The Lallantop
Advertisement

अग्नि-प्राइम मिसाइल लॉन्च, पैंतरेबाजी में जवाब नहीं, दुश्मन कितना ही चकमा दे बचेगा नहीं

अग्नि सीरीज़ की बाकी मिसाइलों से हल्की, लेकिन सबसे ज्यादा खतरनाक है अग्नि-प्राइम.

Advertisement
Agni Prime Night Launch
अग्नि-प्राइम का पहला नाइट लॉन्च सफल हुआ है. (फोटो सोर्स- ANI और PIB)
9 जून 2023 (Updated: 9 जून 2023, 16:16 IST)
Updated: 9 जून 2023 16:16 IST
font-size
Small
Medium
Large
whatsapp share

भारतीय सेना की स्ट्रैटेजिक फोर्सेस कमांड और डिफेंस रिसर्च एंड डेवेलपमेंट ऑर्गेनाइजेशन (DRDO) ने अग्नि प्राइम बैलिस्टिक मिसाइल (Agni Prime Ballistic Missile) का सफल परीक्षण कर लिया है. ओडिशा में डॉ. एपीजे अब्दुल कलाम द्वीप पर बुधवार 7 जून, 2023 की शाम 7:30 पर इस मिसाइल का फ्लाइट टेस्ट हुआ है. टेस्ट के पहले इस इलाके में नो फ्लाई ज़ोन घोषित कर दिया गया था. इससे पहले इस मिसाइल के तीन डेवेलपमेंट ट्रायल हो चुके हैं. अब इसके भारतीय सेना में शामिल किए जाने से पहले, पहली बार इसे रात में लॉन्च किया गया.

इस बार क्या जांचा गया?

इस मिसाइल का पहला टेस्ट जून 2021 में हुआ था. फिर दिसंबर, 2021 में दूसरा टेस्ट हुआ. दोनों बार मिसाइल ने अपनी ट्रैजेक्टरी फॉलो की. माने इसे जिस रास्ते पर जाना था, वहां से नहीं भटकी. इसके अलावा और भी जो टारगेट सेट किए गए, उन पर ये पूरी एक्यूरेसी के साथ खरी उतरी. इसके बाद अक्टूबर, 2022 में इसका एक और टेस्ट फायर हुआ. इस बार मिसाइल ने सबसे ज्यादा रेंज तय की वो भी बिना कोई चूक किए.

रात में हुए इस तीसरे परीक्षण में अलग-अलग जगहों पर राडार, टेलीमेट्री (दूर से किसी ऑब्जेक्ट का डाटा मापने वाला उपकरण) और ट्रैकिंग सिस्टम्स लगाए गए थे. मिसाइल की पूरी ट्रैजेक्टरी (रास्ता) का डाटा रिकॉर्ड किया गया. ये परीक्षण भी सफल हुआ. अब इसे भारतीय सेना को सौंपा जा सकता है. देश के रक्षामंत्री राजनाथ सिंह ने टेस्ट सफल होने पर DRDO और सेना को बधाई दी. केंद्रीय मंत्री हरदीप सिंह पुरी ने भी ट्वीट कर बधाई दी.

इस मिसाइल में ख़ास क्या है?

ये अग्नि सीरीज़ की सबसे आधुनिक मिसाइल है. इस सीरीज की सभी मिसाइलें बैलिस्टिक कैटेगरी की हैं. बैलिस्टिक मिसाइल यानी ऐसी मिसाइल जिसका रूट सब-ऑर्बिटल यानी अर्द्ध चंद्राकार होता है. यानी ये लॉन्च होने के बाद ऊपर जाती है. बहुत ऊपर. वायुमंडल की सतह तक. फिर वापस आती है टारगेट पर और सब तबाह कर देती है. बैलिस्टिक मिसाइलों की स्पीड बहुत ज्यादा होती है.

बैलिस्टिक मिसाइलें परमाणु या पारंपरिक दोनों तरह के बड़े हथियार ले जा सकती हैं. सबसे पहले साल 1989 में अग्नि सीरीज की पहली बैलिस्टिक मिसाइल अग्नि-I लॉन्च की गई थी. इसे साल 2004 में सेना में शामिल किया गया. इसकी रेंज 700 से 900 किलोमीटर के बीच थी. फिर धीरे-धीरे और आधुनिक अग्नि मिसाइलें डेवेलप की गईं. अभी भारत के पास अग्नि-V मिसाइल ऑपरेशनल स्टेज में है. ये लंबी दूरी की इंटर कॉन्टिनेंटल बैलिस्टिक मिसाइल (ICBM) है. जो 5 हजार किलोमीटर तक की रेंज तक मार कर सकती है.

-अग्नि प्राइम की पहली खासियत ये है कि इसका वजन अग्नि-V से भी कम है. ये अग्नि-III मिसाइल से करीब 50 फीसद तक हल्की है. और ये अधिकतम 2 हजार किलोमीटर तक मार कर सकती है.

-दूसरी खासियत ये है कि ये कैनिस्टराइज्ड है. दरअसल इन मिसाइलों को 'टाटा ट्रांसपोर्टर इरेक्टर लॉन्चर' से दागा जाता है. आपने इसकी तस्वीरें भी देखी होंगी. ये ट्रक जैसा एक वाहन होता है. Canister कहते हैं- ब्रेक लगाओ, पीछे करो मिसाइल को एंगल पर साधो और बटन दबाकर दाग दो. इसलिए इन मिसाइलों को रोड से, ट्रेन से, कहीं से भी दाग सकते हैं. इनका ट्रांसपोर्ट आसान होता है.

अग्नि प्राइम यानी अग्नि-P की तकनीक भी ख़ास है.

अग्नि प्राइम, 34.5 फीट लंबी है. ये मिसाइल उच्च तीव्रता वाले विस्फोटक और परमाणु हथियार ले जाने में सक्षम है. इसमें 1500 से 3000 किलोग्राम वजन के मल्टीपल इंडिपेंडेंटली टारगेटेबल रीएंट्री व्हीकल (MIRV) वॉरहेड लगा सकते हैं. माने इसके पेलोड (मिसाइल का अगला हिस्सा जिसमें विस्फोटक होता है) में कई वॉरहेड (बम) होते हैं. जो अलग-अलग टारगेट पर दागे जा सकते हैं. यानी एक ही मिसाइल से कई निशानों पर हमला किया जा सकता है.

ये दो स्टेज के रॉकेट मोटर पर चलने वाली मिसाइल है. इसके अलावा इसमें MaRV, यानी मैन्यूवरेबल रीएंट्री व्हीकल भी है. मैन्यूवेरेबल माने, पैंतरेबाजी. आसान भाषा में कहें तो ये मिसाइल निर्देश दिए जाने पर अपना रास्ता बदल सकती है. अगर इसका टारगेट अपनी लोकेशन बदल रहा है तो भी ये मिसाइल उसे हिट कर सकती है.

thumbnail

Advertisement

election-iconचुनाव यात्रा
और देखे

Advertisement

Advertisement

Advertisement