भांग उपजाने वाला 15 साल का लड़का, अरबों का ड्रग तस्कर कैसे बना?
मेक्सिको के ड्रग तस्कर अल चापो की बीवी ने अदालत में क्या राज खोल दिए?
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ट्रायल के दौरान भी अल चापो को कड़ी सुरक्षा में रखा जाता था. (तस्वीर: एपी)
ये सारे इंतज़ाम धरे रह गए. अटूट होने का रेकॉर्ड ध्वस्त हो गया, जब डेढ़ बरस बाद ही मामूली सा दिखने वाला वो व्यक्ति जेल से गायब हो गया. लिटरली, उसने पांव के नीचे से ज़मीन खिसका दी थी. ये फ़रारी कितना बड़ा तमाचा थी, इसका अंदाज़ा इस बात से लगाइए कि अमेरिका सरकार ने उसके ऊपर तीस करोड़ रुपये के इनाम का ऐलान किया. आल्टीपानो जेल के 13 वर्तमान और पूर्व टॉप अधिकारियों की गिरफ़्तारी हुई. जेल के वार्डेन को फौरन पद से बर्ख़ास्त कर दिया गया. जब छह महीने बाद उसे फिर से अरेस्ट किया गया, तब ख़ुद मेक्सिको के राष्ट्रपति ने प्रेस कॉन्फ़्रेंस की और कहा, ‘मिशन पूरा हुआ. वो हमारे कब्ज़े में है.’

अल चापो आल्टीपानो जेल भी फरार हो गया था. (तस्वीर: एपी)
मेक्सिको से लेकर अमेरिका तक हंगामा मचाने वाला वो शख़्स कौन था? उसे हाई-सिक्योरिटी वाली जेल में क्यों रखा गया था और वो वहां से भागा कैसे? तीसरी बार अरेस्ट होने के बाद उसका क्या हुआ? और, आज हम ये कहानी क्यों सुना रहे हैं?
शुरुआत इतिहास से
साल 1957. मेक्सिको का सिनालोआ स्टेट. ला टूना नामक गांव में एक किसान परिवार के घर पहली संतान पैदा हुई. नाम रखा गया, अक़ीन गुज़मैन लोएरा. पिता घर चलाने के लिए खेती के साथ-साथ चरवाही का काम करते थे. जैसे-जैसे लड़का बड़ा होता गया, उसके सपनों का दायरा भी बढ़ने लगा. उसकी ज़िंदगी का एक्कै मकसद था, अमीर बनना. चाहे जो रास्ता अपनाना पड़े.
15 साल की उम्र में उसने पहली बार भांग की खेती की.बढ़िया कमाई हुई तो उसने इसी को अपना कैरियर बनाने की प्लानिंग की. उसने देखा कि सिनालोआ में फलने-फूलने की ज़्यादा गुंज़ाइश है नहीं. गुंज़ाइश कहां थी? घर से साढ़े आठ सौ किलोमीटर दूर. गुआदलहारा में. गुज़मैन ने अपना घर छोड़ा और साथ में अपना पुराना नाम भी. उसका कद बाकियों की तुलना में बहुत छोटा था. इसलिए, सब उसे ‘अल चापो’ के नाम से बुलाते थे. ये मेक्सिकन भाषा का शब्द है. हिंदी में इसका मतलब होता है, बौने कद का व्यक्ति.

मेक्सिको का ला टूना गांव.
अल चापो ने सिनालोआ छोड़ा ज़रूर था, लेकिन हमेशा के लिए नहीं. उसे वापस लौटना था. अपना साम्राज्य खड़ा करने के लिए. उससे पहले पहचान कायम करना ज़रूरी था. गुआदलहारा में अल चापो को सबसे पहले हिटमैन का काम मिला. यानी कॉन्ट्रैक्ट किलिंग. उसे तस्वीर दी जाती और पता बताया जाता. वो अपना काम पूरा कर आता. कुछ समय में ही उसकी ख्याति फैल गई. फिर उसे ड्रग्स की शिपिंग का इंचार्ज बनाया गया. उसका काम था ड्रग्स की सप्लाई पर नज़र रखना. इस काम में भी उसने फुर्ती दिखाई. अल चापो बहुत क्रूर था. अगर ड्रग्स की डेलिवरी समय पर नहीं होती तो वो अपने ही आदमी को जान से मार देता था. लोग उससे डरने लगे थे. इसका फायदा ये हुआ कि काम तेज़ी से होने लगा और अंतत: गिरोह के मुनाफ़े का ग्राफ़ ऊपर जाने लगा.
अल चापो कैसे बना ड्रग्स ट्रैफ़िकिंग का बेताज बादशाह?
और, तब जाकर वो घड़ी आई, जिसका इंतज़ार कई सालों से हो रहा था. अल चापो को ‘सुपरबॉस’ से मिलवाया गया. उसका नाम था, मिगेल अनेल फ़िलिक्स गयार्दो. गुआदलहारा कार्टेल का फ़ाउंडर. जिसे उसके चेले ‘अल बेदरीनो’ के नाम से जानते थे. इसका मतलब होता है, गॉडफ़ादर. कहा जाता है कि मेक्सिको के इतिहास में उससे बड़ा ड्रग्स तस्कर कोई नहीं हुआ.

मिगेल अनेल फ़िलिक्स गयार्दो 1989 में गिरफ्तार कर लिया गया. (तस्वीर: एएफपी)
अल बेदरीनो और अल चापो की मुलाक़ात का नतीजा क्या निकला? अल चापो को पूरे कार्टेल के लॉजिस्टिक्स का इंचार्ज बना दिया गया. फिर आया साल 1985 का. यूएस ड्रग्स इन्फ़ोर्समेंट एडमिनिस्ट्रेशन (DEA) के एक एजेंट को किडनैप कर मार दिया गया. इसमें नाम आया अल बेदरीनो को. इस मामले में 1989 में उसको अरेस्ट किया गया. फिर उसके ऊपर कई और चार्जेज़ लगाए गए. उसे 37 साल की सज़ा हुई.
अल बेदरीनो के गिरफ़्तार होते ही गुआदलहारा कार्टेल बिखर गया. अलग-अलग गुट बन गए. इसमें से एक गुट की कमान आई अल चापो के हाथ में. इसका नाम रखा गया सिनालोआ कार्टेल. 1990 के दशक की शुरुआत हो रही थी. कोलंबिया के पाब्लो एस्कोबार का दौर बीत चुका था. अब अमेरिका में ड्रग्स की तस्करी का सबसे बड़ा जरिया मेक्सिको था. और, इस खेल का सबसे बड़ा खिलाड़ी बना अल चापो. ड्रग्स की दुनिया में उन दिनों एक कहावत चलती थी, अल चापो की इजाज़त के बिना कोई भी चीज़ मेक्सिको से बाहर नहीं जा सकती.
अल चापो की सफ़लता की कई वजहें थी. मसलन, सिनालोआ में उसने बहुत सारी इमारतें बनवाईं थी. वहां के लोगों के लिए वो किसी देवदूत से कम नहीं था. वो अपने काम के प्रति क्रूर था. किसी भी किस्म की नाफ़रमानी उसे बर्दाश्त नहीं थी. वो बहुत चालाक भी था. उसने लंबे समय तक गुआदलहारा कार्टेल में काम किया था. उसे ड्रग्स के बिजनेस की सारी बारीकियां पता थीं.
इन सबसे इतर जो चीज़ अल चापो ने ईज़ाद की, उसने उसको ड्रग्स ट्रैफ़िकिंग का बेताज बादशाह बना दिया. वो था ज़मीनी सुरंगों के जरिए ड्रग्स की सप्लाई. अल चापो बहुत कम माल सड़क के रास्ते भेजता था. वहां पुलिस और ड्रग्स एजेंसी का पहरा होता था. बाकी के गिरोह यहीं पर मात खा जाते थे और अक्सर उनकी सप्लाई पकड़ी जाती थी.

पाब्लो एस्कोबार दुनिया के टॉप ड्रग माफिया में से रहा है. (तस्वीर: एएफपी)
अल चापो के सितारे बुलंदी पर थे, तभी एक कांड हो गया
1993 में विरोधी गैंग से मुठभेड़ के दौरान रोमन कैथोलिक चर्च के एक कार्डिनल की मौत हो गई. इसका इल्ज़ाम अल चापो पर आया. ख़ूब सुर्खियां बनी. पहली बार अल चापो का नाम इतने बड़े स्तर पर चर्चा में आया था. सरकार पर दबाव बढ़ रहा था. उसके ऊपर इनाम घोषित किया गया. कुछ हफ़्तों के बाद अल चापो ग्वाटेमाला में पकड़ा गया.
उसके ऊपर हत्या की साज़िश, ड्रग्स की तस्करी और घूस देने का दोषी पाया गया. उसे 20 बरस की सज़ा हुई. अल चापो को ‘प्यूएंते ग्रांद’ जेल में रखा गया. ये जेल ड्रग्स के तस्करों को रखने के लिए खासतौर पर बनाई गई थी. इस जगह पर वो आठ बरस रहा. पूरी अय्याशी के साथ. उसे किसी भी चीज़ की कमी नहीं थी. जेल के अंदर से उसका कारोबार भी चल रहा था. फिर जेल से उसका मन उब गया. जनवरी 2001 में वो फ़रार हो गया.
कैसे भागा, इसको लेकर दो थ्योरियां चलतीं है. पहली कहती है कि वो लॉन्ड्री वाली किसी गाड़ी में छिपकर जेल से निकला था. दूसरी थ्योरी के मुताबिक, उसने जेल के गार्ड्स को पैसे खिलाए और आराम से टहलता हुआ मेन दरवाज़े से भाग गया. इनमें से कौन-सा सच है, इसकी कभी पुष्टि नहीं हो पाई. हालांकि, इतना तो तय था कि वो फरार हो चुका था. दोबारा पकड़ने में मेक्सिको पुलिस को 13 साल लग गए. तब जाकर उसे आल्टीपानो की बियाबान जेल में लाया गया. जिसकी कहानी हमने शुरुआत में सुनाई थी.
इन तेरह सालों में उसने क्या किया?
उसने सिनालोआ कार्टेल को शिखर पर पहुंचा दिया. 21वीं सदी की शुरुआत में, अमेरिका में जितनी भी ड्रग्स की सप्लाई होती थी, उसमें से 25 फीसदी हिस्सा सिनालोआ कार्टेल सप्लाई करता था. गांजा, हेरोइन, मेथ, कोकीन जैसे ड्रग्स हर चौराहे पर मिल रहे थे. सिनालोआ कार्टेल का कारोबार सिर्फ़ मेक्सिको या अमेरिका तक सीमित नहीं था, वे यूरोप, एशिया और लैटिन अमेरिका में भी अपनी पहुंच बना चुके थे. तमाम छापेमारी और धड़-पकड़ के बाद भी सप्लाई बढ़ती जा रही थी.
अमेरिका लंबे समय से इससे परेशान था. वो मेक्सिको सरकार पर दबाव बना रहा था. अमेरिकी एजेंट भी उसके पीछे लगे हुए थे. लेकिन अल चापो को पकड़ना मुश्किल ही नहीं, नामुमिकन होता जा रहा था.
2009 में अल चापो फ़ोर्ब्स के सबसे अमीर लोगों की लिस्ट में शामिल हुआ. वो इस लिस्ट में 2013 तक बना रहा. उस साल शिकागो ने अल चापो को ‘नंबर वन दुश्मन’ घोषित कर दिया. फ़रवरी 2014 में उसे तीन बार पकड़ने की कोशिश की गई. दो बार तो वो भाग निकला. लेकिन तीसरी बार में वो हाथ आ गया. वहां से अरेस्ट कर उसे अल्टापीनो में रखा गया?
डेढ़ बरस बाद. जुलाई 2015. एक बार फिर अल चापो को पूरे मेक्सिको में खोजा जा रहा था. बैरक का दरवाज़ा बाहर से बंद था. जेल के हर दरवाज़े पर ताला लगा था. सीसीटीवी कैमरे में भी कुछ पता नहीं चल रहा था.

अल चापो को दुनिया का सबसे बड़ा ड्रग माफिया माना जाता है. (तस्वीर: एपी)
फिर वो भागा कैसे?
इसके लिए बैरक की सीसीटीवी फुटेज़ निकाली गई. इसमें जो दिखा, उसने सबको हैरान कर दिया. अल चापो अपने बिस्तर से उठकर बाथरूम में गया. लेकिन वहां से वापस बिस्तर पर आया ही नहीं. बाथरूम में बड़ा सा गड्ढा बना था. पुलिस अंदर गई तो पता चला नीचे डेढ़ किलोमीटर लंबी सुरंग बनी है. सुरंग के अंदर एक मोटरसाइकिल भी खड़ी थी. जहां पर सुरंग खत्म होती थी, वहां एक सीढ़ी लगी थी. ऊपर एक मकान का कंस्ट्रक्शन चल रहा था.
सुरंग से भागने का आइडिया अल चापो का था. जिस तरह वो पुलिस से बचाकर ड्रग्स एक्सपोर्ट करता था, उसी तरह उसने ख़ुद को बाहर निकालने की प्लानिंग की थी. लेकिन ये पूरा काम वो अकेले नहीं कर सकता था. प्लान को अंज़ाम देने के लिए किसी भरोसेमंद शख़्स की दरकार थी. इसके लिए उसने अपनी पत्नी को चुना. एमा कोरोनेल आइसपूरो.
एमा ने क्या किया?
उसने जेल के पास में एक ज़मीन खरीदी. वहां पर उसने एक बिल्डिंग का काम शुरू करवाया. उसके बाद उसने अल चापो तक एक जीपीएस मशीन भिजवाई. ताकि सुरंग खोदने वालों अपनी राह से न भटके. एमा ने अल चापो की बेहतर देखभाल के लिए जेल के लोगों को पैसे भी खिलाए. आख़िरकार, जुलाई 2015 में अल चापो अल्टापीनो से भागने में सफ़ल हो गया.
ये मेक्सिको के लिए शर्मिंदगी का विषय था. ख़बर आई कि राष्ट्रपति बहुत गुस्से में हैं. उन्होंने प्रशासन को एड़ी-चोटी का जोर लगाने का हुक़्म दिया है. फिर छह महीने बाद ख़बर आई कि मेक्सिकन मरीन्स के एक ऑपरेशन में अल चापो पकड़ा गया. छापेमारी के बाद वो कमरे की सुरंग से भाग निकला. लेकिन कार में भागते हुए उसे दबोच लिया गया. पकड़े जाने के बाद भी उसकी अकड़ कम नहीं हुई थी. उसने मरीन्स को धमकी दी, ‘तुममें से कोई भी ज़िंदा नहीं बचेगा.’

10 जून 2021 को एमा कोरोनेल आइसपूरो ने अपने ऊपर लगाए गए सभी आरोपों को स्वीकार कर लिया. (तस्वीर: एएफपी)
अल चापो ने मेक्सिको के राष्ट्रपति को पांच अरब रुपये की घूस दी?
2017 में अल चापो को अमेरिका में प्रत्यर्पित कर दिया गया. न्यू यॉर्क की अदालत में उसके ऊपर मुकदमा शुरू हुआ. गवाहों ने अल चापो के गुनाहों की दिल दहलाने वाली कहानियां बयान की.
- एक गवाह ने बताया कि उसके क़रीबी को ज़िंदा ज़मीन में दफ़ना दिया गया. - दुश्मन गैंग के एक आदमी ने अल चापो से हाथ नहीं मिलाया था. कुछ दिनों के बाद उसकी लाश मिली. - कोर्ट में पेश हुए दस्तावेज़ों के अनुसार, वो कम उम्र की लड़कियों को ड्रग्स देकर उनका रेप करता था. अल चापो ने उन्हें ‘विटामिन’ का नाम दिया था. - आरोप तो ये भी लगते हैं कि अल चापो ने मेक्सिको के राष्ट्रपति को पांच अरब रुपये की घूस दी थी. - ड्रग्स की तस्करी की कहानियां तो अंतहीन हैं.
इस केस का फ़ैसला आया, जुलाई 2019 में. अदालत ने अल चापो को आजीवन क़ैद के अलावा तीस साल की सज़ा सुनाई. मतलब ये कि वो अब अमेरिका की जेल में ही मरेगा. उसे कोलोराडो की ADX जेल में रखा गया है. ये अमेरिका की सबसे सुरक्षित जेलों में से एक है. 1994 में खुलने के बाद यहां से एक भी क़ैदी भाग नहीं पाया है.
ये पूरी कहानी आज क्यों?
जब न्यू यॉर्क की अदालत में अल चापो के मुकदमे की सुनवाई हो रही थी, एक विजिटर अनिवार्य रूप से वहां पहुंचती थी. वो थी उसकी पत्नी. एमा कोरोनेल. उसने बाद में आरोप भी लगाया कि जेल में उसके पति को टॉर्चर किया जा रहा है.
फ़रवरी 2021 में एमा को वर्जीनिया के डलेस एयरपोर्ट पर गिरफ़्तार कर लिया गया. क्यों? अल चापो को सज़ा मिलने के बाद पुलिस ने सिनालोआ कार्टेल से जुड़े कुछ और लोगों को अरेस्ट किया था. उन्होंने बताया कि अल चापो के बिजनेस में एमा का बराबर का हाथ रहा है. उसी ने आल्टीपानो जेल से अल चापो को भगाने की पूरी साज़िश रची थी. 10 जून को एमा कोरोनेल आइसपूरो ने अपने ऊपर लगाए गए सभी आरोपों को स्वीकार कर लिया. उसने माना कि प्रशासन के पास सारे सबूत सही हैं. अब उसे आजीवन कारावास की सज़ा मिल सकती है. इसके अलावा, लगभग 75 करोड़ रूपये का ज़ुर्माना भी लग सकता है.

एमा कोरोनेल ने 18 साल की उम्र में अल चापो से शादी कर ली थी. (तस्वीर: एएफपी)
एमा की कहानी क्या है?
एमा कोरोनेल अमेरिका में पैदा हुई थी. बाद में वो मेक्सिको चली गई. उसके पास दोनों देशों की नागरिकता है. एमा के पिता सिनालोआ कार्टेल के लिए काम करते हुए जेल गए. जब वो 17 बरस की थी, तभी उसकी मुलाक़ात अल चापो से हुई. अल चापो उस समय 49 साल का था. जैसे ही एमा 18 की हुई, दोनों ने शादी कर ली. 2011 में उसे जुड़वां बच्ची पैदा हुई.
एमा ने अपने एक इंटरव्यू में कहा कि जब वो अल चापो से मिली, तब उसे ड्रग्स बिजनेस या दूसरे अवैध धंधों के बारे में कोई जानकारी नहीं थी. हालांकि, सबूत बताते हैं कि 2007 से 2019 के बीच एमा कोरोनेल ने मनी लॉन्ड्रिंग और प्रॉपर्टी खरीदने में अवैध तरीकों का इस्तेमाल किया. प्रॉसीक्यूटर्स का कहना है कि उनके पास पर्याप्त सबूत हैं.
एक समय था, जब एमा कोरोनेल आइसपूरो को मेक्सिको की सबसे ताक़तवर महिला माना जाता था. उसकी तरफ आंख उठाकर देखने की हिम्मत किसी में नहीं थी. आज उसे जेल के कमरे से निकलने की भी आज़ादी नहीं है. सच ही कहा गया है, बुरे कर्मों का नतीजा बुरा ही होता है.