क्या है IRCTC होटल घोटाला, जिसमें तेजस्वी यादव को कोर्ट में पेश होना पड़ा है?
CBI की रडार पर कैसे आ गए तेजस्वी यादव?

भारत जैसे बड़े देश में प्रशासन बड़ा जटिल काम है. कई एजेंसियों को दिन रात काम करना पड़ता है. और इन एजेंसियों में सबसे मेहनती एजेंसियां हैं ED और CBI. बिहार विधानसभा में बहुमत परीक्षण के दिन CBI ने राजद नेताओं के यहां छापे मारे. इसी दौरान ED के अधिकारी पड़ोसी राज्य झारखंड में थे. छापे में मिली बंदूकों और कारतूस से ''ED'' बना रहे थे. बड़ी खबर में हम जानेंगे कि इन छापों के पीछे प्रकट और अप्रकट वजहें क्या हैं?
बिहार में सरकार बदली तभी से ये आशंका जताई जा ही थी कि सूबे में केंद्रीय एजेंसियों की दिलचस्पी बढ़ने वाली हैं. कौनसी एजेंसियां? CBI और ED. जुमा-जुमा दो हफ्ते ही बीते थे. आज नई सरकार को विधानसभा में बहुमत साबित करना था. इस बात का फैसला होना था कि भाजपा नेता विजय कुमार सिन्हा, विधानसभा अध्यक्ष के पद से इस्तीफा देंगे या नहीं. लेकिन दिन की शुरुआत हुई छापों की खबर से. सुबह-सुबह ही फोन की घंटियां बजने लग गईं, कुंडियां खड़काई जाने लगीं. एक-दो नहीं, कुल 42 ठिकानों पर CBI और ED की टीमों ने छापेमारी की. CBI की टीमों ने बिहार में ही RJD के 5 नेताओं और उनसे जुड़े कुल 25 ठिकानों पर छापा मारा.
समाचार चैनलों पर दिल्ली, पटना, कटिहार और मधुबनी से तस्वीरें आने लगीं. लेकिन सबसे ज़्यादा फुटेज मिली हरियाणा के गुरुग्राम में एक निर्माणाधीन मॉल को. यहां भी छापा पड़ा था और ये दावा किया गया कि प्रॉपर्टी तेजस्वी यादव की है. तेजस्वी का नाम आते ही गुरुग्राम वाली कार्रवाई पर सभी की नज़रें घूम गईं. यहां कुल 3 जगह छापा पड़ा- सेक्टर 71, सेक्टर 65 और सेक्टर 42
गुरुग्राम के सेक्टर 71 में Urban Cubes नाम का मॉल बन रहा है, जिसे White Land Corporation Pvt Ltd नाम की कंपनी बना रही है. गुरुग्राम के सेक्टर 65 में मॉल का बिजनेस ऑफिस है और सेक्टर 42 में Land Base PVT Ltd नाम की कंपनी का दफ्तर है. 6 घंटे चली छापेमारी के बाद शाम के करीब 4 बजे छापेमारी खत्म हुई है. दावा है कि सीबीआई ने वाइट लैंड के दफ्तर से कुछ दस्तावेज बरामद किए. इसके अलावा एक प्रिंटर, लैपटॉप और कुछ डॉक्युमेंट्स सीबीआई की टीम अपने साथ ले गई.
आरोप है कि मॉल बना रही White Land Corporation Pvt Ltd के साथ बिहार के उपमुख्यमंत्री तेजस्वी यादव के हित जुड़े हुए हैं. मतलब कि बात पैसे की है. हम साफ कर देते हैं, ये सिर्फ आरोप है. अभी अदालत में कुछ साबित नहीं हुआ है.
मतलब ये दावा है कि यादव परिवार ने 'नौकरियों के लिए जमीन' वाले कथित घोटाले से हुई कमाई को इस संपत्ति में लगाया है. मगर दिलचस्प ये है कि CBI जिस जमीन घोटाले की बात कर रही है, उसको लेकर दर्ज हुई FIR में तेजस्वी यादव का नाम नहीं है. आपको याद होगा, मई महीने में पटना के राबड़ी आवास पर CBI की छापेमारी हुई थी. उसी वक्त यानी आज से करीब 3 महीने पहले CBI ने लालू परिवार पर नया केस दर्ज किया था.
आपके जहन में सवाल होगा कि ये नौकरियों के बदले जमीन का क्या मामला है? दरअसल 2004 से 2009 के बीच लालू प्रसाद यादव यूपीए सरकार में रेल मंत्री थे. आरोप है कि लालू के रेल मंत्री रहते हुए रेलवे भर्ती में घोटाला हुआ. कहा जा रहा है कि नौकरी लगवाने के बदले आवेदकों से जमीन और प्लॉट लिए गए. मामला कब का है? 15 साल पुराना. केस कब दर्ज हुआ? तीन महीने पहले. जब लालू यादव को चारा घोटाले में जमानम मिली थी. CBI की तरफ से दर्ज नई FIR में लालू यादव, राबड़ी यादव और दो बेटियों - मीसा भारती और हेमा यादव का नाम है. इसके अलावा कुछ प्राइवेट प्लेयर्स को भी आरोपी बनाया गया है. जिनपर नौकरी के बदले जमीन देने का आरोप है.
जैसा कि हमने पहले साफ किया, इस FIR में तेजस्वी यादव का नाम नहीं है. तेजस्वी पर एक दूसरा मामला चल रहा है. वो है IRCTC घोटाला. IRCTC का मामला रेलवे भर्ती घोटाले से अलग है. दोनों ही मामले लालू यादव के रेलमंत्री कार्यकाल से ही जुड़े हैं.IRCTC घोटाले में हुआ ये कि रेलवे बोर्ड ने रेलवे की कैटरिंग और रेलवे होटलों की सेवा को पूरी तरह IRCTC को सौंप दिया था. इस दौरान रांची और पुरी के बीएनआर होटल के रखरखाव और संचालन को लेकर जारी टेंडर में अनियमिताओं के आरोप लगे थे. टेंडर 2006 में एक प्राइवेट होटल - ''सुजाता'' को मिला. आरोप है कि सुजाता होटल्स के मालिकों इसके बदले लालू यादव परिवार को पटना में तीन एकड़ जमीन दी, जो बेनामी संपत्ति थी. उसी मामले में भी लालू यादव, राबड़ी देवी और तेजस्वी यादव समेत कई लोग आरोपी हैं.
जबकि रेलवे भर्ती घोटाले में दूसरे खेल का आरोप है. CBI ने 24 अगस्त वाली छापेमारी इसी मामले में की थी. इसमें आरोप है कि ग्रुप डी की भर्ती के लिए 12 लोगों को नौकरी के बदले रिश्वत के तौर पर 7 प्लॉट लिए गए. सीबीआई के आरोपों में मुताबिक लालू परिवार ने उस दौरान करीब 1 लाख स्केवयर फीट की जमीन मात्र 26 लाख रुपये में खरीद ली थी. जबकि तत्कालीन सर्कल रेट में जमीन की कीमत 4.39 करोड़ रुपये से ज्यादा थी. इसी मामले में लालू यादव के करीब भोला यादव को गिरफ्तार किया गया था.
इस तरह दोनों केस अलग हैं. एक में आरोपी तेजस्वी हैं और एक में नहीं. ये संभव है कि आज हुई छापेमारी के बाद रेलवे जमीन घोटाले में भी तेजस्वी यादव का नाम आरोपी के तौर दर्ज कर दिया जाए. लेकिन फिलहाल ऐसा कोई अपडेट नहीं है. जो है सब आरोपों की शक्ल में है. जिस वक्त ये सारे आरोप लगे, उसी के थोड़ी देर बाद बिहार विधानसभा में बहुमत परीक्षण होना था. नीतीश-तेजस्वी सरकार ने बहुमत हासिल कर लिया. सरकार के पक्ष में कुल 160 वोट पड़े जो बहुमत के 122 के आंकड़े से काफी ज्यादा है. जबकि बीजेपी ने वोटिंग का बहिष्कार किया. ये तो होना ही था. मगर छापों पर प्रतिक्रिया बाकी थी. वो भी आई.
तेजस्वी ने गुरुग्राम में मॉल की बात से भी इनकार किया. साथ IRCTC घोटाले में दर्ज हुई FIR में क्या हुआ, इसको लेकर भी सवाल किया. सदन में बोलते हुए शुरू से ही बीजेपी पर हमलावर रहे. आरोप लगाया कि जब बीजेपी डरती है तो अपने तीन जमाई को आगे करती है.
तेजस्वी ना सिर्फ खुद पर लगे आरोपों को खारिज कर रहे हैं, बल्कि बीजेपी पर बढ़चढ़कर आरोप लगा रहे हैं.
चूंकि ये केस नया है, 3 महीने पहले ही दर्ज हुआ था, तो सुशील मोदी इसकी ज्यादा जानकारी नहीं होने की बात कर रहे हैं. लेकिन आरोप भी लगा रहे हैं कि CBI के पास कुछ तो ऐसा होगा, जिसकी वजह से छापेमारी चल रही है. CBI की छापेमारी और आरोप-प्रत्यारोप के बीच ये पहला मौका था जब नीतीश कुमार और बीजेपी के नेता आमने सामने थे. सो नीतीश कुमार के भाषण पर सबकी निगाहें थी. नीतीश के जवाब में पूर्व डिप्टी सीएम तारकिशोर प्रसाद बोलने के लिए खड़े हुए. उन्होंने नीतीश कुमार पर निशाना साधते हुए कहा कि आप अपनी निजी महत्वाकांक्षा के शिकार हो गए. नीतीश की तुलना क्रिकेटर करते हुए कहा- वो एक ऐसे बल्लेबाज की तरह हैं जो खुद पिच पर बने रहने के लिए दूसरों को रन आउट कराने को तैयार रहते हैं. मुख्यमंत्री बने रहते हैं, उपमुख्यमंत्री बदलते रहते हैं. विधानसभा में इस दौरान हंगामा भी हुआ.
इस हंगामे के बाद एक बड़ी बात निकल कर सामने आई. बहुमत तो साबित हो गया, मगर स्पीकर का चुनाव 26 अगस्त को होगा. जिसके लिए कल नामांकन किया जाएगा. मौजूदा स्पीकर विजय सिन्हा ने इस्तीफा दे दिया है. वो अब नेता प्रतिपक्ष होंगे. इसी उठापटक के बीच नीतीश कुमार ने 2024 का प्लान भी बता दिया. बिहार की सरकार आंकड़ों में भले स्थिर नज़र आ रही हो. लेकिन केंद्रीय एजेंसियों के ताप से कब तक बच पाएगी, कहना मुश्किल है. बिहार के घटनाक्रम ने राष्ट्रीय स्तर पर विपक्ष को ऊर्जा दी थी. तो बिहार में आने वाले हफ्तों में जो होगा, उसका असर बिहार के साथ साथ 2024 में विपक्ष के प्रदर्शन पर भी पड़े सकता है.
देखिए वीडियो: CBI की रडार पर कैसे आ गए तेजस्वी यादव और कौन सा गोपनीय कागज हाथ लग गया?