाने की भी कोई जरूरत नहीं है. उन्होंने कहा,
"मास्क की कोई जरूरत नहीं है. नहीं है तो नहीं है, मैं क्या करूं, केंद्र सरकार अपना निर्देश दे लेकिन Assam के विषय में जब हम बात करते हैं तो, कोविड आज के दिन में नहीं है. तो क्यों बेकार का पैनिक क्रिएट करें. जब होगा तो मैं बता दूंगा लोगों को कि आज से पहनो (मास्क). अभी हमें इकोनॉमी को रिवाइव करना है. मास्क पहनेगा तो पार्लर कैसे चलेगा. ब्यूटी पार्लर भी चलना चाहिए. तो जब कोविड होगा सबको मास्क पहनना पड़ेगा नहीं तो 500 रुपये फाइन. अभी तो हम बीहू भी करेंगे. धूम धाम. मेरा विश्वास है कि बीहू में भी नहीं होगा कोविड."
देखते ही देखते ये वीडियो वायरल हो गया. हर जुबान पर हिमंत बिस्व सरमा की चर्चा थी. हर मोबाइल पर यही वीडियो था. और हर कोई यही सवाल पूछ रहा था कि आखिर ये बीजेपी नेता है कौन? लेकिन ये कोई पहली बार नहीं था कि हिमंत अपने किसी बयान के कारण चर्चा में आए हों. 2015 में उन्होंने कांग्रेस को छोड़ कर बीजेपी ज्वाइन की थी और साल 2016 में उन्होंने एक ऐसा बयान दिया था जिसकी चर्चा आजतक होती है. उन्होंने दावा किया था कि राहुल गांधी नेताओं से बात करने की अपेक्षा अपने कुत्तों के साथ खेलना अधिक पसंद करते हैं. उन्होंने कहा था,
"राहुल का किसी बात में कंसनट्रेशन नहीं होता. जैसे 5 मिनट आपके साथ बहुत बात करेगा. आपको लगेगा कि वो बदल गया है. हमेशा मैं मीडिया में देखता हूं कि ये बदल गया है राहुल... 45 साल में कोई बदलता है क्या... लेकिन कोई शुभचिंतक हैं वो बोलते हैं कि नहीं राहुल इज़ ए चेंज मैन. क्या चेंज मैन हैं. 5 मिनट उनसे बात करो, अच्छा इंगेजमेंट रहता है, सेम मिनट में उनका पेट डॉग आ जाते हैं और वो उनके साथ खेलना शुरू कर देते हैं, फिर वो लेकर आएगा अपना कंसनट्रेशन, फिर दो मिनट के बाद कंसनट्रेशन ब्रेक हो जाएगा. आपने ऐसा कोई आदमी देखा है क्या?"
Hemant Sarma हिमंत अपने परिवार के साथ, वोट डालने के बाद. फोटो- PTI
राहुल गांधी पार्टी नेताओं की बात नहीं सुनते? उन्होंने आगे कहा था कि,
"मैं, सीपी जोशी, तरुण गोगोई, हमारे प्रदेश का अध्यक्ष. बात करते हुए सीपी जोशी और गोगोई जी के बीच थोड़ा झगड़ा जैसा हो गया. तो वो कुत्ता टेबल पर आया, उसी समय और जो कॉमन प्लेट में बिस्कुट था, उससे बिस्कुट उठाया, मैं उम्मीद कर रहा था कि राहुल इस झगड़े में कुछ बोलेंगे कि आप लोग झगड़ा मत करो. उन्होंने मुझे देखा और हंसे कि भाई कुत्ता उठाकर के ले गया... तो ठीक है मैं चाहता था कि वो किसी को बेल मार कर के बुलाएगा कि प्लेट चेंज करो. ये तो हमको एसपेक्टेशन था. प्लेट भी चेंज नहीं हुआ और फिर उसी प्लेट से उठाकर दो एक बिस्किट भी खाया. मैं तो हैरान हो गया भाई. ऐसे कैसे देश चलेगा. मैं आते आते उन्हें बोल कर के आया कि राहुल जी धन्यवाद आपने मुझे इतना काम करने का मौका दिया."
हिमंत बिस्व सरमा ने कहा कि इसके बाद उन्होंने राम माधव को फोन किया. राम माधव RSS से बीजेपी में आए थे. दोनों लोग इस वाकये पर हंसे. बताया जाता है कि इसी के बाद हिमांता ने कांग्रेस से किनारा कर लिया और बीजेपी ज्वाइन कर ली. 2016 में Assam में चुनाव हुए जहां कांग्रेस के हिस्से आई हार और बीजेपी की बनी सरकार.
साल 2017. राहुल गांधी ने एक ट्वीट किया. इस ट्वीट में उन्होंने लोगों को अपने डॉगी पीडी से मिलवाया. इस पर हिमंत का बयान आया. उन्होंने कहा,
"मैंने पहले भी बताया था. एक बार हम लोग Assam के गंभीर मुद्दे पर सीपी जोशी के साथ राहुल गांधी से मिलने गए थे. लेकिन वह अपने कुत्ते को खाना खिलाने में व्यस्त थे. Assam का मुद्दे से बड़ा उनके लिए कुत्ते को खाना खिलाना था. आज इस ट्वीट से वह जाहिर भी हो गया है."
साल 2016 से उन्होंने कांग्रेस पर निशाना साधना शुरू किया था और ये काम आजतक जारी है. साल 2016 में ही उन्होंने NDTV के प्रणब रॉय से बात करते हुए कहा था कि सोनिया गांधी आदरणीय महिला हैं लेकिन राहुल गांधी उन्हें कंट्रोल करते हैं. अब 2021 में उन्होंने आजतक की पत्रकार श्वेता सिंह से बात करते हुए कहा था कि जब तक राहुल गांधी कांग्रेस का चेहरा रहेंगे तब तक बीजेपी को इसका फायदा मिलता रहेगा.
Assam Himanta चुनाव प्रचार करते हुए हिमंत. फोटो- PTI
हिमंत बिस्वा सरमा की राजनीति क्या है? अभी तक की बातों से 2 चीजें तो साफ हैं. पहली ये कि वो कांग्रेस और राहुल गांधी को पूरी तरह छोड़ चुके हैं और उन पर निशाना साधने का कोई मौका नहीं चूकते. दूसरी बात ये कि वो एक कुशल राजनेता हैं जो Assam में रचे बसे हैं. शायद यही कारण है कि उनके विरोधी भी उन्हें पसंद करते हैं. चंद दिनों पुरानी ही बात है. 'दी लल्लनटॉप' के संपादक सौरभ द्विवेदी पहुंचे थे UDF के बदरुद्दीन अजमल का इंटरव्यू करने. अजमल ने कहा,
"उस आदमी में कोई तो खास बात है. कांग्रेस की सरकार में भी मंत्री रहा और बीजेपी की सरकार में भी मंत्री है. उसके पास जो जाता है खाली हाथ नहीं लौटता. वो कहां से पैसा लाता है कोई नहीं जानता. वो इस तरफ था तब भी मिनिस्टर था, उस तरफ है तब भी मिनिस्टर है. वो दोस्तों का दोस्त है और दुश्मनों का दुश्मन है."
असम में स्टूडेंट यूनियन की राजनीति से शुरूआत करने वाले सरमा एक वक्त कांग्रेस के विरोधी थे. फिर कांग्रेस में शामिल हो गए. राजनीतिक गुरु तरुण गोगोई से ठन गई. दरअसल ऐसा कहा जाता है तरुण गोगोई अपने बेटे गौरव गोगोई को आगे बढ़ा रहे थे और ये बात हिमंत को पसंद नहीं आई. Assam के पत्रकार कहते हैं कि गोगोई को 2011 का चुनाव जिताने में बिस्वा की बड़ी भूमिका थी. और साल 2015 में जब उन्होंने बीजेपी ज्वाइन की तो कांग्रेस को हराने में, बीजेपी को जिताने में बड़ी भूमिका निभाई. सरमा को Assam का चाणक्य भी कहा जाता है.
एक बार हिमंत ने NDTV के शेखर गुप्ता से धोबीधाट पर बात करते हुए कहा था कि,
"हम असम में हो रही घुसपैठ के खिलाफ थे. कांग्रेस भी यही चाहती थी. फिर राहुल गांधी का झुकाव UDF की ओर होने लगा. बढ़ता रहा. ये चीज मुझे पसंद नहीं थी. अब बीजेपी में मैं हूं और अभी भी घुसपैठ के खिलाफ हूं. जो कोर चीजें थीं वह मैंने नहीं छोड़ी हैं. मैं उन पर कायम हूं."
Himanta Assam एक रैली को संबोधित करते हुए हिमंत बिस्व सरमा. फोटो- PTI
हिमंत बिस्व सरमा की प्रोफाइल कई जगहों पर उनका नाम हिमांता है तो कई जगहों पर हेमांता भी लिखा गया है. तो 1 फरवरी 1969 को गुवाहाटी के गांधी बस्ती, उलूबरी में हिमांता का जन्म हुआ. पापा का नाम कैलाश नाथ शर्मा है. जिनकी मौत हो चुकी है. माता मृणालिनी देवी हैं. शादी रिनिकी भुयान से की. हेंमंत और रिनिकी के दो बच्चे हैं.
हिमंत ने कामरूप अकादमी स्कूल से पढ़ाई की और फिर 1985 में आगे की पढ़ाई के लिए कॉटन कॉलेज गुवाहाटी में दाखिला लिया. 1990 में ग्रेजुएशन और 1992 में पॉलिटिकल साइंस में पोस्ट ग्रेजुएशन किया. 1991-1992 में कॉटन कॉलेज गुवाहाटी के जनरल सेक्रेटरी रहे. सरकारी लॉ कॉलेज से एलएलबी किया. और गुवाहाटी कॉलेज से पीएचडी की डिग्री भी ली.
साल 1996 से 2001 तक उन्होंने गुवाहाटी हाईकोर्ट में लॉ की प्रैक्टिस की. 15 मई 2001 को उनके पॉलिटिकल करियर की शुरूआत हुई. एक बार आगे बढ़े तो पीछे मुड़कर देखने की जरूरत ही नहीं पड़ी. 2001 में असम के जालुकबरी से पहली बार जीते. 2006 में दूसरी और 2011 में तीसरी बार चुने गए. 2016 में बीजेपी के टिकट पर भी जालुकबरी से जीत दर्ज कराई.
खास बात ये है कि पहली बार विधायक बनते ही उन्हें कैबिनेट में जगह मिल गई थी. तब से अब तक वह लगातार कैबिनेट का हिस्सा रहे हैं. एग्रिकल्चर, प्लानिंग एंड डेवलपमेंट, फाइनांस, हेल्थ एंड फैमिली वेलफेयर जैसे मंत्रालय संभालने का अनुभव उनके पास है. इसके अलावा वो असम हॉकी असोसिएशन, असम बैडमिंटन असोसिएशन के प्रेसिडेंट और असम क्रिकेट असोसिएशन के वाइस प्रेसिडेंट रहे हैं.
असम के मुख्यमंत्री तरूण गोगोई के साथ उनकी जम नहीं रही थी. 21 जुलाई 2014 को हिमंत ने सभी पदों से इस्तीफा दे दिया था. 23 अगस्त 2015 को अमित शाह के घर पर हिमंत ने बीजेपी ज्वाइन की. और 2016 में होने वाले चुनाव के लिए उन्हें पार्टी का संयोजक बनाया गया. इसके बाद की कहानी जगजाहिर है. कांग्रेस 26 सीटों पर सिमट गई जबकि बीजेपी के खाते में 60 सीटें आईं.

Subscribe

to our Newsletter

NOTE: By entering your email ID, you authorise thelallantop.com to send newsletters to your email.

Advertisement