घर पर कोई छोटा बच्चा रोने लगे तो क्या होता है? हर कोई उसे अलग-अलग तरीके से चुप कराने की जुगत में लग जाता है. कोई नहीं चाहता कि बच्चा रोए. मगर जापान में कुछ उलट होता है. यहां तो बच्चे को रुलाने का ही कंपीटिशन होता है. बच्चे के रोने की आवाज जितनी तेज होगी, जीत उतनी ही मधुर. इस मुकाबले में तो बच्चे का परिवार हर संभव कोशिश करता है कि उनका बच्चा रो कर कॉन्टेस्ट जीते.
जापान में हर साल इस प्रतियोगिता का आयोजन होता है. इस साल इसमें 100 से ज्यादा 2 साल की उम्र के बच्चों ने हिस्सा लिया. जापान के फेमस सूमो पहलवान इन्हें पकड़कर रुलाने की कोशिश करते हैं.
ये जापानी परंपरा 400 साल पुरानी है. माना जाता है कि इससे बच्चे का स्वास्थ्य बेहतर होता है और वो तंदरुस्त रहता है. दो बच्चों के बीच ये प्रतियोगिता होती है. दो सूमो पहलवान इन बच्चों को पकड़े रहते हैं, और रुलाने की कोशिश करते हैं. ये पहलवान कई बार बच्चों को हल्के से हिलाते भी हैं ताकि वे डर के मारे रो पड़ें. विजेता घोषित करने के लिए एक रेफरी भी होता है. रेफरी भी बच्चों को रुलाने के लिए मास्क पहन कर डराता है.
इसके नियम जगह के हिसाब से बदलते रहते हैं. कहीं पर माता-पिता चाहते हैं कि उनका बच्चा सबसे पहले रोए. कहीं पर सबसे पहले रोने वाला लूज़र माना जाता है. ज्यादातर बच्चे कॉन्टेस्ट में उतरने से पहले ही रो रहे होते हैं. कई मां-बाप ये सोच कर दुखी हो रहे होते हैं कि उनके बच्चे कॉन्टेस्ट से पहले ही क्यों रो रहे हैं.
इंडिया में ऐसा कोई कॉन्टेस्ट नहीं देखा गया है. खैर, छोटे बच्चों को रोता देख किसे खुशी मिल सकती है, मगर जब किसी भी चीज से कोई मान्यता जुड़ जाए तो गलत भी सही समझ लिया जाता है.
https://www.youtube.com/watch?v=O42TzrQZ51g
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