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कौन है 18 साला गोल्फ बाला अदिति अशोक

पिता गोल्फर नहीं थे फिर भी बेटी को चैंपियन गोल्फर बना दिया

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18 साला गोल्फ बाला अदिति अशोक
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15 नवंबर 2016 (Updated: 5 दिसंबर 2016, 08:24 AM IST) कॉमेंट्स
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जैसे हर क्रिकेट खिलाड़ी का IPL में खेलने का सपना होता है, हर फुटबॉल खिलाड़ी का यूरोप में खेलने का सपना होता है वैसे ही हर गोल्फर गोल्फ के सबसे बड़े गढ़ अमेरिका में खेलना चाहता है. भारत की 18 साला गोल्फ बाला अदिति अशोक अपने पेशेवर करियर के पहले ही साल में अमेरिका के लेडिज़ प्रोफेशनल गोल्फ एसोशियसन यानी LPGA के लिए क्वालिफाई कर गई हैं. अदिति ने क्वालिफाइंग टूर्नामेंट में 2 ओवर 358 का स्कोर बनाया और 24वें स्थान पर रहीं. पहले 20 खिलाड़ियों को LPGA की फुल मेंबरशिप और 21 से 45वें स्थान पर रहने वाले खिलाड़ियों को आंशिक मेंबरशिप दी जाती है. अदिति अशोक, सिम्मी मेहरा के बाद खूब दौलत-शोहरत वाले गोल्फ टूर LPGA में क्वालिफाई करने वाली दूसरी भारतीय महिला हैं.

https://twitter.com/aditigolf/status/805544016087490560?ref_src=twsrc%5Etfw
ये भी पढ़िए : गोल्फ कैसे खेला जाता है

पिछले महीने इंडियन ओपन गोल्फ टूर्नामेंट जीतकर देसी गोल्फरों के लिए जीत की बोहनी करने वालीं अदिति अशोक हैं तो सिर्फ 18 साल कीं. लेकिन इस छोटी उम्र में मिली बड़ी कामयाबी का कोई शॉर्टकट नहीं है. पिछले साल बैंगलोर के स्कूल से 12वीं पास करते वक्त अदिति को पढ़ने के साथ-साथ गोल्फ खेलने का भी 12 साल का अनुभव था. वो भी तब जब अदिति को गोल्फ विरासत में नहीं बस किस्मत से मिला.


बस यूं ही शुरू किया था गोल्फ

परिवार के साथ बैंगलोर के होटल रोयल हॉट किड से खाना खाकर निकले अशोक गुदलमणि को इस होटल के ठीक सामने कर्नाटक गोल्फ एसोशियसन का कोर्स दिखा और घुस गए. लोगों को शॉट लगाते हुए देखकर अशोक ने अपनी बेटी को भी यही खेल खिलाना शुरू कर दिया और बन गए सेहत के लिए हानिकारक बापू. सिर्फ साढे 5 साल की उम्र में अपनी बेटी को गोल्फ क्लब पकड़ा दी. सुबह-दोपहर-शाम गोल्फ-गोल्फ-गोल्फ का सिलसिला ऐसा शुरू हुआ कि पापा-बेटी की जोड़ी ने सिर्फ 3 साल बाद, अदिति जब 9 साल की थीं तब, अपना पहला टूर्नामेंट जीत लिया और 12 साल की उम्र में अदिति टीम इंडिया के लिए खेलने लगीं. अदिति ने गोल्फ कोर्स पर जो भी कारनामा किया है वो सबसे कम उम्र में किया है.


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 जब पापा ने पहनी बेटी के नाम की जर्सी

अदिति के पिता कोई गोल्फर नहीं हैं, कोच और गोल्फ कोर्स पर सलाह-मशविरा, सामान ले जाने के लिए कैडी का काम खुद ही करते थे. कैडी अपने गोल्फर के नाम की जर्सी पहनता है. जब अदिति ओलंपिक खेलने के लिए रियो पहुंची तो अशोक का कहना था, ‘मैं लगभग रो पड़ा. बचपन में हम सब ओलंपिक जाने का सपना देखते हैं. अदिति मुझे यहां तक लेकर आई हैं. मुझे यह मौका देने के लिए मैं उसका कर्ज़दार हूं.’ ओलंपिक में गोल्फ टूर्नामेंट के पहले दो दिन अदिति गोल्ड की रेस में थीं. दूसरे दिन तो एक बार पहले नंबर भी आ गई थीं. लोग ये जानने को उत्सुक हो रहे थे कि गोल्फ खेला कैसे जाता है
? ओलंपिक में अदिति टॉप 10 फिनिश नहीं कर पाईं लेकिन गोल्फ की दुनिया में भारत में ही नहीं, ग्लोबल गोल्फ के सीन में 'नेक्स्ट बिग नेम' बन गईं. ओलंपिक में भी अदिति सबसे कम उम्र की खिलाड़ी थीं.
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सौजन्य : ओलंपिक गोल्फ

सबसे पहली बार जब अखबारों में नाम आया 

भारत में पहली बार अदिति सितंबर 2011 में खबरों में आईं. अदिति ने सिर्फ 13 साल की उम्र में बैंगलोर इंडियन ओपन प्रो चैंपियनशिप में भारत की सबसे बड़ी गोल्फर सिम्मी मेहरा को हराकर इंडियन गोल्फ की दुनिया में तहलका-सा मचा दिया था.  उसके बाद सबसे कम उम्र में एशियन यूथ गेम्स, यूथ ओलंपिक और इंचॉन एशियन गेम में खेलने वाली खिलाड़ी बनीं. लेकिन प्रोफेशनल बनने के लिए इंतज़ार करना था. 17 साल की अदिति अशोक सबसे कम उम्र में लेडिज यूरोपियन टूर लाला एइचा टूर स्कूल जीतीं. इस जीत के साथ वो क्वालिफाईंग स्कूल जीतने वाली पहली भारतीय गोल्फर बन गईं. गोल्फ में आप सीधे बड़े टूर्नामेंट्स नहीं खेलते इसके लिए क्वालिफाईंग टूर्नामेंट्स होते हैं जिन्हें क्यू-स्कूल या क्वालिफाईंग स्कूल कहते हैं. और फिर शुरू हुआ 2016, अदिति अशोक का पेशेवर गोल्फर के तौर पर पहला सीज़न. ओलंपिक में ‘नेक्स्ट बिग थिंग’ का टैग लेने के बाद अदिति अशोक ने लगातार 4 टूर्नामेंट्स में टॉप 10 फिनिश दिए. भारतीय गोल्फर अच्छा तो कर रहे थे लेकिन जीत तक नहीं पहुंच पा रहे थे. इंडियन ओपन जीतकर अदिति अशोक ने न जीत सकने की मानसिक दीवार भी तोड़ दी है. इस जीत के साथ अदिति यूरोपीयन टूर का टूर्नामेंट जीतने वाली पहली महिला बन गई हैं. आप कहेंगे कि इंडियन ओपन यूरोपियन टूर में कैसे आ गया ?


ऐसे होता है गोल्फ का टूर 

गोल्फ का ढांचा बाकी खेलों से अलग होता है. एशियन टूर, यूरोपियन टूर, LPGA ये मूलत: कंपनियां हैं जो गोल्फ टूर्नामेंट्स आयोजित करवाती हैं और इस तरह से करवाती हैं कि ज्यादा से ज्यादा फायदा खिलाड़ियों को मिलें. एक टूर पर कई टूर्नामेंट्स की एक श्रृंखला होती है. एक-दो टूर्नामेंट्स के तो मालिक ही खिलाड़ी हैं. इंडियन ओपन यूरोपियन टूर का हिस्सा है. LPGA के टूर्नामेंट्स सबसे मुश्किल, सबसे भव्य और सबसे अधिक ईनामी राशि वाले होते हैं.

गोल्फ बहुत महंगा खेल है, टूर्नामेंट्स में खेलने के लिए एंट्री फीस लगती है.  टूर्नामेंट में ‘कट’ होता है यानी खेलने के अंतिम दौर से पहले निर्धारित अंकों से कम अंक वाले खिलाड़ी बाहर. इस ‘कट’ को पार करने वाले खिलाड़ियों को ही पैसा मिलता है. नहीं तो खेलने जाने, खाने-पीने-खेलने का खर्चा सब आपको देना पड़ेगा और नए खिलाड़ियों को कोई स्पॉन्सर भी नहीं मिलता. ये ज्यादा जोखिम और ज्यादा फायदे का खेल है.


अब आगे क्या  

अदिति अशोक इस साल की सबसे उदीयमान खिलाड़ी यानी ‘रूकी प्लेयर ऑफ द ईयर’ अवॉर्ड जीतने की दौड़ में हैं. और रही बात पढ़ाई की तो अदिति कॉलेज भी जाना चाह रही हैं. अदिति का कहना है, 'अब तक जैसे-तैसे गोल्फ के साथ पढ़ाई हो गई तो आगे भी कोई दिक्कत नहीं आएगी.' बाकी टीनएजर्स की तरह गाने सुनने की शौकीन अदिति अशोक किताबें भी बहुत पढ़ती हैं. तो प्रमाणित होता है कि खेलना और पढ़ना एक-दूसरे के विपरीतार्थक नहीं बल्कि पूरक हैं. पेशेवर टूर्नामेंट्स में कभी एक पांव एशिया में रहेगा तो कभी एक पांव यूरोप में, पढ़ाई बाकी बच्चों की तरह तो नहीं हो पाएगी. अपने पहले ही साल में अदिति की रैंकिंग 132 है और जिस तरह से वो खेल रही हैं आप उम्मीद पाल सकते हैं कि जैसे इस बार 12वीं करते ही ओलंपिक खेलने चली गईं वैसे ही अगले ओलंपिक तक ग्रेजुएशन की डिग्री और ओलंपिक गोल्ड दोनों एक साथ ला सकती हैं...18 साला गोल्फ बाला अदिति अशोक !

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