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क्या है असम के मिया म्यूजियम की पूरी कहानी, जो खुलते ही सील हो गया?

मिया म्यूजियम से जुड़े तीन लोगों को UAPA के तहत गिरफ्तार किया गया है. असम पुलिस ने अलकायदा कनेक्शन होने की बात कही है.

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असम का एक मिया म्यूजियम काफी चर्चा में है, जिसे खुलने के दो दिन बाद ही सील कर दिया गया है. (फोटो: इंडिया टुडे)
27 अक्तूबर 2022 (Updated: 27 अक्तूबर 2022, 22:27 IST)
Updated: 27 अक्तूबर 2022 22:27 IST
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असम के मिया म्यूजियम (Mia Museum) पर सियासत तेज हो गई है. गोलपारा जिले में मुस्लिम समुदाय के कुछ लोगों ने मिलकर एक मिया म्यूजियम (Miya Museum) बनाया, इस छोटे से म्यूजियम को लेकर बीजेपी नेताओं का विरोध शुरू हुआ और उद्घाटन के दो दिन भी नहीं बीते कि इस म्यूजियम को सील कर दिया. खुद CM हिमंत बिस्व सरमा ने म्यूजियम की फंडिंग को लेकर सवाल उठा दिए. मुख्यमंत्री ने सवाल उठाया तो पुलिस ने तीन लोगों को गिरफ्तार भी कर लिया. तीनों के खिलाफ UAPA के तहत मामला दर्ज किया गया है.

मिया म्यूजियम का कॉन्सेप्ट कहां से आया?

असम के 'चार चापोरी' इलाके. ये ब्रह्मपुत्र और उसकी सहायक नदियों के बीच में बने छोटे-छोटे से द्वीप हैं. इलाकों की जनसंख्या करीब 25 लाख है. ज्यादातर बंगाली मुस्लिम समुदाय के लोग रहते है. असम में मिया शब्द कभी बांग्लादेश से आए इन्हीं मुसलमानों के लिए इस्तेमाल होता है. इन लोगों की एक संस्था है 'अखिल असम मिया परिषद'. ये संस्था समुदाय से जुड़े कार्यक्रम करती है. 

असम में गैर-बीजेपी सरकार के दौरान इस संस्था को संस्कृति विभाग से सरकारी फंड भी मिलता था. लेकिन बीजेपी सरकार आने के बाद संस्था को फंड मिलना बंद हो गया. 'अखिल असम मिया परिषद' एक काम और कर रही है. वो राज्य में कई जगहों पर मिया म्यूजियम खोल रही है. मिया परिषद में राज्य के तमाम लेखक, कवि, लोक कलाकार, फिल्मकार आदि सदस्य हैं.

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मिया म्यूजियम में रखे गए उपकरण | फोटो: पीटीआई 
2020 में आया था 'मिया म्यूजियम' का प्रस्ताव

अक्टूबर 2020 की बात है. कांग्रेस विधायक शेरमान अली अहमद ने पत्र लिखकर गुवाहाटी में श्रीमंत शंकरादेवा कलाक्षेत्र में म्यूजियम बनाने की मांग की. श्रीमंत शंकरादेवा कलाक्षेत्र एक केंद्र है, जहां पर राज्य की सांस्कृतिक विरासत को संजोया जाता है. अहमद का कहना था कि म्यूजियम चार चापोरी (नदी के द्वीप) में रहने वाले लोगों की संस्कृति और विरासत का प्रतिनिधित्व करता है. अहमद ने अंग्रेजी अखबार द हिंदू से बात करते हुए बताया था,

‘क्योंकि चार चपोरी इलाके में रहने वाले लोगों को मिया कहकर संबोधित किया जाता है, इसलिए मैंने राज्य सरकार को प्रस्ताव दिया कि ऐसा म्यूजियम बनाया जाए जो मिया लोगों की संस्कृति और विरासत को उभारकर दिखाए.’

शेरमान अली अहमद के इस प्रस्ताव को 16 सदस्यीय सरकारी पैनल ने भी मंजूरी दे दी थी. खास बात ये थी कि इस 16 सदस्यीय पैनल में 6 विधायक बीजेपी के भी शामिल थे. लेकिन, असम के तत्कालीन स्वास्थ्य मंत्री हिमंता बिस्व सरमा ने प्रस्ताव को खारिज कर दिया था. उनका का कहना था कि चार चापोरी के लोगों की अलग से कोई कला और संस्कृति नहीं है.

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अब क्या हुआ?

रविवार, 23 अक्टूबर 2022 को असम के गोलपाड़ा में मिया म्यूजियम का उद्घाटन किया गया. इस म्यूजियम में ऐसी चीजें रखी गईं, जो अब चलन में नहीं हैं. जैसे लुंगी, हल और मछली पकड़ने के उपकरण. म्यूजियम खोलने वाले मिया परिषद के अध्यक्ष एम मोहर अली ने कहा,

‘हम उन चीजों को प्रदर्शित कर रहे हैं, जिससे समुदाय अपनी पहचान जोड़ता है ताकि अन्य समुदाय के लोग महसूस कर सकें कि मिया उनसे अलग नहीं हैं. असम में मिया शब्द बांग्ला भाषी प्रवासियों के संदर्भ में इस्तेमाल किया जाता है, जिनकी जड़ें बांग्लादेश से जुड़ती हैं.’

म्यूजियम के उद्घाटन के बाद बीजेपी के कुछ नेताओं ने ये कहकर इसे तत्काल बंद करने की मांग की. कहा प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत आवंटित घर में बनाया गया है. पुलिस में इसकी शिकायत भी दर्ज कराई गई थी. इसके बाद मंगलवार, 25 अक्टूबर को असम के मुख्यमंत्री हिमंत बिस्व सरमा ने कहा कि मिया समुदाय के कुछ सदस्यों की ऐसी गतिविधियां असमिया पहचान के लिए खतरा पैदा करती है. उनके मुताबिक मिया समुदाय हल को अपनी पहचान बता रहा है, जबकि उसे तो पूरे देश के किसान इस्तेमाल करते हैं. लुंगी के अलावा कुछ भी उनका नहीं है.

मुख्यमंत्री के ऐसा बोलने के कुछ घंटे बाद म्यूजियम के फाउंडर एम मोहर अली सहित 3 लोगों को गिरफ्तार कर लिया गया. असम पुलिस ने मिया म्यूजियम के आतंकी संगठन अलकायदा से कनेक्शन होने का भी दावा किया है. मामले की जांच शुरू हो गई है.

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