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ये ब्लड टेस्ट लक्षण ना होने पर भी एक ही बार में सारे कैंसरों का पता कैसे लगाएगा?

मेडिकल साइंस में आया है एक गेम चेंजर. अगर कैंसर का जल्दी पता लग जाएगा, तो इलाज भी जल्दी हो पाएगा.

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symbolic image cancer detection mcd test
कैंसर डिटेक्ट करना हो सकता है काफी आसान. (फोटो: PTI)
14 सितंबर 2022 (Updated: 14 सितंबर 2022, 20:13 IST)
Updated: 14 सितंबर 2022 20:13 IST
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खबर है खुश करने वाली. हालांकि, अभी सब पक्का नहीं, लेकिन इससे भविष्य में बहुत फायदा हो सकता है. दरअसल, बात ये है कि मेडिकल साइंस में आया है एक गेम चेंजर. ऐसा ब्लड टेस्ट, जो कई तरह के कैंसरों को डिटेक्ट कर सकता है. एक ही बार में! 

आमतौर पर कोई भी व्यक्ति टेस्ट और डायग्नोसिस के लिए कुछ एक लक्षण दिखने के बाद ही जांच के लिए जाता है. बहुत बार, ये लेट डिटेक्शन (late detection) ही बीमारी को लाइलाज बना देता है. लेकिन जिस टेस्ट की हम बात कर रहे हैं, वो ना केवल बगैर लक्षणों वाले लोगों में कैंसर डिटेक्ट कर सकता है, लेकिन ऐसे कैंसरों का भी पता लगा सकता है, जिनके लिए कोई ठोस स्क्रीनिंग प्रोसेस मौजूद ही नहीं है.

एक टेस्ट हुआ

मेडिकल एक्सप्रेस की रिपोर्ट के मुताबिक, हाल ही में 6,662 लोग एक टेस्ट का हिस्सा बने, जो पाथफाइंडर स्टडी (ग्रेल) ने कंडक्ट किया था. ग्रेल एक हेल्थकेयर कंपनी है, जो कैंसर स्क्रीनिंग को बेहतर बनाने पर काम करती है. सैंपल साइज़ में मौजूद लोगों की उम्र 50 साल या उससे ज्यादा थी. कारण? इस उम्र के लोगों में कैंसर रिस्क ज्यादा होता है. इस टेस्ट के रिजल्ट्स को ESMO (यूरोपियन सोसाइटी फॉर मेडिकल ऑन्कोलॉजी) Congress 2022, पेरिस में पेश किया गया. टेस्ट का नाम है– Galleri. 

एमसीईडी (गैलरी) टेस्ट (सोर्स: बिज़नसवायर) 

इस स्टडी में हिस्सा लेने वालों में से एक फीसदी लोगों में कैंसर पाया गया, जिसमें उस तरीके के कैंसर भी शामिल हैं, जिनके लिए अभी कोई स्क्रीनिंग मेथड नहीं है. ये पहली बार हुआ है कि इस टेस्ट के रिजल्ट पब्लिश किए गए हैं. मल्टी-कैंसर अर्ली डिटेक्शन (MCED) परीक्षण को, गैलरी (MCED-E) के पुराने और गैलरी (MCED-Scr) के रिफाइंड वर्जन, दोनों को इस्तेमाल कर मापा गया था.

किसने किया टेस्ट?

गैलरी टेस्ट एक MCED टेस्ट है, जिसे ग्रेल कंपनी ने बनाया है. इसका मेन काम है उन बायोलॉजिकल सिग्नल्स या संकेतों को ढूंढना जो हिंट दें कि शरीर में कैंसर मौजूद है. ये ब्लड-स्ट्रीम में मौजूद कैंसर सेल्स द्वारा छोड़े हुए DNA को डिटेक्ट कर बीमारी का पता लगाता है. खून के परीक्षण से ये अनुमान भी लगाया जा सकता है कि शरीर में संभावित खतरा कहां पर है. ताकि, डॉक्टर ये तय कर सकें कि कौन से फॉलो-अप टेस्ट्स किए जाने चाहिए- जैसे इमेजिंग, एंडोस्कोपी या बायोप्सी वगैरह.

टेस्ट के रिजल्ट्स 50 साल और उससे अधिक उम्र के लोगों के परीक्षण पर आधारित हैं. 

क्या होते हैं MCED/MCD?

एक छोटी सी ट्रिक है. जब कोई टर्म या शब्द समझना बहुत मुश्किल लगे, तो उसे तोड़कर समझने की कोशिश करें. उदाहरण के लिए MCED को ही ले लेते हैं. फुल फॉर्म होता है मल्टी कैंसर अर्ली डिटेक्शन. मतलब, अलग अलग कैंसरों का जल्द पता लगाना. 

अर्ली डिटेक्शन को ऐसे समझिए. हालात बदतर होने से पहले बीमारी का पता लगा लेना. जल्दी डिटेक्ट होगी, तो जल्दी इलाज हो पाएगा. जाहिर है, फिर इंसान जल्दी ठीक भी हो जाएगा. देरी के कारण खेल नहीं बिगड़ेगा!

सांकेतिक तस्वीर (सोर्स: पीटीआई)

साथ ही MCD होता है, मल्टी कैंसर डिटेक्शन. दरअसल, MCD और MCED में कोई फर्क नहीं होता. ये बस दो एक्रोनिम्स हैं. उन टेस्ट्स के लिए जिन्हें शोधकर्ता, बिज़नेस, कंपनियां आदि बगैर लक्षण वाले लोगों में कैंसर का पता लगाने के लिए इस्तेमाल करते हैं.

फुल फॉर्म पता लग गया, अब थोड़ा डिटेल में समझते हैं. MCD टेस्ट्स वो टेस्ट्स होते हैं, जो शरीर में मौजूद तरल पदार्थों में मौजूद बायोलॉजिकल सिग्नल्स का परीक्षण करते हैं. लेकिन कैसे? ये बायोलॉजिकल सिग्नल्स खुद कैंसर सेल्स शरीर में छोड़ते हैं. और ये टेस्ट इन्हीं सिग्नल्स को कैच कर लेता है. इनके लिए एक टर्म भी होता है– बायोमार्कर्स या ट्यूमर मार्कर्स. 

कैसे पता चलता है कैंसर?

एक ही समय पर अलग-अलग अंगों से कैंसर डिटेक्ट करने के लिए एमसीडी टेस्ट्स डेवेलप किए जा रहे हैं. अभी इस समय MCD टेस्ट्स, खून में मौजूद प्लाज्मा में अलग-अलग जैविक संकेतों माने बायोलॉजिकल सिग्नल्स को मापते हैं, जैसे-

-DNA, RNA सीक्वेंस में बदलाव
-DNA में होने वाला केमिकल चेंज
-DNA फ्रेगमेंटेशन (मतलब डीएनए का छोटे पार्ट्स में टूटना)
-प्रोटीन बायोमार्कर्स के लेवल
-किसी कैंसर सेल की ग्रोथ के विरुद्ध अगर शरीर में कोई एंटीबाडीज बन रही हैं

इस फेहरिस्त को और लम्बा बनाने के लिए वैज्ञानिक नई तकनीक पर लगातार काम कर रहे हैं. ताकि और ज्यादा बायोलॉजिकल सिग्नल्स को मापा जा सके. 

अभी कैसे होता है कैंसर टेस्ट?

अमूमन कैंसर का पता लगाने के लिए ये टेस्ट्स किए जाते हैं-

फिजिकल एग्जाम – शरीर कितना स्वस्थ है ये जानने के लिए किया जाता है. इससे बीमारी के कई लक्षण उजागर होते हैं. जैसे – गांठ, असामान्य तिल या अंगों में किसी तरह का बदलाव. 

इमेजिंग प्रोसीजर – इस प्रोसीजर की मदद से शरीर के अंदर की तस्वीरें ली जाती हैं.

सांकेतिक तस्वीर - कैंसर और कैंसर परिक्षण (सोर्स: पीटीआई)

मेमोग्राम – स्तन कैंसर के लिए ये स्क्रीनिंग टेस्ट किया जाता है. ये बेसिकली, ब्रेस्ट की एक्स-रे तस्वीर होती है.

लो-डोज कंप्यूटेड टोमोग्राफी (सीटी) – लंग कैंसर को स्क्रीन करने के लिए इस्तेमाल किया जाता है. लो डोज रेडिएशन की मदद से शरीर की अंदरूनी तस्वीरें ली जाती हैं. इसके लिए एक एक्स-रे टाइप मशीन यूज़ की जाती है.

डायरेक्ट ऑब्जरवेशन टेस्ट्स – शरीर में हो रही एबनॉर्मल टिश्यू ग्रोथ (abnormal tissue growth) की विजुअल एग्जामिनेशन की जाती है.

कोलोनोस्कोपी – कोलोरेक्टल कैंसर को डिटेक्ट करने वाला स्क्रीनिंग टेस्ट होता है. एक लेंस वाली लचीली ट्यूब की सहायता से मलाशय और कोलन की जांच की जाती है.

लैब टेस्ट्स – इसके ज़रिए टिश्यू, खून, मूत्र और शरीर में मौजूद बाकी पदार्थों का विश्लेषण किया जाता है. अलग कैंसरों के लिए अलग टेस्ट किए जाते हैं.

MCD टेस्ट कैंसर टाइप भी बताते हैं?

नहीं. कुछ MCED/MCD परीक्षण कैंसर की संभावित जगह (जैसे- फेफड़े, ब्रेस्ट इत्यादि) का संकेत देते हैं. अन्य शुरुआती जांच परीक्षणों की तरह, MCD परीक्षण केवल संभावित कैंसर के लिए एक संकेत प्रदान करता है.

यदि किसी को कैंसर है, तो किस प्रकार का कैंसर है, इसका पता लगाने के लिए अतिरिक्त परीक्षण, जैसे इमेजिंग, टिश्यू बायोप्सी और सर्जरी की जरूरत होती है.

एक जरूरी बात- अमेरिकी खाद्य एवं औषधि प्रशासन (FDA) द्वारा अभी तक MCD टेस्ट्स को मंजूरी नहीं दी गई है. हालांकि, कुछ कंपनियां डॉक्टर्स को अपनी तरफ से इन टेस्ट की पेशकश कर रहे हैं. इन्हें एक ही प्रयोगशाला में डिजाइन, मैन्युफैक्चर और इस्तेमाल किया जाता है. 

MCD टेस्ट के फायदे क्या हैं?

क्योंकि, MCD परीक्षणों पर रिसर्च जारी है, तो इसके फायदे और नुकसानों के बारे में ठोस तरीके से कहा नहीं जा सकता. पोटेंशियल बेनेफिट्स की बात की जा सकती है. ये इस तरह से हैं-

सांकेतिक तस्वीर (सोर्स: पीटीआई)


-ये टेस्ट्स उन साइट्स पर भी कैंसर डिटेक्ट कर सकते हैं, जिनके लिए अभी कोई स्क्रीनिंग प्रोसेस मौजूद नहीं है.

-जैसा कि नाम में आता है, मल्टी कैंसर और अर्ली डिटेक्शन, उसकी वजह से इन टेस्ट्स से बहुत उम्मीदें हैं. ये शरीर में पोटेंशियल कैंसर साइट्स को जल्दी डिटेक्ट कर लेते हैं. साथ ही, एक समय में शरीर के अलग-अलग हिस्सों में कैंसर का पता लगाया जा सकता है. 

-एक टेस्ट से सब पता चल सकता है और समय भी बचता है. मल्टी कैंसर अर्ली डिटेक्शन टेस्ट एक ब्लड टेस्ट है, जो बाकी कैंसर स्क्रीनिंग प्रक्रियाओं जितना कठिन नहीं है. इसलिए संभावना जताई जा रही है कि लोग इन टेस्ट्स को ही प्राथमिकता देंगे.

कितना रिस्क है?

हमने आपको बताया कि MCD टेस्ट्स पर रिसर्च जारी है, तो इसके फायदे और नुकसान क्या और कैसे होंगे, ठोस तरीके से कहा नहीं जा सकता है. अभी ये सब निश्चत ना होना भी एक बहुत बड़ा रिस्क है. 

-साथ ही, अभी तक किसी भी मेडिकल सोसाइटी ने ऐसे टेस्ट्स को कैंसर स्क्रीनिंग के लिए इस्तेमाल करने की सिफारिश नहीं की है. 

-फाल्स नेगेटिव रिजल्ट्स का आना. मतलब ये कि रिपोर्ट शायद ये आए कि किसी व्यक्ति को कैंसर नहीं है, लेकिन असल में इसका उलट हो. इससे कैंसर ट्रीटमेंट को रोका जा सकता है या इसमें देर हो सकती है.  

-रिपोर्ट में फाल्स पॉजिटिव रिजल्ट्स का आना. यानी रिपोर्ट बताये कि कैंसर है, लेकिन असल में व्यक्ति कैंसर ग्रसित हो ही ना. फाल्स पॉजिटिव रिजल्ट आने पर मरीज का समय और पैसा खर्च हो सकता है. उसकी मानसिक स्थिति पर असर पड़ सकता है.

-बाकी स्क्रीनिंग टेस्ट्स की ही तरह MCD तेज़ी से और धीरे फैलने वाले कैंसर में फर्क बता पाएगा या नहीं, अभी कहा नहीं जा सकता.

आखिर में यही कि इन टेस्ट के बारे में जो डेटा मिला है, वो शुरुआती रिसर्च का नतीजा है. ऐसे में ये टेस्ट अभी अप्रूव्ड नहीं हैं. क्योंकि हमें इस टेस्ट के संभावित फायदों और नुकसान के बारे में जानकारी मिल गई है, तो ये कहा जा सकता है कि ये टेस्ट भविष्य में कैंसर स्क्रीनिंग में गेमचेंजर साबित हो सकते हैं.  

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