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बसपा के सांसद एक-एक करके मायावती का साथ क्यों छोड़ रहे हैं?

रितेश पांडे बीजेपी चले गए. अफजाल अंसारी को Akhilesh Yadav ने टिकट दे दिया. दानिश अली को Mayawati ने खुद पार्टी ने निकाल दिया. चुनाव से पहले ऐसी आशंका है कि BSP के कई और सांसद पार्टी छोड़ सकते हैं.

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Mayawati
2024 लोकसभा चुनाव मायावती की पार्टी अकेले लड़ रही है. (फाइल फोटो- PTI)
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26 फ़रवरी 2024 (Updated: 26 फ़रवरी 2024, 19:40 IST)
Updated: 26 फ़रवरी 2024 19:40 IST
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उत्तर प्रदेश में लोकसभा की 80 सीटें हैं. 2019 के आम चुनाव में बीजेपी को 62 सीटें मिली थीं. राज्य में सबसे बड़ी पार्टी थी. पर दूसरे नंबर पर वो पार्टी थी, जिसे 2014 के लोकसभा चुनाव में एक भी सीट नहीं मिली थी. मायावती की बहुजन समाज पार्टी (BSP). पार्टी ने 10 सीटें जीतीं थी. बावजूद इस प्रदर्शन के 2024 चुनाव से पहले मायावती की पार्टी में भगदड़ मची है. उनके सासंदों के पैर पार्टी में टिक ही नहीं रहे हैं.

# गाजीपुर के सांसद अफजाल अंसारी ने मायावती को नमस्ते कर दिया है. आने वाला चुनाव वो सपा के सिंबल पर लड़ेंगे. 2019 में बसपा के उम्मीदवार थे. 

# अमरोहा से सांसद दानिश अली को मायावती ने पार्टी से निकाल दिया. उन पर आरोप लगे कि वो ‘पार्टी विरोधी’ गतिविधियां कर रहे हैं और कांग्रेस के संपर्क में हैं.

# अंबेडकरनगर के सांसद रितेश पांडे ने बसपा छोड़ दी. 25 फरवरी को उन्होंने दिल्ली में बीजेपी की सदस्यता ग्रहण की. उन्होंने आरोप लगाया कि पार्टी लंबे समय से उनकी अनदेखी कर रही थी.

मायावती को भेजे अपने इस्तीफे में पांडे ने लिखा कि लंबे समय से उन्हें न तो पार्टी की बैठकों में बुलाया जा रहा है और न ही नेतृत्व के स्तर पर संवाद किया जा रहा है. उन्होंने मायावती पर आरोप लगाते हुए ये भी लिखा, 

“मैंने आपसे और शीर्ष पदाधिकारियों से संपर्क करने के लिए, आपसे मुलाकात करने के लिए अनगिनत प्रयास किए, लेकिन उनका कोई नतीजा नहीं निकला.”

ये उन सांसदों के नाम हैं जिनकी राहें अब BSP से अलग हो चुकी हैं. लेकिन मायावती की मुश्किलें इतनी भर नहीं हैं.

इंडियन एक्सप्रेस के लाल मणि वर्मा अपनी रिपोर्ट में लिखते हैं कि बसपा से अभी कुछ और सांसद अलग हो सकते हैं. दानिश अली की तरह ही जौनपुर के सांसद श्याम सिंह यादव भी आगरा में राहुल गांधी की भारत जोड़ो न्याय यात्रा में शामिल होने वाले हैं. यादव 2022 में भी भारत जोड़ो यात्रा में व्यक्तिगत निर्णय पर शामिल हुए थे. साथ ही लाल मणि वर्मा सूत्रों के हवाले से अपनी रिपोर्ट में लिखते हैं कि BSP के एक और सांसद पिछले कुछ दिनों से राष्ट्रीय लोक दल (RLD) के साथ संपर्क में हैं. इसके अलावा पश्चिमी यूपी से बसपा के एक और सांसद इन दिनों बीजेपी के संपर्क में हैं.

मायावती की पार्टी में भगदड़ क्यों?

INDIA गठबंधन जब मूर्त रूप ले रहा था तब ये साफ कर दिया गया था कि उनके खेमे में मायावती की जगह नहीं है. इसकी बड़ी वजह अखिलेश यादव थे. अखिलेश बसपा के साथ गठबंधन के पक्ष में बिलकुल नहीं थे. यानी बीजेपी के खिलाफ जब देश भर में घेराबंद की प्लानिंग की जा रही थी तब मायावती को बुलावा ही नहीं आया.

फिर सवाल उठा कि क्या मायावती बीजेपी के साथ जाएंगी. तो उन्होंने इन अटकलों पर भी विराम लगा दिया. मायावती ने इस साल 14 जनवरी को अपने 69वें जन्मदिन पर एलान कर दिया कि उनकी पार्टी लोकसभा चुनाव अकेले लड़ेगी.

यह भी पढ़ें: लोकसभा चुनाव अकेले लड़ेगी BSP, गठबंधन पर मायावती की राय विपक्ष के गले नहीं उतरेगी

इंडिया टुडे मैग्जीन के एसोसिएट एडिटर आशीष मिश्र कहते हैं,

2019 में मायावती ने सपा के साथ मिलकर चुनाव लड़ा था. तब सपा अपना वोट बसपा के पक्ष में ट्रांसफर कराने में कामयाब हो गई थी. हालांकि, बसपा ऐसा नहीं करा पाई. बसपा के जीते हुए उम्मीदवार ये बखूबी जानते हैं कि उनके पक्ष में मुस्लिम और यादवों ने भी खुलकर वोट दिया था. और यही वजह थी कि बसपा के 10 सांसद चुनकर आए. लेकिन 2024 के चुनाव में बसपा अकेली है. पार्टी के मौजूदा सांसद समझ रहे हैं कि जमीन पर पार्टी की हालत अच्छी नहीं है.

इसके अलावा आशीष एक और महत्वपूर्ण बात रेखांकित करते हैं. पिछले कई चुनावों से बसपा के परंपरागत वोट बैंक में सेंध लगती नजर आ रही है. 2017 विधानसभा चुनाव में अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित 84 सीटों में बीजेपी ने 69 सीटें जीतीं. 2022 में भी बीजेपी ने इनमें से 63 सीटें जीतीं. नतीजा ये रहा कि 2007 में 206 सीट जीतकर सरकार बनाने वाली मायावती की पार्टी 15 साल बाद मात्र एक सीट पर सिमट गई. पार्टी को सिर्फ बलिया के रसड़ा से जीत मिली थी.

आकाश आनंद ने क्या बदला?

10 दिसंबर 2023 को मायावती ने अपने 28 साल के भतीजे आकाश आनंद को अपना उत्तराधिकारी घोषित किया. जब इस बात का एलान हुआ तभी राजनीतिक विश्लेषकों ने कहा कि आकाश के सामने सुस्त पड़े संगठन को जगाने की बड़ी चुनौती होगी. लेकिन जैसे-जैसे चुनाव नज़दीक आ रहे हैं, वैसे-वैसे ये साफ होता दिख रहा है कि आकाश ने इसको लेकर कोई कदम नहीं उठाया है.

संगठन की खस्ता हालत बरकरार है. पार्टी के नेता दबी जबान में इस बात की शिकायत करते दिख जाते हैं कि आलाकमान से मिलना मुश्किल है. बसपा की तरफ से अभी तक चुनावों के लिए ऐसा कोई कदम नहीं दिखा, जिसको देखकर ये कहा जा सके कि आकाश बदलाव कर रहे हैं.

वीडियो: मायावती अकेले लड़ेंगी 2024 का लोकसभा चुनाव, कारण क्या है?

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