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ऋषि सुनक के 'सीक्रेट गेम' ने बोरिस जॉनसन को PM पद छोड़ने को मजबूर किया था?

ऋषि सुनक और बोरिस जॉनसन के झगड़े की हांडी खुले में फूटी, इस्तीफे पर इस्तीफे, उपचुनाव की नौबत आई.

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Rishi Sunak Boris Johnson united kingdom
ऋषि सुनक और बोरिस जॉनसन का झगड़ा सबके सामने आया. (फोटो सोर्स- Reuters और PTI)
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शिवेंद्र गौरव
13 जून 2023 (Updated: 13 जून 2023, 21:43 IST)
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यूनाइटेड किंगडम के प्रधानमंत्री और कंजर्वेटिव पार्टी के नेता ऋषि सुनक और पूर्व प्रधानमंत्री बोरिस जॉनसन के बीच ठनी हुई है. दोनों के बीच चल रहा लंबा विवाद अब खुले में आ गया है. बीती 10 जून को बोरिस जॉनसन ने यूके की संसद के निचले सदन ‘हाउस ऑफ़ कॉमन्स’ से इस्तीफ़ा दे दिया था. और अब पब्लिक के बीच सुनक और जॉनसन एक-दूसरे पर गंभीर आरोप लगा रहे हैं. सुनक कह रहे हैं कि जॉनसन ने अपने 3 करीबी सांसदों को हाउस ऑफ़ लॉर्ड्स (उच्च सदन) में बैठाने के लिए 'सामान्य प्रक्रिया' को बदलने की कोशिश की. और जॉनसन, सुनक के इस दावे को बकवास बता रहे हैं. 

जॉनसन के सहयोगियों का कहना है कि ऋषि सुनक ने उनको हाउस ऑफ़ लॉर्ड्स पहुंचने से रोका है. इसके बाद इस्तीफों का दौर शुरू हो गया है. कई सीटों के लिए उपचुनाव की नौबत आ गई है. तनातनी इस हद तक बढ़ गई है कि ऋषि सुनक अगले सांसदी के चुनाव में पार्टी की तरफ से बोरिस जॉनसन की उम्मीदवारी भी ख़त्म कर देना चाहते हैं. कुल मिलाकर राजधानी लंदन में सत्तारुढ़ पार्टी के अंदरखाने कर्रा सियासी घमासान जारी है.

जॉनसन का इस्तीफ़ा

साल 2022. शुरू के 6 महीने तक बोरिस जॉनसन UK के प्रधानमंत्री थे. उन पर कई आरोप लगे. जॉनसन की सरकार में सुनक चांसलर थे. उन्होंने सबसे पहले इस्तीफा दिया. इसके बाद इस्तीफों की झड़ी लग गई. जिससे जॉनसन पर इस्तीफा देने के लिए भरपूर दबाव बना. आख़िरकार उन्हें PM पद छोड़ना पडा. लेकिन साल 2020 और 2021 में भी लंदन में कुछ ऐसा घटा जिसके चलते अब बोरिस जॉनसन को हाउस ऑफ़ कॉमन्स से भी इस्तीफा देना पड़ा है. 

क्या हुआ था?

कोरोना का वक़्त था. लंदन में भी लॉकडाउन लागू था. लेकिन PM के आधिकारिक आवास 10 डाउनिंग स्ट्रीट और उसके आसपास की दूसरी सरकारी इमारतों में पार्टियां हुईं. लॉकडाउन के नियमों को धता बताकर. अंग्रेजी अख़बारों में खबर चली. जिसके बाद लंदन पुलिस ने जांच की थी. बोरिस जॉनसन पर आरोप लगा कि उन्होंने लापरवाही के चलते या जानबूझकर सांसदों को गुमराह किया और सरकारी इमारतों में पार्टी की. 

इस पॉलिटिकल स्कैंडल को ‘पार्टीगेट’ नाम दिया गया. हाउस ऑफ़ कॉमन्स की विशेषाधिकार कमेटी जॉनसन पर पार्टीगेट स्कैंडल से जुड़े आरोपों की जांच कर रही थी. जांच के बाद कमेटी ने जॉनसन को कुछ दिनों के लिए MP के पद से सस्पेंड करने की सिफारिश की थी. लेकिन जॉनसन ने बीती 10 जून को सांसदी से इस्तीफा दे दिया. सबको लगभग चौंकाते हुए. हालांकि उन्होंने ये भी कहा कि वो मुख्यधारा की राजनीति में वापसी की कोशिश करेंगे. सस्पेंशन की लटकती तलवार जॉनसन के इस्तीफे की अकेली वजह नहीं है. इसे आगे समझेंगे.

अंग्रेजी अख़बार द गार्जियन की एक खबर के मुताबिक संसद छोड़ते हुए जॉनसन बोले,

“कम से कम अभी के लिए मुझे संसद छोड़कर जाना बहुत बुरा लग रहा है.”

और उनके करीबी सहयोगी मानते हैं कि उन्हें प्रधानमंत्री पद से जबरन हटाया गया था, वो महसूस करते हैं कि उनके साथ धोखा किया गया.

सांसदों के अगले चुनाव से पहले जॉनसन का नाम उम्मीदवारों की लिस्ट में होगा या नहीं इस बारे में प्रधानमंत्री कार्यालय या कंजर्वेटिव पार्टी की तरफ से कोई बयान नहीं आया है. लेकिन पार्टी के एक सीनियर नेता ने अखबार से बात करते हुए कहा है कि इस साल या अगले साल जॉनसन को पार्टी उम्मीदवार बनाए जाने की संभावना बेहद कम है. पार्टी के एक और सदस्य ने कहा,

"जो पार्टी का इंचार्ज है वही नेता है. ऋषि सुनक, बोरिस जॉनसन का नाम लिस्ट में क्यों आने देंगे? मेरे हिसाब से ऐसा नहीं होगा. पार्टी को इस जोकर वाले शो से आगे बढ़ने की जरूरत है. ज्यादातर सांसद इस बात पर सहमत हैं."

एक सर्वे के मुताबिक भी सिर्फ 25 फीसद जनता चाहती है कि जॉनसन भविष्य में सांसद बनें. जबकि आधे से ज्यादा लोग इसके खिलाफ हैं.

हालांकि इस सबके बीच बोरिस जॉनसन शांत नहीं बैठे हैं. वो मुखर हैं. उनके खेमे की तरफ से ऋषि सुनक पर आरोप लगाया गया है कि उन्होंने गुप्त तरीके से जॉनसन के तीन करीबी साथियों की उच्च सदन में एंट्री रोकी है. कंजर्वेटिव पार्टी के इन तीन पूर्व मंत्रियों के नाम हैं- नाडीन डॉरीज़, नाइजेल एडम्स और आलोक शर्मा. बोरिस जॉनसन ने प्रधानमंत्री पद से इस्तीफे के वक़्त लिस्ट में इनका नाम दिया था. असली बवाल इसी पर मचा है.

ऋषि सुनक का ‘गुप्त खेल’

जॉनसन की इस्तीफे वाली लिस्ट-सरकारी परंपरा है. यहां जब प्रधानमंत्री अपना पद छोड़ता है तो उस वक़्त वो कुछ लोगों या सांसदों को UK के किंग की तरफ से सम्मान, उपाधियां या टाइटल या फिर हाउस ऑफ़ कॉमन्स से हाउस ऑफ़ लॉर्ड्स में सीट दिलाने के लिए एक लिस्ट जारी करता है. इसे प्रधानमंत्री की 'रेजिग्नेशन ऑनर्स लिस्ट' कहते हैं. इस लिस्ट को पहले हाउस ऑफ़ लॉर्ड्स की अपॉइंटमेंट्स कमीशन यानी HOLAC को भेजा जाता है. ये कमीशन लिस्ट के सभी उम्मीदवारों की एक तरह की जांच (Vetting) करता है. इसमें जो उम्मीदवार पास हुए उनके नाम PM को भेजे जाते हैं. सामान्य तौर पर इस PM प्रक्रिया में PM की सिफारिश को कमीशन तरजीह देता है. साल 2020 में बोरिस जॉनसन इस परंपरा का नियम तोड़ चुके हैं. उन्होंने पीटर क्रूडस नाम के एक बिज़नेसमैन को HOLAC के रिजेक्शन के बावजूद, हाउस ऑफ़ लॉर्ड्स में सीट दी थी.  

इधर जॉनसन के इस्तीफे के 9 महीने बाद, उनकी रेजिग्नेशन लिस्ट को अप्रूवल मिला है. अप्रूव हुई लिस्ट में कुल 45 लोग हैं. 38 लोगों को कई तरह के सम्मान मिले हैं जबकि 7 लोगों को पियरेज यानी उच्च सदन में एंट्री.

लेकिन बवाल तब बढ़ा जब बीती 9 जून को HOLAC की तरफ से कहा गया कि उसने जॉनसन की भेजी लिस्ट में से 8 नामों को रिजेक्ट कर दिया है. इनमें तीन नाम ऐसे भी थे जो जॉनसन के बहुत करीबी रहे हैं. जिनका जिक्र हमने पहले किया है. इसके कुछ देर बाद ही जॉनसन ने MP पद से अपने इस्तीफे की घोषणा कर दी थी. और फिर मिस डॉरीज़ और नाइजेल एडम्स ने भी कह दिया कि वो MP की पोस्ट छोड़ देंगे. उनकी भी सीट पर उपचुनाव होना तय है. 

हालांकि प्रधानमंत्री कार्यालय की तरफ से कहा गया कि PM ने जॉनसन के नॉमिनेशन वाली लिस्ट को मंजूरी दी गई थी और उसे बिना कोई छेड़छाड़ के आगे राजा तक भेज दिया गया था.

HOLAC की जांच एक बार होने के 6 महीने बाद एक्सपायर हो जाती है. ऐसे में जॉनसन चाहते थे ये प्रक्रिया दोबारा की जाए. एक ब्रिटिश चैनल ‘टॉक टीवी’ से बात करते हुए डॉरीज़ ने कहा कि अप्रूवल वाली लिस्ट में उनका नाम नहीं है, ये उन्हें लिस्ट के जारी होने से सिर्फ आधा घंटे पहले पता चला. उनका आरोप है कि उनका पियरेज क्रूरतापूर्ण तरीके से प्रधानमंत्री सुनक ने रोका है. डॉरीज ने कहा,

“मुझे चीफ व्हिप की तरफ से सुबह कहा गया कि सब ठीक है. और फिर लिस्ट जारी करने से 30 मिनट पहले वो आए और कहा कि असल में आप लिस्ट में नहीं हैं.”

वो आगे कहती हैं,

"मुझे टाइम्स के एक पत्रकार स्टीवन स्विनफोर्ड ने पहले ही बता दिया था. लेकिन मैंने उसकी बात नहीं मानी. बीते साल जॉनसन ने भी कहा था कि उनका नाम रेजिग्नेशन लिस्ट में है. मुझे PM सुनक ने हाउस ऑफ़ लॉर्ड्स जाने से रोका है."

बीबीसी की एक खबर के मुताबिक, जॉनसन के एक करीबी सहयोगी ने भी प्रधानमंत्री सुनक पर आरोप लगाया है कि उन्होंने गुप्त तरीके से नाडीन और बाकी लोगों का नॉमिनेशन रद्द किया है. उसने कहा,

"उन्होंने कैंडिडेट्स की बेसिक जांच से इनकार कर दिया, जो कुछ हफ़्तों या कुछ दिनों में ही की जा सकती थी. इस तरह उन्होंने जॉनसन को बिना बताए, इन कैंडिडेट्स को लिस्ट से बाहर रखा है."

नाडीन डॉरीज़ ( फोटो नाडीन का फेसबुक अकाउंट से साभार)
सुनक और बोरिस क्या कह रहे?

ऋषि सुनक ने लंदन टेक वीक के एक कार्यक्रम में भाषण देते हुए कहा कि उन्होंने HOLAC के उस निर्णय को बरकरार रखा है जिसमें उसने जॉनसन की भेजी गई लिस्ट में से कुछ सांसदों को हाउस ऑफ़ लॉर्ड्स में भेजे जाने से रोका है. सुनक ने कहा,

"बोरिस जॉनसन ने मुझसे कुछ ऐसा करने के लिए कहा जिसके लिए मैं तैयार नहीं था. क्योंकि मुझे नहीं लगता था कि ऐसा करना सही है. ये कुछ ऐसा है कि या तो HOLAC के निर्णय को रद्द कर दो या फिर लोगों से वादे करो."

कुछ ही देर बाद इस पर जॉनसन ने पलटवार किया. उन्होंने एक बयान जारी करते हुए कहा,

"ऋषि सुनक बकवास कर रहे हैं. इन साथियों को सम्मान देने के लिए HOLAC के निर्णय को रद्द करना जरूरी नहीं था. बल्कि उनसे जांच प्रक्रिया (Vetting) फिर से करने को कहा जाना था. जो सिर्फ एक औपचारिकता होती है."

जॉनसन के सहयोगियों का कहना था कि इस बारे में जॉनसन और ऋषि सुनक के बीच एक समझौता भी हुआ था. जिसमें सुनक ने कहा था कि वो HOLAC को फिर से सांसदों की जांच प्रक्रिया करने की अनुमति देंगे. हालांकि कैबिनेट ऑफिस ने जॉनसन को ये साफ़ कर दिया था कि वही प्रक्रिया फिर से दोहराई नहीं जाएगी. जॉनसन का आरोप है कि सुनक और उनके लोगों ने लिस्ट से नाम हटाए हैं.

जॉनसन के साथ आगे क्या?

तलवार जॉनसन की आगे की सियासत पर भी लटकी है. विशेषाधिकार समिति ने सोमवार 12 जून को जॉनसन के मामले में अपनी रिपोर्ट फाइनल कर ली है. बुधवार या उसके बाद ये रिपोर्ट जारी की जा सकती है. कमेटी जॉनसन पर निलंबन का फैसला पहले ही ले चुकी है. उसके बाद बोरिस ने इसे जिस तरह गलत ठहराया और चुनौती दी है, उसके बाद माना जा रहा है कि निलंबन और भी बढ़ सकता है. और कमेटी पर भेदभाव का सवाल खड़ा करना, जॉनसन के सहयोगियों पर भी भारी पड़ सकता है.  

वीडियो: दुनियादारी: ऋषि सुनक ने अपनी ही पार्टी के मुखिया पर जांच क्यों बैठाई?

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