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अडानी के लिए हिंडनबर्ग से लड़ेंगे, जानते हैं कितने 'बड़े-बड़े' लोगों की क्लास लगा चुके हैं ये लोग?

मस्क और ट्विटर जैसे मशहूर मुकदमे लड़े हैं.

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Gautam Adani
बाएं से दाएं: गौतम अडाणी, हर्ब वाचटेल और मार्टिन लिप्टन (साभार- Law.com)
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उदय भटनागर
10 फ़रवरी 2023 (Updated: 10 फ़रवरी 2023, 08:43 PM IST)
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उद्योगपति गौतम अडाणी (Gautam Adani) ने अब अमेरिकी रिसर्च फर्म हिंडनबर्ग (Hindenburg Research) के खिलाफ कानूनी लड़ाई की तैयारी कर ली है. फाइनेंशियल टाइम्स की रिपोर्ट के मुताबिक, अडानी ग्रुप ने कानूनी लड़ाई के लिए अमेरिकी लीगल फर्म वॉचटेल (Wachtel Lipton) को हायर किया है. ये फर्म दुनिया में फेमस है और इसकी सबसे ज्यादा चर्चा विवादित मामलों में लीगल फाइट के लिए होती है.

फाइनेंशियल टाइम्स की रिपोर्ट में बताया गया है कि अडाणी ग्रुप के लीगल मामलों को देखने वाली सिरिल अमरचंद मंगलदास फर्म ने वॉचटेल से संपर्क किया. सिरिल अमरचंद मंगलदास फर्म को सिरिल श्रॉफ लीड करते हैं, जिनकी बेटी की शादी गौतम अडानी के बेटे से हुई है.

इससे पहले हिंडनबर्ग की रिपोर्ट में लगाए गए आरोपों को गलत बताते हुए अडानी ग्रुप ने रिसर्च फर्म के खिलाफ कानूनी कार्रवाई की बात की थी. इसके बाद ही अडानी ग्रुप ने न्यूयॉर्क की फर्म 'वॉचटेल, लिप्टन, रोसेन एंड काट्ज़' के सीनियर वकीलों की सेवाएं ली हैं.

Wachtell Lipton को जान लेते हैं 

वॉचटेल की ऑफिशियल वेबसाइट के मुताबिक इसकी स्थापना 1965 में न्यूयॉर्क में कुछ वकीलों ने मिलकर की थी. हर्ब वॉचटेल, मार्टिन लिप्टन, लियोनार्ड रोसेन और जॉर्ज काट्ज ने मिलकर फर्म बनाई. इन सभी के नाम पर ही फर्म का नाम रखा गया. अमेरिकी नेशनल लॉ जर्नल की एक रिपोर्ट के मुताबिक वॉचटेल लिप्टन रोसेन एंड काट्ज़ के पास साल 2022 तक 288 वकील मौजूद थे. वहीं वॉचटेल 2022 में दुनिया में 55वीं सबसे अधिक कमाई करने वाली लॉ फर्म थी. 

वॉचटेल को मर्जर एंड एक्विजिशन, अविश्वास या शेयरधारकों के केस और कॉर्पोरेट रीस्ट्रक्चर जैसे मामलों के लिए अमेरिका की टॉप लॉ फर्म माना जाता है. अब इस कंपनी के कुछ बड़े केस के बारे में बात कर लेते हैं.

ट्विटर वाला केस 

2022 में जब एलन मस्क 44 बिलियन यूएस डॉलर (लगभग 3.6 लाख करोड़ रुपये) में सोशल मीडिया कंपनी ट्विटर इंक को खरीदने की डील से पीछे हटे, तो ये मामला कोर्ट में पहुंचा. जहां 'स्केडेन, आर्प्स, स्लेट, मेघेर एंड फ्लॉम' ने मस्क के लिए केस लड़ा. वहीं 'सिम्पसन थैचर एंड बार्टलेट', 'वॉचटेल, लिप्टन, रोसेन एंड काट्ज़' और 'विल्सन सोंसिनी गुडरिच एंड रोसाती' ने ट्विटर के लिए केस लड़ा. 

हालांकि कुछ महीनों तक चली कानूनी लड़ाई के बाद एलन मस्क ने आधिकारिक तौर पर अक्टूबर में ट्विटर इंक को 44 बिलियन यूएस डॉलर में खरीद ही लिया.

मस्क का मामला

इलेक्ट्रिक वाहन बनाने वाली कंपनी टेस्ला और सौर पैनल बनाने वाली सोलरसिटी के 2.6 बिलियन डॉलर (लगभग 21 हजार करोड़ रुपये) के एक्विजिशन पर टेस्ला के शेयरधारकों ने केस कर दिया था. तब एलन मस्क और टेस्ला इंक के बोर्ड का प्रतिनिधित्व वॉचटेल ने ही किया था. इससे पहले 2018 में टेस्ला को निजी कंपनी बनाने के मस्क के प्लान के कानूनी सलाहकारों में वॉचटेल भी शामिल थी.

टेकओवर और मर्जर के केस

फर्म ने अमेरिका के अंदर कई बड़ी कंपनियों के टेकओवर और मर्जर के केस लड़े हैं. 'पैरामाउंट कम्युनिकेशंस इंक बनाम टाइम इंक',  'पैरामाउंट कम्युनिकेशंस इंक बनाम क्यूवीसी नेटवर्क इंक' और 'आईबीपी इंक बनाम टायसन फूड्स' का केस भी इसी फर्म ने लड़ा था.

वॉचटेल लिप्टन ने ही 'Poison Pill' नाम की डिफेंसिव तरकीब बनाई थी. इसका इस्तेमाल कंपनी का बोर्ड टेकओवर के समय आने वाली दिक्कतों में करता है. ये टेक्नीक बहुत ज्यादा काम आती है.

कमर्सियल और सिक्योरिटी केस

वॉचटेल लिप्टन ने लैंडमार्क माने जाने वाले 'मॉरिसन केस' में नेशनल ऑस्ट्रेलिया बैंक का पक्ष रखा था. जिसमें यूनाइटेड स्टेट्स सुप्रीम कोर्ट ने माना था कि सिक्योरिटीज एक्सचेंज एक्ट केवल यूएस में सिक्योरिटीज की खरीद और बिक्री पर लागू होते हैं. कंपनी ने बेकर बनाम गोल्डमैन सैच केस में गोल्डमैन सैच के लिए केस लड़ा था. इस केस में गोल्डमैन सैच की ही जीत हुई थी.

वॉचटेल लिप्टन ने लेहमन ब्रदर्स बैंकरप्सी केस में जेपी मॉर्गन चेस के लिए केस लड़ा था, जहां फर्म ने 8.6 बिलियन डॉलर (लगभग 70 हजार करोड़ रुपये) के संपत्ति दावों को खारिज करवाया था.  

खैर ये तो बात हो गई वॉचटेल लिप्टन फर्म की. अब वापस आते हैं अडानी मामले पर. तो शॉर्ट-सेलर हिंडनबर्ग असल में अमेरिका की कंपनी है. इसने एक रिपोर्ट में 88 सवाल उठाते हुए अडानी ग्रुप पर बड़े आरोप लगाए थे. इसके बाद ही अडानी ग्रुप की कंपनियों के शेयर बुरी तरह गिरने लगे. 10 दिनों के भीतर ही Adani Group का मार्केट कैपिटलाइजेशन आधा रह गया था. 

खुद गौतम अडानी भी दुनिया के टॉप अरबपतियों की लिस्ट में तीसरे पायदान से नीचे आकर टॉप-20 तक से बाहर हो गए. अब अडाणी ग्रुप लीगल फाइट के लिए तैयार है. क्योंकि हिंडनबर्ग अमेरिका की कंपनी है, तो इसके खिलाफ अमेरिका में केस होगा. इसीलिए अडानी ग्रुप ने वॉचटेल लिप्टन को हायर किया है. 

वीडियो: अडाणी ग्रुप के विवाद पर बोलीं निर्मला सीतारमण- 'संस्थाएं अपना काम कर रही हैं'

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