The Lallantop
Advertisement
  • Home
  • Lallankhas
  • Deepika Padukone talks about memories during her first film om shanti om

जब दीपिका पादुकोण की आवाज़ का लोगों ने मज़ाक उड़ाया

दीपिका के डिप्रेशन से जूझने की कहानी.

Advertisement
Img The Lallantop
दीपिका के बर्थडे पर आज उनकी ज़िंदगी से जुड़े कुछ रोचक किस्से आपको बताएंगे.
pic
मेघना
6 जनवरी 2021 (Updated: 6 जनवरी 2021, 10:23 AM IST) कॉमेंट्स
font-size
Small
Medium
Large
font-size
Small
Medium
Large
whatsapp share
दीपिका पादुकोण. वो नाम, जिसके साथ काम करने के लिए बड़े-से बड़ा एक्टर-डायरेक्टर उत्सुक रहता है. दीपिका पादुकोण, जिसने बॉलीवुड के कई नॉर्म्स को तोड़ दिया. जिसे फिल्मों में हीरो से ज़्यादा पैसे ऑफर होने लगे. जिसने एक साल में लगातार तीन हिट फिल्में दीं. दीपिका पादुकोण उर्फ प्यारी दीपू, जिसकी एक के बाद एक फ्लॉप फिल्में उसे उसके सपनों से बहुत दूर ले जाना चाह रही थीं. प्यार का थोड़ा सा सहारा था, मगर उसमें भी गच्चा खाया. हालत ये हुई कि डिप्रेशन में चली गईं. पर, कभी हार नहीं मानी. मन कड़ा किया, बिस्तर से उठीं और पहुंच गईं सीधा स्टूडियो. दीपिका ही वो एक्ट्रेस हैं, जिन्होंने ये सिखाया कि ब्रेकअप और करियर के गिरते ग्राफ के बावजूद भी सफलता की बुलंदियों पर पहुंचना असंभव नहीं. दीपिका ही वो शख्सियत हैं, जिन्होंने अपने प्यार और अपने काम के साथ कभी समझौता नहीं किया.
आज दीपिका की ज़िंदगी से जुड़े ऐसे ही कुछ मज़ेदार मगर सीख देने वाले किस्से सुनाएंगे. ये किस्से दीपिका ने खुद बताए हैं. दरअसल, हाल ही में इंडिया टुडे मैगज़ीन के 45 साल पूरे हुए हैं. इसी मौके पर 45 प्रभावशाली भारतीयों का इंटरव्यू लिया गया. इन्हीं में से एक थीं दीपिका.
deepika-padukone
# जब दीपिका पादुकोण को स्कूल के बाहर घूरते थे लोग दीपिका ने हर काम खुलेआम किया. प्यार किया तो, उसके नाम का टैटू भी गर्दन पर गुदवा लिया. ब्रेकअप किया तो भी पूरी दुनिया को बता दिया. डिप्रेशन में क्यों गईं और कैसे बाहर आईं, ये भी किसी से नहीं छिपा. दीपिका का ये मिज़ाज हमेशा से रहा. वो बताती हैं कि बचपन में जब बैंगलुरू के सेंट सोफिया हाई स्कूल में पढ़ा करती थीं, तो उन्हें सोशली बहुत टार्गेट किया जाता था. जब सुबह स्कूल के लिए जाती थीं तो आस-पास के लोग उन्हें घूरा करते थे. इसका कारण उनकी लंबाई थी, या पढ़ाई में अच्छा ना होना, इस सवाल का जवाब उन्हें खुद भी नहीं पता. मगर दीपिका का कॉन्फिडेंस कम नहीं हुआ. दीपिका भले ही पढ़ाई में अच्छी ना रही हों मगर बैंडमिंटन खेलने में चैपिंयन हो गईं.
Deepika-Padukone-Childhood family pic new
# आंखों में सपने लिए चली गईं मुंबई दीपिका बताती हैं कि स्कूलिंग के बाद उनका मन पढ़ाई में ज़्यादा नहीं लगा. बल्कि स्कूल के बाहर यानी आउटडोर एक्टिविटीज़ में खूब नाम कमाया. कई मैच भी जीते. मगर इसके बाद भी कहीं ना कहीं उनका झुकाव कला और फिल्म की तरफ हुआ. तभी तो जब उन्होंने अपने घर वालों को फिल्मों में काम करने और मॉडलिंग करने की बात बताई, तो किसी ने उन्हें मना नहीं किया. फिर क्या एक सूटकेस में थोड़ा सा सामान और ढेर सारे ख्वाब लिए सीधा मुंबई चली आईं. और जुड़ गईं मॉडलिंग की दुनिया से.
'खेलें हम जी जान से' फिल्म में दीपिका
'खेलें हम जी जान से' फिल्म में दीपिका
# जब दीपिका को मिला पहला ब्रेक दीपिका बताती हैं कि मॉडलिंग में कुछ साल बिताने के बाद उन्हें बॉलीवुड का पहला ब्रेक मिला. जिस 19 साल की उम्र में लड़कियां शाहरुख खान के सपने देखती हैं उस उम्र में दीपिका को शाहरुख खान के साथ फिल्म मिल गई. फराह खान की डायरेक्ट की हुई 'ओम शांति ओम'. दीपिका के लिए ये किसी सपने के पूरे होने जैसा था. वो जितनी खुश थीं उतना ही उन पर परफॉर्मेंस और खुद को साबित करने का प्रेशर भी था. दीपिका, बॉलीवुड में बिल्कुल नई थीं. हालांकि ठीक एक साल पहले आई कन्नड़ फिल्म 'ऐश्वर्या' से एक्टिंग डेब्यू कर चुकी थीं. मगर फिर भी घबराहट कम नहीं थी. दीपिका ने खुद इस बात को कुबूला कि उस समय वो ज़्यादा कुछ जानती नहीं थीं. मगर शाहरुख और फराह खान ने उन्हें बहुत सपोर्ट किया.
'ओम शांति ओम' में दीपिका और शाहरुख
'ओम शांति ओम' में दीपिका और शाहरुख
# जब दीपिका पादुकोण की आवाज़ का लोगों ने उड़ाया मज़ाक 'ओम शांति ओम' साल 2007 में बनकर तैयार हुई. थिएटर में रिलीज़ हुई. दीपिका लोगों के दिलों पर छा गई. मगर एक तबका ऐसा भी था जिन्होंने 'शांति' का मज़ाक उड़ाया. उनकी एक्टिंग का मज़ाक उड़ाया. दीपिका ने बताया कुछ लोगों ने उन्हें ये तक कह दिया- ''अरे वो तो मॉडल है, फिर भी उसे एक्टिंग नहीं आती'' उनकी आवाज़ का भी मज़ाक उड़ा. बहुत सारी बातें उनके बारे में लिखी गईं. दीपिका ने कहा
''जब आप 21 साल के हो तो ये सारी बातें आपको बहुत हर्ट करती हैं. लेकिन मैंने इस क्रिटिसिज़्म और फेलियर को फेस करना सीखा. मेरे इन्हीं अनुभवों ने मुझे आगे बढ़ना सिखाया, मुझे मेरी स्किल्स को डेवलप करना सिखाया. मेरा काम वर्सटाइल होने लगा. सबसे ज़रूरी ये रहा कि इन सब से मेरा पर्सनल डेवलपमेंट बहुत हुआ. मेरे फेलियर ने मुझे बहुत कुछ सिखाया.''
बस फिर दीपिका कहां रुकने वाली थीं. 'चेन्नई एक्सप्रेस', 'देसी बॉयज़', 'आरक्षण', 'हाउसफुल', 'ये जवानी है दीवानी', 'रामलीला', 'पद्मावत', 'बाजीराव मस्तानी', 'तमाशा' और 'छपाक' जैसी सुपरहिट फिल्में दे डालीं.
ऐसी हैं दीपिका पादुकोण. जिनकी ज़िंदगी की कहानी सुनकर सीख ली जा सकती हैं. उनकी हिम्मत के लिए, अपनी कमियां कबूलने के लिए. बार-बार हार मिलने के बाद भी अपने सपनों से मुंह ना मोड़ने के लिए. बीते साल भी दीपिका का नाम ड्रग केस में जुड़ा. एनसीबी ने जांच पड़ताल भी की. मगर उन्होंने किसी भी तरह अपने काम पर इसकी आंच नहीं आने दी.

इस पोस्ट से जुड़े हुए हैशटैग्स

Advertisement