इनके गाने गिटार पर बजा-बजाकर हिंदुस्तान में कितने इंजीनियर सिकंदर बन गए
अमेरिका में बेइज़्ज़ती के बाद वहीं किया सबसे बड़ा शो. आज इस डॉन संगीतकार का बड्डे होता है.
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1940-42 की बात है. मुंबई के फिल्म स्टूडियोज़ में चार छोटे-छोटे बच्चे शाम को शूटिंग देखने पहुंचते थे. मौका लगता तो एक्स्ट्रा के रोल भी कर लेते. चारों को फिल्मों की दीवानगी थी. इन चारों बच्चों के नाम थे - लक्ष्मी, प्यारे, कल्याण और आनंद. इन्हीं चारों ने बड़े होकर हिंदी सिनेमा की दो प्रसिद्ध जोड़ियां बनाईं - 'लक्ष्मीकांत-प्यारेलाल' और 'कल्याणजी-आनंदजी'.
2 मार्च 1933 को पैदा हुए आनंद जी जन्मदिन पर बात कल्याणजी-आनंदजी की. इन दोनों की जोड़ी ने हिंदी सिनेमा को कई हिट गाने दिए. राज कपूर की 'छलिया' के गानों से लेकर, शम्मी कपूर के 'गोविंदा आला रे', अमिताभ बच्चन के 'खइके पान बनारस वाला', 'नीले-नीले अंबर पर', 'सलाम-ए-इश्क मेरी जान', 'आपका क्या होगा जनाबे आली' जैसे कई सुपर हिट गाने दिए.
फोटो- उदयपुर टाइम्स
# किराने की दुकान खोलने भेजा था बन गए म्यूज़िक डायरेक्टर
कल्याणजी-आनंदजी सगे भाई थे. गुजराती बिज़नेसमैन फैमिली में पैदा हुए थे. दोनों को गुजरात से मुंबई इसलिए भेजा गया था कि मुंबई जाकर किराने की दुकान खोलेंगे. मगर घर में लोक संगीत का माहौल था. इन दोनों के चाचा चाहते थे कि बच्चे फिल्मों में नाम कमाए. दोनों के लिए संगीत की ट्यूशन भी लगाई गई पर सिखाने आए मास्साब को सारेगामापा की भी जानकारी नहीं थी.दरअसल टीचर गरीबी से परेशान एक नौजवान था जिसके पास उस दौर में कोई काम नहीं था. संगीत सीखने के बहाने दोनों बच्चों को पढ़ाई से बचने का बहाना मिल गया था. और टीचर को कुछ समय के लिए काम. कल्याण जी ने फिल्म 'नागिन' के लिए क्लेवायलन से बीन की धुन बजाकर ज़बरदस्त एंट्री की. वहीं आनंदजी ने तब न्यूकमर मनमोहन देसाई की फिल्म 'छलिया' के साथ हिंदी सिनेमा में एक अलग पहचान बनाई. कुछ सालों बाद दोनों साथ काम करने लगे.
# अमेरिका में बेइज़्ज़ती और फिर सबसे बड़ा शो
आनंदजी 1978 में प्रकाश मेहरा, कल्याणजी और अमिताभ बच्चन के साथ अमेरिका गए. वहां लास वेगास के एक महंगे होटल में इन लोगों ने सुइट मांगा. होटल के मैनेजर ने कहा, "हमारे सुइट बहुत महंगे हैं. आप लोग कमरों में रह लीजिए. हमारे यहां के कमरे भी अच्छे हैं." आनंदजी और प्रकाश मेहरा को ये बात चुभ गई. तय किया कि अमेरिका में शो करेंगे और दिखाएंगे कि हिंदी सिनेमा कि लोकप्रियता क्या होती है.न्यूयॉर्क के सबसे बड़े और महंगे हॉल मैडिसन स्क्वायर गार्डन में शो करने की बात तय हुई. ये लोग जब गार्डन बुक करने पहुंचे तो मैनेजर ने पूछा कि "इस शो का खर्च कैसे निकलेगा?" आनंदजी ने कहा कि 100 डॉलर का टिकट रखेंगे. उस दौर में बाकी शो के टिकट 5 से 30 डॉलर की कीमत के होते थे. मैनेजर को लगा कि ये लोग पागल हो गए हैं. शो खत्म हुआ तो मैनेजर चिल्लाता हुआ आया, ‘इट्स ब्लडी शि*’. इन लोगों ने पूछा कि अब क्या हो गया. मैनेजर ने बताया कि ये शो मैडिसन के पूरे इतिहास का सबसे ज़्यादा कमाई वाला शो है.
# 'ना कजरे की धार' घर में ही चोरी हो गया
'मोहरा' फिल्म का सुपर हिट गाना है, ‘ना कजरे की धार, ना मोतियों के हार’. पंकज उधास के गाए और इस गाने पर कई लोग चोरी होने का आरोप लगाते हैं. गर मोहरा फिल्म वाले वर्ज़न को सीधी चोरी नहीं कहा जा सकता. म्यूज़िक डायरेक्टर कल्याणजी-आनंदजी ने इस गाने की बिलकुल यही कंपोज़ीशन मुकेश की आवाज़ में 60 के दशक में रिकॉर्ड की थी. 60 के दशक में बना ये गाना कभी रिलीज़ नहीं हो पाया था. 'मोहरा' फिल्म के म्यूज़िक डायरेक्टर वीजू शाह कल्याणजी के बेटे थे. वीजू ने जब करियर शुरू किया तो अपने पिता और चाचा के बिना इस्तेमाल किए काम को अपनी फिल्म में अपने नाम से ले लिया.https://www.youtube.com/watch?v=6NVlseUCOEY
# साथी म्यूज़िक डायरेक्टर्स की नकल
राजकपूर की फिल्म छलिया में गाना है, डम-डम डिगा-डिगा. सुनकर लगता है कि शंकर जयकिशन का गाना हो. इसी तरह ‘कलाकार’ फिल्म का ‘नीले-नीले अंबर पर’ और ‘डॉन’ के गानों को लोग अक्सर आरडी बर्मन की कंपोज़ीशन समझ लेते हैं. कारण है कि इन सारे गानों में वही इंस्ट्रुमेंट, सिंगर और ऐक्टर का कॉम्बिनेशन है जो उस दौर में सुपरहिट हुआ. बस म्यूज़िक डायरेक्टर अलग है. इसे कल्याणजी आनंदजी की खासियत भी कहा जा सकता है कि जिस अंदाज़ के गाने उन्हें कंपोज़ करने पड़े वैसा स्टाइल उन्होंने अपनाया. वैसे ये दोनों खुद को एसडी बर्मन से प्रेरित बताते हैं. राजकपूर की क्लासिक फिल्म ‘छलिया’ का ये गाना सुनिए.https://www.youtube.com/watch?v=pZsmUHNwsas
# किसी और के गाने के लिए ग्रैमी लेने पहुंचे
‘डॉन’ फिल्म के सुपरहिट गाने 'ये मेरा दिल प्यार का दीवाना' की धुन को 'ब्लैक आइड पीस ग्रुप' ने अपने रैप में इस्तेमाल किया. उनके इस गाने को 2006 में ग्रैमी मिला तो ब्लैक आइड ने आनंद जी को अवॉर्ड रिसीव करने के लिए बुलाया. अवॉर्ड के क्रेडिट में भी दोनों को बतौर कंपोज़र नाम दिया गया था.https://www.youtube.com/watch?v=P4Bda6_usuc
कल्याणजी-आनंदजी ने कई हिट गाने दिए हैं. इनमें हर मूड और जॉनर के गाने हैं. हम आपको इस सुपरहिट जोड़ी के 5 चुनिंदा गाने सुनवा रहे हैं.
1. बर्मन दा के संगीत से प्रेरित फिल्म 'कोरा कागज़' का टाइटल सॉन्ग.
2. कश्मीर में हाउस बोट में सफेद स्लीवसेल गाउन में हिरोइन गा रही है बसने लगे आंखों में कुछ ऐसे अपने. नौजवान शशि कपूर छिप-छिप कर सपने देख रहे हैं. लता की जी की आवाज़ में ये गाना आज भी समां बांधता है.
https://www.youtube.com/watch?v=qn9GDeIHioE
3. 'मुकद्दर का सिंकदर' भी अकेलेपन में कह रहा है - 'ओ साथी रे तेरे बिना भी क्या जीना.'
https://youtu.be/3IY-8rcC2Fk?list=PLBfuJwnweBgvov1H1rNVIUShRlCd4vtNh
4. 'रंगों छंदों में समाएगी किस तरह से इतनी सुंदरता' - जितनी खूबसूरती से ये उपमा दी गई है, उतनी ही खूबसूरत इसकी कंपोजीशन है. पर्दे पर सुपरस्टार राजेश खन्ना और शर्मिला टैगोर हैं. फिल्म है ‘सफर’. संगीत और शब्द दोनों का अद्भुत कॉम्बिनेशन है.
https://youtu.be/vTpo-NoXHTc?list=PLBfuJwnweBgvov1H1rNVIUShRlCd4vtNh
5. हिंदी सिनेमा में जब भी मुजरों की बात होती है, पाकीज़ा और उमराव जान का नाम बाकी सारी फिल्मों को पीछे छोड़ देता है. मगर 'मुकद्दर का सिकंदर' के 'सलाम-ए-इश्क़' की इसके बावजूद भी एक अलग आइडेंटिटी है. बाकी मुजरों से अलग ये गाना डुएट है. जवाबी लिरिक्स का अपना अलग सुख है. शराब की बोतल लिए हुए अमिताभ और प्लेबैक में किशोर कुमार कहते हुए 'तू मसीहा मोहब्बत के मारों का है... एक अहसान कर अपने मेहमान पर'. इस गाने ने कितने टूटे दिल वालों को सुकून दिया होगा सोचा जा सकता है.
https://www.youtube.com/watch?v=9bfF5ABzeyw
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