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UNESCO की वर्ल्ड हेरिटेज वाली लिस्ट में कोई जगह कैसे जुड़ती है?

ग्वालियर और ओरछा को विश्व धरोहर शहर की लिस्ट में जोड़ा गया है.

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ग्वालियर का मान मंदिर पैलेस (बाएं) और UNESCO का झंडा (दाएं). फोटो: wikimedia
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निशांत
11 दिसंबर 2020 (Updated: 11 दिसंबर 2020, 13:19 IST)
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मध्य प्रदेश के दो शहरों को UNESCO ने वर्ल्ड हेरिटेज सिटी (विश्व धरोहर शहर) की लिस्ट में शामिल किया है. फोर्ट सिटी के नाम से मशहूर ये दोनों शहर हैं- ग्वालियर और ओरछा. ग्वालियर कभी गुर्जर प्रतिहार राजवंश, तोमर, बघेल, कछवाह और सिंधिया शासन की राजधानी रहा है. वहीं, ओरछा 16वीं शताब्दी में बुंदेला साम्राज्य की राजधानी था.
इस लिस्ट में शामिल होने का क्या फायदा है?
साल 2021 में UNESCO की टीम ग्वालियर और ओरछा का दौरा करेगी. इन्हें और बेहतर बनाने के लिए UNESCO राज्य के पर्यटन विभाग के साथ मिलकर काम करेगा. एक अधिकारी ने बताया कि इन जगहों के सुंदरीकरण के लिए मास्टर प्लान बनेगा. विश्व धरोहर सूची में शामिल होने के बाद मानसिंह पैलेस, गुजरी महल, सहस्रबाहु मंदिर में केमिकल ट्रीटमेंट और पुनर्निर्माण का काम होगा. ऐतिहासिक किलों, पेंटिंग्स को संवारा जाएगा. यहां तक जाने वाले रास्ते चौड़े किए जाएंगे. सुरक्षा के लिए गार्ड तैनात होंगे.
ओरछा किलों और मंदिरों के लिए मशहूर है. यहीं का चतुर्भुज मंदिर. फोटो: wikimedia
ओरछा किलों और मंदिरों के लिए मशहूर है. यहीं का चतुर्भुज मंदिर. फोटो: wikimedia

आगे हम जानेंगे कि UNESCO क्या है और विश्व धरोहर सूची का उद्देश्य क्या है? किसी जगह को किस आधार पर विश्व धरोहर घोषित किया जाता है?
UNESCO 
UNESCO का फुलफॉर्म है- The United Nations Educational, Scientific and Cultural Organization. संयुक्त राष्ट्र (UN) की इस एजेंसी का उद्देश्य शिक्षा, विज्ञान, कला के क्षेत्र में अंतरराष्ट्रीय सहयोग के जरिए विश्व शांति और सुरक्षा को बढ़ावा देना है, ताकि UN के चार्टर में दिए गए न्याय, कानून का राज, मानवाधिकार और मौलिक स्वतंत्रता जैसे विषयों पर वैश्विक सहमति बन पाए. UNESCO का गठन नवंबर, 1945 में हुआ था. इसका मुख्यालय पैरिस (फ्रांस) में है. इसके 193 सदस्य देश हैं.
UNESCO संयुक्त राष्ट्र (UN) की एजेंसी है. फोटो में UN का झंडा. wikimedia
UNESCO संयुक्त राष्ट्र (UN) की एजेंसी है. फोटो में UN का झंडा. wikimedia

किसे मिलता है विश्व धरोहर का दर्जा
धरोहर मतलब विरासत या थाती. इंसान की अपनी जड़ें हैं और वो धीरे-धीरे 'विकसित' हुआ है. इस क्रम में उसने बहुत कुछ बनाया, बिगाड़ा है. अगर मानवता के लिहाज से किसी जगह का वैश्विक मूल्य हो, तो उन्हें भविष्य की पीढ़ियों के लिए संरक्षित किया जाता है. किसी भी जगह को उसके सांस्कृतिक, ऐतिहासिक या दूसरे महत्व की वजह से विश्व धरोहर स्थल (वर्ल्ड हेरिटेज साइट) का दर्जा मिलता है.
वर्ल्ड हेरिटेज साइट में ऐतिहासिक भवन, शहर, रेगिस्तान, जंगल, द्वीप, झील, स्मारक, पहाड़ शामिल हो सकते हैं. वर्ल्ड हेरिटेज साइट समिति इनका चयन करती है. ये समिति UNESCO World Heritage Convention, 1972 के तहत आती है.
लिस्ट का उद्देश्य
इन साइट्स को विश्व धरोहर की लिस्ट में इसलिए जोड़ा जाता है, ताकि ये उपेक्षा का शिकार होकर खत्म ना हो जाएं. लोगों की आवाजाही से इन पर असर ना पड़े. हमारे यहां लोगों में स्मारकों पर अपना नाम गोदकर 'अमर होने' का भी शगल होता है. इससे इन ऐतिहासिक स्थलों का नुकसान होता है.
पिछले दिनों एक ख़बर

आई. कर्नाटक के हंपी में विजय विट्ठल मंदिर के सामने बने मशहूर पत्थर के रथ को अब कोई छू नहीं पाएगा. आर्कियोलॉजिकल सर्वे ऑफ इंडिया (ASI) ने इसके इर्द-गिर्द घेराबंदी की है. मतलब अब दूर से ही देखिए, फोटो खींचिए और जाइए. हंपी के स्मारक UNESCO की विश्व धरोहर सूची में शामिल हैं और ASI भारत में UNESCO की नोडल एजेंसी है. ASI ही इन जगहों का संरक्षण करती है.
हंपी के इसी मशहूर रथ की घेरेबंदी की गई है. फोटो: wikipedia
हंपी के इसी मशहूर रथ की घेरेबंदी की गई है. फोटो: wikipedia

किस पैमाने पर वर्ल्ड हेरिटेज का दर्जा मिलता है?
सांस्कृतिक पैमाना
- ये स्थल इंसान की रचनात्मक मेधा के मास्टरपीस होने चाहिए. - मानवीय मूल्यों के आदान-प्रदान, आर्किटेक्चर, टेक्नॉलजी, स्मारक कला, प्लानिंग, डिज़ाइन को दिखाते हों. - किसी नष्ट हो चुकी सभ्यता की सांस्कृतिक परंपरा को दिखाते हों. - मानव इतिहास के अहम पड़ाव के उदाहरण हों.
प्राकृतिक पैमाना
- ये जगहें असाधारण प्राकृतिक सुंदरता और परिघटना को दिखाती हों. - पृथ्वी के इतिहास, जीवन के रिकॉर्ड, लैंडफॉर्म में बदलाव का उदाहरण हों. - इकोलॉजी, बायोलॉजिकल प्रक्रियाओं और बायोलॉजिकल डायवर्सिटी, तटीय या समुद्री इको सिस्टम, पेड़-पौधों और जानवरों के महत्व को दिखाती हों.
भारत की वर्ल्ड हेरिटेज साइट्स
ग्वालियर और ओरछा को छोड़कर भारत में अब तक 38 वर्ल्ड हेरिटेज साइट

हैं. इनमें 30 सांस्कृतिक महत्व के स्थल, 7 प्राकृतिक महत्व के स्थल और 1 मिश्रित स्थल है. 1983 में पहली बार सांस्कृतिक महत्व के स्थल के तौर पर ताज महल, आगरा का किला, अजंता की गुफा और एलोरा की गुफा को UNESCO ने विश्व धरोहर का दर्जा दिया. इसके बाद ये लिस्ट बढ़ती गई. साल 2019 में जयपुर इस लिस्ट में जुड़ा. 1985 में पहली बार प्राकृतिक स्थलों में काजीरंगा नैशनल पार्क, केओलादेव नैशनल पार्क, मानस वाइल्डलाइफ सैंक्चुअरी को लिस्ट में जोड़ा गया.
दुनिया की बात करें तो जून, 2020 तक 167 देशों में 1,121 वर्ल्ड हेरिटेज साइट हैं. इनमें 869 सांस्कृतिक, 213 प्राकृतिक और 39 मिश्रित स्थल हैं. सबसे ज़्यादा हेरिटेज साइट्स संयुक्त रूप से चीन (55) और इटली (55) में हैं. दूसरे नंबर पर स्पेन (48), तीसरे पर जर्मनी (46), चौथे पर फ्रांस (45) और पांचवें नंबर पर भारत (38) है.

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