जब रजनीकांत के एक जुमले ने पलट दी थी जयललिता की सत्ता!
जयललिता के कारण पब्लिक जाम में फंस गये थे रजनीकांत.

बात 1992 की है. रजनीकांत अपने घर पोएस गार्डेन (रजनीकांत पोएस गार्डेन में जयललिता के पड़ोसी थे) जा रहे थे. रास्ते में जाम लगा हुआ था. जानकारी ली तो पता चला कि मुख्यमंत्री जयललिता वहां से गुज़रने वाली हैं, इसलिए ब्लॉकेड किया गया है. “पुरत्चिथलाइवी” जयललिता (जनता उन्हें इसी नाम से बुलाती थी. अर्थ होता है रिवोल्य़ूशनरी लीडर यानी क्रांतिकारी नेता) 1991 के इलेक्शन में भारी बहुमत से जीती थीं और प्रदेश की सबसे कम उम्र की और पहली महिला मुख्यमंत्री बनी थीं.
रजनीकांत थोड़ी देर बाद अपनी कार से निकले और एक खंभे के सहारे खड़े होकर सिगरेट पीने लगे. जब लोगों को पता लगा कि रजनीकांत वहां मौजूद हैं, तो भारी भीड़ लग गई. पुलिस वाले रजनीकांत के पास आए और उन्हें वहां से जाने के लिए कहा. रजनीकांत ने कहा, “मुझे कोई दिक्कत नहीं हैं, मैं तो मैडम के गुज़रने का इंतज़ार कर रहा हूं.”
चार साल बीत चुके थे. 1996 के इलेक्शन करीब थे. इस दौरान रजनीकांत रोज़ ट्रैफिक जाम से परेशान होते रहे. लेकिन इसी बीच दो घटनाएं और हो गई थीं. जयललिता पर कलर टीवी स्कैम के आरोप लग रहे थे और जयललिता के गोद लिए पुत्र की चर्चा हर जगह थी.
जयललिता सरकार ने ग्राम पंचायतों मे कलर टीवी लगवाने के लिए उसकी खरीद करवाने का टेंडर निकाला. आरोप लगा कि टीवी मार्केट प्राइस से ज़्यादा पर खरीदी गई. इनमें जयललिता और उनकी करीबी शशिकला पर घोटाले का आरोप लगा. बाद में इस केस के कारण जयललिता को जेल भी जाना पड़ा.
इसी दौरान 1995 में जयलिलता ने शशिकला के भतीजे सुधाकरन को गोद ले लिया. शशिकला थेवर जाति से हैं इसलिए अनुमान लगाया गया कि इन बदनामियों के बीच शायद जातिगत वोट मिल जाएं. तमिलनाडु के दक्षिणी ज़िलों में थेवर जाति के लोगों की काफी संख्या है. लेकिन इससे भी बड़ी चर्चा सुधाकरन की शादी की हुई. अनुमान लगाया गया कि 1995 में सुधारकन की शादी में उस समय के लगभग 100 करोड़ रुपए खर्च हुए.
इसी बीच रजनीकांत ने जयललिता के खिलाफ एक बयान दे दिया. उन्होंने कहा, "अगर तमिल जनता ने जयललिता को दोबारा सत्ता सौंपी तो भगवान भी उन्हें माफ नहीं करेगा." रजनीकांत को तमिलनाडु की जनता बेतहाशा मोहब्बत करती थी. उनकी फिल्म “बाशा” ने उन दिनों काफी धूम मचा रखी थी.
खैर, चुनाव हुए और जयललिता बुरी तरह हारीं. लोकसभा की सभी 39 सीटों पर डीएमके-टीएमसी का कब्ज़ा हो चुका था और विधानसभा में जयललिता की पार्टी को सिर्फ चार सीटें ही मिली थीं. यहां तक कि जयललिता “बरगूर” से खुद अपनी सीट पर चुनाव हार गईं. रजनीकांत ने दावा किया कि जयललिता सिर्फ उनकी वजह से इलेक्शन हारीं.
हालांकि जब जयललिता नहीं रहीं, तो रजनीकांत ने उनके बारे में कहा कि वो "कोहिनूर हीरा" थीं.
ये स्टोरी शिव ने की है