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मुख्यमंत्री का चॉपर ग़ायब हुआ तो 300 लोगों को हार्ट अटैक आ गया!

मुख्यमंत्री का हेलिकॉप्टर उड़ा और बीच फ़्लाइट में ग़ायब हो गया.

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8 जुलाई 1949 को जन्मे वाईएसआर लोकसभा के लिए चार बार कडप्पा से चुने गए थे. इसके अलावा वह पुलिवेंदुला से पांच बार विधानसभा के लिए चुने गए. (तस्वीर: PTI)
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कमल
2 सितंबर 2021 (Updated: 2 सितंबर 2021, 07:59 AM IST)
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आज 2 सितम्बर है और आज की तारीख़ का संबंध है एक हवाई दुर्घटना से.
तारीख़ -7 सितंबर 2009. सोमवार का दिन. वीकेंड पर छुट्टी मनाने के बाद लोग सुबह-सुबह ऑफ़िस जाते हुए अख़बार के पन्ने पलट रहे थे. अख़बार में दुनिया भर की खबरें तो थीं ही. साथ ही एक हेडलाइन थी तो सारे न्यूज़पेपर्स के फ़्रंट पेज पर चस्पा थी-
‘पिछले पांच दिनों में आंध्र प्रदेश में 300 से ज़्यादा लोगों की हार्ट अटैक से मृत्यु”
खबर में नीचे बताया हुआ था कि हार्ट अटैक के अलावा 50 से ज़्यादा लोगों ने आत्महत्या का प्रयास किया था. अकेले वारंगल ज़िले में 46 लोग हार्ट अटैक से मरे थे और 12 लोगों ने आत्महत्या कर ली थी. यूं तो भारत में प्रति वर्ष हज़ारों लोगों की मौत दिल का दौरा पड़ने से होती है. लेकिन एक हफ़्ते के अंतराल में एक ही रीजन में इतने लोगों की मौत एक चौंकाने वाली खबर थी. ऊपर से आत्महत्या की खबर तो और भी हैरान कर देने वाली थी.
लेकिन उस दिन इस खबर को पढ़कर किसी को कोई अचंभा नहीं हुआ. जैसे सबको पहले से पता हो कि ऐसा क्यों हो रहा था. लेकिन जैसे दुनिया में सबकी ज़िंदगी की क़ीमत बराबर नहीं, मौत भी तराज़ू पर बराबर नहीं तुलती.
उस दिन भी कुछ ऐसा ही हुआ. लोगों की आंखें नम थीं. उन्हें हार्ट अटैक से मरने वालों का दुःख था. लेकिन इससे बड़ा सदमा एक दूसरी मृत्यु का था. सदमा जो अपने साथ-साथ कई और लोगों को हार्ट अटैक दे गया. लोगों को जिसकी मौत का ग़म सता रहा था, वो कोई आम व्यक्ति नहीं था. कौन था ये व्यक्ति? ये जानने के लिए इसके ठीक 5 दिन पहले की घटना पर चलते हैं.
आज ही का दिन था. तारीख़ 2 सितम्बर. शाम आते-आते हैदराबाद के मंदिर, मस्जिद और गिरजाघरों में भीड़ इकट्ठा थी. कहते हैं, दुनिया में मृत्यु से ज़्यादा कोई चीज़ आपको आस्तिक नहीं बनाती. पूजा स्थल में इकट्ठा हुए लोगों को भी यही डर अपने इष्ट के पास ले आया था.
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रेड्डी 1978 में सक्रिय राजनीति में शामिल हुए और उसी वर्ष पुलिवेंदुला निर्वाचन क्षेत्र जीता और ग्रामीण विकास राज्य मंत्री (1980-82) बने.(तस्वीर: Getty)


लोगों की आंखों में आंसू थे. हाथ श्रद्धा से जुड़े हुए ईश्वर की प्रार्थना में लीन थे. उस दिन शाम को पूरे हैदराबाद की सड़कों पर नारे लग रहे थे, ‘राजशेखर रेड्डी ज़िंदाबाद’. ज़िंदाबाद का नारा अमूमन समर्थन जताने के लिए लगाया जाता है. आज ये एक पुकार थी. राजशेखर रेड्डी की सलामती की.
डॉक्टर येदुगुरी सांदिंती राजशेखर रेड्डी. आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री जो अपने तीस साल के राजनैतिक करियर में कभी चुनाव नहीं हारे थे. 4 बार विधायक रहे, 4 बार ही लोकसभा के सदस्य. 2004 में पहली बार आंध्र के मुख्यमंत्री बने और 2009 में दुबारा चुनाव जीतकर सत्ता पर क़ाबिज़ हुए.
2009 के सितम्बर महीने तक रेड्डी को दूसरा कार्यकाल सम्भाले हुए चार ही महीने हुए थे. लेकिन शुरुआती महीनों में ही वो 100 से ज़्यादा गांवों का दौरा कर चुके थे. ताकि विकास कार्यों की समीक्षा कर सके. आज की तारीख़ इसी कड़ी में 2 सितंबर 2009 को उनका एक प्रोग्राम तय था. उन्हें चित्तूर ज़िले के गांवों के दौरे पर जाना था. तीन दिन पहले आंध्र प्रदेश के एविएशन विभाग से इस यात्रा के लिए एक हेलिकॉप्टर तैयार रखने को कहा गया. 31 तारीख़ को मेंटिनेंस स्टाफ़ ने एक बेल-430 हेलिकॉप्टर को इस यात्रा के लिए तैयार किया.
2 सितंबर को सुबह 6 बजकर 15 मिनट पर पायलट एस.के. भाटिया और को-पायलट एम.एस. रेड्डी का प्री-फ़्लाइट मेडिकल चेकअप हुआ. दोनों पाइलट्स ने एक 10 मिनट की टेस्ट फ़्लाइट भी ली. मुख्यमंत्री की यात्रा के लिए सुरक्षा के सभी इंतज़ाम सुनिश्चित किए गए. 6.30 बजे गमपेट हवाई अड्डे के VVIP  पॉइंट पर चॉपर को उड़ान के लिए पोजिशन कर दिया गया. अंत में बम डिटेक्शन यूनिट ने हेलिकॉप्टर का फ़ाइनल चेक-अप किया और यात्रा के लिए हरी झंडी दे दी.
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YSR के साथ पायलट एस.के. भाटिया और को-पायलट एम.एस. रेड्डी (फ़ाइल फोटो)


उड़ान का समय तय किया गया था 7.30 बजे. लेकिन उस दिन मौसम ख़राब था. इसलिए उड़ान में देरी हो गई. दोनों पायलट ने मौसम विभाग से एक ब्रीफ़िंग ली और आख़िरकार सुबह 8 बजकर 38 मिनट पर हेलिकॉप्टर 3 यात्रियों को लेकर उड़ चला. चॉपर में मुख्यमंत्री YSR रेड्डी के अलावा विशेष सचिव पी सुब्रमनियम, मुख्य सुरक्षा अधिकारी ए.एस.सी. वेस्ली भी साथ थे.
उड़ान के कुछ ही देर बाद मौसम और ज़्यादा ख़राब हो गया. 9 बजकर 12 मिनट पर चेन्नई रीजनल HF रेडियो ने हेलिकॉप्टर से सम्पर्क किया. पायलट ने बताया कि आसमान में घने बादल हैं और चॉपर 5500 फ़ीट की ऊंचाई पर है. चेन्नई HF रेडियो ने पायलट से कहा कि वो 9.30 पर दुबारा उनसे कांटैक्ट करें. लेकिन इसके तुरंत बाद चॉपर रडार से ग़ायब हो गया. बहुत कोशिशों के बाद जब चॉपर से कोई कांटैक्ट नहीं हो पाया तो HF कमांड को किसी अनहोनी का अंदेशा हुआ. सर्च ऑपरेशन तुरंत केंद्र को सूचना दी गई और दिन होते-होते तलाशी अभियान शुरू कर दिया गया. ये भारत के सबसे बड़े तलाशी अभियानों में से एक था. सबसे पहले तलाशी के लिए 4 हेलिकॉप्टर भेजे गए. साथ में 80 पैरा कमांडो की एक टीम भी सर्च ऑपरेशन के लिए भेजी गई. देर रात तक चले ऑपरेशन के बावजूद पहले दिन सर्च टीम को हेलिकॉप्टर का कोई सुराग नहीं मिला. तलाशी अभियान असफल रहा.
इसके बाद अगले दिन 3 सितम्बर को सुखोई 30 एमकेआई विमान भी सर्च मिशन में शामिल किए गए. ये विमान थर्मल इमेजिंग प्रणाली से लैस थे. इसके साथ ही दुर्घटना क्षेत्र की मैपिंग के लिए इसरो के उपग्रह का भी इस्तेमाल किया गया.
साथ ही CRPF के पांच हजार जवानों को जंगल का चप्पा-चप्पा छानने के लिए लगाया गया. हेलिकॉप्टर नल्लामल्ला के जंगलों में लापता हुआ था. ये नक्सल प्रभावित क्षेत्र था. सुरक्षा बलों को इस बात की चिंता थी कि इस दुर्घटना में कहीं नक्सलियों का हाथ ना हो. इसलिए नक्सल रोधी बल ग्रेहाउंड्स को भी इस अभियान में लगाया गया.
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मलबे में मिले हेलिकॉप्टर के अवशेष (तस्वीर: Getty)


काफ़ी खोजबीन के बाद 3 सितम्बर की सुबह 8.30 मिनट पर वायुसेना के एमआई-8 हेलिकाप्टर ने दुर्घटनाग्रस्त चॉपर का पता लगा लगा लिया. करनूल से 70 किलोमीटर दूर रूद्रकोंडा की पहाड़ी पर चॉपर का मलबा मिला. पेड़ से टकराकर चॉपर ज़मीन पर क्रैश हुआ था. उसमें आग लग गई थी. दिन में 12.30 बजे प्रधानमंत्री कार्यालय ने हेलिकॉप्टर के दुर्घटनाग्रस्त होने और इसमें सवार रेड्डी सहित सभी पांच लोगों की मृत्यु हो जाने की पुष्टि की.
तलाशी टीम ने चॉपर में लगे कॉकपिट वॉइस रिकॉर्डर (CVR) को रिकवर किया. और उसे जांच के लिए बैंगलोर लाया गया. दुर्घटना के कारण CVR में ख़राबी आ गई थी. उसे ठीक करने के लिए भारत स्थित बेल कम्पनी के इंजीनियर्स को बुलाया गया. लेकिन उनसे भी जब वो ठीक नहीं हो पाया तो उसे अमेरिका में बेल कम्पनी के हेडक्वार्टर भेजा गया. CVR से क्या पता लगा? चेन्नई HF रेडियो से कांटैक्ट होने के बाद सुबह 9 बजकर 20 मिनट पर चॉपर ने कृष्णा नदी को पार किया. तब तक टेक ऑफ़ किए 42 मिनट हो चुके थे. इसके चंद सेकंड्स बाद ही पायलट को ऑयल ट्रांसमिशन में कुछ दिक़्क़तें नज़र आईं. दोनों ने फ़्लाइट मैनुअल और इमरजेंसी चेकलिस्ट में देखा कि इन हालात में क्या करना चाहिए.
यहीं पर दोनों से गलती हो गई. मौसम ख़राब था और फ़्लाइट प्लान के अनुसार उन्हें VFR मोड में फ़्लाई करना था. VFR यानी विज़ुअल फ्लाइट रूल्स. जो ख़राब मौसम में उड़ान भरने के दौरान फ़ॉलो किए जाते हैं. इस दौरान डेक पर मौजूद इंस्ट्रूमेंट्स के बजाय पायलट को अपने विज़न का इस्तेमाल कर उड़ान तय करनी होती है.
जबकि दोनों पायलट IFR यानी इंस्ट्रुमेंट फ़्लाइट रूल फ़ॉलो कर रहे थे. फ़्लाइट डेक पर अलग-अलग इंस्ट्रूमेंट्स मौजूद होते हैं. IFR मोड में निर्णय लेते वक्त अपने विज़न के बजाय इन्हीं इंस्ट्रूमेंट्स की रीडिंग को प्राथमिकता दी जाती है.
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हेलिकॉप्टर के मलबे से मिला CVR जिससे क्रैश के घटनाक्रम का पता लगा (तस्वीर: Getty)


फ़्लाइट मैन्यूअल चेक करने के दौरान दोनों ने 6 मिनट का समय लगा दिया. ये 6 मिनट अंत में बहुत भारी पड़े. तब तक समय हो चुका था 9 बजकर 26 मिनट. और चॉपर एक तूफ़ान में फ़ंस चुका था. अगर सही समय पर दोनों ने ध्यान दिया होता तो वो इससे बच सकते थे. CVR की रिकॉर्डिंग से पता चला कि दोनों पायलट्स ने एक बार भी तूफ़ान, डाइवर्ज़न या वापस लौटने का ज़िक्र नहीं किया.
ज़ाहिर था कि जब तक उन्हें तूफ़ान का पता चला, बहुत देर हो चुकी थी. CVR के हिसाब से 9 बजकर 27 मिनट और 24 सेकंड पर को-पायलट रेड्डी बोले कि चॉपर नीचे जा रहा है. 10000 फ़ीट प्रति मिनट की गति से गिरते हुए चॉपर आउट ऑफ़ कंट्रोल हो चुका था. टॉर्क ड्रॉप हो रहा था और रोटर और पावर टरबाइन अनियंत्रित रूप से घूम रहे थे. इसके ठीक 18 सेकंड बाद 9 बजकर 27 मिनट और 42 सेकंड पर चॉपर ज़मीन से टकराया और उसमें विस्फोट हो गया. आफ़्टर मैथ रेड्डी के बेटे और परिवार ने हेलिकॉप्टर दुर्घटना को एक साज़िश बताया. YSR के पिता YS राजा रेड्डी की 1998 में एक बम विस्फोट में हत्या कर दी गई थी. 2019 में YSR के भाई विवेकानंद रेड्डी की भी हत्या कर दी गई. जिसके बाद YSR के बेटे जगन मोहन रेड्डी ने विपक्षी पार्टी पर आरोप लगाया कि उनके पिता, चाचा और दादा तीनों की मौत में TDP का हाथ है. उन्होंने कहा कि हेलिकॉप्टर क्रैश से 2 दिन पहले विधानसभा में TDP अध्यक्ष चंद्रबाबू नायडू ने YSR से कहा था कि वो कभी लौटकर नहीं आ पाएंगे.
2010 में सरकार ने हेलिकॉप्टर दुर्घटना की जांच के लिए एक विशेष कमिटी बनाई. जिसने अपनी रिपोर्ट में किसी भी साज़िश की सम्भावना से इनकार किया. और ख़राब मौसम और पायलट की लापरवाही को दुर्घटना का कारण बताया.

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