EWS और OBC आरक्षण की आय सीमा समान होते हुए भी अलग कैसे है?
जब आय सीमा दोनों के लिए 8 लाख रुपए है तो फिर फर्क कैसा?
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EWS आरक्षण के मानदंडों पर पुनर्विचार करने के लिए केंद्र की विशेष कमेटी ने 31 दिसंबर, 2021 को अपनी रिपोर्ट सबमिट की. (फ़ोटो-आजतक)
“EWS की आय का मानदंड किसी कैंडिडेट के आवेदन के वर्ष से पहले के वित्तीय वर्ष पर निर्भर करता है. जबकि ओबीसी श्रेणी में क्रीमी लेयर के लिए आय मानदंड लगातार तीन वर्षों के लिए औसत वार्षिक आय पर लागू होता है. OBC क्रीमी लेयर के मामले में वेतन, कृषि और पारंपरिक कारीगर व्यवसायों से होने वाली आय को नहीं जोड़ा जाता. जबकि EWS के लिए 8 लाख मानदंड में खेती सहित सभी स्रोतों को शामिल किया जाता है."OBC क्रीमी लेयर और EWS के फ़र्क़ को थोड़ा आसान शब्दों में समझ लेते हैं. पहले बात EWS की सरकार द्वारा 2019 में जारी एक सूचना के मुताबिक़, ऐसे व्यक्ति जो अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति और अन्य पिछड़ा वर्ग के लिए आरक्षण योजना के अंतर्गत नहीं आते हैं और जिनके परिवार की कुल सालाना आय 8 लाख रुपये से कम है, उन्हें आरक्षण के लाभ के लिए EWS के रूप में पहचाना जाना चाहिए. कैंडिडेट के आवेदन करने के पिछले वित्तीय साल के सभी स्रोतों जैसे वेतन, कृषि, व्यवसाय, पेशा आदि से होने वाली सभी आय को शामिल किया जाएगा. इसके अलावा ऐसे व्यक्ति जिनके परिवार के पास-
पांच एकड़ कृषि ज़मीन, या 1,000 वर्ग फुट का आवासीय फ्लैट, या अधिसूचित नगर पालिकाओं में 100 वर्ग गज की आवासीय ज़मीन, या गैर-अधिसूचित नगर पालिकाओं में 200 वर्ग गज की आवासीय ज़मीन है,तो ऐसे परिवारों के कैंडिडेट को EWS आरक्षण के दायरे से बाहर रखा जाएगा. OBC क्रीमी लेयर के मानदंड वहीं, OBC क्रीमी लेयर के आरक्षण मानदंड सरकारी और ग़ैर-सरकारी कर्मचारियों और अन्य व्यवसायों के लोगों के लिए अलग हैं. 8 सितंबर, 1993 को भारत सरकार के डिपार्टमेंट ऑफ़ पर्सनल एंड ट्रेनिंग (DoPT) ने OBC कोटा के लिए निश्चित रैंक/आय के आधार पर उन लोगों की विभिन्न श्रेणियों को सूचीबद्ध किया था जिनके बच्चे ओबीसी आरक्षण का लाभ नहीं उठा सकते. DoPT के मुताबिक ऐसे कैंडिडेट जिनके अभिभावक किसी सरकारी नौकरी में नहीं हैं, उनके लिए मौजूदा सीमा 8 लाख रुपये प्रति साल है. साथ ही पिछले 3 सालों की औसत आय के आधार पर 8 लाख रुपये से ज़्यादा आय वाले को क्रीमी लेयर माना जाएगा. वहीं, सरकारी कर्मचारियों के बच्चों के लिए आरक्षण माता-पिता की रैंक पर आधारित होता है न कि आय पर. उदाहरण के लिए, एक व्यक्ति को क्रीमी लेयर में माना जाएगा अगर-
उसके माता-पिता में से कोई भी किसी संवैधानिक पद पर हो; या तो माता और पिता से में से किसी एक की भी ग्रुप-ए नौकरी से सीधी भर्ती हुई हो या माता-पिता दोनों ग्रुप-बी सेवाओं में हैं.इसके अलावा अगर माता-पिता 40 वर्ष की आयु से पहले पदोन्नति के माध्यम से ग्रुप-ए में प्रवेश करते हैं, तो उनके बच्चे क्रीमी लेयर में माने जाएंगे. सेना में कर्नल या उच्च पद के अधिकारी के बच्चे, और नौसेना और वायु सेना में समान रैंक के अधिकारियों के बच्चे भी क्रीमी लेयर के अंतर्गत आते हैं. 14 अक्टूबर 2004 को DoPT ने एक स्पष्टीकरण जारी किया था. इसके मुताबिक़ क्रीमी लेयर का निर्धारण करते समय सैलरी या कृषि भूमि से होने वाली आय को जोड़ा नहीं जाता है. OBC के लिए आय सीमा को कई बार बदला गया OBC क्रीमी लेयर की आय सीमा को कई बार संशोधित किया गया है. जब ये पहली बार लागू हुआ था तब DoPT ने निर्धारित किया था कि इसे हर 3 साल में संशोधित किया जाएगा. लेकिन 8 सितंबर, 1993 के बाद पहला संशोधन 9 मार्च, 2004 में हुआ. तब एक लाख रुपये की आय सीमा को बढ़ाकर 2.50 लाख रुपये किया गया था. फिर अक्टूबर 2008 में इसे और बढ़ाकर 4.50 लाख किया गया. मई 2013 में इसे 6 लाख किया गया. आख़िरी बार 13 सितंबर 2017 को इसे 8 लाख रुपये तक बढ़ा दिया गया था.