The Lallantop
Advertisement

बम मिलने के बाद क्या होता है? डिफ्यूज कैसे होता है, पुलिसवाले फिर रखते कहां हैं?

कुछ दिन पहले पंजाब के मुख्यमंत्री के आवास के पास जिंदा बम शेल मिला था.

Advertisement
bomb-shell
बम शेल और हैंड ग्रेनेड की तस्वीर (फोटो - शटरस्टॉक/सोशल मीडिया)
pic
सोम शेखर
4 जनवरी 2023 (Updated: 4 जनवरी 2023, 07:09 PM IST) कॉमेंट्स
font-size
Small
Medium
Large
font-size
Small
Medium
Large
whatsapp share

बीती 2 जनवरी को मुख्यमंत्री भगवंत मान (CM Bhagwant Mann) के आवास के पास एक ज़िंदा बम शेल बरामद किया गया. जानकारी मिलते ही पुलिस ने इलाक़े को सील कर दिया. बम निरोधक दस्ते को भेजा गया. पुलिस मामले की जांच कर रही है, लेकिन इसमें कुछ सवाल हैं.

मसलन, जब बम बरामद होता है, तो उसका किया क्या जाता है? डिफ़्यूज़ कैसे करते हैं? डिफ़्यूज़ कर के महफ़ूज़ कैसे रखते हैं? ख़त्म करना हो, तो कैसे करते हैं? और, अगर सबूत के तौर पर रखना हो, तो क्या करते हैं? हम आपको इन सारे सवालों के जवाब देंगे.

बम ढूंढते कैसे हैं?

पहले तो पता लगाया जाता है कि किसी डब्बे या कन्टेनर में बम है भी कि नहीं. इस प्रक्रिया को कहते हैं एक्सप्लोसिव डिटेक्शन यानी विस्फोटक की जांच. कई तरीक़े हैं: कोलोमेट्रिक टेस्ट किट, कुत्तों की मदद से, एक्स-रे मशीन से, प्रशिक्षित मधुमक्खियों से और अलग-अलग डिटेक्शन मशीनों से. जल्दी-जल्दी से इन सब तरीक़ों के बारे में जान लेते हैं.

# विस्फोटकों का पता लगाने के लिए कोलोमेट्रिक टेस्ट किट सबसे स्थापित, सबसे सरल और सबसे ज़्यादा इस्तेमाल किया जाने वाला तरीक़ा है. किसी अज्ञात बक्से या नमूने के लिए पर एक केमिकल लगाते हैं और अगर केमिकल को विस्फोटक की भनक लग जाए, तो वो रंग छोड़ता है.

 # कुत्तों को ख़ासतौर पर प्रशिक्षित किया जाता है, ताकि वो विस्फोटकों के बारूद को सूंघ सकें. वैसे तो कुत्ते बहुत तेज़ी से बम सूंघ लेते हैं, लेकिन कुत्ता तो बेचारा जीवित है. थक जाता है, ऊब जाता है और बूढ़ा हो जाता है.

 # अलग-अलग विस्फोटकों के ट्रेस सिग्नेचर का पता लगाने के लिए अलग-अलग तरह की मशीनें बनाई गई हैं. मसलन, आयन मोबिलिटी स्पेक्ट्रोमेट्री (IMS), मास स्पेक्ट्रोमेट्री वग़ैरह. 

# ख़ासतौर पर डिज़ाइन की गई एक्स-रे मशीनें भी हैं, जो चीज़ों के घनत्व को देखकर विस्फोटकों का पता लगा सकती हैं.

डिफ़्यूज़्ड बम की कहानी

अब ये है कि बम को एक बार डिफ़्यूज़ करने के बाद उसका होता क्या है? ये जानने के लिए हमने बात की क्राइम तक के एडिटर-इन-चीफ़ शम्स ताहिर ख़ान से. शम्स ने हमें बताया कि हर पुलिस स्टेशन में मालख़ाना होता है. जांच के दौरान पकड़ी गई अलग-अलग तरह की चीज़ें इसी मालख़ाने में रखी जाती हैं. रुपए-पैसे, सोना-चांदी, हथियार, बम-बारूद, गाड़ियां, साइकिल-मोटरसाइकिल. जब तक केस का फ़ैसला नहीं हो जाता, इस तरह की चीज़ें केस प्रॉपर्टी होती हैं. आगे बताया,

"अब जैसे बम है. ज़िंदा बम को रखना सबसे ख़तरनाक काम होता है. पुलिस जब भी कोई बम बरामद करती है किसी अपराधी या आतंकवादी से, तो उसका क़ानूनन तरीक़ा यह है कि पहले बम डिस्पोज़ल स्क्वॉड को बुलाया जाता है. बम को डिफ़्यूज़ किया जाता है. निष्क्रिय किया जाता है.

अब बम कई तरह के होते हैं. जिस बम में डेटोनेटर नहीं होता, वो फटेगा नहीं. जैसे RDX है, वो ख़ुद से नहीं फटता. उसको बनाना पड़ता है, डेटोनेटर के साथ कनेक्ट करना पड़ता है. ये फैसला पूरी तरह से बॉम्ब स्क्वॉड का होता है कि वो किस बम के साथ कैसे डील कर रहे हैं. जो चीजें ख़तरनाक ना हो उसको तो पुलिस रखती है अपने पास. लेकिन इस हिसाब से कि वो ख़तरा न बने किसी के लिए. ज़्यादातर मामलों में बम डिस्पोज़ल स्क्वॉड बम को डिफ़्यूज़ करके रखती है. और, ये कार्यवाही अदालत या अदालत के नुमाइंदे के सामने की जाती है."

शम्स ताहिर ख़ान ने हमें ये भी बताया कि हथियार का भी हिसाब-किताब भी बम जैसा ही है. पुलिस कई बार ग़ैर-क़ानूनी कट्टे, पिस्तौल, कारतूस बरामद करती है; उसके लिए सीधा-सीधा क़ानून है कि उनको नष्ट किया जाए. जैसे बम को डिफ़्यूज़ करते हैं, वैसे ही कट्टे या कारतूस को भट्टी में पिघला दिया जाता है. अब ये तो हुई ग़ैर-क़ानूनी हथियारों की कहानी. क़ानूनी हथियारों का सिस्टम अलग है.

"जो हथियार क़ानूनी तौर पर बना हुआ है, जो किसी फैक्ट्री में बना है, जिसका कोई सीरियल नंबर है और किसी के क़ब्ज़े से बरामद हुआ है, उस केस में हथियार को नष्ट नहीं किया जाता. जो क़ानूनन हथियार बने हैं, उनको नष्ट नहीं किया जाता. उससे पुलिस पैसे कमाती है. उसकी बक़ायदा नीलामी होती है. जो ऊंची बोली लगाता है, वो ख़रीदता है. लेकिन जो ख़रीदता है, उसका बैकग्राउंड चेक किया जाता है कि उसके पास हथियार रखने का लाइसेंस है कि नहीं."

अलग-अलग बमों की अलग-अलग गाथा. रखने लायक़ हो और रखने में कोई ख़तरा न हो, तो रखा जाएगा. नहीं तो नष्ट कर दिया जाएगा.

(ये स्टोरी हमारे साथी साकेत के सहयोग के साथ की गई है)

वीडियो: अमेरिका की ये 'मशीन' रूस-चीन को डरा रही है!

Subscribe

to our Newsletter

NOTE: By entering your email ID, you authorise thelallantop.com to send newsletters to your email.

Advertisement