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यूपी के पूर्व मंत्री साढ़े तीन साल बाद जेल से छूटे, हफ्तेभर में ही फिर धर लिए गए

गायत्री प्रसाद प्रजापति 14 दिन की न्यायिक हिरासत में.

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गायत्री प्रसाद प्रजापति अमेठी से सपा के टिकट पर दो बार हारे. पर 2012 में फिर टिकट मिला और इस बार जीते. मंत्री भी बने. ये तस्वीर 2011 की है. एक कार्यक्रम में मुलायम सिंह यादव के पैर छूते गायत्री प्रसाद. (फोटो- India Today)
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अभिषेक त्रिपाठी
16 सितंबर 2020 (Updated: 16 सितंबर 2020, 03:16 PM IST) कॉमेंट्स
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समाजवादी पार्टी का एक नेता. जब उसकी पार्टी उत्तर प्रदेश में सत्ता में आई, तो वो मंत्री भी बना. फिर आरोप लगता है दुष्कर्म का. सरकार भी चली जाती है. वो नेता साढ़े तीन साल जेल में काटता है. बमुश्किल मिलती है बेल. और हफ्ते भर में ही फिर एक दूसरे केस में जेल.
नेता का नाम क्या है- गायत्री प्रसाद प्रजापति. और ख़बर क्या है- उत्तर प्रदेश की एक अदालत ने उन्हें 14 दिन की न्यायिक हिरासत में भेज दिया है. जालसाजी के आरोप में. अब शुरू से पूरा मामला समझते हैं.

गायत्री प्रसाद के बारे में

गायत्री प्रसाद प्रजापति ने 1995 के करीब समाजवादी पार्टी जॉइन की थी. 1996 और 2002 में अमेठी से लड़े. हारे. लेकिन जुगाड़ू प्रवृत्ति होने के कारण मुलायम सिंह यादव और अखिलेश याद से अच्छे संपर्क बने. 2012 में फिर टिकट मिला और इस बार गायत्री प्रसाद ने अमेठी जीत लिया. विधायक बने. सपा की सरकार बनी, तो फरवरी 2013 में मंत्री पद भी मिल गया. सिंचाई मंत्री बने. इसी साल जुलाई में मंत्रिमंडल फेरबदल हुए, तो स्वतंत्र प्रभार दिया गया. फिर जनवरी 2014 में खनन मंत्री बनाए गए.

दुष्कर्म का आरोप

गायत्री प्रसाद की मुश्किलें 2016 से बढ़नी शुरू हो गईं. खनन मंत्री पर अवैध खनन कराने का आरोप लगा. लोकायुक्त ने जांच के आदेश दिए.
कुछ ही महीने बाद चित्रकूट की एक महिला ने आरोप लगाया कि गायत्री प्रसाद ने उनके और उनकी बेटी के साथ दुष्कर्म किया. फरवरी 2017 में सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद गायत्री प्रसाद के खिलाफ एफआईआर दर्ज की गई. कुछ दिन फरार रहने के बाद आखिरकार मार्च, 2017 में वे गिरफ्तार होते हैं. इसी बीच यूपी चुनाव में सत्ता बदल जाती है. सपा जाती है, बीजेपी आती है. गायत्री प्रसाद जेल में ही रहते हैं.
Untitled Design (40) गायत्री प्रसाद प्रजापति पर एक मामले में सीबीआई जांच भी चल रही है. (फोटो- India Today)

महिला और वकील की तनातनी

'इंडिया टुडे' रिपोर्टर आशीष श्रीवास्तव ने एक और किरदार का ज़िक्र किया- राम सिंह और उनके एक साथ दिनेश चंद्र. पीड़ित महिला के वकील.
जानकारी के मुताबिक, फरवरी, 2019 में एडवोकेट दिनेश चंद्र ने लखनऊ के गाजीपुर थाने में एक एफआईआर दर्ज कराई. आरोप लगाया कि पीड़ित महिला ने उनसे गायत्री व अन्य आरोपियों के पक्ष में शपथ पत्र लगाने की बात कही थी. जब वकील ने इसका विरोध किया, तो महिला नाराज हो गई और धमकी देने लगी. इसके बाद गायत्री प्रसाद के साथ मिलकर महिला ने एडवोकेट के खिलाफ एफआइआर दर्ज करा दी. लिहाज फिर वकील ने महिला और गायत्री के ख़िलाफ जालसाजी का मामला दर्ज कराया.
दरअसल, गायत्री प्रसाद के जेल जाने के कुछ समय बाद ही पीड़ित महिला का रुख़ बदलने लगा. पुलिस के मुताबिक, पीड़ित महिला को गायत्री की ओर से कुछ आर्थिक लाभ भी मिले. महिला गायत्री प्रसाद प्रजापति से मिलने भी जाने लगी थी. हाल ही में महिला का बयान भी आया –
“गायत्री प्रसाद पिता की तरह हैं. रिश्ते को राजनीतिक लाभ के लिए कलंकित किया जा रहा है.”

जमानत और फिर गिरफ्तार

गायत्री को साढ़े तीन साल जेल में बिताने के बाद 4 सितंबर को इलाहाबाद हाईकोर्ट से रेप केस में जमानत मिली. बेल बॉन्ड भर भी नहीं पाए थे कि सात दिन में ही फिर गिरफ्तार कर लिए गए. जालसाजी वाले आरोप में, जिसकी एफआईआर वकील ने कराई थी. जिसमें गायत्री और महिला को आरोपी बनाया था. यानी एक केस से जमानत मिली, दूसरे में गिरफ्तार.

और एक मामला तो अभी बचा ही है

अवैध खनन का. जिसका ज़िक्र हमने ऊपर एक लाइन में किया था. 2002 में बीपीएल कार्डधारी रहे गायत्री प्रसाद 2016 तक अकूत संपत्ति के मालिक बन चुके थे. बाद में उन पर खनन मंत्री रहते हुए यूपी के सात जिलों में अवैध खनन की अनुमति देने का आरोप लगा. एनजीटी के नियमों को ताक पर रखकर यहां खनन को हां कहा गया. 2016 में इलाहाबाद हाईकोर्ट ने इस मामले में सीबीआई को जांच सौंप दी थी. पिछली अपडेट इस मामले में 2019 की रही है, जब सीबीआई ने इसी केस के सिलसिले में 12 जगहों पर छापे मारे थे. तत्कालीन खनन मंत्री गायत्री प्रसाद से भी इस मामले में पूछताछ होनी है.


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