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G-20 के मेहमान: अर्जेंटीना की सरकार ने इतने नोट क्यों छापे कि महंगाई ने छप्पर फाड़ दिया?

मेसी के देश अर्जेंटीना की असली कहानी ये है.

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PM Modi meets Argentinian President Alberto Fernandez on the sidelines of the G7 Summit 2022
साल 2020 में G20 शिखर सम्मेलन से इतर पीएम मोदी ने अर्जेंटीना के राष्ट्रपति अल्बर्टो हर्नान्डीज से मुलाकात थी
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साजिद खान
7 सितंबर 2023 (Updated: 7 सितंबर 2023, 09:33 PM IST) कॉमेंट्स
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भारत में 9 और 10 सितंबर को होने वाली G20 Leaders Summit की लल्लनटॉप कवरेज शुरू हो चुकी है. इस सीरीज़ में हम G20 के 20 सदस्य देशों के बारे में सब कुछ बताएंगे. आज कहानी अर्जेंटीना की. 

नक़्शेबाज़ी 
अर्जेंटीना का नक्शा 

अर्जेंटीना साउथ अमेरिका के दक्षिणी छोर पर बसा है. पश्चिम में चिली, उत्तर में बोलीविया, पैराग्वे और यूराग्वे हैं. अर्जेंटीना की लंबी समुद्री सीमा, पूरब में अटलांटिक महासागर से लगती है. 

आबादी – 4 करोड़ 73 लाख है 
आधिकारिक भाषा – स्पैनिश
राजधानी - ब्यूनस आयर्स. ये शहर दिल्ली से हवाई रास्ते लगभग 16 हज़ार किलोमीटर दूर है.

इतिहास 

16 वीं शताब्दी में यहां स्पैनिश उपनिवेशवाद की शुरुआत हुई. इसे स्पेन का कब्ज़ा भी कहा जा सकता है.  

1810 में अर्जेंटीना ने आज़ादी हासिल कर ली. आज़ादी के कुछ सालों बाद तक यहां गृह युद्ध मचा रहा.  

1930 में यहां आर्थिक मंदी आई जिसने अर्जेंटीना को बुरी तरह प्रभावित किया. 

इसी साल सेना ने सिविलियन सरकार का तख़्तापलट कर दिया. उनकी आर्थिक नीतियों ने अर्जेंटीना को पीछे धकेल दिया. 

साल 1946 में हुआन पेरोन ने चुनाव जीता. वो इस वादे पर सत्ता में आए थे कि देश को आर्थिक तंगी से आज़ाद करके लोगों को बेहतर जिंदगी देंगे. वो इसके पहले सेना में कर्नल थे. 

साल 1949 में देश में नया संविधान आया. नागरिक अधिकारों को सीमित किया गया. राष्ट्रपति की ताकतें बढ़ाई गईं. आज़ाद मीडिया को दबा दिया गया.

1955 में सैन्य विद्रोह की वजह से पेरोन ने इस्तीफ़ा दे दिया.  

1982 में अर्जेंटीना ने फाल्कलैंड, साउथ जॉर्जिया और साउथ सैंडविच द्वीपों पर कब्ज़ा कर लिया. दक्षिण अमेरिका के दक्षिणी छोर से भी नीचे, सुदूर दक्षिण में स्थित ये द्वीप ब्रिटेन की टेरिटरी थे. इन द्वीपों के नियंत्रण के लिए अर्जेंटीना और ब्रिटेन में खींचतान बहुत पुरानी थी. लेकिन 1982 के साल में अर्जेंटीना की सैनिक सरकार को लगा कि अगर वो बलपूर्वक इन द्वीपों को हथिया लें, तो आर्थिक संकट से जूझ रहे देश को एक टास्क मिल जाएगा, कि इसी बात पर गर्व कर लो कि चार द्वीप अपने पास आ गए. और सरकार की परेशानी कम होगी. यहां थीसिस ये थी कि ब्रिटेन सात समंदर और 12 हज़ार किलोमीटर पार कर अपनी फौज फाल्कलैंड नहीं भेजेगा. लेकिन मार्ग्रेट थैचर ने फौज भेजी और अर्जेंटीना को हार भी माननी पड़ी. इसे फाल्कलैंड वॉर कहा गया.

अर्जेंटीना में लोकतंत्र की वापसी 1983 में हुई. नई सरकार ने पुरानी ग़लतियों को सुधारने की भरपूर कोशिश की, लेकिन तब तक बाकी देश काफ़ी आगे निकल चुके थे. अर्जेंटीना के लिए वापसी करना मुश्किल था. देश आर्थिक तंगी से जूझ रहा था.

साल 2018 में अर्जेंटीना की करेंसी पेसो की कीमत डॉलर के मुकाबले घटने लगी. तब इंटरनैशनल मॉनेटरी फ़ंड (IMF) ने लोन दिया. मगर इससे इकॉनमी पर कोई फ़र्क़ नहीं पड़ा. 2019 में सरकार बदल गई. वामपंथी विचारधारा के अल्बर्टो हर्नान्डीज राष्ट्रपति बन गए. 

लोगों ने सरकारी बॉन्ड्स को बेचना शुरू कर दिया. सरकार डिफ़ॉल्ट कर गई. इंटरनैशनल मार्केट में उनका क्रेडिट खत्म हो चुका था. उन्हें बाहर से पैसा मिलने की कोई उम्मीद नहीं थी. इन सबके बीच कोरोना महामारी आ गई. तब सरकार ने सरकारी स्टाफ को सैलरी देने और लोगों तक मदद पहुंचाने के लिए खूब सारा कैश प्रिंट किया. इसके कारण महंगाई बढ़ती चली गई.

फिलहाल देश में अल्बर्टो हर्नान्डीज की ही सरकार है और वो देश के बेहतर हालात के लिए जद्दो-जहद कर रहे हैं.  

पैसे वाली बात 

अर्जेंटीना की करंसी अर्जेंटीन पेसो है. एक भारतीय रुपए के बदले में 4.23 अर्जेंटीन पेसो मिलेंगे. इंटरनैशनल मॉनिटरी फ़ंड (IMF) के मुताबिक, अर्जेंटीना की GDP 641 बिलियन डॉलर्स की है. भारतीय रुपयों में ये लगभग 53 लाख रुपयों के बराबर होगी. प्रति व्यक्ति आय लगभग 10 लाख रुपए है. जो भारत से 4 गुना से भी ज़्यादा है. ये तो रही अर्जेंटीना की अर्थव्यवस्था की कहानी. अब आते हैं उसके साथ भारत के व्यापार पर. साल 2022-23 में भारत ने अर्जेंटीना को लगभग 80 हज़ार करोड़ रुपए का सामान बेचा माने एक्सपोर्ट किया. वहीं अर्जेंटीना से हमने लगभग 270 करोड़ रुपयों का सामान खरीदा. माने इम्पोर्ट किया. माने अर्जेंटीना से व्यापार हमारे लिये फायदे का सौदा है.

क्या खरीदते हैं हम उनसे?

सोयाबीन तेल, पेट्रोलियम, तांबा, सूरजमुखी तेल, चमड़ा, ऊन और लौह मिश्रधातु.

और उनको क्या बेचते हैं? 

केमिकल्स, वाहन, टू व्हीलर और फोर व्हीलर्स, ऑटो पार्ट्स, साउंड सिस्टम, कैमरे आदि.

सामरिक रिश्ते

अब बात करते हैं दोनों देशों के रिश्तों की. भारत की आज़ादी के भी पहले साल 1924 में रवीन्द्रनाथ टैगोर ने अर्जेंटीना का दौरा किया था. 

आज़ादी के पहले 1943 में भारत का एक व्यापार आयोग अर्जेंटीना की राजधानी ब्यूनस आयर्स में खुल चुका था. आज़ादी के 2 साल बाद उसे दूतावास में बदल दिया गया. अर्जेंटीना के राष्ट्रपति आर्टुरो फ्रोंडिज़ी ने दिसंबर 1961 में भारत का दौरा किया. ये अर्जेंटीना के राष्ट्रपति के लिए पहली राजकीय यात्रा थी. 

1968 में भारत की पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने अर्जेंटीना का दौरा किया. ये भारत का अर्जेंटीना में पहला दौरा था. 

राष्ट्रपति रेनाल्डो बिग्नोन ने 1983 में NAM शिखर सम्मेलन में हिस्सा लेने के लिए भारत का दौरा किया. 

राष्ट्रपति राउल अल्फोंसिन को साल 1985 के गणतंत्र दिवस पर मुख्य अतिथि के रूप में बुलाया गया. 

जून 2022 में जर्मनी में G-20 समिट के दौरान अल्बर्टो हर्नान्डीज और पीएम मोदी की मुलाक़ात हुई थी. दोनों नेताओं ने अपनी बात-चीत में व्यापार को बढ़ाने पर ज़ोर दिया था.

पोलिटिकल सिस्टम

आपने अर्जेंटीना के भारत के साथ रिश्तों को समझा, आइए अब समझते हैं वहां का पॉलिटिकल सिस्टम. 

राष्ट्रपति देश और सरकार का मुखिया होता है. 

उसका कार्यकाल 4 बरस का होता है. कोई व्यक्ति लगातार 2 बार तक राष्ट्रपति रह सकता है. लेकिन अगर उसे तीसरा टर्म चाहिए तो एक टर्म माने 4 साल का गैप लेना होगा. उसके बाद वो चुनाव के लिए फिर से खड़ा हो सकता है.

16 बरस से बड़े लोग वोट डाल सकते हैं. 16 से 18 बरस के लोगों के लिए वोटिंग वैकल्पिक है. 18-70 साल के लोगों के लिए वोटिंग अनिवार्य है.  

सरकार की कमान 

अर्जेंटीना के राष्ट्रपति अल्बर्टो हर्नान्डीज हैं. वो पेशे से पहले वकील और प्रोफ़ेसर रह चुके हैं. जन्म अप्रैल 1959 में हुआ था. राजधानी ब्यूनस आयर्स में ही. जन्म के बाद उनके माता-पिता का तलाक हो गया. मां ने किसी और से शादी कर ली. सौतेले पिता ने अल्बर्टो को प्यार से पाला. वो पेशे से एक जज थे, इसलिए स्कूली पढ़ाई के बाद अल्बर्टो ने भी कानून की पढ़ाई करने का फैसला किया. 24 की उम्र में ही लॉ की डिग्री हासिल कर ली थी. पढ़ाई के बाद क्रिमिनल लॉयर बने.

देश की आर्थिक हालत खस्ता थी. इसलिए रूचि का काम छोड़कर अर्थव्यवस्था ठीक करने में जुट गए. आगे जाकर इकॉनमी मिनिस्ट्री में भी काम भी किया.

पहला चुनाव साल 2000 में लड़ा और जीतने में सफल रहे. 2 दशक के करीब वो सरकार में अलग-अलग पदों पर काम करते रहे और साल 2019 में अर्जेंटीना के राष्ट्रपति बने.

अर्जेंटीना के राष्ट्रपति अल्बर्टो हर्नान्डीज
फै़क्ट्स

- अर्जेंटीना फुटबॉल के लिए भी जाना जाता है. फेमस फुटबॉलर लियोनेल मेसी यहीं पैदा हुए और अर्जेंटीना की टीम से खेले. अर्जेंटीना ने कुल 3 फीफा फुटबॉल वर्ल्ड कप जीते हैं. पिछला वाला माने साल 2022 का वर्ल्ड कप भी अर्जेंटीना ने ही जीता था.

- ब्राज़ील के बाद दक्षिण अमेरिका का दूसरा सबसे बड़ा देश अर्जेंटीना ही है. और दुनिया का 8वां सबसे बड़ा देश है.

- लेटिन अमेरिका की सबसे बड़ी मस्जिद यहीं है. इसको बनाने में सऊदी अरब ने सहयोग किया था.

- राजधानी ब्यूनस आयर्स में दुनिया की सबसे चौड़ी सड़क है. चौड़ाई है 459 फीट. 

- दुनिया की पहली एनिमेटेड फीचर फिल्म अर्जेंटीना में बनाई गई थी.

फुट नोट्स 

- अर्जेंटीना में मैगेलैनिक पेंगुइन की दुनिया की सबसे बड़ी आबादी है  

- पोलिटिको की एक रिपोर्ट के अनुसार, अर्जेंटीना के पास गैस और लिथियम का बड़ा भंडार है. रूस-यूक्रेन युद्ध के बाद से यूरोप के ताक़तवर देश साउथ अमेरिका में संभावनाएं तलाश रहे हैं. 

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